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संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान से कहा, महिलाओं के अधिकारों को सीमित करने वाले आदेशों को लें वापस

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काबुल, 21 जनवरी : उप महासचिव के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार से महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को सीमित करने वाले हालिया फरमानों को वापस लेने का आह्वान किया और कहा कि अफगानों को छोड़ा नहीं जाना चाहिए। महासचिव की ओर से उप महासचिव अमीना मोहम्मद, संयुक्त राष्ट्र महिला की कार्यकारी निदेशक सिमा बाहौस और राजनीतिक, शांति निर्माण मामलों व शांति संचालन विभाग के सहायक महासचिव खालिद खियारी ने अफगानिस्तान को स्थिति का मूल्यांकन करने, वास्तविक अधिकारियों को शामिल करने और अफगान लोगों के साथ संयुक्त राष्ट्र की एकजुटता को रेखांकित करने के लिए यहां की चार दिवसीय यात्रा की।

काबुल और कंधार में तालिबान के साथ बैठकों में प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों के लिए काम करने से महिलाओं पर प्रतिबंध लगाने के हालिया फरमानों के खिलाफ चेताया। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि ऐसा कदम अफगानों की मदद करने वाले कई संगठनों के काम को कमजोर करता है।

तालिबान ने हाल ही में अगली सूचना तक देश भर में छात्राओं के लिए विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया, और लड़कियों को माध्यमिक विद्यालय में जाने से भी रोक दिया है। महिलाओं को पार्क, जिम और सार्वजनिक स्नानघरों का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया।

अमीना मोहम्मद ने कहा, मेरा संदेश बहुत स्पष्ट है। ये प्रतिबंध अफगान महिलाओं और लड़कियों को घरों में सीमित कर देता है, उनके अधिकारों का उल्लंघन करता है और समुदाय को उनकी सेवाओं से वंचित करता है।

उन्होंने कहा,हमारी सामूहिक महत्वाकांक्षा एक समृद्ध अफगानिस्तान के लिए है जो अपने और अपने पड़ोसियों के साथ शांति से रहे और सतत विकास के मार्ग पर अग्रसर हो। लेकिन अभी अफगानिस्तान एक भयानक मानवीय संकट के बीच खुद को अलग-थलग कर रहा है।

अपनी यात्रा के दौरान मोहम्मद और बहौस ने काबुल, कंधार और हेरात में प्रभावित समुदायों, मानवतावादी कार्यकर्ताओं व नागरिक समाज के लोगों से मुलाकात की।

उन्होंने कहा, अफगान महिलाएं अपने अपने अधिकारों के लिए वकालत और लड़ाई जारी रखेंगी और हम उन्हें समर्थन देते रहेंगे।

अफगानिस्तान में जो हो रहा है वह एक गंभीर महिला अधिकार संकट है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए एक वेकअप कॉल है। यह दिखाता है कि महिलाओं के अधिकारों पर दशकों की प्रगति को कुछ ही दिनों में कैसे उलटा किया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र सभी अफगान महिलाओं और लड़कियों के साथ खड़ा है और यहां की महिलाएं अपने सभी अधिकारों को वापस पाने के लिए अपनी आवाज बुलंद करना जारी रखेंगी।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ सहित अमेरिका और उसके सहयोगी 25 मिलियन से अधिक अफगानों की मदद कर रहे हैं।

तालिबान द्वारा महिलाओं के गैर-सरकारी संगठनों के लिए काम करने पर प्रतिबंध लगाने के हालिया आदेशों ने कई साझेदारों को उन कार्यों को रोकने के लिए मजबूर किया है।

मोहम्मद ने कहा, मानवीय सहायता का प्रभावी वितरण सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें महिलाओं सहित सभी सहायता कर्मियों के लिए पूर्ण, सुरक्षित और निर्बाध पहुंच की आवश्यकता होती है।

यह यात्रा खाड़ी और एशिया में अफगानिस्तान पर उच्च स्तरीय परामर्श की एक श्रृंखला के बाद हुई।

प्रतिनिधिमंडल ने इस्लामिक सहयोग संगठन, इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक, अंकारा और इस्लामाबाद में अफगान महिलाओं के समूह और दोहा स्थित अफगानिस्तान के राजदूतों और विशेष दूतों के एक समूह के नेतृत्व से मुलाकात की।

इसने क्षेत्र के सरकारी नेताओं और धार्मिक नेताओं के साथ महत्वपूर्ण भूमिका और महिलाओं की पूर्ण भागीदारी की वकालत की।

यात्राओं के दौरान भागीदारों ने स्थायी समाधान खोजने के लिए संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण भूमिका की बात कही। साथ ही अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) के नेतृत्व में जीवन रक्षक सहायता प्रदान करने और प्रभावी जुड़ाव बनाए रखने की अत्यावश्यकता को पहचाना।

उन्होंने कहा कि स्थिति की तात्कालिकता को दर्शाने के लिए प्रयासों को तेज किया जाना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा एकीकृत प्रतिक्रिया के महत्व पर जोर दिया जाना चाहिए।

एक पुनर्जीवित और यथार्थवादी राजनीतिक मार्ग की आवश्यकता पर लगातार प्रकाश डाला गया और सभी बुनियादी सिद्धांतों पर अडिग रहे, जिसमें अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के शिक्षा, काम और सार्वजनिक जीवन के अधिकार शामिल हैं। व्यापक सहमति थी कि इन मुद्दों पर क्षेत्र और ओआईसी का नेतृत्व महत्वपूर्ण था।

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने दक्षिण सूडान के खिलाफ हथियार प्रतिबंध को रिन्यू किया

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संयुक्त राष्ट्र, 31 मई। सुरक्षा परिषद ने दक्षिण सूडान के खिलाफ हथियार प्रतिबंध को एक साल के लिए रिन्यू करने हेतु एक प्रस्ताव पारित किया, जो 31 मई, 2026 तक लागू रहेगा। इसके साथ ही व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ यात्रा प्रतिबंध और संपत्ति जब्त करने के लक्षित प्रतिबंध भी लागू होंगे।

मिडिया ने बताया कि ये प्रस्ताव 2781, जिसे नौ वोट के पक्ष में और छह वोट के बहिष्कार के साथ अपनाया गया। इस प्रस्ताव में विशेषज्ञों के पैनल का कार्यकाल भी 1 जुलाई, 2026 तक बढ़ा दिया गया है। यह पैनल दक्षिण सूडान प्रतिबंध समिति के काम में मदद करता है।

सुरक्षा परिषद के अफ्रीकी सदस्य – अल्जीरिया, सिएरा लियोन, सोमालिया ने चीन, पाकिस्तान और रूस के साथ वोट देने से परहेज किया।

इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि सुरक्षा परिषद हथियार प्रतिबंधों की समीक्षा करने के लिए तैयार है। अगर दक्षिण सूडान 2021 के प्रस्ताव 2577 में तय किए गए मुख्य लक्ष्यों पर प्रगति करता है, तो इन प्रतिबंधों को बदला, निलंबित किया या धीरे-धीरे हटाया जा सकता है। यह दक्षिण सूडान के अधिकारियों को इस संबंध में और प्रगति हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

सुरक्षा परिषद ने यह भी तय किया है कि इन प्रतिबंधों की लगातार समीक्षा की जाएगी। सुरक्षा परिषद ने स्थिति के जवाब में उपायों को समायोजित करने की तत्परता व्यक्त की है, जिसमें उपायों में संशोधन, निलंबन, हटाने या सुदृढ़ करना शामिल है।

प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र महासचिव से अनुरोध किया गया है कि वे दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन और विशेषज्ञों के पैनल के साथ निकट परामर्श में 15 अप्रैल, 2026 तक प्रमुख मानदंडों पर हासिल की गई प्रगति का आकलन करें।

इसके साथ ही दक्षिण सूडान के अधिकारियों से भी अनुरोध किया गया है कि वे उसी तारीख तक इस संबंध में हासिल की गई प्रगति पर सैंक्शन कमेटी को रिपोर्ट करें।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

यूएस सुप्रीम कोर्ट ने किया ट्रंप सरकार का रास्ता साफ, 5 लाख लोगों पर मंडराया निर्वासन का खतरा

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न्यूयॉर्क, 31 मई। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप सरकार का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के उस आदेश को हटा दिया है, जिसके तहत क्यूबा, ​​हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के चार देशों के पांच लाख से अधिक प्रवासियों के लिए मानवीय पैरोल सुरक्षा को बरकरार रखा गया था।

मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने ट्रंप प्रशासन को एक अन्य मामले में लगभग 350,000 वेनेजुएला के प्रवासियों के लिए अस्थायी कानूनी स्थिति को रद्द करने की भी अनुमति दी है।

स्थानीय मीडिया ने शुक्रवार को बताया कि इस कदम ने ट्रंप प्रशासन के लिए हजारों प्रवासियों के लिए अस्थायी कानूनी सुरक्षा को फिलहाल खत्म करने का रास्ता साफ कर दिया है और निर्वासन के दायरे में आने वाले लोगों की कुल संख्या को लगभग दस लाख तक पहुंचा दिया है।

अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर पर आने वाले प्रवासियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, बाइडेन प्रशासन ने 2022 के अंत और 2023 की शुरुआत में क्यूबा, ​​हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के लोगों के लिए पैरोल कार्यक्रम बनाया, जिसके तहत उन्हें कुछ प्रोसेस से गुजरने के बाद दो साल तक अमेरिका में काम करने की इजाजत दी गई। इस प्रोग्राम ने लगभग 5,32,000 लोगों को निर्वासन से बचाया।

लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के तुरंत बाद, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम को सभी पैरोल प्रोगाम को टर्मिनेट करने का निर्देश देते हुए एक कार्यकारी आदेश जारी किया। कार्यकारी आदेश पर कार्रवाई करते हुए नोएम ने मार्च में पैरोल प्रोग्राम को समाप्त करने की घोषणा की, जिसके तहत पैरोल के किसी भी अनुदान की वैधता 24 अप्रैल तक समाप्त हो जाएगी।

मैसाचुसेट्स में एक फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज ने नोएम द्वारा प्रवासियों की अस्थायी कानूनी स्थिति को पूरी तरह से रद्द करने के फैसले को रोकने पर सहमति जताई। उस समय कई पैरोलियों और एक गैर-लाभकारी संगठन सहित 23 व्यक्तियों के एक ग्रुप ने नोएम द्वारा प्रोग्राम को समाप्त करने को चुनौती दी थी।

ट्रंप प्रशासन ने पहले पहले सर्किट के लिए यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स में अपील की, जिसने अपील लंबित रहने तक जिला न्यायालय के आदेश को रोकने से इनकार कर दिया और फिर सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की।

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अमेरिकी युद्धविराम प्रस्ताव फिलिस्तीनी मांगों पर खरा नहीं : हमास

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गाजा, 30 मई। हमास के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि गाजा पट्टी में युद्ध रोकने के लिए अमेरिका का जो प्रस्ताव आया है, उस पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, यह प्रस्ताव हमास और फिलिस्तीनी लोगों की मुख्य मांगों को पूरा नहीं करता।

मिडिया के मुताबिक, हमास के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य बासम नईम ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि उन्हें अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ द्वारा पिछले हफ्ते दिए गए युद्धविराम प्रस्ताव पर इजरायल की प्रतिक्रिया मिल गई है।

नईम के मुताबिक, इजरायल ने फिलिस्तीन की मुख्य मांगों को नहीं माना। इनमें लड़ाई को पूरी तरह खत्म करना और गाजा पर लगी पुरानी नाकेबंदी हटाना शामिल है।

उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव युद्धविराम के दौरान भी इजरायल के कब्जे और लोगों की तकलीफों को जारी रहने देगा।

नईम ने कहा, “इसके बावजूद हमास का नेतृत्व फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ जारी हिंसा और मानवीय संकट को ध्यान में रखते हुए ज़िम्मेदारी के साथ इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।”

हमास ने पहले कहा था कि उसे मध्यस्थों के जरिए नया युद्धविराम प्रस्ताव मिला है। वह इसका मूल्यांकन इस तरह कर रहा है कि यह फिलिस्तीनी लोगों के हितों की रक्षा करे और गाजा के लोगों के लिए स्थायी शांति और राहत लाने में मदद करे।

हमास ने पहले कहा था कि वह विटकॉफ के साथ एक समझौते के “सामान्य ढांचे” पर सहमत हो गया है। इस समझौते का मकसद स्थायी युद्धविराम करना, इजरायल की गाजा से पूरी तरह वापसी सुनिश्चित करना, राहत सामग्री की आपूर्ति शुरू करना और हमास से एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी समिति को सत्ता सौंपना है।

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