सामान्य
गाजीपुर बॉर्डर बेहद कम हुई आंदोलनकारी किसानों की संख्या

कृषि कानून के खिलाफ तीन महीने से अधिक किसानों को प्रदर्शन करते हुए हो चुके हैं, ऐसे में बीते 27 जनवरी के दिन गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की संख्या जितनी थी, उससे भी कम मौजूदा वक्त में नजर आ रही है, यानी किसानों की संख्या में बीते महीने भर में काफी गिरावट देखी जा रही है। दरअसल बॉर्डर पर किसानों की संख्या में लगातार उतार चढ़ाव देखा जा रहा है, यदि गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के अगले दिन की तस्वीर देखी जाए तो उस वक्त भी किसान लगातार अपने गंतव्य स्थान की ओर रवाना हो रहे थे।
वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर मौजूदा स्थिति की बात करें तो पिछले महीने की इसी तारीख के मुकाबले किसान बेहद कम हैं।
हालांकि बॉर्डर पर बैठे किसानों के मुताबिक, किसान आते जाते हैं और गांव में खेती होने के कारण भी लोग आ जा रहे हैं।
हमने बॉर्डर पर कम होती संख्या पर जब भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेद्र मलिक से बात की तो उन्होंने बताया कि, “रविवार की सहारनपुर में रैली आयोजित की जा रही है, इसी वजह से अधितर किसान उधर चले गए हैं। राकेश टिकैत भी इस रैली में शामिल होंगे।”
उनके मुताबिक, “2 पंचायत हो जाएं उसके बाद फिर से गाजीपुर बॉर्डर पर भीड़ दिखना शुरू हो जाएगी। फिलहाल बॉर्डर पर 20 से 25 ट्रैक्टर किसान पहुंचने वाले हैं।”
गाजीपुर बॉर्डर आंदोलन कमेटी के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने आईएएनएस से कहा कि, “कौन कह रहा है भीड़ कम हो गई है ? आप मंच पर जाकर देखें। फिलहाल मंच शुरू नहीं हुआ है, उसके बाद भी किसान बैठे हुए हैं।”
“गर्मी की वजह से लोग अंदर बौठे होते हैं, कोई कम नहीं हो गया है। आज बागपत में महापंचायत होने के कारण उधर के लोग बॉर्डर से चले गये हैं।”
“2 दिन बार रुद्रपुर में महापंचायत है उधर भी किसान रवाना हो रहे हैं। रविवार को अन्य किसान भी महापंचायत के लिए रवाना हो जाएंगे।”
किसान नेता कुछ भी कहें लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर खाली टैंट इस बात की तस्दीक करते हैं कि फिलहाल बॉर्डर पर किसानों की संख्या कम है।
हालांकि शनिवार और रविवार को बॉर्डर पर भीड़ बढ़ जाती थी, लेकिन इस बार तो वह भीड़ भी नहीं दिखाई दे रही।
दूसरी ओर विभिन्न जगहों पर हो रही महापंचायतों में राकेश टिकैत नजर आने लगे हैं, ऐसे में बॉर्डर पर राकेश टिकैत की भी गतिविधि कम हो गई है, हालांकि जिस दिन राकेश टिकैत बॉर्डर पर होते हैं उस दिन किसान उनके ईद गिर्द नजर आते हैं और संख्या में भी इजाफा होता है, लेकिन उनकी गैर मौजूदगी में किसान न तो उतसाहित नजर आते हैं और न ही उनकी संख्या ज्यादा होती है।
गाजीपुर बॉर्डर पर बीते 19 फरवरी को किसान संगठनों द्वारा एक बैठक बुलीई गई थी। जिसमें मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद मंडल के 11 जि़लों के जिला अध्यक्षों ने हिस्सा लिया था।
इस बैठक में निर्णय हुआ था कि आंदोलन को कमजोर नही होने दिया जाएगा और आसपास के 10 जिलों से 2000 लोग हमेशा मौजूद रहेंगे।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी कहते आए हैं कि, “खेती से ज्यादा आंदोलन पर ध्यान दिया जाय।”
“गांव में किसी भी किसान का काम न पीछे रहे और आंदोलन भी इसी तरह चलता रहे। इसके लिए भी कमेटी बनाई है जो बॉर्डर आएगा उस किसान का काम 4 परिवार के लोग देखेंगे।”
बढ़ती गर्मी होने के कारण भी किसान अक्सर मंच के आस पास दिखाई नहीं दे रहे थे, इसी समस्या को दूर करने के लिए आंदोलन स्थल के मंच के सामने एक शेड बनाया गया है, ताकि किसान गर्मी की तपिश से बचें और हमेशा मंच के सामने भीड़ भी दिखाई देती रहे।
दरअसल तीन नए अधिनियमित खेत कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
सामान्य
आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पद्धतियों में रुझानों का पता लगाने के लिए AIIA का राष्ट्रीय संगोष्ठी

नई दिल्ली, 12 जुलाई। आयुष मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), नई दिल्ली, आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पद्धतियों में रुझानों का पता लगाने के लिए तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करेगा।
शल्यकॉन 2025, जो 13-15 जुलाई तक आयोजित होगा, सुश्रुत जयंती के शुभ अवसर पर मनाया जाएगा। 15 जुलाई को प्रतिवर्ष मनाई जाने वाली सुश्रुत जयंती, शल्य चिकित्सा के जनक माने जाने वाले महान आचार्य सुश्रुत की स्मृति में मनाई जाती है।
“अपनी स्थापना के बाद से, AIIA दुनिया भर में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए समर्पित रहा है। शल्य तंत्र विभाग द्वारा आयोजित शल्यकॉन, आधुनिक शल्य चिकित्सा प्रगति के साथ आयुर्वेदिक सिद्धांतों के एकीकरण को बढ़ावा देकर इस प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस पहल का उद्देश्य उभरते आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सकों को एकीकृत शल्य चिकित्सा देखभाल के अभ्यास में बेहतर दक्षता और आत्मविश्वास प्रदान करना है,” AIIA की निदेशक (प्रभारी) प्रो. (डॉ.) मंजूषा राजगोपाला ने कहा।
नवाचार, एकीकरण और प्रेरणा पर केंद्रित विषय के साथ, शल्यकॉन 2025 का आयोजन राष्ट्रीय सुश्रुत संघ के सहयोग से राष्ट्रीय सुश्रुत संघ के 25वें वार्षिक सम्मेलन के सतत शैक्षणिक कार्यक्रम के एक भाग के रूप में किया जाएगा।
इस सेमिनार में सामान्य एंडोस्कोपिक सर्जरी, गुदा-मलाशय सर्जरी और यूरोसर्जिकल मामलों पर लाइव सर्जिकल प्रदर्शन होंगे।
मंत्रालय ने कहा, “पहले दिन, 10 सामान्य एंडोस्कोपिक लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाएँगी। दूसरे दिन 16 गुदा-मलाशय सर्जरी की लाइव सर्जिकल प्रक्रियाएँ होंगी, जो प्रतिभागियों को वास्तविक समय की सर्जिकल प्रक्रियाओं को देखने और उनसे सीखने का अवसर प्रदान करेंगी।”
शल्यकॉन 2025 परंपरा और प्रौद्योगिकी का एक गतिशील संगम होगा, जिसमें भारत और विदेश के 500 से अधिक प्रतिष्ठित विद्वान, शल्य चिकित्सक, शोधकर्ता और शिक्षाविद भाग लेंगे। यह कार्यक्रम विचारों के आदान-प्रदान, नैदानिक प्रगति को प्रदर्शित करने और आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पद्धतियों में उभरते रुझानों का पता लगाने में सहायक होगा।
तीन दिनों के दौरान एक विशेष पूर्ण सत्र भी आयोजित किया जाएगा जिसमें सामान्य और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, घाव प्रबंधन और पैरा-सर्जिकल तकनीक, गुदा-मलाशय सर्जरी, अस्थि-संधि मर्म चिकित्सा और सर्जरी में नवाचार जैसे क्षेत्रों पर चर्चा की जाएगी।
अंतिम दिन 200 से अधिक मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतियाँ भी होंगी, जो चल रहे विद्वानों के संवाद और अकादमिक संवर्धन में योगदान देंगी।
मंत्रालय ने कहा कि नैदानिक प्रदर्शनों के अलावा, एक वैज्ञानिक सत्र विद्वानों, चिकित्सकों और शोधकर्ताओं को अपना काम प्रस्तुत करने और अकादमिक संवाद में शामिल होने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
न्याय
‘आपकी बेटी आपके साथ में है’: विनेश फोगाट शंभू बॉर्डर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं।

भारतीय पहलवान विनेश फोगट शंभू सीमा पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं, क्योंकि उन्होंने अपना रिकॉर्ड 200वां दिन मनाया और बड़ी संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया।
पेरिस 2024 ओलंपिक में पदक न मिलने के विवादास्पद फैसले के बाद संन्यास लेने वाली फोगट ने किसानों के आंदोलन को अपना पूरा समर्थन देने का वादा किया।
“मैं भाग्यशाली हूं कि मेरा जन्म एक किसान परिवार में हुआ। मैं आपको बताना चाहती हूं कि आपकी बेटी आपके साथ है। हमें अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना होगा क्योंकि कोई और हमारे लिए नहीं आएगा।
मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि आपकी मांगें पूरी हों और अपना अधिकार लिए बिना वापस न जाएं। किसान अपने अधिकारों के लिए 200 दिनों से यहां बैठे हैं।
मैं सरकार से उनकी मांगों को पूरा करने की अपील करती हूं। यह बहुत दुखद है कि 200 दिनों से उनकी बात नहीं सुनी गई। उन्हें देखकर हमें बहुत ताकत मिली।”
राजनीति
पीएम मोदी: ’25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए हैं’; बजट 2024 पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सराहना की।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लगातार सातवें बजट को पेश करने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बजट 2024 से नव-मध्यम वर्ग, गरीब, गांव और किसानों को और अधिक ताकत मिलेगी।
देश के नाम अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि बजट युवाओं को असीमित अवसर प्रदान करेगा।
पिछले दस वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, इस बजट से नए मध्यम वर्ग को सशक्त बनाया जाएगा।
उन्होंने घोषणा की, ‘यह बजट युवाओं को असीमित अवसर प्रदान करेगा।’ यह बजट शिक्षा और कौशल के लिए एक नया मानक स्थापित करेगा और उभरते मध्यम वर्ग को सशक्त करेगा। पीएम मोदी ने कहा कि इस बजट से महिलाओं, छोटे उद्यमों और एमएसएमई को फायदा होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग अभी अपना करियर शुरू कर रहे हैं, उन्हें ‘रोजगार-संबंधी प्रोत्साहन योजना’ के माध्यम से सरकार से अपना पहला वेतन मिलेगा।
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने इस बजट में जिस ‘रोजगार-संबंधी प्रोत्साहन योजना’ की घोषणा की है, उससे रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे।’
प्रधानमंत्री ने घोषणा की, ‘सरकार इस योजना के तहत उन लोगों को पहला वेतन देगी, जो अभी कार्यबल में शामिल होने की शुरुआत कर रहे हैं। प्रशिक्षुता कार्यक्रम के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों के युवा देश के प्रमुख व्यवसायों के लिए काम करने में सक्षम होंगे।’
मोदी 3.0 का पहला बजट
यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट है।
लोकसभा में बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने मोदी सरकार में अपना भरोसा फिर से जताया है और इसे तीसरे कार्यकाल के लिए चुना है।
सीतारमण ने आगे कहा, “ऐसे समय में जब नीतिगत अनिश्चितता वैश्विक अर्थव्यवस्था को जकड़े हुए है, भारत की आर्थिक वृद्धि अभी भी प्रभावशाली है।”
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