राजनीति
परिवारवादी राजनीतिक दल युवाओं को प्रगति का कभी मौका नहीं देते : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को परिवारवादी राजनीतिक पार्टियों पर तंज करते हुये कहा है कि ये दल कभी भी युवाओं को प्रगति करने का मौका नहीं देते हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 42वें स्थापना दिवस पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुये नरेंद्र मोदी ने कहा कि अन्य लोगों के लिये जहां ‘परिवार भक्ति’ है, वहीं भाजपा के लिये ‘राष्ट्र भक्ति’ है।
उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल एक परिवार के हित के लिये काम कर रहे हैं। वे अलग-अलग राज्यों में मौजूद हैं लेकिन एक-दूसरे के भ्रष्टाचार और गलत कामों को ढंकते हैं।
मोदी ने कहा, “इन परिवारवादी पार्टियों के कारण देश को बहुत नुकसान हुआ है। इन पार्टियों ने देश के युवाओं को प्रगति करने नहीं दिया। इन्होंने हमेशा युवाओं को धोखा दिया है। आज भाजपा इकलौती ऐसी पार्टी है, जिसने देश में इस दिशा में बदलाव किया और इसे राजनीति मुद्दा बनाया। आज सबलोग समझते हैं कि परिवारवादी पार्टियां लोकतंत्र के खिलाफ हैं।”
विपक्षी दलों की अगुवाई वाले राज्यों में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या और राजनीतिक हिंसा का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता संघर्ष कर रहे हैं और अपनी जिंदगी गंवा रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं आश्वासन देता हूं कि हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक हम उन राज्यों में लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित न कर दें।”
उन्होंने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को कहा कि भाजपा दिन रात गरीबों, पिछड़ों और महिलाओं के उत्थान के लिये काम कर रही है और यही इस पार्टी का मूल सिद्धांत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कई राजनीतिक दल कई दशक से वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं लेकिन भाजपा इस तरह के अनुचित तरीकों का विरोध करने में सफल रही है।
मोदी ने इस मौके पर कहा, “आज नवरात्रि का पांचवां दिन है। आज हम मां स्कंदमाता की पूजा करते हैं। वह कमल के फूल पर विराजमान होती हैं और उनके दोनों हाथों में कमल के फूल होते हैं। मां की कृपा रहे।”
उन्होंने कहा कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और कच्छ से लेकर कोहिमा तक भाजपा देश को ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के रूप में मजबूत करने के प्रयास में जुटी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आज बिना किसी दबाव और भय के अपने हित के लिये खड़ा है। जब पूरी दुनिया दो विरोधी खेमों में बंट गयी है, तो भारत को एक ऐसे देश के रूप में देखा जा रहा है, जो मानवता की बात करता है।
उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा था, जब लोगों ने यह स्वीकार कर लिया था कि चाहे किसी पार्टी की सरकार हो, देश के लिये कुछ नहीं किया जायेगा। आज लेकिन देश का हर नागरिक यह गर्व से कहता है कि देश बदल रहा है।
प्रधानमंत्री ने देश के निर्यात के 400 अरब डॉलर के आंकड़े के पार पहुंचने का जिक्र करते हुये कहा, “हमारी सरकार ने देशहित को सर्वोपरि रखा है। आज देश में निर्णय लेने की क्षमता है और साथ ही निर्णय को लागू करने का दृढ़ संकल्प भी है। इसी कारण, आज जब हम लक्ष्य निर्धारित करते हैं, तो उसे हासिल भी करते हैं।”
उन्होंने कहा कि भाजपा का स्थापना दिवस इस साल तीन कारणों से अधिक महत्वपूर्ण है। पहली वजह तो यह है कि इस साल स्वतंत्रता के 75वां साल मनाया जा रहा है। दूसरा कारण तेजी से बदलती वैश्विक व्यवस्था है, जिसके कारण भारत के समक्ष नये अवसर उभरकर सामने आये हैं और तीसरी वजह यह है कि हाल ही में चार राज्यों में भाजपा की सरकार सत्ता में आयी है तथा तीन दशक के बाद राज्य सभा में पार्टी के सदस्यों की संख्या 100 के पार पहुंची है।
महाराष्ट्र
कल्याण कॉलेज नमाज़ विवाद: SIO ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

SIO ने मुंबई के कल्याण कॉलेज में नमाज़ पढ़ने पर बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की गुंडागर्दी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इधर, SIO के स्टेट सेक्रेटरी अज़ीज़ अहमद ने कहा कि कल्याण के आइडियल कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी एंड रिसर्च में हुई घटना बहुत निंदनीय और अस्वीकार्य है, जहाँ बजरंग दल से जुड़े गुंडों ने कॉलेज कैंपस में घुसकर, नमाज़ पढ़ने वाले मुस्लिम स्टूडेंट्स को धमकाया और परेशान किया और यहाँ तक कि उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के सामने बैठाने की कोशिश की। यह घटना धार्मिक आज़ादी और एकेडमिक कैंपस की पवित्रता पर सीधा हमला है।
SIO इस घटना की कड़ी निंदा करता है और प्रभावित स्टूडेंट्स के साथ पूरी एकजुटता दिखाता है। हम महाराष्ट्र सरकार और पुलिस से मांग करते हैं कि वे जल्द से जल्द आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें, कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन स्टूडेंट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। हम पूरे स्टूडेंट कम्युनिटी से अपील करते हैं कि वे धार्मिक सद्भाव बनाए रखें और ऐसे सांप्रदायिक रवैये के खिलाफ एकजुट रहें और मजबूत एकजुटता दिखाएं।
राष्ट्रीय समाचार
सीबीआई की बड़ी कार्रवाई: ईएसआईसी के दो अधिकारियों को 50 हजार रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा

CRIME
विजयवाड़ा, 26 नवंबर: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) विजयवाड़ा के दो अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार आरोपियों में रेवेन्यू रिकवरी ऑफिसर (आरआरओ) और सोशल सिक्योरिटी ऑफिसर (एसएसओ) का नाम शामिल है। दोनों ने एक शख्स से 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी।
सीबीआई के मुताबिक, मामला 2020 का है। शिकायतकर्ता ने फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के टेंडर में हिस्सा लेने के लिए एक प्रोप्राइटरशिप फर्म शुरू की थी और उसे ईएसआईसी में रजिस्टर भी कराया था। तकनीकी वजहों से एफसीआई ने उसकी फर्म को तीन साल के लिए डिबार कर दिया, जिससे वह कोई ठेका नहीं ले सका।
20 नवंबर 2025 को दोनों ईएसआईसी अधिकारी शिकायतकर्ता के घर पहुंचे और उसका घर कुर्क करने का नोटिस थमा दिया। साथ ही कहा कि अगर 31 दिसंबर 2025 तक कुर्की और नीलामी की कार्रवाई रोकनी है, तो 50 हजार रुपये देने होंगे, जिसमें 30 हजार आरआरओ के लिए और 20 हजार एसएसओ खुद के लिए मांगे।
शिकायत मिलते ही सीबीआई ने 25 नवंबर को केस दर्ज किया और अगले ही दिन जाल बिछाया। सोशल सिक्योरिटी ऑफिसर को जैसे ही शिकायतकर्ता से 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते देखा गया, सीबीआई की टीम ने उसे धर दबोचा। इसके बाद रेवेन्यू रिकवरी ऑफिसर को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
दोनों को आज विजयवाड़ा में सीबीआई के स्पेशल जज कोर्ट में पेश किया जाएगा। आरोपियों के ठिकानों पर तलाशी अभी जारी है। सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का हिस्सा है। आम लोगों को परेशान कर रिश्वत मांगने वालों पर अब कड़ी नजर रखी जा रही है।
राष्ट्रीय समाचार
केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब

SUPRIM COURT
नई दिल्ली, 26 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट में केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से जुड़े मामलों को लेकर सुनवाई जारी है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच सुनवाई कर रही है।
केरल में एसआईआर के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से विस्तृत जवाब मांगा है। कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि वह इस मामले में अलग से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे।
कोर्ट ने कहा कि चूंकि केरल में अभी स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, इसलिए मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को टालने की मांग पर बिना आयोग को सुने कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। चुनाव आयोग को 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।
पश्चिम बंगाल में भी एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। पश्चिम बंगाल से जुड़े मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को तय की गई है। राज्य की ओर से पेश वकील कल्याण बनर्जी ने दावा किया कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान अत्यधिक दबाव के कारण अब तक 23 बीएलओ की मौत हो चुकी है।
तमिलनाडु में एसआईआर से जुड़े मामले की सुनवाई 4 दिसंबर को होगी। कोर्ट ने कहा कि तीनों राज्यों के मामलों में चुनाव आयोग की राय सुने बिना कोई रोक लगाने जैसा आदेश पारित नहीं किया जाएगा।
चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने बताया कि यह मामला पहले मद्रास हाईकोर्ट में भी गया था, जहां स्टेट इलेक्शन कमीशन ने कहा था कि उन्हें एसआईआर प्रक्रिया से कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने बताया कि 99 फीसदी वोटरों को फॉर्म मिल चुके हैं और 50 फीसदी से अधिक डेटा डिजिटाइज हो चुका है। राकेश द्विवेदी ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल इस मुद्दे पर लोगों में अनावश्यक भय पैदा कर रहे हैं।
इधर, याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया बहुत जल्दबाजी में चलाई जा रही है और बीएलओ पर अत्यधिक दबाव है। उन्होंने दावा किया कि असम में लागू फॉर्म की पद्धति की पूरे देश में कोई आवश्यकता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट अब सभी राज्यों और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया के बाद अगली सुनवाई में आगे की दिशा तय करेगा।
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