अपराध
सुप्रीम कोर्ट नोटबंदी फैसले की जांच करेगा, केंद्र व आरबीआई से मांगे हलफनामे

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र और आरबीआई से 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) के फैसले पर व्यापक हलफनामा दाखिल करने और आरबीआई को केंद्र के पत्र, आरबीआई बोर्ड के फैसले और नोटबंदी की घोषणा से संबंधित फाइलें तैयार रखने को कहा। न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत सरकार की नीति की न्यायिक समीक्षा पर अपनी ‘लक्ष्मण रेखा’ से अवगत है।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपन्ना, वी. रामसुब्रमण्यम और बी.वी. नागरत्न की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क यह है कि आरबीआई अधिनियम की धारा 26 केंद्र को विशेष मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों को पूरी तरह से रद्द करने के लिए अधिकृत नहीं करती है। इसलिए, मुख्य सवाल यह है कि क्या सरकार के पास धारा 26 के तहत 500 और 1000 रुपये के सभी नोटों को बंद करने का अधिकार है?
शीर्ष अदालत केंद्र के 2016 के नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली 50 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से नवंबर 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से पूछा था कि क्या यह मुद्दा अब भी बना हुआ है?
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमनी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह मुद्दा अब एक अकादमिक अभ्यास बन गया है। एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदंबरम ने कहा कि सरकार के फैसले की वैधता को चुनौती दी जा सकती है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने जोर देकर कहा कि सरकार के पास एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से करेंसी नोटों को रद्द करने की शक्ति नहीं है और जोर देकर कहा कि भविष्य के लिए यह मुद्दा अभी भी प्रासंगिक है।
पीठ ने कहा कि जब संवैधानिक महत्व के मुद्दों को संदर्भित किया जाता है, तो उनका जवाब देना अदालत का कर्तव्य है। हालांकि, इस मामले में उसने पूछा कि क्या यह मुद्दा पूरा नहीं हुआ है?
चिदंबरम ने कहा कि यह मुद्दा बहुत जीवंत है। एजी ने कहा कि जब अधिनियम को चुनौती नहीं दी जाती है, तो अधिसूचनाओं को चुनौती नहीं दी जा सकती और मुद्दे अकादमिक हैं।
चिदंबरम ने कहा कि 1978 में किया गया विमुद्रीकरण 2016 के फैसले से अलग तरह का फैसला था, जो संसद के एक अलग अधिनियम के माध्यम से लिया गया था।
पीठ ने कहा कि उसे मामले की जांच करने की जरूरत है, क्योंकि दोनों पक्ष सहमत नहीं हैं। उसने कहा कि वह जानता है कि ‘लक्ष्मण रेखा’ कहां है, लेकिन जिस तरीके से इतना बड़ा कदम उठाया गया, उसकी जांच की जानी चाहिए और इसे तय करने के लिए वकील का तर्क सुनना होगा।
मेहता ने कहा कि शैक्षणिक मुद्दों पर अदालत का समय बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता विवेक नारायण शर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि वह मेहता की टिप्पणियों से हैरान हैं, क्योंकि पिछली पीठ ने कहा था कि इन मामलों को संविधान पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए।
दीवान ने पीठ के लिए संदर्भ आदेश में तैयार किए गए मुद्दों को पढ़ा और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अन्य अदालतों को इस विषय पर विचार करने से रोक दिया था।
शीर्ष अदालत ने केंद्र और आरबीआई से 2016 के नोटबंदी के फैसले पर व्यापक हलफनामा दाखिल करने और आरबीआई को केंद्र के पत्र, आरबीआई बोर्ड के फैसले और विमुद्रीकरण की घोषणा के संबंध में फाइलें भी तैयार रखने को कहा। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होनी तय की है।
अपराध
नासिक : धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह के बाद बवाल, पथराव में कई घायल

नासिक, 16 अप्रैल। नासिक के काठे गली इलाके में मंगलवार रात पुलिस पर पथराव किया गया। यह घटना तब हुई जब क्षेत्र में बिजली कट गई और इसी अंधेरे का फायदा उठाकर भीड़ ने अचानक पुलिस और आसपास खड़े वाहनों पर पत्थर बरसाने शुरू कर000000 दिए। इस हिंसक घटनाक्रम में तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि पांच वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हंगामे की वजह एक धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह बताई जा रही है।
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी। रात में करीब 500 पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया ताकि हालात और न बिगड़ें। बताया जा रहा है कि हंगामे के समय करीब 400 से 500 लोग मौजूद थे। पुलिस ने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए इलाके में ट्रैफिक मार्गों में बदलाव भी कर दिए हैं। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मिलकर हालात पर कड़ी नजर रखी और रात भर गश्त जारी रही।
सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले की जड़ एक विवादास्पद धार्मिक स्थल है, जिस पर पिछले कुछ दिनों से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। नगरपालिका ने 1 अप्रैल को अदालत के आदेश के बाद एक अनधिकृत निर्माण पर नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि निर्माण को स्वयं नहीं हटाया गया तो प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा। इस चेतावनी के बावजूद धार्मिक स्थल को नहीं हटाया गया, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष और तमाम तरह की अफवाह फैल गई।
अधिकारियों ने बताया कि इस क्षेत्र में कुछ धार्मिक स्थलों का निर्माण बिना अनुमति के किया गया था और इन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया गया था, जिसके बाद यह घटना हुई है। अगले दो दिनों में ऐसे सभी अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा। नासिक पुलिस का कहना है पुलिस पूरे इलाके में शांति बनाए रखने के लिए कार्रवाई कर रही है। पुलिस और प्रशासनिक अमले की मौजूदगी अब भी इलाके में बनी हुई है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
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जयपुर: ईडी ने पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी की

जयपुर, 15 अप्रैल। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को जयपुर में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी शुरू की। प्रताप सिंह राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
यह कार्रवाई प्रदेश के चर्चित 2,850 करोड़ रुपये के पीएसीएल घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह पर आरोप है कि घोटाले की कुछ राशि उनके पास भी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कोर्ट ने कमेटी से कहा था कि पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम करके 6 माह में लोगों को ब्याज सहित भुगतान करें। सेबी के आकलन के अनुसार, पीएसीएल की 1.86 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो निवेशकों की जमा राशि की तुलना में 4 गुना है।
पीएसीएल कंपनी की योजनाओं को अवैध मानते हुए सेबी ने 22 अगस्त 2014 को कंपनी के कारोबार बंद कर दिए थे, जिसके चलते निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास जमा रह गई। इसके बाद कंपनी और सेबी के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला और सेबी केस जीत गई। 17 साल तक राज्य में रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पीएसीएल में प्रदेश के 28 लाख लोगों ने करीब 2,850 करोड़ और देश के 5.85 करोड़ लोगों ने कुल 49,100 करोड़ का निवेश किया था।
कंपनी पर बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, जयपुर ग्रामीण, उदयपुर, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत आधे से ज्यादा राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। इस घोटाले का पहला खुलासा जयपुर में ही हुआ था, जब 2011 में चौमू थाने में ठगी और चिट फंड एक्ट के तहत पहला केस दर्ज किया गया। मामले में प्रताप सिंह की भागीदारी 30 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसको लेकर अब ईडी जांच कर रही है।
अपराध
सलमान खान को फिर मिली जान से मारने की धमकी

मुंबई: फिल्म अभिनेता सलमान खान को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है। सलमान खान लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर हैं और लॉरेंस गैंग सलमान को जान से मारने की धमकी भी दे चुका है, जिसके बाद से सलमान खान को सोशल मीडिया पर लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल रूम को एक व्हाट्सएप संदेश मिला जिसमें सलमान खान को उनके घर में घुसकर जान से मारने और उनकी कार को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। यह धमकी भरा संदेश मिलने के बाद वर्ली पुलिस ने ट्रैफिक पुलिस की शिकायत पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धमकी का मामला दर्ज कर लिया है।
मुंबई पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि सलमान खान को धमकी देने वाला शख्स किसी गिरोह से जुड़ा है या फिर किसी ने शरारत में यह धमकी दी है। धमकी भरे संदेश के बाद पुलिस भी अलर्ट पर है। सलमान खान के घर के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसके साथ ही सलमान खान को वाई प्लस सुरक्षा भी प्राप्त है। ऐसे में पुलिस ने भी इस धमकी को गंभीरता से लिया है।
मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पंचालकर ने भी पुलिस को धमकी भरे फोन कॉल, व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर धमकी भरे संदेशों को लेकर सतर्क रहने का आदेश दिया है। मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच भी इस मामले की जांच कर रही है। सलमान खान की जान को खतरा है, इसलिए पुलिस किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतना चाहती है और पुलिस ने इस मामले में जांच भी शुरू कर दी है। सलमान खान को इससे पहले भी कई बार जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है।
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