राजनीति
बिहार चुनाव : नीतीश पर भारी पड़ा मोदी का ‘चेहरा’ !

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में दोनों गठबंधनों में कांटे की टक्कर है। अब तक मिले रूझानों के बाद भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेतृत्व वाले महागठबंधन पर बढ़त बनाए हुए है।
राजग में शामिल जनता दल युनाइटेड इस चुनाव में एक बार फिर ‘बड़े भाई’ की भूमिका में थे और भाजपा से अधिक सीटों पर चुनाव भी लड़ रहे थे, लेकिन अभी तक रूझानों पर नजर डालें तो इस चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारी पड़े हैं।
मतगणना में अभी तक मिल रहे रूझानों पर गौर करें तो भाजपा जहां 5 सीटों पर चुनाव जीत चुकी है जबकि 67 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। इधर, जदयू के दो प्रत्याशी चुनाव जीत चुके हैं तथा 41 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। ऐसे में यह तय है कि भाजपा इस बार जदयू से अधिक सीटें लाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां भी रैलियां की, वहां राजग को लाभ मिला है। प्रधानमंत्री ने बिहार चुनाव के दौरान चार दिनों में कुल 12 रैलियां की थीं, जिसमें राजग के प्रत्याशियों को काफी लाभ हुआ है।
प्रधानमंत्री की कुल 12 चुनावी सभाओं में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 6 जगह साथ रहे थे और राजग के लिए वोट मांगे थे। प्रधानमंत्री ने अपनी 12 चुनावी सभाओं में 110 विधानसभा क्षेत्रों के लोगों को संबोधित किया था और उन्होंने राजग के लिए वोट मांगे थे। मतगणना के रूझानों पर गौर करें तो इनमें से 55 से 60 सीटों पर राजग के प्रत्याशी या तो निर्णायक बढ़त बना चुके हैं या फिर आगे चल रहे हैं।
भाजपा ने इस चुनाव में भले ही मुख्यमंत्री के चेहरा को लेकर नीतीश कुमार के नाम की घोषणा कर दी थी, लेकिन भाजपा ने होर्डिग और पोस्टरों में केवल नरेंद्र मोदी की तस्वीर ही लगाई थी, जिसे लेकर विरोधी दलों के नेताओं ने सवाल भी उठाए थे।
इधर भाजपा के एक नेता ने नाम प्राकशित नहीं करने की शर्त पर कहते हैं, “मोदी की सभी रैलियों में आई भीड़ मत के रूप में परिवर्तित हुई, लेकिन नीतीश कुमार का एंटी इनकंबेंसी फैक्टर कई प्रत्याशियों के लिए परेशनी का कारण बना।”
उन्होंने लोजपा को भी एक कारण बताया। उन्होंने कहा कि लोजपा ने जदयू के लिए परेशानी खड़ी कर दी है।
उल्लेखनीय है कि लोजपा ने ‘मोदी तुझसे बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं’ स्लोगन के साथ अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी।
महाराष्ट्र
समीर वानखेड़े को बदनाम करने की साजिश… कॉर्डेलिया क्रूज़ को ड्रग मामले में बचाने का गंभीर आरोप, अनुशासन समिति की रिपोर्ट के बाद जज इरफान शेख ने किया खारिज

मुंबई: एनसीबी के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े को बदनाम करने की कोशिश एक बार फिर शुरू हो गई है। अब ताजा मामला जज इरफान शेख की बर्खास्तगी का है, जिसमें समीर वानखेड़े पर यह आरोप लगाया गया है। कॉर्डेलिया क्रूज मामले में जज इरफान शेख को गिरफ्तार करने की बजाय उनकी टीम ने जज को बचा लिया है। अतिरिक्त मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट इरफान शेख उस समय स्प्लेंडिड कोर्ट के जज के रूप में तैनात थे। वह वर्तमान में पालघर और ठाणे जिले के जज के रूप में कार्यरत थे। पद का दुरुपयोग, जब्त ड्रग्स का इस्तेमाल, नशे में धुत होकर रफी अहमद किदवई मार्ग पर अपनी कार से एक टैक्सी को टक्कर मारना, अनुपातहीन संपत्ति के साथ अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करना, नायर अस्पताल में अपनी पहचान छिपाकर झूठा और भ्रामक पता दर्ज कराना और बिना जमा कराए कार वापस लेना जैसे गंभीर आरोपों के बाद हाईकोर्ट ने अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत जज को सेवा से बर्खास्त कर दिया है इसमें कहीं भी कॉर्डेलिया क्रूज़ ड्रग केस का ज़िक्र नहीं है, लेकिन समीर वानखेड़े पर जज की मदद करने का आरोप लग रहा है। समीर वानखेड़े ने इससे साफ़ इनकार किया है और कहा है कि पुलिस रिपोर्ट या न्यायिक समिति की रिपोर्ट में कॉर्डेलिया क्रूज़ ड्रग केस का कोई ज़िक्र नहीं है।
जब इस संबंध में दस्तावेज़ और प्रतियां हासिल की गईं, तो कॉर्डेलिया क्रूज़ ड्रग केस का कोई ज़िक्र नहीं था। समीर वानखेड़े लगातार बॉलीवुड के निशाने पर हैं, इसलिए शाहरुख खान की कंपनी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट ने उनके ख़िलाफ़ बॉलीवुड की बदनामी की एक श्रृंखला तैयार की थी, जिसके ख़िलाफ़ समीर वानखेड़े ने दिल्ली हाईकोर्ट में मानहानि का मुक़दमा दायर किया है और इसकी सुनवाई जल्द ही होने की संभावना है। समीर वानखेड़े और उनके परिवार के ख़िलाफ़ बदनामी का सिलसिला लंबा हो गया है और यही वजह है कि इरफ़ान शेख़ मामले में भी समीर वानखेड़े को बदनाम करने की कोशिश तेज़ हो गई है, लेकिन समीर वानखेड़े या एनसीबी टीम की इस मामले में कोई भूमिका या संलिप्तता नहीं है।
महाराष्ट्र
मुसलमानों को ‘आई लव मुहम्मद’ के स्टिकर चिपकाना बंद करना चाहिए, किरीट सोमैया और नितेश राणे की आलोचना, अबू आसिम आज़मी पर नफ़रत के एजेंडे पर काम करने का आरोप

मुंबई: महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक अबू आसिम आज़मी ने मुसलमानों से अपील की है कि वे पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम) के पदचिन्हों और शिक्षाओं पर चलें और आई लव मुहम्मद के स्टिकर चिपकाना बंद करें क्योंकि यह सरकार स्टिकर चिपकाने पर कार्रवाई कर रही है और लाठियां भी बरसा रही है। उन्होंने कहा कि आई लव मुहम्मद स्टिकर को लेकर मचाया जा रहा बवाल देश के लिए खतरा है, लेकिन इसके बावजूद सरकार मुसलमानों पर कार्रवाई कर रही है। बरेली हिंसा पर आज़मी ने कहा कि आई लव मुहम्मद अब फिरकापरस्तों के लिए एक मौका है जिसकी आड़ में वे नफरती एजेंडा चला रहे हैं। इसलिए अब मुसलमानों को आई लव मुहम्मद के स्टिकर चिपकाने की बजाय अपनी सच्ची शिक्षाओं और दिल से उनसे मोहब्बत करनी चाहिए और स्टिकर चिपकाने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि किरीट सोमैया हर दिन ऐ लो मुहम्मद और मुसलमानों को लेकर भड़काऊ बातें दिखाते हैं, इसके साथ ही कुर्ला में जो स्टिकर चिपकाए गए थे वो वाहन मालिकों की मर्जी से चिपकाए गए थे, इस पर बवाल और हंगामा मचाने की जरूरत नहीं है, लेकिन किरीट सोमैया का कोई मोल नहीं है, इसीलिए वो हर दिन नफरत का एजेंडा चलाते हैं। भाजपा नेता नितेश राणे की धमकी का जवाब देते हुए विधायक अबू आसिम आजमी ने कहा कि नितेश राणे के पास नफरत फैलाने के अलावा और कोई काम नहीं है, इसीलिए मैं उनकी बातों का जवाब नहीं देना चाहता। हाथी चलता है, कुत्ते भौंकते हैं। उन्होंने कहा कि नितेश राणे हनुमान चालीसा और भागवत गीता पूजा पाठ भी ठीक से नहीं कर सकते, वो सिर्फ राम के नाम पर राजनीति करते हैं।
राष्ट्रीय समाचार
केंद्र 7 से 9 अक्टूबर को होने वाले ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में जीडीपी से लेकर सीपीआई तक प्रमुख आंकड़ों को करेगा प्रदर्शित

नई दिल्ली, 6 अक्टूबर : केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को कहा गया कि 7 से 9 अक्टूबर को मुंबई में होने वाले ग्लोबल फिनटेक फेस्ट (जीएफएफ) में जीडीपी, सीपीआई और प्रमुख श्रम बाजार आंकड़ों जैसे सांख्यिकीय संकेतकों को प्रदर्शित किया जाएगा।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) विजिटर्स को आकर्षित करने और मंत्रालय की पहलों को प्रभावी रूप से संप्रेषित करने के लिए इंफोग्राफिक्स, वीडियो और इंटरेक्टिव डिस्प्ले जैसे क्रिएटिव विजुअल्स को प्रदर्शित करेगा
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “एक डेडिकेटेड स्टॉल और क्यूरेटेड इवेंट आधिकारिक आंकड़ों के उभरते परिदृश्य और डेटा गैप् को खत्म करने में फिनटेक की भूमिका को प्रदर्शित करेंगे।”
फिनटेक डेटा पर आधारित है और मंत्रालय इंडस्ट्री इंटेलिजेंस और आधिकारिक आंकड़ों के बीच तालमेल की तलाश कर रहा है।
एमओएसपीआई द्वारा उद्योग जगत के प्रमुख नामों के साथ आयोजित एक पैनल डिस्कशन में इस बात पर चर्चा की जाएगी कि राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणालियों द्वारा किए गए सर्वेक्षणों जैसे बड़े पैमाने के सर्वेक्षणों को बाजार के आंकड़ों से कैसे पूरक बनाया जा सकता है ताकि कंज्यूमर बिहेवियर, उद्यम आवश्यकताओं और फाइनेंशियल इंक्लूजन गैप्स के बारे में गहन जानकारी प्राप्त की जा सके।
यह फिनटेक कंपनियों, नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं के लिए एक खुला आह्वान है कि वे अधिक मजबूत मॉडल बनाएं, इंक्लूसिव प्रोडक्ट डिजाइन करें और एविडेंस-ड्रिवन ग्रोथ का रोडमैप तैयार करें।
एमओएसपीआई सचिव 8 अक्टूबर को एक फायरसाइड चैट का हिस्सा बनेंगे।
मंत्रालय ने कहा, “डेटा को जब सार्वजनिक वस्तु के रूप में देखा जाता है तो इसमें नई आर्थिक संभावनाओं को उजागर करने और समावेशी विकास को गति देने की शक्ति होती है। यह चर्चा सहयोगी डेटा फ्रेमवर्क की भूमिका पर प्रकाश डालेगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जानकारी समय पर, पारदर्शी और डिजिटल अर्थव्यवस्था में सभी हितधारकों के लिए लाभकारी हो।”
सचिव, फिनटेक उद्योग के प्रतिनिधियों और नियामकों के साथ फिनटेक इकोसिस्टम के साथ ‘डिजिटल इंडिया: बिल्डिंग अ स्मार्टर डेटा पार्टनरशिप’ के लिए स्टैटिस्टिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर एक क्लोज्ड रूम सेशन की अध्यक्षता भी करेंगे।
मंत्रालय ने कहा कि डिजिटल इकोनॉमी में स्मार्टर पॉलिसी और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए मजबूत स्टैटिस्टिकल इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद महत्वपूर्ण है।
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