राजनीति
मुख्यमंत्री योगी ने वनटांगिया के साथ मनाई दिवाली, बोले रामराज्य की यही अवधारणा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को वनटांगिया गांव जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन में वनवासियों के बीच दिवाली मनाते हुए कहा कि शासन की जो योजनाएं पहले यहां सपना थीं, अब आसानी से हर पात्र तक उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा, कि आजादी के बाद भी 70 साल तक वनटांगिया गांवों में कोई बुनियादी सुविधा तो दूर वोटिंग का अधिकार तक नहीं था, वहां 2017 के बाद से विकास की नई गाथा लिखी गई है। अब यहां हर व्यक्ति के पास अपना पक्का मकान, शौचालय, बिजली, रसोई गैस, पीने को शुद्ध पानी, खेती के लिए जमीन का पट्टा, राशनकार्ड, आयुष्मान हेल्थ कार्ड, पात्रता के अनुसार पेंशन, समेत सरकार की सभी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित रूप से उपलब्ध है। रामराज्य इसी को कहते हैं। रामराज्य की वही अवधारणा वनटांगिया गांव में साकार हुई है।अयोध्या में जन्मभूमि पर रामलला और हनुमानगढ़ी का दर्शन करने के बाद वनटांगिया गांव तिकोनिया नम्बर तीन पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़क व अन्य बुनियादी सुविधाओं वाली आठ विकास परियोजनाओं का लोकार्पण-शिलान्यास किया। साथ ही उन्होंने गोरखपुर-महराजगंज के वनटांगिया गांवों में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानित कर उपहार दिए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजादी मिलने के बाद भी किसी ने उपेक्षित वनटांगिया समुदाय की सुध नहीं ली थी। यहां के लोगों के पास आवास, बिजली,सड़क, पानी, खेती के लिए जमीन जैसी सुविधाएं नहीं थीं। यहां तक कि इन लोगों को अपनी पसंद का प्रधान चुनने का अधिकार भी नहीं था। 2017 में हमारी सरकार बनी तो हमनें वनटांगिया गांवों को राजस्व गांव घोषित कर शासन की सभी योजनाओं व सुविधाओं का लाभ दिलाया। आज यहां हर एक परिवार के पास अपना पक्का आवास, शौचालय, खेती के लिए जमीन का पट्टा है। विभिन्न पेंशन योजनाओं का लाभ मिल रहा है। अब इन लोगों को वन विभाग या पुलिस के शोषण का शिकार नहीं होना पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि अब तक 874 लोगों को आयुष्मान कार्ड, 132 को किसान सम्मान निधि, 14 को मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, 833 लोगों को मुख्यमंत्री आवास योजना का लाभ मिल चुका है। 43 समूहों में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के कार्य हो रहे हैं। 916 को व्यक्तिगत शौचालय, 758 को उज्जवला योजना के तहत रसोई गैस कनेक्शन, 154 को वृद्धावस्था पेंशन, 71 को निराश्रित पेंशन, 33 को दिव्यांग पेंशन का लाभ मिला है। इसके साथ ही 3 से 6 वर्ष के 195 बच्चों, 6 माह से 3 वर्ष तक के 232 बच्चों व 34 गर्भवती महिलाओं को पुष्टाहार योजना से लाभान्वित किया जा रहा है। सड़क, बिजली, पानी और स्कूल जैसी सभी वह सुविधाएं उपलब्ध हैं जो पहले सपना लगती थीं, अब यहां ओवरहेड टैंक से शुद्ध जल की व्यवस्था होने जा रही है। जल जीवन मिशन के तहत घर घर पानी पहुंचाया जाएगा।
योगी ने अपने संबोधन के दौरान वनटांगियों से अपील की कि वे जंगल की सुरक्षा जरूर करेंगे। जंगल को ना तो खुद नुकसान पहुंचाएंगे और ना ही किसी को नुकसान पहुंचाने देंगे। वन सुरक्षा से ही पहचान बनेगी। जंगल बचे रहेंगे तो समृद्धि आएगी जिसका लाभ आपको भी मिलेगा। इस दौरान मुख्यमंत्री ने एक बुजुर्ग द्वारा कुछ लोगों के शराब पीने की शिकायत पर समझाया कि यह बहुत बुरी बात है। सभी लोग संकल्प लें, शराब न बनानी है और न ही पीनी है।
योगी ने यह भी अपील की की वनटांगिया लोग अपने बच्चों को खूब पढ़ाएं। बच्चों की पढ़ाई को लेकर सरकार ने हर तरह की व्यवस्था कर रखी है। बालिकाओं को तो स्नातक तक मुफ्त शिक्षा दी जा रही है । मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार स्नातक और परास्नातक में पढ़ने वाले युवाओं को मुफ्त टैबलेट या स्मार्ट फोन देने जा रही है ताकि उनकी ऑनलाइन पढ़ाई में कोई दिक्कत न आने पाए।
योगी ने अपील की सांसद से लेकर ग्राम पंचायत सदस्य तक हर स्तर के जनप्रतिनिधि और अधिकारी गरीबों संग दिवाली की खुशियां साझा करें।
जंगल तिकोनिया नंबर तीन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंचीय कार्यक्रम के बाद यहां विभिन्न विभागों की तरफ से स्टालों के माध्यम से लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया। प्रदर्शनी के जरिये लोगों को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी जा रही थी।
महाराष्ट्र
हजरत सैयद बाले शाह पीर दरगाह ध्वस्तीकरण आदेश, चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश, दरगाह प्रबंधन को राहत

मुंबई: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मुंबई के मीरा भयंदर स्थित हजरत सैयद बाले शाह पीर दरगाह को संरक्षण प्रदान किया है तथा चार सप्ताह के लिए ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। महाराष्ट्र सरकार चार सप्ताह के भीतर अदालत में जवाब दाखिल करेगी, जिसके बाद ही दरगाह को गिराने की प्रक्रिया पर निर्णय लिया जाएगा।
राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बांकोले ने सदन में 20 मई तक धर्मस्थल को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया था और सार्वजनिक बयान भी जारी किया था, लेकिन किसी तरह का कोई नोटिस जारी नहीं किया गया। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर प्रभावी रोक लगाने का आदेश दिया और दरगाह प्रशासन द्वारा दायर याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब भी मांगा।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि किसी सरकारी नोटिस के अभाव के बावजूद, राज्य विधानसभा में मंत्री के सार्वजनिक बयानों और हाल की पुलिस रिपोर्ट के आधार पर ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि दरगाह 350 साल पुरानी है और फिर भी राज्य सरकार ने इसे अवैध संरचना के रूप में वर्गीकृत किया है। ट्रस्ट ने दावा किया है कि संपत्ति का औपचारिक पंजीकरण भी 2022 में कराने की मांग की गई है और यह मंदिर दशकों से उसी स्थान पर स्थित है। याचिकाकर्ता के अनुसार, बॉम्बे हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने 15 और 16 मई को तत्काल सुनवाई की याचिकाओं को गलती से खारिज कर दिया था। दरगाह प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पुलिस ने 15 मई को एक नोटिस भी जारी किया था। नोटिस में ट्रस्ट के सदस्यों को चेतावनी दी गई थी कि वे विध्वंस प्रक्रिया में बाधा या व्यवधान न डालें। ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया 20 मई के लिए निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई बिना किसी कानूनी आदेश या उचित प्रक्रिया, जैसे नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए बिना की गई, जो उनके अधिकारों का उल्लंघन है। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी और महाराष्ट्र सरकार को उस समयावधि के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।
अपराध
झारखंड के शराब घोटाले में आईएएस विनय चौबे से एंटी करप्शन ब्यूरो ने शुरू की पूछताछ

रांची, 20 मई। झारखंड में शराब घोटाले में पीई (प्रिलिमिनरी इन्क्वायरी) दर्ज करने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने आईएएस और तत्कालीन एक्साइज सेक्रेटरी विनय कुमार चौबे से पूछताछ शुरू की है।
मंगलवार को एसीबी की टीम उनके आवास पर पहुंची और इसके बाद उन्हें अपने साथ कार्यालय लेकर पहुंची है।
सूत्रों के अनुसार, उनसे उनके कार्यकाल में झारखंड में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर लागू हुई एक्साइज पॉलिसी की कथित गड़बड़ियों के बारे में पूछताछ की जा रही है।
दरअसल, इस मामले की जड़ें छत्तीसगढ़ से जुड़ी हैं, जहां शराब घोटाले में स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के अफसरों और कई बड़े कारोबारियों की भूमिका सामने आई है।
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच वहां की आर्थिक अपराध शाखा ने शुरू की थी। इसके बाद ईडी ने भी इस मामले में जांच शुरू की।
ईडी को इस दौरान यह भी जानकारी मिली कि जिस सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला किया, उसी ने झारखंड में भी नई उत्पाद नीति लागू करवाई और यहां भी उसी तर्ज पर घोटाला दोहराया गया।
इसी आधार पर ईडी की छत्तीसगढ़ इकाई ने झारखंड के तत्कालीन एक्साइज सेक्रेटरी विनय चौबे को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था।
पूछताछ के दौरान चौबे ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि उत्पाद नीति सरकार की सहमति से लागू की गई थी। बाद में झारखंड के एक व्यक्ति ने छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट ने ही झारखंड में सुनियोजित घोटाला किया।
इसके बाद ईडी ने इसमें ईसीआईआर दर्ज कर जांच शुरू की और अक्टूबर 2024 में आईएएस विनय चौबे सहित कई लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी।
जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध शाखा में एक प्राथमिकी दर्ज होने के बाद झारखंड एसीबी ने राज्य सरकार की अनुमति के बाद पीई दर्ज कर जांच शुरू की है।
राजनीति
नाना पटोले ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखा पत्र, प्रोटोकॉल न मानने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

नई दिल्ली, 20 मई। महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले ने मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। पत्र में मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई के दौरे को लेकर प्रोटोकॉल का पालन न करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की है।
नाना पटोले ने लिखा, “आपको यह पत्र लिखते समय अत्यंत पीड़ा हो रही है। बहुजन समाज के गौरव, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई का महाराष्ट्र सरकार एवं राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपमान किया गया है। एक महाराष्ट्र पुत्र के रूप में उनका मुंबई में सत्कार करने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में प्रोटोकॉल के अनुसार राज्य महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस आयुक्त की उपस्थिति अपेक्षित थी, परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। अंततः मुख्य न्यायाधीश ने अपने भाषण में यह टिप्पणी की कि मेरे इस कार्यक्रम में इन अधिकारियों को आने की योग्यता नहीं लगती, तो यह विचार उन्हें स्वयं करना चाहिए। यह वक्तव्य अत्यंत दुखदायक है और यह स्पष्ट संकेत देता है कि महाराष्ट्र सरकार अपने ही सुपुत्र का सम्मान करने में विफल रही है।”
उन्होंने आगे लिखा, “न्यायमूर्ति भूषण गवई डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के विचारों के अनुयायी हैं, इस कारण उनके साथ यह व्यवहार जानबूझकर किया गया ऐसा संदेह संपूर्ण महाराष्ट्र में व्यक्त किया जा रहा है। संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के सम्मान के लिए एक निर्धारित प्रोटोकॉल होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र सरकार ने इस प्रोटोकॉल की अवहेलना की है।”
पटोले ने अंत में विनम्र अपील की। कहा- यह अपमान केवल भूषण गवई का नहीं, बल्कि महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहू महाराज और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का भी है। इस अपमान के लिए राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए, ऐसी आपसे विनम्र प्रार्थना करता हूं। आपकी कार्रवाई से भविष्य में कोई भी सरकार और अधिकारी किसी संवैधानिक पद पर बैठे शख्स का अपमान करने का साहस नहीं करेंगे, ऐसी अपेक्षा करता हूं।
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