अपराध
सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर सिंह मामले में सीबीआई जांच के संकेत दिए, चार्जशीट पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र पुलिस को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ दर्ज सभी प्राथमिकी के संबंध में चार्जशीट दाखिल करने से रोक दिया, लेकिन अदालत ने जांच को आगे बढ़ाने की अनुमित प्रदान की है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रथम ²ष्टया उसका विचार है कि सिंह के खिलाफ जांच किसी अन्य एजेंसी द्वारा की जानी चाहिए न कि राज्य पुलिस द्वारा।
न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश के साथ ही न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कदाचार और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सिंह के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी की जांच के संबंध में सीबीआई से उसके विचार भी मांगे।
सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत बाली ने दलील दी कि महाराष्ट्र सरकार और डीजीपी ने जवाब दाखिल कर दिया है, लेकिन सीबीआई ने अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया है। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या सीबीआई इस मामले को उठा सकती है, क्योंकि वह पहले से ही अन्य पहलुओं पर गौर कर रही है?
मेहता ने मौखिक रूप से प्रस्तुत किया इसमें कोई समस्या नहीं है। एक लिखित जवाब में, महाराष्ट्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा है कि मामलों की सीबीआई जांच की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि ये सेवा (सर्विस) के मामले हैं और सिंह एक व्हिसलब्लोअर भी नहीं हैं।
महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस कंबट्टा ने प्रस्तुत किया कि सिंह की याचिका विचारणीय नहीं है, क्योंकि यह विभागीय जांच के खिलाफ एक सेवा विवाद है, जिसे केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के समक्ष लड़ा जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति कौल ने कहा, प्रथम ²ष्टया हमें इसे स्वीकार करना मुश्किल लगता है। उन्होंने कहा कि चूंकि मामला पहले ही सीबीआई को सौंपा जा चुका है, तो यह भी उन्हें क्यों नहीं सौंपा जा सकता?
पीठ ने आगे मौखिक रूप से कहा कि यह केवल पूर्वाग्रह की संभावना से संबंधित है। बाली ने पीठ को बताया कि महाराष्ट्र सरकार उनके मुवक्किल के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण काम कर रही है।
शीर्ष अदालत ने राज्य पुलिस को अपनी जांच जारी रखने का निर्देश दिया, लेकिन इस मामले में आरोप पत्र दाखिल करने से रोक दिया।
पीठ ने कहा, चूंकि याचिकाकर्ता जांच में शामिल हुआ है, जांच जारी रखें, लेकिन कोई चालान जारी नहीं किया जाए।
इसने सीबीआई को एक सप्ताह के भीतर अपना हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 11 जनवरी को निर्धारित की। शीर्ष अदालत ने पहले सिंह को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया था, जो जारी रहेगा।
शीर्ष अदालत बंबई उच्च न्यायालय के 16 सितंबर के फैसले के खिलाफ सिंह द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य के गृह मंत्रालय द्वारा कथित रूप से सेवा नियमों का उल्लंघन करने के तौर पर चुनौती देने वाली उनकी रिट याचिका को खारिज कर दिया गया था।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
मुंबई: अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, वर्षों से दे रहा था धोखा

मुंबई, 16 अक्टूबर: मुंबई की सहार पुलिस ने एक बांग्लादेशी नागरिक को हिरासत में लिया है, जो करीब दो दशकों से अवैध रूप से भारत में रह रहा था। आरोपित की पहचान एमडी इक्लाज मोल्ला एमडी बाजिलियर मोल्ला के रूप में हुई है। वह 2005 में अवैध तरीके से भारत आया था।
पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि मोल्ला ने साल 2014 में कोलकाता पासपोर्ट कार्यालय में फर्जी नाम और पते सहित कई गलत जानकारी देकर धोखे से भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया था। कथित तौर पर, उसने इस जाली पासपोर्ट का इस्तेमाल करके कई बार विदेश यात्राएं भी कीं।
मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को तब हुई जब 14 अक्टूबर 2025 को उसने इंडिगो की उड़ान 6ई-1236 से कुवैत से मुंबई जाने की कोशिश की, लेकिन मुंबई हवाई अड्डे पर इमीग्रेशन अधिकारियों ने उसे रोक लिया।
अधिकारियों ने बताया कि धोखाधड़ी से हासिल किए गए भारतीय पासपोर्ट का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए करके, आरोपी ने भारतीय पासपोर्ट प्राधिकरण और मुंबई आव्रजन विभाग, दोनों को धोखा दिया।
अधिकारी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद, सहार पुलिस स्टेशन ने आरोपी के खिलाफ बीएनएस की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
मोल्ला पिछले ग्यारह सालों से कुवैत में नौकरी कर रहा था और वहां उसने खुद को भारतीय नागरिक बताकर कुवैती विदेश मंत्रालय के माध्यम से अपने भारतीय पासपोर्ट का नवीनीकरण भी करवाता रहा। इसी नकली पासपोर्ट का इस्तेमाल करके उसने कुवैत में नौकरी हासिल की और कोलकाता में संपत्ति भी खरीदी थी।
फिलहाल पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि इस बांग्लादेशी नागरिक ने भारतीय नागरिकता के दस्तावेज कैसे हासिल किए और बार-बार अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कैसे कीं। यह मामला भारतीय आव्रजन और पासपोर्ट प्रणाली में सेंधमारी के गंभीर सवाल खड़े करता है। उसे अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने और बिना अनुमति के रहने के आरोप में हिरासत में लिया गया है और अब उसे डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
अपराध
महाराष्ट्र : सपा नेता फहद आजमी पर मारपीट का आरोप, पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की

FIR
महाराष्ट्र, 15 अक्टूबर: मुंबई के गोवंडी इलाके में बैगनवाड़ी डंपिंग ग्राउंड पर बने एक ओपन जिम के उद्घाटन समारोह में उस समय तनाव पैदा हो गया, जब समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता फहद आजमी पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। उस वक्त पार्टी विधायक तथा महाराष्ट्र अध्यक्ष अबू आसिम आजमी भी मौके पर मौजूद थे।
मामला तब शुरू हुआ जब अब्दुल करीम बादशाह खान नामक एक युवक विधायक अबू आजमी के साथ फोटो खिंचवाने गया था। उसी समय वहां पर मौजूद करीम ने आरोप लगाया कि सपा नेता फहद आजमी और उनके साथियों ने उसे धक्का दिया और हमला कर भी किया, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं। फिर देखते ही देखते यह घटना दो समूहों के बीच हिंसक झड़प में बदल गई।
इस मामले में मुंबई की शिवाजीनगर पुलिस ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं और जांच शुरू कर दी है।
पहली एफआईआर करीम की शिकायत पर दर्ज की गई है, जिसमें समाजवादी पार्टी के नेता फहद आजमी और दो अज्ञात लोगों पर मारपीट करने और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया गया है।
करीम ने तहरीर में बताया कि 13 अक्टूबर की शाम जब वह अबू आजमी के साथ फोटो खिंचवाने आगे बढ़ा, तो फहद आजमी ने उसे धक्का दिया और कान पर थप्पड़ जड़ा था। इसके बाद फहद के साथ मौजूद दो अज्ञात व्यक्तियों ने भी उसकी पिटाई कर दी।
वहीं, दूसरी एफआईआर सपा कार्यकर्ता की शिकायत पर दर्ज कराई गई है, जिसमें करीम और उसके तीन साथियों पर मारपीट और डकैती का आरोप लगाया गया है। शेख ने बताया कि उद्घाटन समारोह के बाद, बुर्का पहने एक महिला ने विधायक को इलाके में हो रही बदमाशी की शिकायत की थी।
पुलिस ने दोनों मामलों में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह घटना विधायक की पुलिस सुरक्षा में चूक को लेकर भी गंभीर चिंताएं पैदा करती है, क्योंकि हिंसा उनके काफिले के ठीक बीच में भड़की थी।
अपराध
मुंबई : 48 साल से फरार हत्या के प्रयास का आरोपी गिरफ्तार, 1977 में दर्ज हुआ था मामला

मुंबई, 15 अक्टूबर: मुंबई पुलिस ने हत्या के प्रयास के एक ऐसे आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो पिछले 48 सालों से फरार था। कोलाबा पुलिस ने 71 वर्षीय चंद्रशेखर मधुकर कालेकर को लालबाग से गिरफ्तार किया है, जिसके खिलाफ 1977 में मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस के अनुसार, 1977 में, जब वह 23 वर्ष का था, कालेकर को अपनी प्रेमिका पर धोखा देने का शक हुआ और उसने कथित तौर पर कोलाबा में उसे चाकू मार दिया। उस समय उसे गिरफ्तार किया गया, लेकिन बाद में कोर्ट से जमानत मिल गई।
हालांकि, जमानत पर रिहा होने के बाद वह किसी भी अदालती तारीख पर हाजिर नहीं हुआ। इसके चलते अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था और पुलिस कई सालों से उसकी तलाश कर रही थी, लेकिन चॉल के पुनर्विकास के कारण वह कई बार ठिकाना बदल चुका था, जिससे पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली।
छह महीने पहले कोलाबा पुलिस ने इस पुराने मामले को फिर से खोला। टीम ने लालबाग स्थित उसके पुराने घर का दौरा किया, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। पुलिस ने मुंबई के कई इलाकों में उसकी खोज की, मतदाता सूची की जांच की, लेकिन उसका नाम कहीं नहीं मिला।
जांच के दौरान, पुलिस ने आरटीओ और अदालती मामलों की जानकारी के लिए आवेदनों की जांच की, जिसमें रत्नागिरी जिले के दापोली पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ दर्ज 2015 के एक आपराधिक मामले का रिकॉर्ड मिला, जिसमें गाड़ी चलाते समय एक व्यक्ति को घायल करने के आरोप में उसकी गिरफ्तारी हुई थी।
दापोली पुलिस स्टेशन से मिली जानकारी के आधार पर, कोलाबा पुलिस की एक टीम उसके घर पहुंची और उसे गिरफ्तार कर लिया। 48 साल बाद पुलिस को अपने दरवाजे पर देखकर 71 वर्षीय कालेकर हैरान रह गया और लगभग उस मामले को भूल चुका था।
पुलिस अधिकारी के अनुसार, पुरानी तस्वीरों से उसे पहचानना मुश्किल था, लेकिन पूछताछ करने पर उसने अपराध स्वीकार कर लिया। आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
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