अंतरराष्ट्रीय
गाजा में इजरायल का हवाई हमला, 8 की मौत
रामल्लाह, 13 जनवरी। गाजा पट्टी के क्षेत्रों में हुए इजरायली हमलों में आठ फिलिस्तीनियों की मौत हो गई है।
मीडिया के अनुसार, सिविल डिफेंस इन गाजा के प्रवक्ता महमूद बसल ने जानकारी देते हुए बताया, ”गाजा शहर के पश्चिम में अल-शती शरणार्थी शिविर में इजरायली ड्रोन हमले से निशाना बनाकर फिलिस्तीनियों की भीड़ पर हमला किया गया, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई।”
वहीं एक अलग हमले में गाजा शहर के उत्तर-पश्चिम में अल-करामा पड़ोस में हवाई हमले में दो फिलिस्तीनी मारे गए, और गाजा शहर के पूर्व में अल-शुजाइया पड़ोस में इजरायली हमले में दो और मारे गए।
इसके अतिरिक्त चिकित्सा सूत्रों ने बताया कि उत्तरी गाजा के जबालिया शहर में एक युवक की मौत हो गई। जहां प्रत्यक्षदर्शियों ने इस बात की पुष्टि की कि क्षेत्र को निशाना बनाकर इजरायली तोपों से गोलीबारी की गई।
फिलिस्तीनी विदेश मंत्रालय ने इजरायल पर आरोप लगाया है कि वह युद्ध को लंबा करने की कोशिश कर रहा है, जिससे फिलिस्तीनी लोगों को नुकसान पहुंचाया जा सके। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह हिंसा को रोकने और फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए जल्द ही कदम उठाए।
वहीं संघर्ष के बीच गाजा के निवासियों के लिए समर्थन जुटाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारी चल रही है। फिलिस्तीनी योजना और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्रालय के अवर सचिव महमूद अता ने गाजा के पुनर्निर्माण की योजना की घोषणा की और संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ समन्वय पर जोर दिया।
चल रहे संघर्ष की पृष्ठभूमि में, गाजा के निवासियों के लिए समर्थन जुटाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारी चल रही है। फिलिस्तीनी योजना और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्रालय ने गाजा के पुनर्निर्माण की योजना की घोषणा की, जिसमें संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ समन्वय पर जोर दिया गया।
फिलिस्तीनी योजना एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्रालय के अवर सचिव महमूद अता के अनुसार, फिलिस्तीनी सरकार ने तत्काल मानवीय सहायता और दीर्घकालिक पुनर्निर्माण को प्राथमिकता दी है तथा अगले तीन वर्षों के लिए एक पुनर्प्राप्ति योजना और दस वर्षीय विकास योजना का मसौदा तैयार किया है, जिसके मार्च तक पूरा होने की उम्मीद है।
इससे पहले लेबनान के एक सैन्य सूत्र ने कहा कि दक्षिणी लेबनान में शेबा फार्म के पास लोगों के एक समूह को निशाना बनाकर किए गए एक इजरायली हवाई हमले में तीन लोग मारे गए थे।
नाम न बताने की शर्त पर सूत्र ने रविवार को मीडिया को बताया कि एक इजरायली ड्रोन ने शेबा शहर के दक्षिण में बस्तरा क्षेत्र में हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल दागी, जिसमें लोगों की मौत हुई।
इजरायल डिफेंस फोर्सेस (आईडीएफ) ने शनिवार को एक बयान में कहा कि उसकी वायु सेना ने इजरायल द्वारा कब्जा किए गए शेबा फार्म क्षेत्र के पास तीन संदिग्धों की पहचान की और उन पर हमला किया।
राष्ट्रीय समाचार
चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में देश की विकास दर बढ़ने की उम्मीद : रिपोर्ट
नई दिल्ली, 11 जनवरी। बैंक ऑफ बड़ौदा की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल पेमेंट, बिजली की मांग, सेवा क्षेत्र की गतिविधियों, हवाई यात्रियों की संख्या, बढ़ते टोल और जीएसटी कलेक्शन जैसे सकारात्मक सूचकांकों के साथ चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में देश की विकास दर बढ़ने की उम्मीद है।
वित्त वर्ष 2024-25 में कृषि क्षेत्र में 3.8 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज होने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 1.4 प्रतिशत थी। अब तक, रबी की बुवाई पिछले साल की तुलना में अधिक रही है और यह कृषि विकास के लिए अच्छा संकेत है।
वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में जीएसटी कलेक्शन में भी 8.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो उपभोग मांग में तेजी का संकेत है।
रिपोर्ट के अनुसार, कृषि की बेहतर संभावनाओं से ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिलेगा, जबकि शहरी मांग में भी सुधार के संकेत मिलते हैं। दिसंबर 2024 में मुद्रास्फीति में कमी आई और आने वाले महीनों में इसमें और कमी आने की उम्मीद है। हालांकि, रुपये का अवमूल्यन एक प्रमुख जोखिम है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तहत अमेरिकी नीतियों पर अधिक स्पष्टता होने तक वैश्विक और घरेलू फाइनेंशियल सिस्टम में कुछ हद तक अनिश्चितता बनी रहने की संभावना है। हम 2025 में भारत की विकास संभावनाओं को लेकर आशावादी बने हुए हैं।”
कुछ हाई फ्रिक्वेंसी सूचकांकों ने डिजिटल पेमेंट, बिजली की मांग, इलेक्ट्रॉनिक आयात और फर्टिलाइजर बिक्री में वृद्धि के साथ मांग में तेजी का संकेत दिया है।
हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया है कि त्योहारों के बाद की इन्वेंट्री और सीमित नए लॉन्च के कारण यात्री वाहनों की कुल बिक्री कम रही।
ग्रामीण फ्रंट पर, नकदी प्रवाह के मुद्दों और ईवी बाजार की ओर रुख के कारण दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी भारी गिरावट देखी गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, निजी खपत वृद्धि वित्त वर्ष 2023-24 के चार प्रतिशत के मुकाबले वित्त वर्ष 2024-25 में 7.3 प्रतिशत रहेगी, जिससे आने वाले महीनों में स्थिर वृद्धि की संभावना बढ़ गई है।
इसमें यह भी बताया गया है कि नवंबर 2024 तक (12 मनी मार्केट अकाउंट के आधार पर) केंद्र का राजकोषीय घाटा 5.1 प्रतिशत पर स्थिर था। मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर 2024 तक कुल व्यय में 3.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो अक्टूबर 2024 में भी उसी स्तर पर थी।
राजस्व व्यय की वृद्धि अक्टूबर 2024 तक 8.7 प्रतिशत थी जो नवंबर 2024 तक के आंकड़े में घटकर 7.8 प्रतिशत रह गई। वहीं, इस दौरान पूंजीगत व्यय की गिरावट की दर कम हुई।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि आय के मामले में, नवंबर 2024 तक केंद्र की शुद्ध राजस्व वृद्धि भी 8.7 प्रतिशत पर स्थिर रही। प्रत्यक्ष कर संग्रह में सुधार हुआ (11.1 प्रतिशत के मुकाबले 12.1 प्रतिशत), जबकि अप्रत्यक्ष कर संग्रह की वृद्धि थोड़ी धीमी हुई (10.5 प्रतिशत के मुकाबले 9.2 प्रतिशत) जबकि गैर-कर संग्रह स्थिर रहा।
व्यापार
भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में 11.4 बिलियन डॉलर का हुआ निवेश : रिपोर्ट
नई दिल्ली, 11 जनवरी। रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म सीबीआरई के अनुसार, भारत के रियल एस्टेट सेक्टर ने 2024 में 11.4 बिलियन डॉलर का इक्विटी निवेश आकर्षित किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 54 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
इक्विटी निवेश में वृद्धि, मुख्य रूप से डेवलपर्स और संस्थागत निवेशकों से भूमि अधिग्रहण के साथ-साथ रियल एस्टेट के सभी एसेट क्लास में विकास में प्रवाहित हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू निवेश प्राइमरी रहा, जिसकी 2024 कैलेंडर वर्ष में कुल इक्विटी निवेश में लगभग 70 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।
सिंगापुर, अमेरिका और कनाडा ने वर्ष के दौरान भारतीय रियल एस्टेट में कुल इक्विटी निवेश में कुल मिलाकर 25 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया।
2024 में कुल इक्विटी निवेश में लगभग 44 प्रतिशत हिस्सा डेवलपर्स ने कैपिटल इनफ्लो में सबसे आगे रखा, इसके बाद संस्थागत प्लेयर्स ने 36 प्रतिशत, निगमों ने 11 प्रतिशत, रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (आरईआईटी) ने 4 प्रतिशत और दूसरी कैटेगरी ने लगभग 5 प्रतिशत हिस्सा लिया।
सीबीआरई के चेयरमैन और सीईओ – भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका अंशुमान मैगजीन ने कहा, “हमें निवेश एक्टिविटी में विशेष रूप से बिल्ट-अप ऑफिस एसेट्स और रेजिडेंशियल डेवलपमेंट साइट्स में निरंतर गति देखे जाने की उम्मीद है।
ई-कॉमर्स और क्विक-कॉमर्स पर बढ़ते फोकस से लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग सेक्टर में मजबूत वृद्धि होगी, जिससे डेवलपर्स और निवेशकों दोनों के लिए नए अवसर पैदा होंगे।”
एसेट क्लास को लेकर, 2024 में इक्विटी निवेश मुख्य रूप से लैंड/डेवलपमेंट साइट्स द्वारा संचालित किया गया, जो कुल हिस्सेदारी का 39 प्रतिशत था।
इसके बाद ऑफिस सेक्टर में 32 प्रतिशत, रिटेल सेक्टर में 9 प्रतिशत, रेजिडेंशियल सेक्टर में 8 प्रतिशत, इंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक्स में 6 प्रतिशत, होटल में 2 प्रतिशत और दूसरे सेक्टर में 4 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी रही।
सीबीआरई भारत के वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) को लेकर भी उत्साहित है, जिसने 2024 में 29.4 मिलियन वर्ग फीट पर मजबूत लीजिंग बनाए रखी।
भारत के शीर्ष नौ शहरों में कुल लीजिंग एक्टिविटी में 37 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ और सालाना आधार पर लगभग 29 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग एंड मैन्युफैक्चरिंग और बीएफएसआई सहित क्षेत्रों की कंपनियां अपने जीसीसी के लिए ट्रेडिशनल और फ्लेक्सिबल दोनों तरह के ऑफिस स्पेस की मांग को बढ़ावा देंगी, साथ ही ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और लाइफ साइंस जैसे विशिष्ट क्षेत्रों से भी मांग जारी रहेगी।
अंतरराष्ट्रीय
2024 रहा अब तक का सबसे गर्म वर्ष
ब्रुसेल्स, 10 जनवरी। यूरोपीय संघ द्वारा वित्तपोषित कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा (सी3एस) ने शुक्रवार को कहा कि वर्ष 2024, 1850 के बाद से वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म वर्ष रहा। 1850 में वैश्विक तापमान की माप शुरूआत हुई थी।
मीडिया ने यूरोपीय जलवायु निकाय की प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से बताया कि 2024 पहला कैलेंडर वर्ष है, जिसमें औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा, जो कि पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित एक महत्वपूर्ण सीमा है।
2024 में वैश्विक औसत तापमान 15.1 डिग्री सेल्सियस था। यह 2023 से 0.12 डिग्री सेल्सियस अधिक था जो अब तक सबसे गर्म वर्ष था। कोपरनिकस ने कहा कि यह पूर्व-औद्योगिक स्तर के अनुमान से 1.6 डिग्री सेल्सियस अधिक है।
कोपरनिकस ने कहा कि यह पूर्व-औद्योगिक स्तर के अनुमान से 1.6 डिग्री सेल्सियस अधिक है।
बयान में कहा गया कि 2023 और 2024 के लिए दो साल का औसत भी पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो गया है।
पेरिस समझौते का उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से दो डिग्री सेल्सियस से भी कम पर सीमित रखना है। इस सदी के अंत तक इसे 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य है।
बयान में कहा गया है, “हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि हमने पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित सीमा का उल्लंघन किया है – यह कम से कम 20 वर्षों के औसत तापमान विसंगतियों को संदर्भित करता है – लेकिन यह रेखांकित करता है कि वैश्विक तापमान आधुनिक मानव द्वारा अनुभव किए गए तापमान से कहीं अधिक बढ़ रहा है।”
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