राजनीति
देश में पहली बार रेहड़ी-पटरी वालों को सही सिस्टम से जोड़ा गया -नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम स्वनिधि योजना का लाभ उठाने वाले मध्य प्रदेश के स्ट्रीट वेंडर्स के साथ बुधवार को संवाद किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये पहली बार हुआ है कि रेहड़ी-पटरी वालों के लाखों लोगों के नेटवर्क को सही मायने में सिस्टम से जोड़ा गया है, उनको एक पहचान मिली है। इस योजना का मकसद है कि रेहड़ी-पटरी और ठेले वाले नई शुरूआत कर सकें, अपना काम फिर शुरू कर सकें, इसके लिए उन्हें आसानी से पूंजी मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि सिर्फ दो महीने के अंदर एक लाख से ज्यादा रेहड़ी-पटरी वालों को योजना का लाभ दिया गया। वहीं कोरोना महामारी की चुनौती के बावजूद साढ़े चार लाख लोगों को पहचान पत्र और सर्टिफिकेट दिए गए। प्रधानमंत्री मोदी ने अन्य राज्यों को भी मध्य प्रदेश से सीख लेने की सलाह दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया में जब भी कोई बड़ा संकट आता है, महामारी आती है, उसका सबसे पहला और बड़ा प्रभाव गरीबों पर पड़ता है। गरीब को रोजगार का संकट होता है। उसकी जमा-पूंजी का संकट होता है। कोरोना की महामारी, ये सब विपदाएं अपने साथ लेकर आई।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महामारी के दौरान बाहर रोजगार करने वाले श्रमिकों को अपने गांव लौटना पड़ा। इसलिए कोरोना महामारी के दौरान पहले से ही सरकार और देश का प्रयास गरीब की दिक्कतों को कम करने का रहा। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत लाखों लोगों को रोजगार दिया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीबों के लिए निरंतर हो रहे कार्यों के बीच एक वर्ग ऐसा था, जिस पर खास ध्यान देने की जरूरत थी। ये वर्ग रेहड़ी-पटरी ठेले वाले भाई-बहनों का था। कोरोना के कारण बाजार बंद हो गए। घरों में लोग रहने लगे। जिससे रेहड़ी-पटरी वालों के कारोबार पर असर पड़ा। मुश्किलों से निकालने के लिए प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना शुरू हुई। मकसद है कि लोग नई शुरूआत कर सकें। अपना काम फिर शुरू कर सकें। उन्हें आसानी से पूंजी मिले। उनसे बाहर ब्याज देकर रुपये लेने के लिए मजबूर न होना पड़ा। रेहड़ी-पटरी वाले लाखों लोगों को सही मायने में सिस्टम से जोड़ा गया। उन्हें एक एक पहचान मिली।
राजनीति
मुस्लिम मतदाता गलती न करें, वोटों का बंटवारा न हो: उदित राज

नई दिल्ली, 8 अक्टूबर : बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। इस बीच, एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है, जिससे यह चुनाव और भी रोमांचक होने की संभावना है। इस पर कांग्रेस नेता उदित राज ने मुस्लिम मतदाताओं से अपील की है कि वे इस बार अपने वोटों का बंटवारा न करें।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि पिछली बार की गलती को दोहराने से बचें, जिसके कारण पांच साल तक परेशानियां और कठिनाइयां झेलनी पड़ीं। इस बार एकजुट होकर वोट करें ताकि मजबूत नेतृत्व चुना जा सके।
चीफ जस्टिस का अपमान करने वाले आरोपी वकील के दावे पर कि उसे ‘दैवीय सिग्नल’ प्राप्त हुआ था। इस पर कांग्रेस नेता उदित राज ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि सनातनी तो रावण भी था, सनातनी गोडसे भी था जिसने गांधी जी की हत्या की। क्या सनातन धर्म का मतलब हिंसा, नफरत और घृणा फैलाना है? सनातनियों को इस पर जवाब देना चाहिए कि क्या वे इस आरोपी वकील का समर्थन करते हैं, जो खुद को सनातनी कहता है।
उन्होंने कहा कि हिंदू-मुस्लिम के बीच जहर फैलाने की राजनीति अब सर्वत्र फैल रही है, जिसके कारण हिंसा, गाली-गलौज और नफरत आम हो गए हैं।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के विदेश दौरे पर भाजपा नेता के बयानों पर उदित राज ने कहा कि भाजपा को चिंता क्यों हो रही है। राहुल गांधी तो भाजपा को नहीं चला रहे। वे कभी-कभी विदेश जाते हैं, इसमें हाय-तौबा मचाने की क्या जरूरत है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के केंद्र सरकार पर लगाए गए आरोपों का समर्थन करते हुए उदित राज ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ भेदभाव कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान संघीय है, लेकिन इसे तोड़ा जा रहा है। मनरेगा का फंड रोका जा रहा है, बड़े प्रोजेक्ट्स को मंजूरी नहीं दी जा रही, और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों के साथ भी बुरा बर्ताव हो रहा है।
भारत में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का दो दिवसीय दौरे को लेकर कांग्रेस नेता ने कहा कि स्वागत है। उन्होंने कहा जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव था, तब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने निष्पक्ष रुख नहीं अपनाया और न ही भारत का साथ दिया। देखते हैं कि दो दिवसीय उनके दौरे से भारत को क्या लाभ होता है।
राजनीति
शिवसेना चुनाव चिन्ह विवाद : उद्धव ठाकरे की याचिका पर 12 नवंबर को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 8 अक्टूबर : शिवसेना पार्टी के चुनाव चिन्ह विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट अगले महीने सुनवाई करेगा। उद्धव ठाकरे की ओर से दायर याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 12 नवंबर की तारीख निर्धारित की।
शिवसेना-यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े को पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और उसका चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ आवंटित किया गया था।
उद्धव ठाकरे का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव जनवरी 2026 में होने हैं, इसलिए इस मामले पर तत्काल विचार करने की जरूरत है, जिसके बाद न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई अगले महीने तय करने पर सहमति जताई।
शीर्ष अदालत ने कहा, “हम 12 नवंबर को सभी पक्षों की सुनवाई करेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो हम 13 नवंबर को सुनवाई जारी रख सकते हैं।”
कपिल सिब्बल ने शिवसेना (यूबीटी) गुट की तरफ से दायर एक अन्य याचिका पर भी तत्काल सुनवाई की मांग की। इस याचिका में महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत सत्तारूढ़ खेमे के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार कर दिया गया था।
इस पर, न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी की कि कपिल सिब्बल को संयुक्त सुनवाई के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की अनुमति लेनी चाहिए, क्योंकि दूसरी याचिका एक अलग बेंच के सामने लंबित है।
बुधवार की सुनवाई से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि यह निर्णय पर निर्भर करता है कि इस देश को किस ओर लेकर जाना है। उन्होंने यह भी कहा कि यहां लोकतंत्र जिंदा रहना चाहिए और मजबूत होना चाहिए। हम यही अपेक्षा करते हैं कि न्यायालय का निर्णय न्यायसंगत होगा और संविधान पर आधारित होगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में विजय वडेट्टीवार ने कहा, “यह जनता को यह दिखाने का सुनहरा अवसर है कि देश संविधान और कानून के शासन से चलता है।”
बता दें कि मार्च 2023 में, शीर्ष अदालत ने एकनाथ शिंदे गुट को आधिकारिक शिवसेना के रूप में मान्यता देने और उसे पार्टी का नाम व चुनाव चिन्ह देने के चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि, वह इस फैसले को चुनौती देने वाली उद्धव ठाकरे की याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गई। फिलहाल, सुनवाई की तारीख 12 नवंबर तय की गई है।
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महाराष्ट्र सरकार ने 2027 के नासिक कुंभ मेले से पहले नौकरशाही में बड़ा फेरबदल किया; अंदर की जानकारी

मुंबई: राज्य सरकार ने 2027 में होने वाले नासिक कुंभ मेले की तैयारी के लिए बड़े नौकरशाही परिवर्तन किए हैं। मेला तैयारियों के तहत लगभग 14,000 करोड़ रुपये के बड़े विकास कार्यों की योजना बनाई जा रही है।
आठ आईएएस अधिकारियों के तबादलों में से चार नासिक से जुड़े हैं। नासिक के ज़िला कलेक्टर जलज शर्मा को नासिक महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण का महानगर आयुक्त बनाया गया है। जलगाँव के ज़िला कलेक्टर आयुष प्रसाद नासिक के नए कलेक्टर होंगे। पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम के आयुक्त शेखर सिंह को नासिक, कुंभ मेला आयुक्त नियुक्त किया गया है। यह पद विशेष रूप से सृजित किया गया है।
नासिक महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के महानगर आयुक्त माणिक गुरसल का तबादला महाराष्ट्र राज्य सहकारी आदिवासी विकास निगम के प्रबंध निदेशक के पद पर किया गया है। अन्य बदलावों में, एम. देवेंद्र सिंह महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नए सदस्य सचिव होंगे। वे वर्तमान सदस्य अविनाश ढकने का स्थान लेंगे। शिवशाही पुनर्वासन प्रकल्प के प्रबंध निदेशक संजय कोलते पुणे के नए चीनी आयुक्त होंगे।
एमएसआरडीसी के संयुक्त प्रबंध निदेशक मनोज जिंदल रत्नागिरी के नए कलेक्टर होंगे। ठाणे जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोहन घुगे को जलगांव का जिला कलेक्टर नियुक्त किया गया है।
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