व्यापार
वित्तीय लेनदेन को बढ़ावा देगा एआई, 84 प्रतिशत भारतीयों को भरोसा : रिपोर्ट
बेंगलुरु, 26 फरवरी। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 84 प्रतिशत भारतीय उपभोक्ताओं को उम्मीद है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से वित्तीय लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा।
कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट में ग्लोबल लीडर ‘सेल्सफोर्स’ की बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई एजेंटों में भारतीय उपभोक्ताओं का भरोसा बनाने वाले मुख्य कारक ट्रांसपैरेंसी, यूजर कंट्रोल और बिल्ट-इन प्रोटेक्शन हैं।
मीडिया रिपोर्ट ने खुलासा किया कि कैसे एआई एजेंट वित्तीय सेवा उद्योग में प्रतिस्पर्धियों के उत्पाद और उनकी सेवाओं में अंतर के लिए नए अवसर प्रदान करते हैं।
लगभग 74 प्रतिशत भारतीय उम्मीद करते हैं कि एआई दूसरे उद्योगों की तुलना में वित्तीय सेवाओं के विस्तार में बड़ी भूमिका निभाएगा। ऐसा सोचने वालों में 74 प्रतिशत जेन जेड (1996 के बाद पैदा होने वाले) और 79 प्रतिशत मिलेनियल्स (1981 से 1996 के बीच पैदा होने वाले) हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एजेंटिक (स्वायत्त) एआई रोलआउट हो चुके हैं, इसलिए ट्रस्ट बनाए रखने की जरूरत है।
लगभग 87 प्रतिशत भारतीय उपभोक्ता वित्तीय सेवाओं में एआई एजेंटों के उपयोग पर कम से कम कुछ हद तक भरोसा करते हैं। केवल 29 प्रतिशत ही पूरी तरह से इसके पक्ष में हैं।
भारत का वित्तीय सेवा क्षेत्र एक निर्णायक दौर से गुजर रहा है, जिसमें एआई-आधारित नवाचार उपभोक्ताओं के अपने वित्तीय संस्थानों के साथ संवाद करने के तरीके को नया रूप दे रहा है।
सेल्सफोर्स (दक्षिण एशिया) के ईवीपी और एमडी अरुण परमेश्वरन ने कहा, “एजेंटफोर्स जैसे एजेंटिक एआई सॉल्यूशन के उदय में समय की कमी और पहुंच जैसी पारंपरिक बाधाओं को दूर करते हुए मांग आधारित व्यक्तिगत वित्तीय सिफारिशें प्रदान करने की क्षमता है।”
उन्होंने कहा, “हालांकि, इसकी पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए, वित्तीय संस्थानों को शुरू से ही अपनी एआई रणनीति में विश्वास, ट्रांसपैरेंसी और कड़े विनियामक अनुपालन को प्राथमिकता देनी चाहिए।”
रिपोर्ट के अनुसार, ‘विशिष्ट सेवाएं’ और ‘बेहतरीन अनुभव’ दरों और शुल्कों पर भारी पड़ सकते हैं। लगभग 67 प्रतिशत भारतीय ऐसे प्रदाता के साथ बने रहेंगे जो बेहतरीन सेवा प्रदान करता है, भले ही शुल्क बढ़ जाए। यह उच्च आय वालों (70 प्रतिशत) के लिए विशेष रूप से सच है।
व्यापार
भारतीय शेयर बाजार खुलते ही ऑटो, फार्मा और रियल्टी सेक्टर में दिखी सबसे ज्यादा गिरावट

मुंबई, 18 दिसंबर: सप्ताह के चौथे कारोबारी दिन गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार लाल निशान में खुला। एशियाई बाजारों में कमजोरी का असर भारतीय शेयर बाजार पर दिखा, जिसके चलते बाजार सुस्त दिखा। इसके साथ ही बाजार में लगातार चौथे दिन गिरावट देखने को मिली।
गुरुवार के सत्र में घरेलू बाजार के प्रमुख बेंचमार्क एनएसई निफ्टी 25,764.70 पर ओपन हुआ और बीएसई सेंसेक्स 84,518.33 पर खुला।
शुरुआती कारोबार में यानी सुबह 9:25 पर सेंसेक्स 79.21 अंकों यानी 0.09 प्रतिशत के साथ 84,480.44 स्तर पर कारोबार करता हुआ नजर आया। जबकि निफ्टी 22.90 (0.09 प्रतिशत) अंकों की गिरावट के साथ 25,795.65 पर ट्रेड करता दिखाई दिया।
शुरुआती सत्र में निफ्टी आईटी और निफ्टी डिव ऑप्स 50 को छोड़कर निफ्टी के सभी इंडेक्स लाल निशान में कारोबार करते हुए दिखाई दिए।
सेक्टर के हिसाब से देखें तो ऑटो, फार्मा और रियल्टी सेक्टर में सबसे ज्यादा गिरावट रही, जहां 1 प्रतिशत तक की कमजोरी दर्ज की गई। वहीं आईटी सेक्टर और पीएसयू बैंकों के शेयरों में क्रमशः करीब 0.9 प्रतिशत और 0.25 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली।
व्यापक बाजार की बात करें तो मिडकैप शेयरों में हल्की गिरावट रही, जबकि स्मॉलकैप शेयरों में भी थोड़ी कमजोरी देखने को मिली।
सेंसेक्स पैक में इन्फोसिस, एचसीएल टेक, टीसीएस, टेक महिंद्रा, आईटीसी, एक्सिस बैंक के शेयर टॉप गेनर्स में शामिल रहे, जबकि टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स (टीएमपीवी), सन फार्मा, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एनटीपीसी और एशियन पेंट्स के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली।
वहीं बुधवार को घरेलू बाजार लाल निशान में बंद हुआ। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 120.21 अंक या 0.14 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 84,559.65 पर और निफ्टी 41.55 अंक या 0.16 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,818.55 पर क्लोज हुआ था।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी बाजार में एआई ट्रेड का कमजोर होना एक बढ़ती हुई प्रवृत्ति बन रही है। यह प्रवृत्ति 2026 की शुरुआत में भी जारी रहने की संभावना है और इससे नॉन-एआई मार्केट्स जैसे भारत को फायदा हो सकता है।
उन्होंने कहा कि अब बाजार में एक चिंता ये है कि क्या जापान का केंद्रीय बैंक आज ब्याज दरें बढ़ाएगा और कड़ा संदेश देगा।अगर ऐसा हुआ, तो इससे ‘येन कैरी ट्रेड’ का पलटाव हो सकता है, जिससे एफआईआई और अधिक बिकवाली कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में निवेशकों को बाजार में कमजोरी का फायदा उठाते हुए अच्छे और उचित मूल्य वाली कंपनियों के शेयर खरीदना चाहिए।
राजनीति
चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपया कर सकता है दमदार वापसी : एसबीआई रिपोर्ट

नई दिल्ली, 17 दिसंबर: चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपया दमदार वापसी कर सकता है और डॉलर के मुकाबले इसकी वैल्यू में इजाफा देखने को मिल सकता है। यह जानकारी एसबीआई रिसर्च की ओर से बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
एसबीआई रिसर्च ने कहा कि वैश्विक अस्थिरता और भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील में देरी के कारण डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट देखने को मिली है।
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के व्यापार आंकड़ों से पता चलता है कि उसने लंबे समय तक चलने वाली अनिश्चितता, अधिक संरक्षणवाद और श्रम आपूर्ति में आए झटकों से निपटने में काफी मजबूती दिखाई है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ.सौम्या कांती घोष ने कहा, “जियोपोलिटिकल रिस्क इंडेक्स अप्रैल 2025 से कम हुआ है और अप्रैल-अक्टूबर 2025 अवधि के लिए इंडेक्स की मौजूदा औसत वैल्यू अपने दशकीय स्तर से ऊपर है। यह इंडेक्स दिखाता है कि वैश्विक अनिश्चितताएं भारतीय रुपए पर कितना दबाव डाल रही हैं।”
घोष ने आगे कहा कि रुपया अभी अपने गिरावट के दौर में है और जल्द यह इससे बाहर निकलेगा।
डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट का सिलसिला देखा जा रहा है। रुपया अपने मनोवैज्ञानिक स्तर 90 को पार कर चुका है और 91 के स्तर पर पहुंच गया है।
हालांकि, गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूत वृद्धि देखने को मिली है। यह 90.25 पर पहुंच गया है।
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, रुपए में मौजूदा गिरावट (दिनों की संख्या के हिसाब से) सबसे तेज है। एक साल से भी कम समय में, रुपया प्रति डॉलर 85 से गिरकर 90 पर आ गया है।
2 अप्रैल, 2025 को अमेरिका द्वारा दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर व्यापक शुल्क वृद्धि की घोषणा के बाद से भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 5.7 प्रतिशत (प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक) गिर गया है।
हालांकि, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर आशावाद के कारण बीच-बीच में इसमें तेजी भी देखने को मिली है।
व्यापार
एमसीएक्स पर चांदी ने बनाया नया रिकॉर्ड, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से मिला सपोर्ट

मुंबई, 17 दिसंबर: पिछले कुछ समय से उतार-चढ़ाव के बाद भी कीमती धातुओं (गोल्ड और सिल्वर) की कीमतें लगातार आसमान छू रही हैं। इस बीच मजबूत अंतरराष्ट्रीय संकेतों और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद के चलते बुधवार को चांदी की कीमतों ने एक नया रिकॉर्ड बनाया।
बुधवार के कारोबारी सत्र में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सिल्वर की कीमतें 4 प्रतिशत से ज्यादा की उछाल के साथ 2,06,111 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गईं, जो कि अब तक का सबसे उच्चतम स्तर है। हालांकि खबर लिखे जाने तक (दोपहर 12.30 बजे) मार्च डिलीवरी वाला सिल्वर 7,417 रुपए (3.75 प्रतिशत) की तेजी के साथ 2,05,172 रुपए प्रति किलोग्राम पर था।
वहीं अगर सोने की बात करें, तो कारोबारी सत्र में कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। खबर लिखे जाने तक एमसीएक्स पर फरवरी डिलीवरी वाला गोल्ड 65 रुपए यानी 0.05 प्रतिशत गिरकर 1,34,344 रुपए प्रति 10 ग्राम पर कारोबार करते हुए दिखाई दिया।
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर सोने की कीमत 1,35,500 रुपए से ऊपर टिकती है, तो इसमें और तेजी आ सकती है और इसके दाम 1,36,000 से 1,38,000 रुपए तक जा सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी की कीमतों में जोरदार तेजी देखने को मिली। स्पॉट सिल्वर 2.8 प्रतिशत बढ़कर 65.63 डॉलर प्रति औंस हो गई, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है।
सोने की कीमत भी थोड़ी बढ़कर 4,321.56 डॉलर प्रति औंस हो गई, जिसकी वजह अमेरिकी डॉलर का कमजोर होना था।
अमेरिका के कमजोर रोजगार आंकड़ों के बाद सिल्वर की कीमतों में तेज उछाल आया, जिससे फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें मजबूत हुईं।
आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में अमेरिका में बेरोजगारी दर बढ़कर 4.6 प्रतिशत हो गई, जिससे पता चलता है कि वहां की अर्थव्यवस्था थोड़ी धीमी हो रही है। जब ब्याज दरें कम होती हैं, तो लोग ऐसे उपकरणों में निवेश करना पसंद करते हैं जिन पर ब्याज नहीं मिलता, जैसे सोना और चांदी।
दुनिया में बढ़ते राजनीतिक तनाव ने भी चांदी की कीमत बढ़ाने में मदद की। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला से जुड़े तेल जहाजों पर रोक लगाने का आदेश दिया, जिससे वहां हालात और तनावपूर्ण हो गए। इस वजह से लोग सुरक्षित निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं।
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