अंतरराष्ट्रीय
जर्मनी में मुद्रास्फीति दर 49 साल के उच्चतम स्तर पर

ईंधन और खाद्य पदार्थो की आसमान छूती कीमतों के कारण जर्मनी में मई में मुद्रास्फीति दर 49 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। जर्मनी में पहले तेल संकट के दौरान साल 1973/74 में महंगाई का इतना ऊंचा स्तर देखा गया था।
चीन की संवाद समिति शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी के संघीय सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, गेहूं की कमी और वैश्विक खाद्य संकट की आशंका के बीच खाद्य पदार्थ की कीमतें वार्षिक आधार पर 11.1 प्रतिशत बढ़ गई हैं।
मंत्रालय के मुताबिक रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से जर्मनी में ईंधन की कीमतों में 38.3 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई है। ईंधन की कीमतों में रही बेतहाशा तेजी का मुद्रास्फीति दर पर व्यापक प्रभाव रहा है।
कोविड-19 के कारण हुई आपूर्ति बाधा से भी महंगाई बढ़ी है। जर्मनी में आयात की कीमतें अप्रैल में वार्षिक आधार पर 31.7 प्रतिशत बढ़ी हैं। प्राकृतिक गैस की कीमतों में वार्षिक आधार पर 300 प्रतिशत से अधिक तथा कच्चे तेल की कीमतों में 77.5 प्रतिशत की तेजी आई है।
ईंधन की बढ़ती कीमतों से आम आदमी को राहत देने के लिए जर्मनी ने कुछ समय के लिए ईंधन कर में कटौती की है और लोगों को एक बार में ऊर्जा भत्ते के रूप में 300 यूरो यानी 323 डॉलर देने की घोषणा की है।
इसके अलावा लोगों को निजी कार की जगह सार्वजनिक परिवहन साधनों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बस और ट्रेन की टिकटों की कीमतों में भी कटौती की घोषणा की है। गर्मी के मौसम में बस और ट्रेन के टिकट प्रति माह मात्र नौ यूरो की दर से मिलेंगे।
जर्मनी की सरकार ने वित्त वर्ष 2022 के दौरान वार्षिक मुद्रास्फीति दर के 6.1 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया है। सरकार ने आगामी वित्त वर्ष मुद्रास्फीति दर में कमी आने का अनुमान व्यक्त किया है।
मार्केट रिसर्च इंस्टीट्यूट जीएफके के मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध तथा उच्च मुद्रास्फीति दर की वजह से जर्मनी में ग्राहकों की धारणा सर्वकालिक निचले स्तर पर है।
व्यापार
आरबीआई की नई गाइडलाइंस कल से लागू, बैंकों को एक दिन में ही क्लियर करना होगा चेक

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की नई गाइडलाइंस के मुताबिक, 4 अक्टूबर से सभी बैंकों को एक दिन की अवधि में ही चेक क्लियर करना होगा। इससे चेक के जरिए भुगतान करना तीव्र और आसान हो जाएगा। मौजूदा समय में चेक को क्लियर होने में एक से दो दिन का समय लगता है।
एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक समेत कई बैंकों ने 4 अक्टूबर से एक ही दिन में चेक क्लियर होने की जानकारी अपने ग्राहकों को दी है।
नई व्यवस्था के तहत 4 अक्टूबर से जमा किए गए चेक उसी दिन कुछ ही घंटों में क्लियर हो जाएंगे। दोनों बैंकों ने ग्राहकों से चेक बाउंस होने से बचने के लिए पर्याप्त बैलेंस रखने और देरी या अस्वीकृति से बचने के लिए सभी चेक विवरण सही-सही भरने का आग्रह किया है।
आरबीआई की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि नए सिस्टम को दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहला फेस 4 अक्टूबर, 2025 से 3 जनवरी, 2026 तक के लिए लागू होगा, जबकि दूसरा फेस 3 जनवरी के बाद से लागू होगा।
आरबीआई ने नए सिस्टम के काम करने के बारे में विस्तार के जानकारी देते हुए कहा कि इसमें एक सिंगल प्रेजेंटेशन सेशन होगा, जिसमें चेक को सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक पेश करना होगा।
इसके तहत चेक प्राप्त करने वाली बैंक को चेक को स्कैन करके क्लिरिंग हाउस को भेजना होगा। इसके बाद क्लिरिंग हाउस की उस चेक की इमेज को राशि अदा करने वाले बैंक के पास भेजेगा।
इसके बाद कॉन्फॉर्मेशन सेशन सुबह 10 बजे से लेक शाम के 7 बज तक होगा। इसमें राशि अदा करने वाले बैंक को उस चेक पर सकारात्मक या नकारात्मक कॉन्फॉर्मेशन देनी होगी।
यहां बड़ी बात यह है कि हर चेक का एक ‘आइटम एक्सपायरी टाइम’ होगा, जिस समय तक कॉन्फॉर्मेशन देनी आवश्यक है।
साथ ही, बैंकों ने ग्राहकों से सुरक्षा बढ़ाने के लिए पॉजिटिव पे सिस्टम का उपयोग करने का भी आग्रह किया गया है, जिसके तहत सत्यापन के लिए चेक का मुख्य विवरण पहले से जमा करना अनिवार्य है। खाताधारकों को 50,000 रुपए से अधिक के चेक जमा करने से कम से कम 24 कार्य घंटे पहले बैंक को खाता संख्या, चेक संख्या, तिथि, राशि और लाभार्थी का नाम बताना होगा।
चेक प्रस्तुत करते समय बैंक इन विवरणों की पुष्टि करेंगे। यदि जानकारी मेल खाती है, तो चेक क्लियर कर दिया जाएगा, अन्यथा, अनुरोध अस्वीकार कर दिया जाएगा और चेक जारीकर्ता को विवरण दोबारा जमा करना होगा।
अंतरराष्ट्रीय
फिलीपींस में भूकंप की घटना पर पीएम मोदी ने जताया दुख, अब तक 69 लोगों की मौत

मनीला, 1 अक्टूबर : फिलीपींस में 6.9 की तीव्रता से आए भूकंप के बाद का भयावह मंजर सामने आया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर दुख जताया है। वहीं नागरिक सुरक्षा कार्यालय (ओसीडी) ने बताया कि भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 69 हो गई।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताते हुए ‘एक्स’ पर लिखा, “फिलीपींस में आए भूकंप से हुई जान-माल की हानि और व्यापक क्षति के बारे में जानकर मुझे गहरा दुख हुआ। मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं। मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। इस कठिन समय में भारत फिलीपींस के साथ एकजुटता से खड़ा है।”
ओसीडी के उप-प्रशासक और सहायक सचिव बर्नार्डो राफेलिटो एलेजांद्रो ने ब्रीफिंग में बताया कि भूकंप के केंद्र बोगो शहर में 30 लोगों की मौत हो गई, मेडेलिन शहर में 10, सैन रेमिगियो शहर में 22, तबोगोन शहर में पांच और सोगोड और तबुएलन नगर पालिकाओं में एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई।
उन्होंने कहा कि पीड़ितों की मौत घरों और इमारतों की ढही हुई दीवारों के नीचे दबने से हुई। राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं प्रबंधन परिषद (एनडीआरआरएमसी) ने शुरुआत में बताया कि कम से कम 147 लोग घायल हुए हैं।
शिन्हुआ न्यूज एजेंसी के अनुसार, सहायक सचिव ने घायलों और लापता लोगों के बारे में नए आंकड़े जारी नहीं किए हैं, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है।
फिलीपींस ज्वालामुखी एवं भूकंप विज्ञान संस्थान ने शुरुआत में बताया था कि मंगलवार रात स्थानीय समयानुसार 9:59 बजे सेबू प्रांत में 6.7 तीव्रता का भूकंप आया। हालांकि, बाद में फिर तीव्रता को संशोधित कर 6.9 कर दिया गया। भूकंप का केंद्र बोगो शहर से लगभग 19 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में, 5 किलोमीटर की गहराई में था।
बता दें कि मध्य फिलीपींस के कई पड़ोसी प्रांतों के साथ-साथ दक्षिणी फिलीपींस के कुछ क्षेत्रों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। फिलीपींस ज्वालामुखी एवं भूकंप विज्ञान संस्थान की ओर से साझा जानकारी के अनुसार मंगलवार रात से 600 से ज्यादा झटके दर्ज किए गए।
बता दें कि फिलीपींस प्रशांत महासागर के “रिंग ऑफ फायर” क्षेत्र में स्थित है, जो भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधि के लिए एक्टिव माना जाता है।
व्यापार
आरबीआई ने आईपीओ लोन की लिमिट को दोगुना कर 25 लाख रुपए प्रति निवेशक किया

मुंबई, 1 अक्टूबर : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को कई फैसलों का ऐलान किया, जिसने क्रेडिट को कंपनियों और आम निवेशकों के लिए आसान बना दिया है।
केंद्रीय बैंक ने बैंकों को भारतीय कंपनियों द्वारा अधिग्रहण के लिए फंडिंग की अनुमति देने का निर्णय लिया है, साथ ही शेयरों और ऋण प्रतिभूतियों के बदले ऋण देने पर प्रतिबंधों में भी ढील दी है।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद, गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई एक फ्रेमवर्क तैयार करेगा, जिसकी मदद से बैंक अधिग्रहणों के लिए कंपनियों को ऋण उपलब्ध करा पाएंगे।
यह कदम भारतीय स्टेट बैंक द्वारा नियामक से इस तरह की फंडिंग की अनुमति देने का अनुरोध करने के बाद उठाया गया है।
मल्होत्रा ने आगे कहा कि केंद्रीय बैंक ने सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों पर ऋण देने की नियामक सीमा हटा दी है।
साथ ही, शेयरों पर ऋण देने की सीमा प्रति व्यक्ति 20 लाख रुपए से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए कर दी गई है।
आईपीओ फंडिंग के लिए, सीमा 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 25 लाख रुपए प्रति व्यक्ति कर दी गई है।
यह बदलाव विशेष रूप से उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों (एचएनआई) को सार्वजनिक निर्गमों में बड़ी राशि के लिए आवेदन करने में मदद करेगा।
आरबीआई ने इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए ऋण देना सस्ता करने का भी फैसला किया है। इससे गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा उच्च-गुणवत्ता वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को दिए गए ऋणों पर जोखिम भार कम हो जाएगा।
इसके साथ ही, नियामक ने 2016 के उस नियम को वापस ले लिया है जो 10,000 करोड़ रुपए से अधिक बैंक ऋण वाले बड़े उधारकर्ताओं को ऋण देने से हतोत्साहित करता था। इससे प्रणाली में समग्र ऋण उपलब्धता में वृद्धि होने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों ने बताया कि आरबीआई के निर्णयों का उद्देश्य बैंकों द्वारा अधिक ऋण देने को प्रोत्साहित करना, कॉर्पोरेट अधिग्रहणों को समर्थन देना, आईपीओ भागीदारी को बढ़ावा देना और इन्फ्रास्ट्रक्चर और व्यावसायिक विकास के लिए धन की उपलब्धता को और अधिक सुगम बनाना है।
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