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आरबीआई की मौद्रिक नीति घोषणा से पहले लाल निशान में खुला भारतीय शेयर बाजार
मुंबई, 5 दिसंबर: आरबीआई की मौद्रिक नीति घोषणा से पहले भारतीय बेंचमार्क सूचकांक शुक्रवार को लाल निशान में खुले। शुरुआती कारोबार में निफ्टी फार्मा, एफएमसीजी और मेटल में बिकवाली देखी जा रही थी। वहीं, ऑटो, आईटी और पीएसयू बैंक सेक्टर में खरीदारी देखी जा रही थी।
सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर सेंसेक्स 17.32 अंक या 0.02 प्रतिशत की मामूली गिरावट के बाद 85,248 स्तर पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी 2.10 अंक या 0.01 प्रतिशत की मामूली बढ़त के बाद 26,035.85 स्तर पर बना हुआ था।
निफ्टी बैंक 16.05 अंक या 0.03 प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ 59,304.75 स्तर पर कारोबार कर रहा था। वहीं, निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 16.05 अंक या 0.03 प्रतिशत की मामूली गिरावट के बाद 60,283.75 स्तर पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 72.25 अंक या 0.41 प्रतिशत के नुकसान के साथ 17,535.60 स्तर पर था।
बाजार के जानकारों ने कहा, “आज बाजार का ध्यान आरबीआई की मौद्रिक नीति पर रहेगा। कम मुद्रास्फीति, हाई ग्रोथ और गिरते रुपए के माहौल में रेट एक्शन से ज्यादा मार्केट यह जानने के लिए उत्सुक रहेगा कि गवर्नर उभरते मैक्रो ट्रेंड्स के बारे में क्या कहते हैं। लिक्विडिटी फ्रंट पर आरबीआई के एक्शन पर भी कड़ी नजर रखी जाएगी।”
इस बीच सेंसेक्स पैक में इटरनल, बीईएल, मारुति सुजुकी, बजाज फाइनेंस, कोटक महिंद्रा बैंक, अल्ट्राटेक सीमेंट और इंफोसिस टॉप गेनर्स थे। वहीं, ट्रेंट, टाटा स्टील, भारती एयरटेल, टीएमपीवी और टेक महिंद्रा टॉप लूजर्स थे।
एशियाई बाजारों में जकार्ता, चीन और सोल हरे निशान में कारोबार कर रहे थे। वहीं, जापान और हांग कांग लाल निशान में कारोबार कर रहे थे।
अमेरिकी बाजार आखिरी कारोबारी सत्र में मिलेजुले रहे। डाउ जोंस 0.07 प्रतिशत या 31.96 अंक की गिरावट के बाद 47,850.94 पर बंद हुआ। वहीं, एसएंडपी 500 इंडेक्स 0.11 प्रतिशत या 7.40 अंक की बढ़त के बाद 6,857.12 स्तर और नैस्डेक 0.22 प्रतिशत या 51.04 अंक की तेजी के बाद 23,505.14 पर बंद हुआ।
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) 4 दिसंबर को शुद्ध विक्रेता रहे और उन्होंने 1,944.19 करोड़ रुपए के भारतीय शेयर बेचे। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) इस कारोबारी दिन शुद्ध खरीदार रहे और उन्होंने 3,661.05 करोड़ रुपए के शेयरों की खरीदारी की।
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रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती विकास को देगी बढ़ावा : अर्थशास्त्री

मुंबई, 5 दिसंबर: भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती के फैसले का शुक्रवार को अर्थशास्त्रियों ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के असाधारण रूप से निचले स्तर पर बने रहने की इस स्थिति में आरबीआई का यह कदम विकास को बढ़ावा देगा।
एक्सपर्ट्स ने कहा कि पॉलिसी एक्शन और लिक्विडिटी उपायों को लेकर की गई घोषणाएं दिखाती हैं कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति की वर्तमान स्थिति का इस्तेमाल आर्थिक गतिविधी को मजबूत बनाने के लिए करना चाहता है।
केयरएज रेटिंग्स की चीफ इकोनॉमिस्ट रजनी सिन्हा ने कहा, “आरबीआई का ब्याज दरों में कटौती और मौद्रिक नीति के रुख को न्यूट्रल रखने का फैसला हमारी उम्मीदों के अनुरूप रहा।”
उन्होंने आगे कहा कि आरबीआई ने विकास को बढ़ावा देने के लिए कम मुद्रास्फीति की वर्तमान स्थिति का लाभ उठाया है।
सिन्हा के अनुसार, लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम रेट कट के ट्रांसमिशन को आसान बनाने में मददगार साबित होंगे।
क्रिसिल की चीफ इकोनॉमिस्ट धर्मकीर्ति जोशी ने कहा, “आरबीआई एमपीसी के निर्णय उनकी भी उम्मीदों के अनुरूप रहे।”
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था ने इस वर्ष विकास और महंगाई दोनों को लेकर आश्चर्यजनक प्रदर्शन किया है, जिससे केंद्रीय बैंक को रेट में कटौती को लेकर पर्याप्त गुंजाइश मिल गई।
जोशी ने कहा, “खुदरा मुद्रास्फीति में तेज गिरावट दर्ज की गई है, जिसकी मुख्य वजह खाद्य पदार्थों की कम कीमतें हैं, जबकि कोर मुद्रास्फीति भी कम हुई है। ब्याज दरों में कटौती अगले वित्त वर्ष में विकास को बढ़ावा देगी क्योंकि मौद्रिक नीति कुछ देरी से काम करती है।”
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की चीफ इकोनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा ने कहा कि मुद्रास्फीति में लगातार गिरावट ने आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती को लेकर देरी करना कुछ मुश्किल बना दिया।
उन्होंने आगे कहा कि आरबीआई ने ग्रोथ के अनुमान को भी रिवाइज किया है, जो कि देश की मजबूत अर्थव्यवस्था में विश्वास का संकेत देता है।
अरोड़ा ने कहा, “1.45 लाख करोड़ रुपए का ओपन मार्केट ऑपरेशन्स के जरिए लिक्विडिटी इन्फ्यूजन और फॉरेक्स स्वैप्स ब्याज दरों में कटौती का फायदा लोगों तक पहुंचाने में मददगार होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि रुपए में कमजोरी ब्याज दरों में आगे की राहत को लेकर बाधार के रूप में नहीं देखी जानी चाहिए
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भारतीय शेयर बाजार सपाट खुला, एफएमसीजी स्टॉक्स पर दबाव

मुंबई, 4 दिसंबर: भारतीय शेयर बाजार गुरुवार के कारोबारी सत्र में सपाट खुला। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 5 अंक की मामूली गिरावट के साथ 85,101 और निफ्टी 2 अंक की कमजोरी के साथ 25,984 पर था।
सेक्टोरल आधार पर एफएमसीजी, फाइनेंशियल सर्विस, फार्मा, रियल्टी, एनर्जी, प्राइवेट बैंक, इन्फ्रा और पीएसई लाल निशान में थे। ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक और मेटल हरे निशान में थे।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी मिलाजुला कारोबार हो रहा है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 67 अंक या 0.11 प्रतिशत की तेजी के साथ 60,383 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 29 अंक या 0.16 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 17,620 पर था।
सेंसेक्स पैक में टीसीएस, एचसीएल टेक, बीईएल, टेक महिंद्रा, एशियन पेंट्स, इन्फोसिस, एमएंडएम, एक्सिस बैंक, एलएंडटी, एमएंडएम, एचडीएफसी बैंक, बजाज फाइनेंस, मारुति सुजुकी और बजाज फिनसर्व गेनर्स थे। एचयूएल, इटरनल (जोमैटो), टाइटन, पावर ग्रिड, अल्ट्राटेक सीमेंट, एनटीपीसी, टाटा स्टील, एसबीआई, ट्रेंट, कोटक महिंद्रा और सन फार्मा लूजर्स थे।
ज्यादातर वैश्विक बाजारों में तेजी देखी जा रही है। टोक्यो, शंघाई, हांगकांग, बैंकॉक और जकार्ता हरे निशान में थे। सोल लाल निशान था। अमेरिकी शेयर बाजार बुधवार के कारोबारी सत्र में तेजी के साथ बंद हुआ था।
कच्चे तेल में हल्की तेजी देखी जा रही है। डब्ल्यूटीआई क्रूड 0.56 प्रतिशत की तेजी के साथ 59 डॉलर प्रति बैरल और ब्रेंट क्रूड 0.46 प्रतिशत की बढ़त के साथ 63 डॉलर प्रति बैरल पर था।
सोने और चांदी में मिलाजुला कारोबार हो रहा है। सोना 0.21 प्रतिशत की गिरावट के साथ 4,223 डॉलर प्रति औंस और चांदी 0.21 प्रतिशत की तेजी के साथ 58.69 डॉलर प्रति औंस पर थी।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की ओर से बुधवार को बिकवाली की गई और 3,206.92 करोड़ रुपए की निकासी की गई थी। वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने इस दौरान 4,730.41 करोड़ रुपए की खरीदारी की गई है।
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भारत में बढ़ती आय के चलते घर खरीदना बन रहा अफोर्डेबल : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 3 दिसंबर: भारत में तेजी से बढ़ती आय के कारण घर खरीदना पिछले 1.5 दशक के मुकाबले काफी अफोर्डेबल हो गया है। इस दौरान देश का प्राइस-टू-इनकम रेश्यो 2025 में 45.3 हो गया है, जो कि 2010 में 88.5 पर था। यह जानकारी बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
कोलियर्स इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान देश में औसत आय में चार गुना की वृद्धि हुई है और यह करीब 10 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रही है और हालांकि, समीक्षा अवधि में घरों की कीमत में 5-7 प्रतिशत का ही इजाफा हुआ है, जो दिखाता है कि घर पहले के मुकाबले काफी किफायती हो गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सुधार आवासीय क्षेत्र में नीतिगत परिवर्तनों, आर्थिक झटकों और नए नियमों के कारण कई उतार-चढ़ावों के बावजूद आया है।
पिछले दो दशकों में, बाजार ने पीएमएवाई, विमुद्रीकरण, रेरा, एनबीएफसी संकट, एसडब्ल्यूएएमआईएच फंडिंग सपोर्ट और जीएसटी कार्यान्वयन जैसे प्रमुख घटनाक्रमों का सामना किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में घरों की बिक्री भी मजबूत बनी हुई है। कोरोना महामारी के बाद घरों की वार्षिक बिक्री बढ़कर 3-4 लाख यूनिट्स हो गई है। इसकी वजह बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, अफोर्डेबिलिटी में इजाफा होना, अच्छी मौद्रिक नीति और आय का बढ़ना है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बिक्री की मजबूत गति को आय में लगातार वृद्धि का समर्थन प्राप्त है, जो संपत्ति की कीमतों में वृद्धि से कहीं अधिक है।
कोलियर्स इंडिया के सीईओ और एमडी बादल याज्ञनिक के अनुसार, अनुकूल ब्याज दरों और उच्च आय स्तरों के कारण आवास की मांग मजबूत बनी हुई है।
याज्ञनिक ने आगे कहा, “हालांकि कच्चे माल की लागत ने हाल के वर्षों में आवास की कीमतों को बढ़ा दिया है, लेकिन आय में तेज वृद्धि ने खरीदारों को गति बनाए रखने में मदद की है।”
आठ प्रमुख टियर-I शहरों में, 2010 के बाद से अफोर्डेबिलिटी के स्तर में तेजी से सुधार हुआ है।
अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे शहर सबसे किफायती आवासीय बाजारों में से एक बनकर उभरे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख निर्माण सामग्रियों पर जीएसटी दरों के कम होने से विशेष रूप से किफायती और मध्यम आय वर्ग के आवास क्षेत्रों में सेंटीमेंट में और सुधार होने की उम्मीद है।
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