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Friday,24-October-2025
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नेपाल सीमा पर भारत विरोधी प्रदर्शन को फंडिंग कर रहा चीन

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 चीन ने भारत-नेपाल सीमा पर भारत के खिलाफ प्रदर्शनों को अंजाम देने के लिए नेपाल स्थित विभिन्न संगठनों को 2.5 करोड़ रुपये (नेपाली मुद्रा में) का भुगतान किया है। भारत और नेपाल 1,700 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा साझा करते हैं।

एजेंसियों ने कहा, “नेपाल में चीनी दूतावास ने भारत-नेपाल सीमा क्षेत्रों में भारत विरोधी प्रदर्शनों के आयोजन के लिए 2.5 करोड़ रुपये (एनपीआर) की वित्तीय सहायता प्रदान की है, जो नेपाल के आंतरिक और राजनीतिक मामलों में भारत के हालिया सीमा विवादों और हस्तक्षेपों को उजागर करता है।” एनपीआर नेपाली रुपया है।

चीन के हिमालय राष्ट्र पर अपना प्रभाव बढ़ाने के बाद भारत-नेपाल संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं।

हाल ही में भारत द्वारा लिपुलेख में 17000 फीट की ऊंचाई पर सड़क निर्माण को लेकर नेपाल ने आपत्ति जताई थी। यही नहीं नेपाल ने इस क्षेत्र पर अपना अधिकार भी जताया था। लिपुलेख भारत, नेपाल और चीन के बीच एक त्रि-जंक्शन है, जो उत्तराखंड में कालापानी घाटी में स्थित है।

इस सड़क निर्माण का उद्देश्य कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा के समय को कम करना है।

इसके अलावा नेपाल ने अपना एक नया राजनीतिक नक्शा निकालकर विवाद को जन्म दे दिया है, क्योंकि इस नक्शे में उसने कुछ भारतीय क्षेत्रों को नेपाल का क्षेत्र बताया है।

भारत ने नए नक्शे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह ऐतिहासिक तथ्यों या सबूतों पर आधारित नहीं है। नेपाल के नए राजनीतिक मानचित्र में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को अपना बताया है, जो कि हमेशा से भारतीय क्षेत्र रहे हैं। इसके साथ ही नेपाल ने भारत-नेपाल सीमा के पास अपनी तैनाती में भी इजाफा किया है। नेपाल ने 1,751 किलोमीटर की सीमा के साथ सीमा चौकियों (बीओपी) की संख्या को 120 से बढ़ाकर 500 करने की भी योजना बनाई है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, “भारत-नेपाल के तनावपूर्ण संबंधों को एक अवसर के रूप में लेते हुए, चीन, जो पहले से ही लद्दाख में भारत के साथ सीमा विवाद कर रहा है, उसने भी लिपुलेख के पास अपनी सेना की तैनाती बढ़ा दी है।”

चीन ने 150 लाइट कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड की तैनाती की है और इसे अगस्त में लिपुलेख त्रि-जंक्शन में तैनात किया गया है। चीन ने भारतीय सीमा से लगभग 10 किलोमीटर दूर, पाला में भी सैनिक बलों को मजबूत किया है।

जुलाई में ही, पाला के पास लगभग 1,000 सैनिक तैनात किए गए थे और चीन द्वारा एक स्थायी चौकी बनाई गई थी। अगस्त में, पोस्ट पर 2,000 और अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया गया।

भारत ने भी अपने सशस्त्र बलों को लिपुलेख त्रि-जंक्शन पर तैनाती बढ़ाने का निर्देश दिया है। भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमा की रक्षा करने वाले सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने नेपाल के साथ सीमा पर 30 कंपनियों की तैनाती बढ़ा दी है।

सूत्रों ने कहा कि भारत ने भारत-नेपाल सीमा के साथ ही उत्तराखंड और सिक्किम में त्रि-जंक्शन क्षेत्रों पर अधिक सतर्कता बरतते हुए, इनमें से कुछ क्षेत्रों में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त टुकड़ियां भेजी हैं।

नेपाल सरकार ने भी भारत और चीन सीमा तनाव के बीच लिपुलेख क्षेत्र में भारतीय सेना की गतिविधियों की बारीकी से निगरानी करने के लिए अपनी सेनाओं को निर्देशित किया है।

भारत और चीन के बीच मई महीने से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के कई बिंदुओं पर गतिरोध बना हुआ है।

चीन ने विभिन्न स्थानों पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति बदलने का प्रयास किया है। भारत ने इस पर आपत्ति जताई है और वह चीन के साथ सभी स्तरों पर इस मामले को उठा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय समाचार

अमेरिका ने 1 लाख डॉलर की एच-1बी वीजा फीस पर दी सफाई, मौजूदा वीजा धारक रहेंगे मुक्त

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वॉशिंगटन, 21 अक्टूबर: विदेशी पेशेवरों को बड़ी राहत देते हुए अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने एच-1बी वीजा की 1 लाख डॉलर आवेदन फीस पर नया दिशा-निर्देश जारी किया है। इसमें कई छूटें और अपवाद शामिल किए गए हैं।

नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, जो लोग एफ-1 (छात्र) वीजा से एच-1बी वीजा श्रेणी में स्विच कर रहे हैं, उन्हें यह भारी शुल्क नहीं देना होगा। इसी तरह, अमेरिका के भीतर रहकर वीजा में संशोधन, स्थिति परिवर्तन या अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन करने वाले एच-1बी वीजा धारकों पर भी यह शुल्क लागू नहीं होगा।

इसके अलावा, मौजूदा एच-1बी वीजा धारकों को देश में आने-जाने पर किसी तरह की रोक नहीं होगी। यह शुल्क केवल उन नए आवेदकों पर लागू होगा जो अमेरिका के बाहर हैं और जिनके पास मान्य एच-1बी वीजा नहीं है। नई आवेदन प्रक्रिया के लिए ऑनलाइन भुगतान लिंक भी जारी किया गया है।

यह स्पष्टीकरण ऐसे समय आया है जब अमेरिकी वाणिज्य मंडल ने इस फैसले के खिलाफ ट्रंप प्रशासन पर मुकदमा दायर किया है। संगठन ने इस फीस को “गैरकानूनी” बताते हुए कहा कि इससे अमेरिकी व्यवसायों पर “गंभीर आर्थिक असर” पड़ेगा और कंपनियों को या तो अपने श्रम खर्च में भारी बढ़ोतरी करनी पड़ेगी या फिर कुशल विदेशी कर्मचारियों की भर्ती कम करनी होगी।

ट्रंप प्रशासन के खिलाफ यह दूसरी बड़ी कानूनी चुनौती है। इससे पहले, श्रमिक संघों, शिक्षा विशेषज्ञों और धार्मिक संस्थाओं के समूह ने भी 3 अक्टूबर को मुकदमा दायर किया था।

ट्रंप ने 19 सितंबर को हस्ताक्षरित इस घोषणा पर कहा था कि इसका उद्देश्य “अमेरिकी नागरिकों को रोजगार का प्रोत्साहन देना” है। हालांकि, इस फैसले से मौजूदा वीजा धारकों में भ्रम की स्थिति बन गई थी कि क्या वे अमेरिका लौट पाएंगे या नहीं।

व्हाइट हाउस ने 20 सितंबर को आईएएनएस से कहा था कि यह “एक बार लिया जाने वाला शुल्क” है, जो केवल नए वीजा आवेदनों पर लागू होगा, न कि नवीनीकरण या मौजूदा वीजा धारकों पर।

बता दें कि 2024 में भारतीय मूल के पेशेवरों को कुल स्वीकृत एच-1बी वीजाओं में 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी मिली थी। इसका कारण था वीजा स्वीकृति में लंबित मामलों का भारी बैकलॉग और भारत से आने वाले उच्च कौशल वाले आवेदकों की बड़ी संख्या।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

श्रीलंका की पीएम हरिनी अमरसूर्या पीएम मोदी से करेंगी मुलाकात

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PM MODI

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर: श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या दो दिवसीय यात्रा पर भारत में मौजूद हैं। अपनी यात्रा के दूसरे दिन आज वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगी।

इससे पहले श्रीलंकाई पीएम ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की थी। वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज भी पहुंची। वह हिंदू कॉलेज में कार्यक्रम में शामिल हुईं।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “यह यात्रा भारत और श्रीलंका के बीच नियमित उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा को आगे बढ़ाती है और गहरी एवं बहुआयामी द्विपक्षीय साझेदारी को आगे बढ़ाती है। यह भारत के ‘महासागर विजन’ और उसकी ‘पड़ोसी पहले’ नीति से प्रेरित होकर मित्रता के बंधन को और मजबूत करेगी।”

दूसरी ओर मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती दो दिवसीय दौरे पर भारत में मौजूद हैं। आज उनके दौरे का दूसरा दिन है। आज वह भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे।

इससे पहले मिस्र के विदेश मंत्री ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी। विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत-मिस्र रणनीतिक वार्ता में अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “भारत और मिस्र ग्लोबल साउथ की प्रगति और विश्व मामलों में राष्ट्रों की स्वतंत्रता एवं चयन की स्वतंत्रता को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह एकजुटता निश्चित रूप से आज हमारी चर्चाओं का मार्गदर्शन करेगी।”

उन्होंने मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती का दो दिवसीय भारत दौरे पर स्वागत भी किया। बता दें, विदेश मंत्री के रूप में अब्देलती की यह पहली भारत यात्रा है। ईएमए जयशंकर ने बताया कि पहली भारत-मिस्र रणनीतिक वार्ता द्विपक्षीय संबंधों में एक मील का पत्थर है, जिसमें 2023 में रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक संबंधों के बेहतर होने के बाद से विभिन्न क्षेत्रों में गहन सहयोग देखा गया है।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

क्या रूस से तेल नहीं खरीदेगा भारत? ट्रंप के दावे पर नई दिल्ली ने दिया ये जवाब

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TRUMP

वाशिंगटन, 16 अक्टूबर: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक महान व्यक्ति और भारत को एक अविश्वसनीय देश बताया है। इस बीच उन्होंने यह दावा किया कि पीएम मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि भारत अब और रूसी तेल नहीं खरीदेगा। इस पर भारत की प्रतिक्रिया भी सामने आई है।

व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मलेशिया में प्रधानमंत्री मोदी के साथ संभावित मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, “हां, जरूर, वह मेरे दोस्त हैं। हमारे बीच बहुत अच्छे संबंध हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “वह एक महान व्यक्ति हैं। वह ट्रंप से प्यार करते हैं। मैंने वर्षों से भारत को देखा है। यह एक अविश्वसनीय देश है, और हर साल एक नया नेता आता है। मेरा मतलब है, कुछ नेता कुछ महीनों के लिए ही वहां रहते हैं, और यह साल दर साल होता रहा है। और मेरे दोस्त लंबे समय से वहां हैं।”

इस बीच रूस से तेल खरीदने को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप का चौंकाने वाला बयान सामने आया। उन्होंने दावा किया कि उन्हें “आश्वासन” दिया गया है कि भारत, रूस से तेल नहीं खरीदेगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह समझते हैं कि ऐसा “तुरंत” नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा, “उन्होंने आज मुझे आश्वासन दिया कि वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे। इसे तुरंत नहीं किया जा सकता है। यह एक छोटी सी प्रक्रिया है, लेकिन यह प्रक्रिया जल्द ही पूरी हो जाएगी, और हम राष्ट्रपति पुतिन से बस यही चाहते हैं कि वे युद्ध रोकें।”

उन्होंने कहा, “कुछ ही समय में, वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे, और युद्ध समाप्त होने के बाद वे फिर से रूस से तेल का व्यापार करेंगे।”

इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वह चीन पर भी “ऐसा ही करने” का दबाव डालेंगे। हालांकि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में रूसी तेल खरीदना शुरू किया है, जबकि चीन मास्को का सबसे बड़ा ऊर्जा खरीदार है।

इस पर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “भारत तेल और गैस का एक महत्वपूर्ण आयातक है। अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना हमारी निरंतर प्राथमिकता रही है। हमारी आयात नीतियां पूरी तरह इसी उद्देश्य से निर्देशित होती हैं। स्थिर ऊर्जा मूल्य और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करना हमारी ऊर्जा नीति के दोहरे लक्ष्य रहे हैं। इसमें हमारी ऊर्जा स्रोतों का व्यापक आधार बनाना और बाजार की स्थितियों के अनुरूप विविधीकरण करना शामिल है।”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि जहां तक अमेरिका का संबंध है, हम कई वर्षों से अपनी ऊर्जा खरीद का विस्तार करने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले दशक में इसमें लगातार प्रगति हुई है। वर्तमान प्रशासन ने भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को गहरा करने में रुचि दिखाई है। इस पर चर्चाएं जारी हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक खासियत है कि वह जब बोलते हैं, तो अपनी धुन में रहते हैं। उन्हें इस बात की इल्म नहीं होती कि जो दावे वो कर रहे हैं, उसमें कितनी सच्चाई परोसना और कितना झूठ। आंकड़े बताते हैं भारत आज भी रूस का दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक देश है। इसके साथ ही भारत ने सितंबर 2025 में रूस से 25,597 करोड़ का कच्चा तेल खरीदा है। चीन रूस के कच्चे तेल का सबसे बड़े खरीदार देश है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने खुद ही 7 युद्धों को सुलझाने का दावा कर दिया और खुद के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग भी कर ली। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का भी दावा किया। ये और बात है कि भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति के इस दावे को सिरे से नकार दिया। हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि वो जिस तरह के दावे करते हैं, उस पर किसी की सहमति की मुहर लगती है या नहीं। वह केवल कहते हैं क्योंकि उन्हें कहना है।

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