अंतरराष्ट्रीय समाचार
आईटी शेयरों में तेजी से सेंसेक्स 330 अंक चढ़ा, निफ्टी 24,500 स्तर के ऊपर
मुंबई, 1 सितंबर: भारतीय बेंचमार्क सूचकांकों ने सोमवार को सप्ताह की शुरुआत बढ़त के साथ की। शुरुआती कारोबार में आईटी और पब्लिक सेक्टर बैंक के शेयरों में तेजी रही।
अमेरिकी कोर्ट के एक फैसले से मार्केट सेंटीमेंट को बल मिला, जिसमें कहा गया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ अवैध थे, लेकिन अक्टूबर के मध्य तक उन्हें बरकरार रखा जाएगा। इसके अलावा, जून तिमाही के अनुमान से बेहतर जीडीपी आंकड़ों से भी बाजार में तेजी आई।
सुबह के कारोबार में सेंसेक्स 335 अंक या 0.42 प्रतिशत बढ़कर 80,144 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 104.30 अंक या 0.43 प्रतिशत बढ़कर 24,531 पर पहुंच गया।
ब्रॉड-कैप सूचकांकों ने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया। निफ्टी मिडकैप 100 में 0.85 प्रतिशत और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 0.70 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।
सेक्टोरल फ्रंट पर, निफ्टी आईटी सूचकांक 1.59 प्रतिशत की बढ़त के साथ शीर्ष प्रदर्शन करने वाला सूचकांक रहा। निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सूचकांक में 0.98 प्रतिशत की तेजी आई। निफ्टी मेटल और पीएसयू बैंक सूचकांक क्रमशः 0.78 और 0.79 प्रतिशत की बढ़त में रहे। दूसरी ओर, निफ्टी एफएमसीजी सूचकांक ने 0.24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की।
निफ्टी पैक में टेक महिंद्रा, टीसीएस, हीरो मोटोकॉर्प, एचसीएल टेक और ट्रेंट टॉप गेनर्स रहे। इस बीच, जियो फाइनेंशियल 1.14 प्रतिशत की गिरावट के साथ टॉप लूजर रहा, इसके बाद टॉप लूजर्स की लिस्ट में रिलायंस, एचयूएल, मारुति सुजुकी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स का स्थान रहा।
चॉइस ब्रोकिंग के मंदार भोजने ने कहा, “निफ्टी 50 अपने 100-डीईएमए से नीचे कारोबार कर रहा है, जो एक कमजोर रुझान दर्शाता है और अगर यह 24,350 से नीचे चला जाता है तो और अधिक गिरावट का जोखिम है। मुख्य समर्थन 24,350 और 24,150 पर हैं, जबकि प्रतिरोध 24,600-24,800 पर है।”
विश्लेषकों को यह भी उम्मीद है कि ट्रंप के मनमाने व्यवहार के जवाब में चीन, भारत और रूस एकजुट होंगे, जिससे वैश्विक शक्ति समीकरण और व्यापार प्रभावित होंगे।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी अदालत का यह फैसला कि ट्रंप के टैरिफ अवैध हैं, एक बड़ी घटना है और इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला बेहद अहम है।
उन्होंने आगे कहा, “घरेलू स्तर पर, भारत की पहली तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही, जो उम्मीद से कहीं बेहतर है। ऐसा प्रतीत होता है कि बजट में दिए गए राजकोषीय प्रोत्साहन और एमपीसी द्वारा दिए गए मौद्रिक प्रोत्साहन का असर अब दिखने लगा है। प्रस्तावित जीएसटी सुधार आने वाली तिमाहियों में विकास को गति दे सकते हैं।”
शुक्रवार को अमेरिकी बाजार लाल निशान में बंद हुए, जहां डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि नैस्डैक में 1.15 प्रतिशत और एसएंडपी 500 में 0.64 प्रतिशत की गिरावट आई।
एशियाई बाजारों में सप्ताह की शुरुआत मिली-जुली रही। चीन का शंघाई सूचकांक 0.48 प्रतिशत और शेन्जेन सूचकांक 0.52 प्रतिशत की बढ़त में रहे। जापान का निक्केई 2.03 प्रतिशत की गिरावट में रहा, जबकि हांगकांग का हैंगसेंग सूचकांक 2.02 प्रतिशत की तेजी में रहा। दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.83 प्रतिशत की गिरावट में रहा।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने अगस्त में भारतीय शेयरों से 34,993 करोड़ रुपए निकाले, जो इस वर्ष की उनकी सबसे बड़ी गिरावट थी, क्योंकि अमेरिकी टैरिफ झटकों और जून तिमाही की कमजोर आय से सेंटीमेंट प्रभावित हुआ था।
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अमेरिका में ट्रंप को नहीं मिल रहा आम जनता का साथ! बढ़ती महंगाई को लेकर लोगों में असंतोष

न्यूयॉर्क, 10 दिसंबर: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से टैरिफ को लेकर दिए हालिया बयानों से हलचल मचा दी है। पूरी दुनिया में टैरिफ का दबाव बनाने वाले ट्रंप अब अपने ही देश में बढ़ती महंगाई को लेकर घिरते नजर आ रहे हैं।
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति घरेलू चुनाव को देखते हुए आम जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में लग गए हैं। ट्रंप भले ही टैरिफ के जरिए दूसरे देशों पर दबाव बनाने की कोशिशों में किसी हद तक कामयाब रहे हों, लेकिन अमेरिकी जमीन पर जनता में उनके फैसलों को लेकर असंतोष साफ जाहिर है।
मंगलवार को पेंसिलवेनिया के एक कसीनो रिजॉर्ट में ट्रंप एक रैली में शामिल हुए। इस दौरान वह एक बार फिर से अपने पुराने दावों को दोहराते नजर आए। रैली में मौजूद लोग उम्मीद कर रहे थे कि ट्रंप बढ़ती महंगाई से राहत के लिए कोई खास ऐलान कर सकते हैं। उन्होंने पेट्रोल की कम कीमतों, रिकॉर्ड निवेश और नौकरियां बढ़ाने के अपने पुराने दावों को ही दोहराया।
इस दौरान उन्होंने डेमोक्रेट्स और पूर्व की बाइडेन सरकार पर तंज कसा। इसके साथ ही ट्रंप ने ट्रांसजेंडर स्पोर्ट्स, अप्रवास और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे मुद्दों पर फिर से बयानबाजी करते नजर आए। उन्होंने कहा कि ताकत के जरिए शांति लाना उनका लक्ष्य है, और दावा किया कि टैरिफ को लेकर उनके फैसले सफल रहे। अप्रवासी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि बाइडेन के नेतृत्व में कई खतरनाक अवैध प्रवासी देश में आ गए।
विशेषज्ञों का मानना है कि घरेलू मुद्दों की अनदेखी को लेकर रिपब्लिकन पार्टी के भीतर भी चिंता बढ़ गई है। पार्टी सांसद टोनी गोंजालेस ने चेतावनी दी कि अगर रिपब्लिकन आर्थिक मुद्दों पर ध्यान नहीं देंगे, तो यह उनके लिए नुकसानदेह साबित होगा।
हालांकि, जनता के मुद्दों से जुड़ने के लिए ट्रंप ने बढ़ती महंगाई को लेकर ज्यादा कुछ तो नहीं कहा, लेकिन बिना किसी नीति के ‘अमेरिका को फिर से किफायती बनाने’ का नारा दिया।
बता दें, डेमोक्रेट्स हाल के चुनावों में महंगाई और घरों की कीमतों को मुख्य मुद्दा बनाकर आगे बढ़ रहे हैं। कुछ हालिया सर्वे में ट्रंप के लिए मुश्किलें नजर आ रही हैं। कई सर्वे में उनकी अप्रूवल रेटिंग 44 फीसदी पर ही सिमट कर रह गई। अधिकतर लोग ट्रंप के फैसलों से नाखुश नजर आ रहे हैं; उनकी नजर में अमेरिका गलत दिशा में जा रहा है।
वहीं ट्रंप जनता को लुभाने की तमाम कोशिशें कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने 2,000 डॉलर के “टैरिफ डिविडेंड चेक” और नवजात बच्चों के लिए “ट्रंप अकाउंट” का वादा किया है। इसके अलावा, किसानों को टैरिफ वॉर के नुकसान की भरपाई के लिए 12 अरब डॉलर देने की घोषणा की है।
अमेरिका में अब भी महंगाई 3 फीसदी के आसपास है। हालांकि, ट्रंप सरकार इसे तेज गिरावट नहीं मान रही है। ट्रंप इसे बाइडेन के दौर की 19 फीसदी महंगाई का प्रभाव बता रहे हैं।
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ट्रंप का बड़ा कृषि राहत पैकेज, लेकिन भारत के चावल आयात को ‘टैरिफ की धमकी’

TRUMP
वाशिंगटन, 9 दिसंबर: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किसानों के लिए कई अरब डॉलर की राहत योजना का ऐलान किया और भारत सहित एशियाई देशों से आने वाली कृषि आयात पर अपनी नाराजगी भी जताई। व्हाइट हाउस में किसानों और अधिकारियों के साथ बैठक में उन्होंने कहा कि अमेरिकी किसानों की सुरक्षा के लिए शुल्क (टैरिफ) का कड़ा इस्तेमाल किया जाएगा।
ट्रंप ने बताया कि सरकार किसानों को लगभग 12 अरब डॉलर की आर्थिक मदद देगी, जिसे अमेरिका ट्रेडिंग पार्टनर्स से मिल रहे टैरिफ रेवेन्यू से फंड करेगा। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों की महंगाई और कमजोर दामों से किसान परेशान हैं, इसलिए यह मदद जरूरी है। ट्रंप ने किसानों को अमेरिका की रीढ़ बताते हुए कहा कि शुल्क लगाना कृषि क्षेत्र को संभालने की उनकी योजना का अहम हिस्सा है।
बैठक में भारत का जिक्र खास तौर पर चावल आयात के मुद्दे पर आया। लुइज़ियाना की एक चावल उत्पादक कंपनी की सीईओ मेरिल कैनेडी ने कहा कि भारत, थाईलैंड और चीन जैसे देश बहुत सस्ता चावल भेज रहे हैं, जिससे अमेरिकी किसान मुश्किल में हैं। उन्होंने ट्रंप से कहा कि शुल्क बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने भारत के खिलाफ डब्ल्यूटीओ केस का ज़िक्र करते हुए कड़ी पाबंदियां लगाने की अपील की।
ट्रंप को जब बताया गया कि अमेरिका में बिकने वाले दो बड़े चावल ब्रांड भारतीय कंपनियों के हैं, तो ट्रंप ने कहा कि वह तुरंत कार्रवाई करेंगे और टैरिफ लगाने से समस्या कुछ ही मिनट में हल हो जाएगी।
बैठक में सोयाबीन और अन्य फसलों पर भी चर्चा हुई। ट्रंप ने बताया कि उन्होंने हाल ही में चीन के राष्ट्रपति से बातचीत की है और चीन भारी मात्रा में अमेरिकी सोयाबीन खरीद रहा है। अधिकारियों ने बताया कि चीन आने वाले समय में बड़ी मात्रा में सोयाबीन खरीदने का वादा कर चुका है।
कई लोगों के लिए, भारत से जुड़े व्यापार मुद्दे ग्लोबल कॉम्पिटिशन और अमेरिकी कमोडिटी बाजारों के भविष्य की चिंताओं से जुड़े हुए थे। केनेडी ने प्रशासन से चावल को “राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा” मानने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि सब्सिडी वाला विदेशी चावल विदेशों में अमेरिकी उत्पादों की जगह ले रहा है। कई किसानों ने तेजी से कदम उठाने की मांग की। वहीं, कुछ अधिकारियों ने दावा किया कि बाइडेन सरकार के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर हुई।
बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच कृषि व्यापार पिछले एक दशक में काफी बढ़ा है। भारत अमेरिका को बासमती चावल, मसाले और समुद्री उत्पाद निर्यात करता है, जबकि अमेरिका से बादाम, कपास और दालें खरीदता है। लेकिन चावल और चीनी पर सब्सिडी जैसे मुद्दों पर विवाद अक्सर सामने आते रहते हैं।
ट्रंप का नया शुल्क-आधारित रुख संकेत देता है कि आने वाले महीनों में एशियाई देशों, खासकर भारत के लिए परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं।
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श्रीलंका : भारतीय सेना ने हजारों पीड़ितों का किया उपचार, सेना के फील्ड हॉस्पिटल जाएंगे श्रीलंकाई राष्ट्रपति

नई दिल्ली, 9 दिसंबर: चक्रवात दित्वाह से प्रभावित श्रीलंका के कई इलाकों में स्वास्थ्य, सड़क, भोजन, पानी जैसे कई मानवीय संकट उत्पन्न हुए हैं। इस संकट के बीच, ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ के तहत भारतीय सेना ने श्रीलंका में 3,300 से अधिक मरीजों का इलाज किया है।
गौरतलब है कि शीघ्र ही श्रीलंका के राष्ट्रपति द्वारा अस्पताल का दौरा किए जाने की भी संभावना है। वहीं बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए सड़क मार्ग की मरम्मत भी सेना द्वारा शुरू की गई है। भारतीय सेना यहां अनेक पुलों को ठीक या निर्माण कर रही है। सेना के मुताबिक 10 दिसंबर तक श्रीलंका में एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा। जाफना और चिलाव में तीव्र प्रगति से ये कार्य पूरा किया जा रहा है।
भारतीय सेना यहां नागरिक प्रशासन के साथ समन्वय में निरंतर राहत एवं पुनर्निर्माण कार्यों को गति दे रही है। इस अभियान में पुलों की पुनर्स्थापन और उच्चस्तरीय चिकित्सा सहायता प्रमुख रूप से शामिल हैं। भारतीय सेना की इंजीनियर टास्क फोर्स ने जाफना में क्षतिग्रस्त पुलियाम्पोक्कनाई ब्रिज के पैनलों को हटाने (डी-लॉन्चिंग) का कार्य प्रारंभ कर दिया है। इस कार्य में श्रीलंका के रोड डेवलपमेंट अथॉरिटी को सेना सहयोग दे रही है।
सेना के मुताबिक, इस कार्य के लिए पहिएदार एक्सकेवेटर का प्रयोग किया जा रहा है। यह कार्य तेजी से प्रगति पर है और 10 दिसंबर तक पूर्ण होने की संभावना है। इसके बाद शनिवार दोपहर को यहां पहले बेली ब्रिज को लॉन्च करने की योजना है। वहीं जाफना में 120 फीट के ड्यूल कैरिजवे के निर्माण हेतु आवश्यक सामग्री का 70 प्रतिशत पहले ही स्टोर यार्ड से साइट पर पहुंचाया जा चुका है। शेष सामग्री के बुधवार शाम तक पहुंचने की उम्मीद है।
चिलाव में अगले 48 घंटों के भीतर पुल के लिए पियर निर्माण शुरू किए जाने की संभावना है। एक पूर्ण बेली ब्रिज सेट पहले ही वहां पहुंच चुका है, जिससे पुनर्स्थापन प्रयासों को और मजबूती मिली है। सेना ने बताया कि इसी क्रम में चौथे बेली ब्रिज सेट की लोडिंग यहां भारत के पठानकोट में जारी है। यह बेली ब्रिज 09 दिसंबर को भारत से श्रीलंका रवाना किया जाएगा।
आत्मनिर्भर भारत और भारतीय सेना के आधुनिकीकरण व तकनीकी नवाचार की दिशा में यहां स्वदेशी ड्रोन व सोनार आधारित लेजर रेंज फाइंडर इस्तेमाल किए जा रहे हैं। रिमोटली ऑपरेटेड कॉम्बैट क्रूजर यूजीवी तथा अन्य नई पीढ़ी के उपकरणों को भी जाफना और चिलाव के पुल स्थलों पर विस्तृत टोही के लिए तैनात किया गया है। इससे ऑपरेशनल समय-सीमा में उल्लेखनीय तेजी आई है। वहीं भारतीय सेना के पैरा फील्ड हॉस्पिटल द्वारा उत्कृष्ट मानवीय चिकित्सा सेवाएं लगातार प्रदान की जा रही हैं। इस हॉस्पिटल में अब तक 3,338 मरीजों का उपचार किया जा चुका है।
सेना ने बताया कि 08 दिसंबर को ही अस्पताल में 1,128 मरीजों का इलाज किया गया। 73 छोटी चिकित्सकीय प्रक्रियाएं व 4 सर्जरी की गई हैं। सेना के अनुसार स्थानीय समुदायों से अस्पताल को अत्यंत सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। सेना ने श्रीलंका में समन्वित इंजीनियरिंग प्रयासों, प्रभावशाली चिकित्सा सहायता और उन्नत स्वदेशी तकनीक की तैनाती की है। भारतीय सेना ने एक बार फिर ‘पड़ोसी प्रथम, और ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना के अनुरूप कार्य किया है। सेना के मुताबिक उनके ये कार्य संकट की इस घड़ी में श्रीलंका को मानवीय सहायता प्रदान करने की अटूट प्रतिबद्धता को दोहराते हैं।
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