पर्यावरण
मुंबई मौसम अपडेट: शहर में बादल छाए रहने के कारण वायु गुणवत्ता में गिरावट आई है और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अस्वस्थ श्रेणी में पहुंच गया है।
WETHER
मुंबई, 23 दिसंबर: मंगलवार सुबह मुंबई में वायु गुणवत्ता बेहद खराब रही। शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 154 दर्ज किया गया, जो इसे अस्वास्थ्यकर श्रेणी में रखता है। आंकड़ों से पता चलता है कि धूल कणों का स्तर निवासियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है, खासकर सुबह के शुरुआती घंटों में जब प्रदूषण अपने चरम पर होता है।
पीएम2.5 का स्तर 64 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर मापा गया, जबकि पीएम10 का स्तर 84 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, जो दोनों ही सुरक्षित सीमा से काफी अधिक हैं। हालांकि समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) महाराष्ट्र के औसत से थोड़ा कम था, विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों सहित संवेदनशील समूहों पर अभी भी बुरा असर पड़ सकता है।
प्रमुख प्रदूषकों में, धूल कण ही खराब वायु गुणवत्ता का मुख्य कारण बने रहे। कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर 284 पार्ट्स प्रति बिलियन दर्ज किया गया, जबकि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर 21 पार्ट्स प्रति बिलियन रहा। सल्फर डाइऑक्साइड और ओजोन का स्तर अपेक्षाकृत कम रहा, जिससे हवा में महीन धूल कणों की अधिकता से कोई खास राहत नहीं मिली।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने निवासियों को सलाह दी है कि वे लंबे समय तक बाहरी गतिविधियों से बचें, खासकर व्यस्त यातायात के समय में। सांस लेने में तकलीफ या जलन महसूस करने वालों के लिए मास्क और घर के अंदर वायु शोधक (एयर प्यूरीफायर) का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है।
मुंबई में सुबह के समय मौसम अधिकतर बादलों से घिरा रहा और तापमान 23 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा। आर्द्रता का स्तर 39 से 44 प्रतिशत के बीच रहा, जिससे दिन भर हवा थोड़ी भारी लेकिन आरामदायक बनी रही।
10 से 14 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं के कारण प्रदूषकों का फैलाव सीमित रहा, जिससे संभवतः हवा स्थिर रही। यूवी सूचकांक एक पर कम बना रहा, जिससे धूप के संपर्क में आने से संबंधित चिंताएं कम हुईं।
आगामी सप्ताह के लिए मौसम स्थिर रहने का अनुमान है और भारी बारिश की संभावना नहीं है। दिन का तापमान लगभग 29 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की उम्मीद है, जबकि रात का तापमान अपेक्षाकृत ठंडा रहेगा और 21 से 22 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा।
सप्ताह के मध्य से अधिकतर धूप खिलने की संभावना है, जिससे दृश्यता में धीरे-धीरे सुधार हो सकता है, लेकिन हवा के रुख में बदलाव होने तक वायु प्रदूषण का स्तर तुरंत कम नहीं होगा। शीत ऋतु की स्थिति बनी रहने के कारण अधिकारी प्रदूषण के स्तर पर लगातार नजर रख रहे हैं।
पर्यावरण
एनसीआर में प्रदूषण की मार से बेहाल जनता, दिसंबर भर रेड जोन में रही हवा

नई दिल्ली, 24 दिसंबर: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण ने इस दिसंबर आम लोगों की सांसें पूरी तरह से जकड़ दी हैं। पूरे महीने के दौरान एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) ऑरेंज जोन में पहुंचा हो।
दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के लगभग सभी निगरानी केंद्र लगातार रेड जोन और कई स्थानों पर सीवियर कैटेगरी में दर्ज किए गए। दिल्ली के विभिन्न इलाकों में एक्यूआई बेहद खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। नेहरू नगर में एक्यूआई 392, पुसा (डीपीसीसी) में 383, मुंडका में 378, ओखला फेज-2 में 374, विवेक विहार में 373, वजीरपुर में 368, रोहिणी में 367 और पंजाबी बाग में 366 दर्ज किया गया। नरेला में एक्यूआई 346 और नजफगढ़ में 311 रहा, जबकि शादिपुर में 310 और नॉर्थ कैंपस डीयू में 324 रिकॉर्ड किया गया।
इन सभी आंकड़ों के अनुसार दिल्ली की हवा लगातार रेड जोन में बनी हुई है। नोएडा की स्थिति भी इससे अलग नहीं है। सेक्टर-1 नोएडा में एक्यूआई 392, सेक्टर-125 में 349, सेक्टर-116 में 357 दर्ज किया गया, जबकि सेक्टर-62 नोएडा में एक्यूआई 296 रहा, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है। ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-5 में एक्यूआई 354 और नॉलेज पार्क-3 में 321 दर्ज किया गया। गाजियाबाद में भी प्रदूषण गंभीर बना हुआ है। वसुंधरा में एक्यूआई 371, संजय नगर में 335, लोनी में 270 और इंदिरापुरम में 240 रिकॉर्ड किया गया।
विशेषज्ञों के मुताबिक यह स्तर बच्चों, बुजुर्गों और सांस के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है। मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में प्रदूषण से राहत की कोई उम्मीद नहीं है। 24 और 25 दिसंबर को मध्यम कोहरा रहने की संभावना जताई गई है, जबकि 26 दिसंबर को घना कोहरा पड़ने का पूर्वानुमान है। तापमान 19 डिग्री अधिकतम और 7 से 9 डिग्री न्यूनतम रहने की संभावना है, वहीं आर्द्रता 95 से 100 प्रतिशत तक बनी रहेगी, जिससे प्रदूषण और अधिक समय तक वातावरण में फंसा रहेगा।
प्रदूषण के चलते अस्पतालों में सांस, आंखों में जलन, खांसी और अस्थमा के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कई सरकारी और निजी अस्पतालों की ओपीडी में प्रदूषण से संबंधित मरीजों की संख्या में 40 से 50 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है। गंभीर हालात को देखते हुए एनसीआर के कई स्कूलों में हाइब्रिड और ऑनलाइन मोड में ही कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। विशेषज्ञों ने लोगों को अनावश्यक रूप से बाहर न निकलने, मास्क पहनने और बच्चों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है।
पर्यावरण
अरावली को बचाने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है : भूपेंद्र यादव

नई दिल्ली, 23 दिसंबर: अरावली पर्वत श्रृंखला को लेकर उठ रहे सवालों और देशभर में चल रही चर्चाओं के बीच सरकार का पक्ष जानना अहम हो गया है। इसी संदर्भ में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने न्यूज एजेंसी मीडिया से विशेष बातचीत की और अरावली से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात स्पष्ट रूप से रखी। इस बातचीत में उन्होंने सरकार की मंशा, नीतिगत सोच और पर्यावरण संरक्षण को लेकर उठाए जा रहे कदमों पर विस्तार से चर्चा की। प्रस्तुत हैं इस खास बातचीत के प्रमुख अंश।
सवाल: अरावली को बचाने की बात अब पूरे देश में हो रही है। क्या यह सिर्फ अरावली तक सीमित मुद्दा है?
जवाब: अरावली को बचाना केवल एक पहाड़ी श्रृंखला को बचाने का सवाल नहीं है। यह देश के पर्यावरण, जल सुरक्षा और पारिस्थितिकी संतुलन से जुड़ा विषय है। सरकार अरावली के संरक्षण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट फैसला भी आ चुका है। खनन के उद्देश्य से अरावली और अरावली पहाड़ियों की परिभाषा तय की गई है। सबसे अहम बात यह है कि अवैध खनन पर पूरी तरह रोक लगे। जब तक एक वैज्ञानिक और ठोस मैनेजमेंट प्लान नहीं बन जाता, तब तक किसी भी तरह के नए खनन की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस योजना को तैयार करने की जिम्मेदारी आईसीएफआरई को सौंपी गई है।
सवाल: क्या सुप्रीम कोर्ट ने अरावली में किसी तरह की छूट दी है?
जवाब: नहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से कोई छूट नहीं मिली है। कोर्ट ने दो अहम बातें कही हैं। पहली, पर्यावरण मंत्रालय के ‘ग्रीन अरावली प्रोजेक्ट’ को मान्यता दी गई है। दूसरी, आईसीएफआरआई को यह जिम्मेदारी दी गई है कि जब तक पूरी वैज्ञानिक योजना नहीं बन जाती, तब तक कोई नया खनन नहीं होगा। इस योजना में अरावली पहाड़ियों और पूरे अरावली क्षेत्र की पहचान की जाएगी, उनकी इको-सेंसिटिविटी तय की जाएगी और उसके बाद ही आगे कोई निर्णय लिया जाएगा। यह फैसला अवैध खनन को रोकने और भविष्य में केवल सस्टेनेबल तरीके से खनन की अनुमति देने के लिए है।
सवाल: कहा जा रहा है कि पहली बार अरावली में 100 मीटर ऊंची पहाड़ियों तक खनन की अनुमति दी जाएगी। क्या यह सच है?
जवाब: यह बात पूरी तरह गलत तरीके से फैलाई जा रही है। 100 मीटर ऊंचाई की कोई अलग से अनुमति नहीं दी गई है। दरअसल, अरावली पहाड़ी की पहचान की जा रही है। यह ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर का सवाल नहीं है, बल्कि धरातल से जुड़े वैज्ञानिक मानकों का मामला है। अगर कोई पहाड़ी 200 मीटर ऊंची है, तो उसके आसपास का 500 मीटर का इलाका भी अरावली रेंज का हिस्सा माना जाएगा। जहां तक संरक्षित क्षेत्रों की बात है, वे पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। खेती योग्य भूमि का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा खनन क्षेत्र से बाहर रहेगा।
सवाल: इसे 100 मीटर के रूप में कैसे परिभाषित किया जाएगा, ऊपर से या नीचे से?
जवाब: इसे ऊपर या नीचे से नहीं, बल्कि उस जिले की भौगोलिक संरचना के आधार पर तय किया जाएगा। यानी सबसे निचले जमीनी स्तर से ऊपर तक की पूरी संरचना को ध्यान में रखकर परिभाषा तय होगी।
सवाल: सुप्रीम कोर्ट में पर्यावरण मंत्रालय का रुख क्या नया है या यह पहले से चला आ रहा है?
जवाब: अवैध खनन को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एफएसआई, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और सीईसी के साथ मिलकर एक संयुक्त समिति बनाई थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी, जिसके आधार पर यह फैसला आया। यह कोई नया रुख नहीं है, बल्कि लंबे समय से चल रही प्रक्रिया का नतीजा है।
सवाल: कांग्रेस सरकार के समय अरावली में खनन की स्थिति क्या थी?
जवाब: उस समय बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा था। इसी वजह से लोग अदालत गए थे और यह याचिका भी उसी दौर की है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद खनन को सतत, वैज्ञानिक, पर्यावरणीय और सीमित तरीके से लागू किया जाएगा ताकि अरावली को बचाया जा सके।
सवाल: आपने 2018 में कहा था कि खनन की वजह से 31 पहाड़ पूरी तरह खत्म हो गए। अगर खनन से पहाड़ खत्म होंगे तो क्या होगा?
जवाब: इसी कारण हर जिले के लिए अलग-अलग मैनेजमेंट प्लान बनाया जाएगा। बिना वैज्ञानिक योजना के किसी भी तरह की गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी। उद्देश्य पहाड़ों और पर्यावरण को बचाना है।
सवाल: कहा जा रहा है कि चित्तौड़गढ़ और माधोपुर को नए मैनेजमेंट प्लान से बाहर रखा गया है। इसमें कितनी सच्चाई है?
जवाब: यह पूरी तरह गलत है। अरावली के सभी हिस्सों को इस योजना में शामिल किया जाएगा। किसी भी जिले या क्षेत्र को बाहर नहीं रखा जा रहा है।
सवाल: आप कह रहे हैं कि अरावली को लेकर एक तरह का भ्रम फैलाया जा रहा है। क्या इसके पीछे विदेशी फंडिंग का हाथ है?
जवाब: जो लोग झूठ फैला रहे हैं, वे अपनी मर्जी से ऐसा कर रहे हैं। लेकिन वे सफल नहीं हो रहे हैं। अब जनता को सच्चाई समझ में आ गई है।
सवाल: क्या यह वही स्थिति है जैसी कभी नर्मदा परियोजना को लेकर गुजरात में बनाई गई थी?
जवाब: यह कांग्रेस के राजनीतिक माहौल में फैलाया गया एक और झूठ है। लेकिन अब लोग सच्चाई पहचान चुके हैं।
सवाल: एक समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कुडनकुलम प्लांट के विरोध में एनजीओ सिस्टम की बात की थी और विदेशी एजेंसियों का जिक्र किया था। क्या अरावली के मामले में भी ऐसा कुछ है?
जवाब: अरावली को लेकर राजनीतिक विरोधी भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनका यह भ्रम पूरी तरह नाकाम हो गया है। सरकार पूरी पारदर्शिता और वैज्ञानिक सोच के साथ अरावली के संरक्षण के लिए काम कर रही है।
पर्यावरण
मुंबई मौसम अपडेट (19 दिसंबर, 2025): शहर में सुबह के समय धुंध छाई रहेगी, वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार होगा; AQI 182 पर खराब श्रेणी में रहेगा।

WETHER
मुंबई: शुक्रवार की सुबह मुंबई में मौसम सुहाना और ताजगी भरा था। आसमान साफ था, हल्की सर्दी की हवा चल रही थी और नमी भी अपेक्षाकृत कम थी, जिससे शहर की सामान्य गर्मी से कुछ राहत मिली। हालांकि, यह सुखद शुरुआत ज्यादा देर तक नहीं टिकी, क्योंकि धीरे-धीरे आसमान में धुंध की एक परत छा गई, जिससे दृश्यता कम हो गई और एक बार फिर शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण के संकट की ओर इशारा मिला।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने वित्तीय राजधानी के लिए सुहावने मौसम का पूर्वानुमान लगाया था, जिसमें धूप खिली रहने और तापमान 18°C से 33°C के बीच रहने की संभावना जताई गई थी। हालांकि मौसम अनुकूल बना रहा, लेकिन वायु गुणवत्ता जल्द ही शहर की प्रमुख चिंता का विषय बन गई।
वायु गुणवत्ता निगरानी प्लेटफॉर्म AQI.in के आंकड़ों के अनुसार, मुंबई का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) सुबह के समय 182 था, जो इसे ‘खराब’ श्रेणी में रखता है। हालांकि नवंबर के अंत और दिसंबर की शुरुआत में दर्ज किए गए खतरनाक स्तरों से इसमें मामूली सुधार हुआ है, फिर भी हवा अस्वास्थ्यकर बनी हुई है, खासकर बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और श्वसन या हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों जैसे संवेदनशील समूहों के लिए।
मुंबई में वर्तमान में कई बड़े पैमाने पर अवसंरचना परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें मेट्रो रेल कॉरिडोर, फ्लाईओवर, तटीय सड़क विस्तार और व्यापक सड़क चौड़ीकरण कार्य शामिल हैं। इसके अलावा, निजी रियल एस्टेट के आक्रामक विकास ने धूल उत्सर्जन को और बढ़ा दिया है। व्यस्त यातायात के समय वाहनों से होने वाला प्रदूषण वायु गुणवत्ता को और खराब कर रहा है, विशेष रूप से व्यस्त चौराहों और मुख्य सड़कों पर।
शहर भर में कई स्थान प्रदूषण के प्रमुख केंद्र बनकर उभरे। वडाला ट्रक टर्मिनल में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 362 दर्ज किया गया, जो स्वस्थ व्यक्तियों को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। चारकोप में AQI 260 और कोलाबा में 240 दर्ज किया गया, दोनों ही ‘अस्वास्थ्यकर’ श्रेणी में आते हैं। देवनार में AQI 217 और चेंबूर (एक प्रमुख वाणिज्यिक और आवासीय क्षेत्र) में 213 दर्ज किया गया।
उपनगरीय क्षेत्रों में अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति देखी गई, लेकिन फिर भी वे सुरक्षित श्रेणी से काफी दूर रहे। कांदिवली पूर्व में AQI 75 दर्ज किया गया, जबकि परेल-भोईवाड़ा और अंधेरी पश्चिम में क्रमशः 95 और 97 दर्ज किए गए, जो सभी ‘मध्यम’ श्रेणी में आते हैं। हालांकि, जोगेश्वरी और गोरेगांव जैसे क्षेत्रों में AQI 113 के साथ ‘खराब’ श्रेणी में आ गया।
संदर्भ के लिए, AQI मान 0 से 50 के बीच अच्छा माना जाता है, 51-100 मध्यम, 101-150 खराब, 151-200 अस्वस्थ और 200 से ऊपर का स्तर खतरनाक माना जाता है।
-
व्यापार6 years agoआईफोन 12 का उत्पादन जुलाई से शुरू होगा : रिपोर्ट
-
अपराध3 years agoभगौड़े डॉन दाऊद इब्राहिम के गुर्गो की ये हैं नई तस्वीरें
-
महाराष्ट्र6 months agoहाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी किया, मस्जिदों के लाउडस्पीकर विवाद पर
-
अनन्य3 years agoउत्तराखंड में फायर सीजन शुरू होने से पहले वन विभाग हुआ सतर्क
-
न्याय1 year agoमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ हाईकोर्ट में मामला दायर
-
अपराध3 years agoबिल्डर पे लापरवाही का आरोप, सात दिनों के अंदर बिल्डिंग खाली करने का आदेश, दारुल फैज बिल्डिंग के टेंट आ सकते हैं सड़कों पे
-
अपराध3 years agoपिता की मौत के सदमे से छोटे बेटे को पड़ा दिल का दौरा
-
राष्ट्रीय समाचार10 months agoनासिक: पुराना कसारा घाट 24 से 28 फरवरी तक डामरीकरण कार्य के लिए बंद रहेगा
