राजनीति
मोहल्ला क्लीनिक में भी घोटाला, डर के कारण ईडी के सामने नहीं जा रहे केजरीवाल : सुधांशु त्रिवेदी

नई दिल्ली, 4 जनवरी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर मोहल्ला क्लीनिक के अंदर पैथोलॉजिकल टेस्टिंग यानी जांच के नाम पर भी घोटाला करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की सर्दी में भी जांच की आंच से पसीने छूट रहे हैं।
उन्होंने तथाकथित मोहल्ला क्लीनिक के अंदर जांच की व्यवस्था की थी और विजिलेंस की रिपोर्ट के अनुसार वो जांच भी अब आंच के घेरे में आ गई है। भाजपा राष्ट्रीय मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार एक दिन में 500 से अधिक मरीजों को देखा गया है, मरीजों को देखने की अधिकतम संख्या 533 है। जबकि, मोहल्ला क्लीनिक का औपचारिक समय सुबह 9 से 1 बजे तक है। उन्होंने सिर्फ 240 मिनट में 533 मरीजों को देखने पर सवाल खड़ा करते हुए पूछा कि सिर्फ आधे मिनट में कैसे एक व्यक्ति के रोग की जांच और उसका समाधान किया जा सकता है ?
उन्होंने सवाल पूछा कि पूरी दिल्ली में सीसीटीवी का जाल बिछाने का दावा करने वाले बताएं कि उनके मोहल्ला क्लीनिक में सीसीटीवी है या नहीं और अगर है तो दिखाएं कि एक दिन में ये 533 मरीज कहां लाइन लगाए हुए थे क्योंकि मोहल्ला क्लीनिक का एरिया तो बहुत छोटा है। भाजपा प्रवक्ता ने इसे भी शराब की तरह का घोटाला बताते हुए कहा कि स्वघोषित कट्टर ईमानदार ने पहले शराब का घोटाला किया और अब दवा का घोटाला किया।
केजरीवाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए त्रिवेदी ने कहा कि बवाली अब सवाली बन गए और सीबीआई से सवाल पूछ रहे हैं, यह तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटने वाली बात हो गई।
उन्होंने आगे कहा कि केजरीवाल का ईडी के सामने जाने से बचना, ये स्वत: इस बात का प्रमाण है कि उनको ये पता है कि वे इस जांच की आंच से बच नहीं सकते क्योंकि के. अरविंदन ने बयान दिया हुआ है कि केजरीवाल की उपस्थिति में शराब घोटाले में प्रतिशत को बढ़ाकर कमीशन की बात हुई और उसके वितरण की बात हुई। इसलिए वे कह सकते हैं कि यह उनकी (केजरीवाल) अपनी गलती और भ्रष्टाचार की स्वीकारोक्ति है। केजरीवाल ईडी के पास जाने से इसलिए डर रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि जैसे ही सवालों से उनकी नजर मिलेगी, उनके कदम डगमगा जाएंगे।
आप नेताओं के केजरीवाल के जेल जाने पर जेल से ही सरकार चलाने के बयान की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि नई राजनीति का दावा करने वाले लोगों का किरदार अब जनता के सामने पूरी तरह से तार-तार हो गया है, उनका वास्तविक चेहरा अब जनता के सामने आ गया है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक जांच एजेंसी के सामने पेश होकर जवाब दे चुके हैं, लेकिन, उनके साथ खड़े होने वाले केजरीवाल जांच एजेंसी के सामने तक जाने से भी इनकार कर रहे हैं।
राम मंदिर के खिलाफ और भगवान राम को लेकर विपक्षी नेताओं द्वारा दिए जा रहे विवादास्पद बयानों को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि ये नेता विघ्न डालने का प्रयास कर रहे हैं और देश की जनता सब समझ रही है।
राष्ट्रीय समाचार
अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी पर उच्च स्तरीय बैठक, पीएम मोदी करेंगे अध्यक्षता

नई दिल्ली, 8 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को दोपहर 1 बजे एक महत्वपूर्ण उच्च स्तरीय कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस बैठक में अमेरिकी टैरिफ से पड़ने वाले प्रभाव को लेकर गंभीर मंत्रणा होगी।
यह कदम अमेरिका की ओर से भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने के फैसले के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार तनाव के बीच उठाया गया है।
इस बैठक में अमेरिकी कार्रवाई पर भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया पर चर्चा होने की उम्मीद है।
टैरिफ के ताजा हालात की बात करें तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को इसमें 25 प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि की घोषणा की है। इस घोषणा में भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल के लगातार आयात को इसका मुख्य कारण बताया गया। यह 20 जुलाई से लागू हुए पिछले 25 प्रतिशत टैरिफ के अतिरिक्त है।
अमेरिकी कदम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, विदेश मंत्रालय ने इस फैसले को ‘अनुचित और अविवेकपूर्ण’ करार दिया था और कहा था कि “भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं और रणनीतिक स्वायत्तता का सम्मान किया जाना चाहिए।”
नए टैरिफ लागू होने के तुरंत बाद एक सार्वजनिक बयान में, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के प्रति अपनी सरकार के अटूट समर्थन को दोहराया।
गुरुवार को दिल्ली में एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने कहा, “किसानों का हित हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। मुझे पता है कि मुझे व्यक्तिगत रूप से इसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं तैयार हूं। भारत अपने किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हित में तैयार है।”
बता दें कि ट्रंप ने गुरुवार को टैरिफ पर भारत के साथ बातचीत से इनकार कर दिया। जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या 27 अगस्त से लागू होने वाले 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा के बाद उन्हें और बातचीत की उम्मीद है, तो उन्होंने कहा, “नहीं, जब तक हम इसे हल नहीं कर लेते।”
राष्ट्रीय समाचार
‘हे आमचा महाराष्ट्र आहे’: मुंबई लोकल ट्रेन में महिला ने सह-यात्री को मराठी बोलने के लिए मजबूर किया;

मुंबई: मुंबई की एक भीड़ भरी लोकल ट्रेन में दो महिलाओं के बीच हुई तीखी बहस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे महाराष्ट्र में भाषा, क्षेत्रीय पहचान और सार्वजनिक व्यवहार को लेकर व्यापक चर्चा शुरू हो गई है।
वीडियो में, एक महिला अपने बच्चे को गोद में लिए हुए एक साथी यात्री को मराठी में बात करने के लिए मजबूर करती हुई दिखाई दे रही है। बताया जा रहा है कि यह झगड़ा तब शुरू हुआ जब उसने दूसरी महिला को मराठी भाषा न बोलने के लिए टोका और तर्क दिया कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा बोली जानी चाहिए। मामला तेज़ी से बिगड़ गया और दोनों महिलाएँ अपने फ़ोन में एक-दूसरे की बातें रिकॉर्ड करने लगीं और दूसरे यात्री देखते ही देखते बहस जारी रखने लगीं।
वीडियो में, एक बच्चे को गोद में लिए महिला कहती सुनाई देती है, “नहीं रहूँ देनार महाराष्ट्र माधे। मराठी बोल। मज़ा महाराष्ट्र है।” (मैं तुम्हें महाराष्ट्र में नहीं रहने दूँगी, मराठी में बोलो। मैं महाराष्ट्र की हूँ।) दूसरी महिला उसे धक्का देते हुए पूछती है, “कहाँ लिखा है ये?” (यह कहाँ लिखा है?), सार्वजनिक स्थानों पर भाषा के पालन पर सवाल उठाती है। यह वीडियो, जो तब से ऑनलाइन व्यापक रूप से प्रसारित हो रहा है, ने तीखी बहस छेड़ दी है।
मुंबई की एक लोकल ट्रेन में एक अलग घटना में, सीट को लेकर शुरू हुई एक सामान्य बहस जल्द ही भाषा के एक गरमागरम विवाद में बदल गई, जहाँ एक महिला ने कथित तौर पर दूसरी महिला से कहा, “मराठी बोलो या बाहर निकल जाओ।” यह घटना 18 जुलाई की देर शाम सीएसएमटी-खोपोली लोकल ट्रेन में हुई और तब से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिससे महाराष्ट्र में भाषा को लेकर चल रहा तनाव फिर से भड़क गया है।
मध्य रेलवे के अधिकारियों के अनुसार, यह विवाद भायखला स्टेशन पर शुरू हुआ और मुलुंड तक जारी रहा, जहाँ रेलवे कर्मचारियों ने बीच-बचाव करने की कोशिश की। हालाँकि, महिला डिब्बे में भारी भीड़ के कारण, अधिकारी शिकायतकर्ता तक नहीं पहुँच पाए।
सोशल मीडिया पर कई जगहों पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कई महिलाओं के बीच बहस होती दिख रही है, जो मुंबई लोकल ट्रेनों में आम बात है। लेकिन इस बहस ने तब तूल पकड़ लिया जब एक महिला ने दूसरी महिला की मराठी न बोलने पर आलोचना करते हुए कहा, “अगर हमारी मुंबई में रहना है तो मराठी बोलो, वरना निकल जाओ।”
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी में विधायक रईस शेख का पत्ता कटा, यूसुफ अब्राहनी ने ली जगह

मुंबई: (कमर अंसारी) महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी में चल रही आंतरिक खींचतान अब खुलकर सामने आने लगी है। पिछले कई दिनों से पार्टी के वरिष्ठ नेता अबू असीम आज़मी, अपने ही विधायक रईस शेख से नाराज़ चल रहे थे। कई बार उन्होंने अपने बयानों में भी इस नाराज़गी का परोक्ष रूप से उल्लेख किया था। अब यह मामला पूरी तरह उजागर हो चुका है — महाराष्ट्र में अबू असीम आज़मी ने रईस शेख की जगह कांग्रेस छोड़कर आए यूसुफ अब्राहनी को तरजीह दी है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि रईस शेख को बाहर का रास्ता दिखाने की पूरी तैयारी हो चुकी है।
अगर जमीनी हकीकत पर नज़र डालें, तो रईस शेख की लोकप्रियता भी इस पूरे घटनाक्रम की एक बड़ी वजह मानी जा रही है। मुंबई और भिवंडी में रईस शेख ने अपने कार्यकाल के दौरान जनहित में कई अहम कार्य किए हैं, जिससे उनकी पकड़ जनता में मजबूत हुई है। भिवंडी विधानसभा क्षेत्र से वह लगातार दूसरी बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए हैं। क्षेत्र की जनता का भी मानना है कि उन्होंने रईस शेख को उनके काम के आधार पर ही दोबारा मौका दिया।
शिक्षा, सड़क, पानी जैसी मूलभूत समस्याओं को हल करने के साथ-साथ रईस शेख का आम जनता से सीधे जुड़ाव उनकी लोकप्रियता में इज़ाफा कर रहा है। यही नहीं, दक्षिण मुंबई में नगरसेवक के रूप में उनके किए गए कार्यों को आज भी लोग सराहते हैं। यही कारण है कि आगामी नगर निगम चुनावों में उनके समर्थित उम्मीदवारों को भी प्राथमिकता दी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, अबू असीम आज़मी को रईस शेख की इसी बढ़ती लोकप्रियता से खतरा महसूस होने लगा था। पार्टी हाईकमान अखिलेश यादव की आज़मी से नाराज़गी भी इसी क्रम में देखी जा रही है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, रईस शेख को और अधिक सशक्त होने से रोकने के लिए उन्हें अबू असीम द्वारा पार्टी से बाहर किया जा रहा है।
वहीं, कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में आए यूसुफ अब्राहनी को अब पार्टी में नई जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन यह वही यूसुफ अब्राहनी हैं, जिन्होंने करीब 20 साल पहले समाजवादी पार्टी के दर्जनों नगरसेवकों को साथ लेकर कांग्रेस ज्वॉइन कर ली थी और मुंबई में समाजवादी पार्टी को लगभग तोड़ दिया था। कांग्रेस ने उन्हें मानखुर्द विधानसभा क्षेत्र से टिकट देकर विधायक बना दिया, लेकिन अगली बार वह चुनाव नहीं जीत सके।
बाद में मानखुर्द से अबू असीम आज़मी ने चुनाव लड़ा और यूसुफ अब्राहनी को हराया। दिलचस्प बात यह है कि आज़मी की इस जीत में रईस शेख की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। लेकिन अब पार्टी से रईस शेख को निकालने के लिए आज़मी ने उन्हीं यूसुफ अब्राहनी को पुनः पार्टी में शामिल कर लिया है, इस उम्मीद में कि वह फिर से दर्जनों नगरसेवक पार्टी में ला सकेंगे।
रईस शेख जिस पार्टी कार्यालय से वर्षों से कार्य कर रहे थे, उसे भी अब यूसुफ अब्राहनी को सौंप दिया गया है — एक स्पष्ट संकेत कि पार्टी में अब रईस शेख के लिए कोई स्थान नहीं है।
उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के हाईकमान और अखिलेश यादव के करीबी सूत्रों के अनुसार, पार्टी महाराष्ट्र में अब एक ऐसे नेता की तलाश में है, जो अबू असीम आज़मी की जगह ले सके। पार्टी को भविष्य में किसी नुकसान से बचाने के लिए आज़मी के हर निर्णय को अब अनदेखा किया जा रहा है।
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