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कम महंगाई और ब्याज दरें अर्थव्यवस्था में घरेलू मांग को महत्वपूर्ण समर्थन करेंगी प्रदान : रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 13 सितंबर। एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक चुनौतियों के बीच कम हेडलाइन मुद्रास्फीति और ब्याज दरें अर्थव्यवस्था में घरेलू मांग को महत्वपूर्ण समर्थन प्रदान करेंगी।

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में अब हेडलाइन मुद्रास्फीति पहले के 3.5 से कम होकर 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके परिणामस्वरूप इस वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति में 140 आधार अंकों (1.4 प्रतिशत) की गिरावट आएगी।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “इस तीव्र नरमी का अर्थ है कि इस वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति में 140 आधार अंकों की गिरावट आएगी, जिससे मौद्रिक नीति में ढील की गुंजाइश बनेगी। हमारा मानना ​​है कि आरबीआई इस वर्ष दरों में 25 आधार अंकों की अतिरिक्त कटौती करेगा।”

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में मामूली रूप से बढ़कर 2.1 प्रतिशत हो गई, जो जुलाई में 1.6 प्रतिशत थी और आरबीआई के 2 प्रतिशत के लोअर टॉलरेंस बैंड को पार कर गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य मुद्रास्फीति बहुत निचले स्तर से ऊपर जाने लगी है, जिसमें सांख्यिकीय निम्न-आधार प्रभाव भी शामिल है। ग्रामीण क्षेत्र में सीएफपीआई आधारित खाद्य मुद्रास्फीति जुलाई, 2025 में -1.74 प्रतिशत की तुलना में अगस्त में -0.70 प्रतिशत (अनंतिम) दर्ज की गई है।

हालांकि, रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि अत्यधिक बारिश खरीफ फसलों के लिए जोखिम पैदा कर सकती है, जिसका संभावित रूप से खाद्य कीमतों पर असर पड़ सकता है।

रेटिंग एजेंसी ने यह भी नोट किया कि गैर-खाद्य मुद्रास्फीति सौम्य बनी हुई है या आगे भी कम होने की उम्मीद है, जिसे तेल की कम कीमतों और जीएसटी दरों में कटौती के कारण कोर मुद्रास्फीति में नरमी का समर्थन प्राप्त है।

केरोसिन, बिजली और जलाऊ लकड़ी की कम कीमतों के कारण ईंधन मुद्रास्फीति 2.7 प्रतिशत से घटकर 2.4 प्रतिशत हो गई।

वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण कोर मुद्रास्फीति 4.1 प्रतिशत से बढ़कर 4.2 प्रतिशत हो गई, जबकि स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में मुद्रास्फीति में गिरावट आई।

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मजबूत वैश्विक संकेतों से हरे निशान में खुला शेयर बाजार

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मुंबई, 12 नवंबर: मजबूत वैश्विक संकेतों के चलते भारतीय शेयर बाजार बुधवार के कारोबारी सत्र में तेजी के साथ खुला। सुबह 9:22 पर सेंसेक्स 455 अंक या 0.54 प्रतिशत की तेजी के साथ 84,321 और निफ्टी 131 अंक या 0.51 प्रतिशत की बढ़त के साथ 25,826 पर था।

शुरुआती सत्र में बाजार में तेजी का नेतृत्व आईटी शेयर कर रहे थे। निफ्टी आईटी इंडेक्स 1.28 प्रतिशत, निफ्टी पीएसयू बैंक 0.69 प्रतिशत, निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज 0.59 प्रतिशत, निफ्टी रियल्टी 0.66 प्रतिशत, निफ्टी एनर्जी 0.57 प्रतिशत, निफ्टी इन्फ्रा 0.60 और निफ्टी कमोडिटीज 0.42 प्रतिशत की बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे।

लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी तेजी देखी जा रही है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 342 अंक या 0.57 प्रतिशत की तेजी के साथ 60,769 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 116 अंक या 0.64 प्रतिशत की तेजी के साथ 18,200 पर था।

सेंसेक्स पैक में टीसीएस, टेक महिंद्रा, बजाज फिनसर्व, इन्फोसिस, इटरनल (जोमैटो), भारती एयरटेल, एचसीएल टेक, बजाज फाइनेंस, एक्सिस बैंक, एसबीआई, अल्ट्राटेक सीमेंट और पावर ग्रिड गेनर्स थे। बीईएल, एचयूएल, ट्रेंट, मारुति सुजुकी, आईटीसी और सनफार्मा लूजर्स थे।

बाजार के जानकारों ने कहा कि अमेरिका-भारत के बीच ट्रेड डील जल्द पूरी होने की संभावना और बिहार के चुनावों में एक्जिट पोल में एनडीए के आगे रहने की उम्मीद के कारण शेयर बाजार हरे निशान में खुला। इससे आने वाले समय में भी बाजार में तेजी बनी रह सकती है।

ज्यादातर एशियाई बाजारों में तेजी के साथ कारोबार हो रहा है। सोल, जकार्ता और हांगकांग हरे निशान में थे, जबकि टोक्यो और शंघाई लाल निशान में थे। हालांकि, अमेरिकी बाजार मंगलवार को मिलेजुले बंद हुए थे।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने लगातार दूसरे दिन 11 नवंबर को अपनी बिकवाली जारी रखी और 803 करोड़ रुपए के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने इस महीने अब तक अपनी खरीदारी जारी रखी और उसी दिन 2188 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे।

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व्यापार

इंश्योरेंस कंपनियों और एनपीएस ने 2025 में अब तक इक्विटी में किया रिकॉर्ड एक लाख करोड़ रुपए का निवेश

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मुंबई, 11 नवंबर: घरेलू इंश्योरेंस कंपनियों और नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) ने भारतीय इक्विटी बाजारों में 2025 में अब तक एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है। यह इन दोनों सेगमेंट से आया अब तक का सबसे अधिक निवेश है। यह जानकारी मंगलवार को डेटा से मिली।

इस साल की शुरुआत से इक्विटी में अब तक घरेलू इंश्योरेंस कंपनियों ने 56,821 करोड़ रुपए का निवेश किया है, जबकि एनपीएस ने 51,308 करोड़ रुपए का निवेश किया है। यह दोनों की ओर से 2024 में क्रमश: 23,062 करोड़ रुपए और 13,328 करोड़ रुपए के निवेश से काफी अधिक है।

बाजार में निवेश ऐसे समय पर देखा गया है, जब इक्विटी ने बीते एक वर्ष में सुस्त प्रदर्शन किया है।

एनालिस्ट का कहना है कि नियमों में लचीलापन बढ़ने और एयूएम में इजाफा होने के कारण इंश्योरेंस कंपनियों और एनपीएस की ओर से अधिक रिटर्न पाने के लिए इक्विटी में निवेश किया गया है।

हाल के वर्षों में, पेंशन निधि नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने अपने नियमों में संशोधन करते हुए टियर-I एनपीएस खातों के लिए 75 प्रतिशत और टियर-II खातों के लिए 100 प्रतिशत तक इक्विटी निवेश की अनुमति दी है।

इस बीच, आईआरडीएआई द्वारा दी गई छूटों ने इंश्योरेंस कंपनियों को सरकारी और अनुमोदित प्रतिभूतियों में बड़ी हिस्सेदारी बनाए रखते हुए, विवेकपूर्ण निवेश सीमा के भीतर इक्विटी आवंटन बनाए रखने की अनुमति दी।

म्यूचुअल फंड जैसे अन्य घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2025 में इक्विटी में 4.44 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया, जो पिछले वर्ष के 4.15 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। इस बीच, बैंकों और कुछ घरेलू वित्तीय संस्थानों ने इक्विटी में क्रमशः 16,941 करोड़ रुपए और 158 करोड़ रुपए की बिकवाली की।

एफआईआई द्वारा भारी बिकवाली के बीच, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की शुद्ध खरीदारी इस साल भारतीय बाजारों को सहारा दे रही है।

जानकारों के मुताबिक, भारत में निरंतर बिकवाली और सस्ते बाजारों में पैसा लगाने की एफआईआई रणनीति निकट भविष्य में भी जारी रहने की उम्मीद है।

भारतीय कंपनियों की वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही की आय अनुमान से बेहतर रही है, जिसमें प्रमुख क्षेत्रों, खासकर मिड-कैप कंपनियों की आय में सालाना आधार पर 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

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राष्ट्रीय समाचार

बैंक ऑफ अमेरिका ने अदाणी ग्रुप की कवरेज शुरू की, ‘ओवरवेट’ की दी रेटिंग

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नई दिल्ली, 11 नवंबर: बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा) ग्लोबल रिसर्च ने अदाणी ग्रुप की कवरेज शुरू कर दी है, साथ ही कुछ यूएस डॉलर बॉन्ड्स को ‘ओवरवेट’ की रेटिंग दी है। इसकी वजह समूह का मजबूत आधार और एसेट बेस और कठिन बाजार चुनौतियों के बावजूद फंड जुटाने की क्षमता है।

बोफा ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक जांच के बीच समूह ने मजबूत प्रदर्शन, विस्तार और बाजार पहुंच को प्रदर्शित किया है। पोर्ट्स, यूटिलिटीज और रिन्यूएबल बिजनेस में मजबूत संपत्ति आधार अच्छा कैश फ्लो और क्रेडिट प्रोफाल को मजबूत रखने में समूह की मदद कर रहा है।

बोफा की ओर से अदाणी ग्रुप के कई बॉन्ड्स पर ओवरवेट की राय दी गई है, जिनमें अदाणी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एडीएसईजेड) 2031एस और 2032एस बॉन्ड्स, अदाणी इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल (एनडीआईएनसीओ) 2031एस, अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस (एडीटीआईएन) 2036एस और अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई (एडीएएनईएम) 2030एस का नाम शामिल है।

बोफा के मुताबिक, ग्रुप की यूएसडी बॉन्ड इश्यू करने वाली कंपनियों का प्रदर्शन बीते दो वर्षों में अच्छा रहा है , जो कि क्षमता विस्तार के चलते ईबीआईटीडीए में बढ़त से संचालित था।

अदाणी ग्रुप देश के सबसे बड़े कारोबारी समूह में से एक है और ग्रुप की 12 कंपनियां शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं, जिनका मार्केट कैप 200 अरब डॉलर के करीब है।

बोफा ने नोट में कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि अदाणी ट्रांसमिशन लिमिटेड (एडीटीआईएन) और अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई (एडीएएनईएम) अपने विविध परिचालनों और लंबी अवधि के फिक्स्ड-प्राइस कॉन्ट्रैक्ट द्वारा समर्थित स्थिर क्रेडिट प्रोफाइल बनाए रखेंगे।”

बोफा ने कहा कि उनका अनुमान है कि एडीटीआईएन और एडीएएनईएम दोनों अगले तीन वर्षों में 6 गुना से कम लीवरेज और 2गुना से अधिक कवरेज बनाए रखेंगे, जबकि एडीएएनईएम को मॉड्यूलर आउटले जैसे रखरखाव से और अधिक लाभ होगा।

अदाणी ग्रुप के यूएसडी बॉन्ड ने 2023 की शुरुआत से काफी उतार-चढ़ाव का अनुभव किया है। हालांकि, लगातार बाजार पहुंच और घरेलू नियामकों से प्रतिकूल निष्कर्षों की कमी ने पूरे समूह की मजबूत वापसी का समर्थन किया है।

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