राजनीति
कृषि कानून किसान विरोधी, राजद गांधी मैदान में देगी धरना : तेजस्वी
बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने नए कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए बिहार के किसानों को भी आंदोलन में शामिल होने की अपील की है। राजद के नेता तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता शनिवार को पटना के गांधी मैदान में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने कृषि कानून के विरोध में धरने पर बैठेंगे।
बिहार विधनसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि कानून काला कानून है और ये देश के खिलाफ है। उन्होंने बिहार के किसानों और किसान संगठनों से अपील करते हुए कहा कि वर्तमान, आने वाली पीढ़ियों और भविष्य को देखते हुए वे इस कानून के विरोध में सड़कों पर आएं और आंदोलन को मजबूत करें।
उन्होंने कहा, ”पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसानों में आक्रोश है। यह वही सरकार है जो किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करनी की बात करती है। लेकिन एमएसपी को खत्म कर रही है। कृषि को भी प्राइवेट हाथ को सौंप रही है, जिससे प्राइवेट कंपनियों से किसान खरीद बिक्री करेंगे।”
उन्होंने कृषि कानूनों को किसान विरोधी कानून बताते हुए कहा कि किसानों को सही मूल्य मिलना चाहिए। कई जगहों पर कर्ज में डूबने से किसान आत्महत्या कर रहे हैं। जो अन्नदाता हैं उनके लिए इस तरह का कानून बनाना देश के खिलाफ है।
उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इतनी बड़ी समस्या सामने है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौन हैंै। कोई भी फैसला जनता का होना चाहिए ना कि किसी व्यक्ति का। उन्होंने कहा कि कृषि कानून बनाने के पहले किसानों से राय नहीं ली गई और अब उन्हें गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर एमएसपी समाप्त नहीं होना है, तो सरकार लिखकर क्यों नहीं दे रही है।
उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि अगर कृषि कानून के इतने ही फायदे हैं तो देश भर में किसान इसके खिलाफ क्यों है, भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी अकाली दल ने किनारा क्यों किया। उन्होंने कहा कि खिलाड़ी और अभिनेता भी किसान के समर्थन में आगे आएं हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री कृषि रोड मैप की बात करते हैं लेकिन धान के एमएसपी की बात नहीं करते। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि बिहार में अब तक किसी जिले में धान की खरीदी प्रारंभ नहीं की गई है।
बिहार में जहां मंडियों का सवाल है वह 2006 में ही बंद कर दिया गया। हालत ये हो गई है कि बिहार के किसान खेती छोड़ मजदूरी करने लगे हैं। जब मंडी खत्म हो गई तो किसान कमजोर होते गए।
अपराध
कोलकाता : मां को चढ़ाई गई थी एक्सपायर्ड सेलाइन , नवजात ने तोड़ा दम
कोलकाता, 16 जनवरी। सरकारी मेदनीपुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एमएमसीएच) में पिछले हफ्ते कथित तौर पर एक्सपायर्ड रिंगर लैक्टेट दिए जाने के बाद बीमार पड़ी पांच में से एक महिला की नवजात की गुरुवार को मौत हो गई।
पिछले सप्ताह पांच महिलाओं में से एक, मामोनी रुइदास, की उसी अस्पताल में मृत्यु हो गई थी।
गुरुवार को अन्य चार जीवित महिलाओं में से एक, रेखा शॉ, की नवजात की कोलकाता के सरकारी मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई।
चार में से तीन महिलाओं की हालत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। बता दें कि जन्म के तुरंत बाद बच्चे को भी उसी अस्पताल में रखा गया था।
रेखा की सास, पुष्पा शॉ, ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा, “हमें बच्चे को जन्म के बाद सिर्फ एक बार दिखाया गया था और तब से उसे अलग-थलग रखा गया था। अब हमें बताया गया है कि बच्चे की मौत हो गई है।”
बुधवार को, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने मांग की कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) जैसी केंद्रीय एजेंसियों को मामले की चल रही जांच में शामिल किया जाए।
बता दें कि पिछले हफ्ते, पश्चिम मेदिनापुर जिले के उक्त सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कथित तौर पर एक्सपायर्ड रिंगर लैक्टेट दिए जाने के बाद पांच महिलाएं बीमार पड़ गई थीं, जिसमें से रुइदास की पिछले शुक्रवार को मौत हो गई थी। वहीं अन्य चार को उसी अस्पताल में रखा गया था। हालांकि, बाद में हालत बिगड़ने के बाद उन्हें कोलकाता के सरकारी एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ले जाया गया।
इस घटना ने गंभीर चिंताएं पैदा कर दीं। एक्सपायर्ड आरएल सलाइन कथित तौर पर पश्चिम बंगाल फार्मास्युटिकल लिमिटेड से आई थी, जो पहले से ही कर्नाटक सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रतिबंधित थी।
सबसे पहले, राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षक-सह-उप-प्रिंसिपलों और जिलों के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे कंपाउंड सोडियम लैक्टेट इंजेक्शन (आरएल) के मौजूदा स्टॉक को पूरी तरह से रोक दें।”
बाद में, राज्य सरकार ने राज्य की सभी स्वास्थ्य सेवा संस्थाओं से उक्त कंपनी द्वारा आपूर्ति की गई सभी दवाओं के स्टॉक को हटाने का भी निर्देश दिया।
राजनीति
‘परीक्षा पे चर्चा’ ने बदल दी साक्षी की जिंदगी, बोली ‘कठिन दौर में पीएम मोदी के शब्द बने सहारा”
नई दिल्ली, 16 जनवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परीक्षा पे चर्चा ने सोलापुर की साक्षी सुराना की जिंदगी बदल दी। उसने अपनी तकलीफों से लड़ते हुए नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया। साक्षी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब उसे पीएम मोदी की ओर से एक पत्र मिला। क्या है पूरी कहानी जिसने एक आम सी लड़की को नई पहचान दे दी?
गुरुवार को एक्स हैंडल ‘मोदी आर्काइव’ ने एक पोस्ट के जरिए उसकी कहानी बताई है। इस पोस्ट में दो मिनट से अधिक समय का एक वीडियो भी शेयर किया गया है।
वीडियो के साथ कैप्शन दिया, “एक साल पहले ही सोलापुर की साक्षी सुराना को एक कठिन निर्णय का सामना करना पड़ा था। उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं के कारण एक साल स्कूल छोड़ना पड़ा था। गंभीर माइग्रेन और पीठ की ऐंठन के कारण वे अपनी परीक्षाएं पूरी नहीं कर पाईं और खास तौर पर अर्थशास्त्र उनके लिए एक कठिन चुनौती बना हुआ था।”
उस कठिन दौर में प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों ने सहारा दिया, तथा उन्हें याद दिलाते रहे कि यदि आप आगे बढ़ते रहें तो बाधाओं के बावजूद भी सफलता संभव है। दृढ़ निश्चय के साथ साक्षी ने अपनी पढ़ाई में अपना सब कुछ झोंक दिया। और नतीजा? उसने न केवल 12वीं की परीक्षा में अपने स्कूल में टॉप किया, बल्कि अर्थशास्त्र में पहला स्थान हासिल किया।
फिर एक लिफाफे में प्रधानमंत्री कार्यालय से एक आधिकारिक पत्र आया। अंदर खुद प्रधानमंत्री मोदी का एक निजी संदेश था, जिसमें साक्षी के प्रयासों के लिए उन्हें बधाई दी गई थी और भविष्य में उनकी सफलता की कामना की गई थी।
साक्षी को यकीन ही नहीं हुआ। जिन शब्दों ने कभी उसे प्रेरित किया था, अब वही शब्द उसकी उपलब्धि को पहचान देने वाले बन गए थे। उस पल, ऐसा लगा जैसे उसने पूरी दुनिया में पहला स्थान हासिल कर लिया हो।
पीएम मोदी के शब्दों की ताकत ने साक्षी के लिए सब कुछ बदल दिया था। अपनी कविता की अंतिम पंक्तियों में उन्होंने लिखा, “आप जैसे नेता के कामों को हम शब्दों में कैसे बयां कर सकते हैं? यह एक पहेली है जिसे मैं कभी नहीं सुलझा सकती।”
पीएम मोदी वीडियो में कह रहे हैं कि “मेरी प्रकृति है मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं, जिसने पानी में ही प्रैक्टिस शुरू कर दी, उसको कितना ही गहरा पानी क्यों ना हो, उसको भरोसा होता है मैं पार कर जाऊंगा।”
साक्षी सुराना कहती हैं कि “10वीं के बाद जब मैं कॉलेज में आई तो मुझे अर्थशास्त्र विषय बहुत ज्यादा कठिन लगता था। तभी मुझे पता चला कि मुझे माइग्रेन और पीठ में ऐंठन की परेशानी है। इसलिए मैंने सोचा कि मैं गैप करूंगी और अगले साल परीक्षा दूंगी। परीक्षा पर चर्चा के कारण मैं बहुत ज्यादा प्रेरित हुई, फिर मैंने पढ़ना शुरू की और मैंने ठाना था कि मैं अर्थशास्त्र में तो फर्स्ट आऊंगी और साथ ही साथ कॉलेज में भी फर्स्ट आऊंगी।”
इसके बाद वीडियो में बैकग्राउंड में कहा जाता है कि परीक्षा पर चर्चा से सीखकर सोलापुर में रहने वाली साक्षी सुराना ने परीक्षा में टॉप किया। साक्षी ने कहा कि “मैं बहुत खुश थी कि मैंने परीक्षा में टॉप किया। लेकिन मेरी खुशी दो-तीन गुनी तब हुई, जब पता चला कि मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय से पत्र आया।”
साक्षी ने बताया कि “जब मुझे पत्र मिला तो मुझे ऐसा लगा कि मैंने पूरी दुनिया में ही टॉप की हो। पत्र में साक्षी को परीक्षा में टॉप करने की बधाई दी गई थी। साथ ही विश्वास जताया गया था कि आने वाले समय में आप मेहनत और लगन से जीवन में लक्षित सफलता प्राप्त करते हुए अपने परिवार और देश का नाम रोशन करेंगी। आपके उज्जवल भविष्य की कामना सहित आपका नरेंद्र मोदी।”
राजनीति
श्रीलंका ने रिहा किए 15 भारतीय मछुआरे, लौटे स्वदेश
चेन्नई, 16 जनवरी। श्रीलंकाई सरकार ने 15 मछुआरों को रिहा कर दिया। सभी मछुआरे भारतीय राजनयिक अधिकारियों को सौंप दिए गए। अधिकारियों ने मेडिकल जांच की और मछुआरों के लिए आपातकालीन पासपोर्ट की व्यवस्था की, जिन्हें फिर कोलंबो से चेन्नई हवाई अड्डे के लिए रवाना किया गया।
मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने मछुआरों का स्वागत किया और अलग-अलग वाहनों से उनके गृहनगर ले जाया गया।
रामेश्वरम के तीन और नागपट्टिनम के बारह मछुआरों को घर वापस आकर राहत मिली है। चेन्नई हवाई अड्डे पर पहुंचने पर मछुआरों को नागरिकता सत्यापन, सीमा शुल्क जांच और अन्य औपचारिकताओं से गुजरना पड़ा। इसके बाद मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने उनका स्वागत किया और उन्हें अलग-अलग वाहनों से उनके गृहनगर पहुंचाने की व्यवस्था की।
रामेश्वरम के मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना ने कथित तौर पर सीमा पार करने और श्रीलंकाई जल में मछली पकड़ने के आरोप में 27 सितंबर को गिरफ्तार किया था। उन्हें अदालत में पेश किया गया और जेल में डाल दिया गया।
इसी तरह नागापट्टिनम जिले के 12 मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना ने 11 नवंबर को मुल्लईतिवु के पास मछली पकड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन्हें भी कैद कर लिया गया।
इससे पहले 1 जनवरी को श्रीलंका की जेलों से रिहा किए गए 20 भारतीय मछुआरे विमान से चेन्नई पहुंचे थे। मछुआरों को एक साल पहले श्रीलंकाई नौसेना ने गिरफ्तार किया था। वे तमिलनाडु के पुडुकोट्टई, रामनाथपुरम और तूतूकुड़ी जिलों के निवासी थे और श्रीलंका की जेलों में थे। उन्हें भारतीय दूतावास के अधिकारियों को सौंप दिया गया था।
ज्ञात हो कि तमिलनाडु के मछुआरा संघ राज्य के मछुआरों की नियमित गिरफ्तारी के बाद तटीय जिलों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया है कि वे हस्तक्षेप करें और बीच समुद्र में मशीनी नावों की जब्ती और गिरफ्तारी को रोकें, जो मछुआरों की आजीविका की रीढ़ हैं।
केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में इस मुद्दे पर श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके से बातचीत की थी, जिसमें उन्होंने श्रीलंकाई नौसेना द्वारा तमिलनाडु के मछुआरों की बार-बार गिरफ्तारी का मुद्दा उठाया।
तमिलनाडु के 504 भारतीय मछुआरे श्रीलंकाई अधिकारियों की हिरासत में हैं। करीब 48 मशीनीकृत मछली पकड़ने वाले ट्रॉलर भी श्रीलंकाई अधिकारियों के कब्जे में हैं।
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