अपराध
सुप्रीम कोर्ट ने अबू सलेम की अर्जी पर केंद्र से मांगा जवाब, कहा- कैद 25 साल से ज्यादा नहीं बढ़ सकती

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र से गैंगस्टर अबू सलेम की उस याचिका पर विचार करने को कहा, जिसमें कहा गया था कि भारत सरकार द्वारा पुर्तगाल से उसके प्रत्यर्पण की शर्तो के अनुसार उसकी कैद 25 साल से ज्यादा नहीं बढ़ाई जा सकती। सलेम का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा किआतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) अदालत इस तर्क से सहमत नहीं है कि वह भारत सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन पर भरोसा करने को बाध्य है। उन्होंने जोर देकर कहा कि शीर्ष अदालत के पास इस मामले में उसे राहत देने की शक्ति है।
दलीलें सुनने के बाद जस्टिस एम.एम. सुंदरेश ने सलेम की याचिका पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा। याचिका में कहा गया है कि सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाने वाली टाडा अदालत का 2017 का फैसला प्रत्यर्पण संधि की शर्तो के विपरीत था।
याचिका के अनुसार, भारत सरकार ने 17 दिसंबर, 2002 को पुर्तगाल सरकार को उप प्रधानमंत्री के माध्यम से एक गंभीर संप्रभु आश्वासन दिया कि यदि सलेम को भारत में मुकदमे के लिए प्रत्यर्पित किया जाता है, तो उसे न तो मृत्युदंड दिया जाएगा और न ही कारावास के अधीन किया जाएगा। उसकी कैद 25 साल से अधिक नहीं बढ़ाई जा सकती। टाडा अदालत द्वारा की गई एक और त्रुटि की ओर इशारा करते हुए याचिका में कहा गया है : “टाडा कोर्ट द्वारा की गई त्रुटि ‘सेट ऑफ’ के मुद्दे के संबंध में थी। अपीलकर्ता के अनुसार हालांकि वह पुर्तगाल में पासपोर्ट उल्लंघन के कुछ अपराधों के आरोप में हिरासत में था। अपीलकर्ता को 18 सितंबर, 2002 को मुंबई के नामित न्यायालय द्वारा जारी रेड कॉर्नर नोटिस पर हिरासत में लिया गया था।
दलील में कहा गया है कि भले ही उस तारीख को ‘सेट ऑफ’ के प्रयोजनों को ध्यान में नहीं रखा जाना चाहिए, मगर 28 मार्च, 2003 को न्याय मंत्रालय, पुर्तगाल के मंत्रिस्तरीय आदेश को स्वीकार किया था, जिसमें उसके प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध किया गया था। भारत सरकार को विभिन्न अपराधों के लिए मुकदमा चलाने के लिए इसे ध्यान में रखना चाहिए था।
टाडा कोर्ट ने हालांकि माना कि चूंकि अपीलकर्ता को 12 अक्टूबर, 2005 को पुर्तगाल मामले में रिहा कर दिया गया था, इसलिए सेट ऑफ के प्रयोजनों के लिए हिरासत की गणना 12 अक्टूबर, 2005 से की जाएगी।
मल्होत्रा ने कहा कि कारावास प्रमाणपत्र के अनुसार, उनके मुवक्किल ने नवंबर, 2005 से अपनी सेट ऑफ अवधि की गणना करके लगभग 17 साल की सजा काट ली है, जबकि उनकी सेट ऑफ अवधि की गणना 28 मार्च, 2003 से की जानी चाहिए।
सलेम को 2005 में भारत लाया गया था और 1993 के मुंबई विस्फोटों में उसकी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
अपराध
मुंबई अपराध: कुर्ला में एचडीआईएल कंपाउंड स्थित एसआरए बिल्डिंग में 32 वर्षीय बीएमसी कर्मचारी मृत मिला; पुलिस ने जांच शुरू की

मुंबई: पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) का एक 32 वर्षीय कर्मचारी गुरुवार दोपहर कुर्ला (पश्चिम) स्थित एचडीआईएल कंपाउंड स्थित स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (एसआरए) परियोजना की बिल्डिंग नंबर 9 में मृत पाया गया। घटना की सूचना वीबी नगर पुलिस स्टेशन को शाम करीब 4:30 बजे मिली।
पुलिस के अनुसार, मृतक की पहचान घाटकोपर क्षेत्र निवासी राजेश परमार के रूप में हुई है, जो बीएमसी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट (एसडब्ल्यूएम) विभाग, एफ नॉर्थ वार्ड में काम करता था।
शव को पोस्टमॉर्टम के लिए राजावाड़ी अस्पताल भेज दिया गया है। मौत का सही कारण अभी अज्ञात है और आगे की जाँच जारी है।
अपराध
मुंबई क्राइम ब्रांच ने हाई-प्रोफाइल अपहरण और जबरन वसूली मामले में 1,900 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया

मुंबई: मुंबई क्राइम ब्रांच ने एक हाई-प्रोफाइल अपहरण और जबरन वसूली मामले में 14 गिरफ्तार और 5 वांछित आरोपियों के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत 1,900 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया है। विशेष मकोका अदालत में पेश किए गए आरोपपत्र में 45 गवाहों के बयान शामिल हैं।
जाँच के अनुसार, शिकायतकर्ता शब्बीर हुसैन मुबारक सिद्दीकी (45) ने आरोप लगाया कि उसके दोस्त साजिद इलेक्ट्रिकवाला ने 31 मार्च, 2025 को सरवर खान से एक अवैध एमडी (मेफेड्रोन) दवा निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए ₹50 लाख लिए थे। जब साजिद ने दवाइयाँ नहीं दीं और पैसे वापस नहीं किए, तो सरवर खान ने यूनुस थाईचारपिल और अन्य साथियों के साथ मिलकर 12 जून, 2025 को अंधेरी (पश्चिम) स्थित होटल अलीबाबा से सिद्दीकी और साजिद का अपहरण कर लिया। दोनों को नेरल के एक कमरे में ले जाया गया, जहाँ उनके साथ मारपीट की गई और उन्हें बंधक बना लिया गया।
14 जून, 2025 को सुबह लगभग 2:30 बजे, सिद्दीकी पीछे की खिड़की से भागने में कामयाब रहा, लेकिन साजिद बंदी बना रहा। अपने दोस्त की जान को खतरा होने पर, सिद्दीकी ने ओशिवारा पुलिस से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 111, 115(2), 127, 140(1), 140(2), 189(2) और 190 के तहत मामला दर्ज किया गया।
बाद में, वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर, मामला अपराध शाखा के जबरन वसूली निरोधक प्रकोष्ठ (यूनिट 3) को स्थानांतरित कर दिया गया, जहाँ इसे पुनः पंजीकृत किया गया। जाँच के दौरान, पुलिस ने 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया और गिरोह के सरगना के रूप में मोहम्मद तौसीफ उर्फ तौसीफ मचांडी की पहचान की। साक्ष्यों से पता चला कि आरोपियों ने जबरन वसूली और मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल एक संगठित अपराध गिरोह बनाया था।
आरोपियों के खिलाफ मकोका अधिनियम, 1999 की धारा 3(1)(ii), 3(2) और 3(4) के तहत आरोप लगाए गए। 9 अक्टूबर को दायर आरोपपत्र में बीएनएस 2023 की धारा 111, 115(2), 127, 140(1), 140(2), 189(2), 189(4), 190, 305(5), 61(2) के साथ-साथ आर्म्स एक्ट की धारा 3(25), मुंबई पुलिस अधिनियम की धारा 37(1)(ए), 135, मकोका अधिनियम की धारा 3(1)(ii), 3(2), 3(4) और एनडीपीएस अधिनियम की धारा 27ए के तहत आरोप शामिल हैं।
अपराध
झारखंड के चतरा में कमरे से मिला सिविल इंजीनियर का शव, जांच में जुटी पुलिस

चतरा, 10 अक्टूबर : झारखंड के चतरा जिले के सिमरिया थाना क्षेत्र में एक सिविल इंजीनियर का शव उनके कमरे से बरामद हुआ है। मृतक की पहचान बिहार के मधेपुरा निवासी दिलनवाज के रूप में की गई है। वह पीरी गांव में निर्माणाधीन संकट मोचन मंदिर के कन्स्ट्रक्शन का सुपरविजन कर रहे थे और यहां एक किराए के मकान में रहते थे।
घटना की सूचना मिलने के बाद सिमरिया थाना प्रभारी पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए चतरा सदर अस्पताल भेजा। मृतक के बिस्तर के नीचे से कई दवाएं बरामद की गई हैं। पुलिस को उनके घुटनों पर चोट के निशान और मलहम-पट्टी के सबूत भी मिले हैं, जिससे उनकी मौत को लेकर संदेह गहराया है।
सिमरिया थाने के एक पुलिस अफसर ने बताया कि प्रारंभिक जांच के अनुसार, दिलनवाज पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे और नियमित रूप से दवाएं ले रहे थे। हालांकि, चोट के निशान और बरामद दवाओं के बाद पुलिस ने मामले को संदिग्ध मानते हुए जांच शुरू कर दी है।
उन्होंने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के वास्तविक कारणों का पता चल सकेगा। पुलिस ने आसपास के लोगों से पूछताछ शुरू कर दी है। ग्रामीणों के अनुसार, दिलनवाज पिछले कुछ महीनों से गांव में रहकर मंदिर निर्माण की निगरानी कर रहे थे और ज्यादातर समय साइट पर ही रहते थे। उनके अचानक निधन से स्थानीय लोग भी सदमे में हैं। उनके परिजनों को भी घटना की सूचना दे दी गई है।
फिलहाल, पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि यह स्वाभाविक मौत है या इसके पीछे कोई और वजह है। मौके से जुटाए गए साक्ष्यों और दवाओं के नमूनों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद ही मामले की वास्तविक स्थिति स्पष्ट होगी।
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