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Thursday,30-October-2025
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महाराष्ट्र

समीर वानखेड़े के परिवार के खिलाफ नवाब मलिक अब नहीं दे पाएंगे कोई बयान या ट्विट, एकल पीठ का आदेश रद्द

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बंबई उच्च न्यायालय ने नारकोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो के जोनल निदेशक समीर वानखेड़े और उनके परिवार के खिलाफ सार्वजनिक बयान देने से महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक पर रोक लगाने से इंकार करने संबंधी एकल पीठ का आदेश सोमवार को निरस्त कर दिया।

न्यायमूर्ति एस. जे. काथावाला और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने एकल पीठ का 22 नवंबर का आदेश निरस्त किया। पीठ ने अपन आदेश में कहा कि ज्ञानदेव वानखेडे की अंतरिम आवेदन पर सुनवाई होने तक नवाब मलिक वानखेड़े परिवार के खिलाफ कोई भी सार्वजनिक बयान या ट्विट नहीं करेंगे।

मलिक और वानखेड़े के पिता के बीच एकल पीठ का आदेश वापस लेने और मलिक के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे में मंत्री के खिलाफ अंतरिम अर्जी में ज्ञानदेव द्वारा उठाये गए मुद्दों पर नये सिरे से सुनवाई होने पर सहमति के बाद पीठ ने 22 नवंबर का न्यायमूर्ति माधव जामदार का आदेश निरस्त किया।

न्यायमूर्ति माधव जामदार की एकल पीठ ने 22 नवंबर को कहा था कि यद्यपि मलिक के ट्वीट, खास तौर पर केन्द्र सरकार में नौकरी पाने के लिए एनसीबी अधिकारी द्वारा फर्जी जाति प्रमाणपत्र देने और ड्यूटी पर रहने हुए गैरकानूनी ढंग से लाभ लेने से संबंधित, विद्वेषपूर्ण नजर आते हैं, लेकिन मंत्री को एक सरकारी अधिकारी के खिलाफ टिप्पणी करने से पूरी तरह रोका नहीं जा सकता है।

ज्ञानदेव ने एकल पीठ के इस आदेश को चुनौती दी थी।

न्यायमूर्ति काथावाला और न्यायमूर्ति जाधव की पीठ ने पिछले सप्ताह ज्ञानदेव की अपील पर सुनवाई के दौरान कहा था कि वानखेडे के खिलाफ मलिक के बयान और ट्विट स्पष्ट रूप से दुर्भावना का मामला है और तार्किकता के आधार पर उन्हें इस तरह की टीका टिप्पणी करने से रोका जाना चाहिए।

पीठ ने सवाल किया था कि तथ्यों की पुष्टि के बगैर इस तरह की टिप्पणियां करना मंत्री के व्वहार के अनुरूप है? पीठ ने यह भी सवाल किया था कि ऐसा करने से पहले उन्होंने वानखेडे के खिलाफ जाति जांच समिति के पास औपचारिक शिकायत क्यों नहीं की?

मलिक ने उस समय एकल पीठ का आदेश वापस लेने के ज्ञानदेव के अनुरोध का विरोध किया था।

महाराष्ट्र

20 बच्चों को बंधक बनाने वाले रोहित आर्या की गोली लगने के बाद इलाज के दौरान मौत

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ROHIT AARYA

मुंबई: मुंबई के पवई इलाके में एक स्टूडियों के अंदर 20 बच्चों को बंधक बनाने वाले रोहित आर्या की मौत हो गई है। आरोपी रोहित आर्या ने बच्चों को बंधक बना लिया था और उसने पुलिस पर भी फायरिंग कर दी थी। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की, जिसमें वह घायल हो गया और इलाज के दौरान आरोपी रोहित आर्या की मौत हो गई।

रोहित आर्या मानसिक रूप से बीमार था। उसने पवई के आरए स्टूडियो में 20 बच्चों को बंधक बना लिया था। जानकारी मिलते ही पुलिस भी तुरंत मौके पर पहुंची और उसे पकड़ने की कोशिश की। इस दौरान रोहित आर्या ने पुलिस पर फायरिंग कर दी, जिस पर पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की और वह घायल हो गया। उसे तुरंत इलाज के लिए ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान रोहित की मौत हो गई।

इससे पहले स्वयं आरोपी रोहित आर्या ने वीडियो जारी करके बच्चों को बंधक बनाने की बात स्वीकार की थी। पुलिस ने जानकारी दी थी रोहित आर्या मानसिक रूप से बीमार है। पुलिस ने उसके कब्जे से सभी बच्चों को सुरक्षित बचा लिया था।

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अपराध

मुंबई पुलिस ने पवई स्थित एक्टिंग स्टूडियो में बंधक बनाए गए 20 बच्चों को बचाया; आरोपी हिरासत में

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मुंबई: मुंबई के संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) सत्यनारायण चौधरी ने कहा, “सभी बच्चे सुरक्षित हैं और उन्हें उनके अभिभावकों को सौंप दिया गया है। अन्य जानकारी जल्द ही साझा की जाएगी।”

यह बयान गुरुवार को मरोल में एक व्यक्ति द्वारा बच्चों को बंधक बनाए जाने के बाद आया है। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में ले लिया है, जिसने पवई के मरोल इलाके में एक एक्टिंग क्लास स्टूडियो में लगभग 20 बच्चों को बंधक बनाकर रखा था। कथित तौर पर बच्चे मदद मांगते और शीशे की खिड़कियों से बाहर झांकते देखे गए।

पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर सभी बच्चों को सफलतापूर्वक बचा लिया। सूत्रों के अनुसार, आरोपी की पहचान रोहित आर्य के रूप में हुई है।

सूत्रों ने बताया कि ये बच्चे स्टूडियो में ऑडिशन देने के लिए अलग-अलग जगहों से आए थे। इस बीच, बंधक बनाए जाने के पीछे का मकसद अभी तक स्पष्ट नहीं है और पुलिस मामले की जाँच कर रही है।

घटना की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंच गया और स्टूडियो के बाहर हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया।

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महाराष्ट्र

वंदे मातरम को अनिवार्य बनाना गैरकानूनी: विधायक रईस शेख ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर आदेश वापस लेने की मांग की

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मुंबई: समाजवादी पार्टी के भिवंडी पूर्व विधायक रईस शेख ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मांग की है कि राज्य के सभी स्कूलों में 31 अक्टूबर को ‘बंकम चंद्र चटर्जी’ द्वारा लिखित राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ अनिवार्य करने पर लगाई गई रोक को हटाया जाए। इस संबंध में विधायक रईस शेख ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित ‘जन गण मन’ भारत का राष्ट्रगान है। हालाँकि, राष्ट्रगान ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 31 अक्टूबर को राज्य के सभी स्कूलों में यह गीत गाने और 31 अक्टूबर से 7 नवंबर के बीच गीत प्रदर्शनी आयोजित करने का सरकार का आदेश अवैध है। किसी भी संगठन को स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री पंकज भुयार को पत्र लिखना चाहिए और शिक्षा विभाग को तुरंत राज्य के सभी स्कूलों के लिए ‘वंदे मातरम’ को अनिवार्य गीत घोषित करना चाहिए, यह महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य में सुशासन नहीं है।

राज्य में स्कूलों और शिक्षा की स्थिति बिगड़ती जा रही है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना सरकार का कर्तव्य है। हालाँकि, सरकार शिक्षा क्षेत्र में ‘वंदे मातरम’ जैसे धार्मिक मुद्दों को शामिल करके भेदभाव कर रही है। ‘वंदे मातरम’ को अनिवार्य गीत बनाना संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है। ‘वंदे मातरम’ के मुद्दे पर आज तक कई चर्चाएँ हो चुकी हैं। विधायक रईस शेख ने पत्र में कहा कि ‘जन गण मन..’ भारत का राष्ट्रगान है और राष्ट्रगान को हर जगह सम्मान, पवित्रता और सम्मान का स्थान दिया जाना चाहिए, इस पर सहमति बनी है।

हम स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में ‘वंदे मातरम’ के अनिवार्य गायन का विरोध कर रहे हैं। सरकार को तुरंत इस फैसले को वापस लेना चाहिए। सत्ता में होने का मतलब यह नहीं है कि आपके पास अवैध गतिविधियों में शामिल होने का लाइसेंस है। विधायक रईस शेख ने गुरुवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भोस और राज्य के शिक्षा मंत्री पंकज भुवीर को लिखे पत्र में मांग की कि सरकार शिक्षा जैसे शैक्षणिक क्षेत्र में धार्मिक मुद्दों को लाकर माहौल खराब न करे।

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