अपराध
इबादत गाह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जमीयत उलेमा-ए-हिंद
ज्ञान वापी मस्जिद मामला और इबादतगाह कानून (पूजास्थल कानून) के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। जमियत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस मामले पर गर्मी के अवकाश के बाद सुनवाई की उम्मीद है।
जमीयत के मुताबिक, ज्ञान वापी मस्जिद का मामला वाराणसी जिला न्यायालय में लंबित है, जबकि सर्वोच्च न्यायालय में एक से अधिक ऐसी याचिकाएं दायर की गई हैं जिनमें न्यायालय को पूजा स्थल अधिनियम ( प्लेस आफ वरशिप एक्ट )को असंवैधानिक घोषित करने के लिए कहा गया है। वर्ष 2020 में पूजा स्थल अधिनियम को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गईं थीं जिस में से एक याचिका को न्यायालय ने कुबूल करते हुए केंद्रीय सरकार को नोटिस जारी किया था। यह याचिका भारतीय जनता पार्टी से संबंधित अश्विनी कुमार उपाध्याय (एडवोकेट) ने दायर की थी।
जमीयत की कानूनी सहायता समिति के अध्यक्ष गुलजार आजमी ने बताया कि उक्त याचिका का विरोध करने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड एजाज मकबूल के जरिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिस पर गर्मी के अवकाश के बाद सुनवाई होने की उम्मीद है।
आजमी ने कहा, जमीयत उलेमा-ए-हिंद बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि संपत्ति विवाद मामले में एक प्रमुख पक्ष था। जिस मैं प्लेस आफ वरशिप एक्ट की धारा 4 को स्वीकार कर लिया गया है और इस कानून की संवैधानिक स्थिति को सर्वोच्च न्यायालय ने भी मान्यता दी है। इसलिए अब इस कानून को चुनौती देकर एक बार फिर देश की शांति भंग करने का प्रयास किया जा रहा है।
याचिका में कहा गया है, पूजा स्थल अधिनियम 1991को लागू करने के दो उद्देश्य थे। पहला उद्देश्य था किसी भी धार्मिक स्थल की तबदीली को रोकना और दूसरा उद्देश्य पूजा स्थलों को उसी में रखना था जिस स्थिति या रूप में वे 1947 में थे और इन दोनों उद्देश्यों को बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि संपत्ति मामले के फैसले में अदालत द्धारा बरकरार रखा गया था।
साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है, प्लेस आफ वरशिप कानून भारत के संविधान की मूल संरचना को मजबूत करता है, इसका उल्लेख बाबरी मस्जिद मामले के फैसले में किया गया है। (पैराग्राफ99, पृष्ठ 250) और इस कानून की रक्षा करना धर्मनिरपेक्ष देश की जिम्मेदारी है की वह सभी धार्मिक स्थलों की रक्षा करे और बाबरी मस्जिद मामले के फैसले में पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने पूजा स्थल अधिनियम का विस्तृत विश्लेषण किया है, जिस के अनुसार यह कानून भारत के संविधान की नींव को मजबूत करने के साथ साथ इसकी रक्षा भी करता है और इस कानून की धारा 4 पूजा स्थलों के रूपांतरण पर रोक लगाती है।
यह कानून बनाकर सरकार ने सभी धर्मों के लोगों के पूजा स्थलों की रक्षा करने की संवैधानिक जिम्मेदारी ली है कि वह सभी धर्मो के पूजा स्थलों की रक्षा की जिम्मेदारी लेगी और इस कानून को बनाने का उद्देश्य ही धर्मनिरपेक्षता की नींव को मजबूत करना है
अपराध
दिल्ली: संगम विहार थाने की महिला उप-निरीक्षक रिश्वत लेते गिरफ्तार

crime
नई दिल्ली, 5 दिसंबर: दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार विरोधी नीति ‘जीरो टॉलरेंस’ के तहत बड़ी कार्रवाई हुई है। विजिलेंस यूनिट ने संगम विहार थाना में तैनात महिला उप-निरीक्षक नमिता को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह अभियान दिल्ली पुलिस आयुक्त सतीश गोल्चा द्वारा शुरू किए गए भ्रष्टाचार-रोधी अभियान का हिस्सा है।
दिल्ली पुलिस की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, 4 दिसंबर को संगम विहार की एक महिला ने विजिलेंस यूनिट से शिकायत की कि उप-निरीक्षक नमिता, जो उसके दर्ज मामले की जांच अधिकारी थीं, ने केस को कमजोर करने की धमकी देते हुए 2 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। शिकायत मिलने के बाद विजिलेंस यूनिट ने तुरंत कार्रवाई की योजना बनाई। इसके बाद, उसी दिन शाम को सतर्कता इकाई द्वारा संगम विहार थाने में एक ट्रैप ऑपरेशन आयोजित किया गया।
तय समय पर शिकायतकर्ता एसआई नमिता के दफ्तर पहुंची, जहां नमिता ने कथित रूप से रिश्वत की पहली किस्त के रूप में 15 हजार रुपए की मांग की और उसे अपनी टेबल पर रखी एक फाइल में रखने को कहा। जैसे ही शिकायतकर्ता ने पैसे फाइल में रखे, विजिलेंस टीम ने दफ्तर में प्रवेश किया और एसआई नमिता को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। मौके से 15 हजार रुपए की राशि भी बरामद कर ली गई।
घटना के बाद विजिलेंस पुलिस स्टेशन में एफआईआर संख्या 23/25, धारा 7, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत दर्ज की गई है। आरोपी एसआई को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
विजिलेंस यूनिट ने कहा कि इस मामले की आगे की जांच जारी है। साथ ही नागरिकों से अपील की गई है कि वे किसी भी पुलिसकर्मी द्वारा रिश्वत मांगने की स्थिति में तुरंत शिकायत दर्ज कराएं। ऐसी शिकायतें विजिलेंस हेल्पलाइन नंबर 1064 पर भी की जा सकती हैं।
अपराध
लखनऊ : एसटीएफ ने 80 लाख के ड्रग्स के साथ दो तस्करों को किया गिरफ्तार, कई राज्यों में करते थे सप्लाई

लखनऊ, 3 दिसंबर: उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 80 लाख रुपए के ड्रग्स के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया है। दोनों तस्कर अंतर्राज्यीय नेटवर्क से जुड़े हुए थे।
मुखबिर से सूचना मिलने पर स्पेशल टास्क फोर्स ने लखनऊ के गोसाईगंज इलाके में सुल्तानपुर रोड पर स्थित गब्बर ढाबे के पास से एक टाटा सफारी कार में सवार दो तस्करों को पकड़ा। कार की तलाशी लेने पर उसमें 523 ग्राम एमडीएमए (मिथाइलेंडीऑक्सी-मेथाम्फेटामाइन) बरामद किया गया, जो एक प्रतिबंधित मादक पदार्थ है।
एसटीएफ के डिप्टी एसपी धर्मेश कुमार शाही ने बताया कि उनकी टीम लंबे समय से नशे के तस्करी नेटवर्क पर नजर रखे हुए थी। उन्हें जानकारी मिली थी कि दो तस्कर भारी मात्रा में ड्रग्स लेकर गुजरने वाले हैं। इस पर एसटीएफ ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गब्बर ढाबा के पास घेराबंदी की और दोनों तस्करों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार तस्करों की पहचान मोहम्मद मुजीब और मुकेश सिंह के रूप में हुई है। मुजीब लखनऊ के खंदारी बाजार का निवासी है, जबकि मुकेश भदोही के रविदासनगर का रहने वाला है। पूछताछ में इन दोनों ने बताया कि वे एक अंतर्राज्यीय ड्रग तस्करी गिरोह से जुड़े हुए हैं, जो उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुंबई और बिहार तक एमडीएमए की सप्लाई करता था।
मुजीब ने यह भी खुलासा किया कि वह अपने घर पर रसायन मिलाकर एमडीएमए तैयार करता था और उसे यह प्रक्रिया वाराणसी निवासी अभय सिंह ने सिखाई थी। अभय सिंह पहले मुंबई में एमडीएमए के साथ गिरफ्तार हो चुका है और हाल ही में जेल से रिहा हुआ है।
एसटीएफ ने बताया कि पकड़े गए तस्करों ने इस बात का भी खुलासा किया कि वे विभिन्न जिलों और राज्यों में एमडीएमए की सप्लाई कर रहे थे। इस मामले में गोसाईगंज थाने में एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
धर्मेश कुमार शाही ने बताया कि दोनों आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। इनके गिरोह में कितने लोग शामिल हैं और एमडीएमए किसे सप्लाई करने जा रहे थे, इन सवालों का जवाब भी पता किया जा रहा है।
अपराध
मुंबई: रिटायर्ड पुलिसकर्मी ने सोसायटी की लिफ्ट में की नाबालिग से छेड़छाड़, गिरफ्तार

CRIME
मुंबई, 3 दिसंबर: मुंबई के कस्तूरबा मार्ग पुलिस ने 67 वर्षीय रिटायर्ड पुलिस अधिकारी को उसी सोसायटी में रहने वाली नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोप में मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। लड़की की मां की शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई की।
आरोपी और पीड़िता दोनों एक ही इमारत में रहते हैं।
पुलिस के अनुसार, घटना मंगलवार शाम लड़की लिफ्ट के पास खड़ी थी, तभी आरोपी वहां पहुंचा। उसने लड़की को लिफ्ट के अंदर खींच लिया और उसके साथ छेड़छाड़ की। डर के कारण बच्ची चुप रही, लेकिन घर पहुंचते ही उसने रोते-बिलखते हुए मां को सारी बात बताई।
परिवार तुरंत बच्ची को लेकर कस्तूरबा मार्ग थाने पहुंचा और लिखित शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। मेडिकल जांच के बाद आरोपी को उसके फ्लैट से गिरफ्तार कर लिया गया।
आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया। सबूतों और मामले की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रेट ने उसे 12 दिसंबर तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया। पुलिस पूछताछ में यह भी पता लगा रही है कि आरोपी ने पहले कभी ऐसी कोई हरकत तो नहीं की।
पुलिस ने बताया कि पीड़िता के साथ पूरी संवेदनशीलता से पेश आया जा रहा है। दोषी को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी।
लोगों में गुस्सा है और मांग की जा रही है कि ऐसे मामलों में तुरंत और सख्त कार्रवाई हो। फिलहाल जांच जारी है। बच्ची का बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया जाएगा और आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों का कहना है कि बच्ची के साथ पूरा सहानुभूति के साथ व्यवहार किया जा रहा है और दोषी को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। चाहे वह कभी पुलिस की वर्दी में रहा हो, आज कानून सबके लिए बराबर है।
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