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Wednesday,17-September-2025
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पत्नी की प्रॉपर्टी पर पति का कोई हक नहीं बनता, ‘स्त्रीधन’ पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 5 बड़ी बातें।

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स्त्रीधन सुप्रीम कोर्ट का फैसला:सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारों से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाया है। अदालत के अनुसार, पत्नी के ‘स्त्रीधन’ पर पति का कोई अधिकार नहीं बनता। दूसरे शब्दों में, पत्नी की प्रॉपर्टी पर पति को किसी तरह का हक हासिल नहीं है। कोर्ट ने कहा कि मुसीबत के वक्त में पति जरूर पत्नी की संपत्ति (स्त्रीधन) का इस्तेमाल कर सकता है। लेकिन बाद में उसे पत्नी को लौटा देना पति की नैतिक दायित्व बनता है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि ‘स्त्रीधन’ प्रॉपर्टी शादी के बाद पति और पत्नी की साझा संपत्ति नहीं बन जाती। पति का उस संपत्ति पर किसी तरह का मालिकाना हक नहीं बनता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शादी आपसी विश्वास पर टिकी होती है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की। अदालत एक महिला की याचिका सुन रही थी जिसके पति ने उसे मायके से मिला सोना रख लिया था। कोर्ट ने आदेश दिया कि सोने के बदले पति अपनी पत्नी को 25 लाख रुपये अदा करे। पढ़ें, ‘स्त्रीधन’ पर सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले की 5 बड़ी बातें।

क्या था मामला: महिला के मुताबिक, शादी के वक्त उसे अपने परिवार से सोने के 89 सिक्के गिफ्ट में मिले थे।शादी की पहली रात को ही पति ने पत्नी की सारी ज्वेलरी ले ली। गहने सुरक्षित रखने के नाम पर अपनी मां को सौंप  दिए। महिला का आरोप है कि उसके पति और सास ने गहनों में हेरफेर किया।अपने कर्ज चुकाने के लिए उन्होंने महिला के गहने बेच दिया।शादी के बाद, महिला के पिता ने उसके पिता को 2 लाख रुपये का चेक भी दिया था।

कोर्ट में पहुंचा मामला: 2011 में फैमिली कोर्ट ने पाया कि पति और उसकी मां ने महिला के सोने का गबन किया था। कोर्ट ने कहा कि महिला को जो नुकसान हुआ, वह उसकी भरपाई की हकदार है। पति ने फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ केरल हाई कोर्ट में अपील दायर की। HC ने फैमिली कोर्ट के फैसले को पलट दिया। कहा कि महिला यह साबित नहीं कर पाई कि उसके पति और सास ने गहनों से छेड़छाड़ की थी। इसके बाद महिला सुप्रीम कोर्ट चली गई।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा: जस्टिस खन्ना और जस्टिस दत्ता की बेंच ने साफ कहा कि ‘स्त्रीधन’ पति-पत्नी की साझा संपत्ति नहीं है। पत्नी की संपत्ति पर पति का कोई अधिकार नहीं बनता। अदालत ने कहा, ‘पति का उसकी (पत्नी) स्त्रीधन संपत्ति पर कोई नियंत्रण नहीं है। वह मुसीबत के समय इसका इस्तेमाल कर सकता है लेकिन उसे वापस करना पति का नैतिक दायित्व है।’

‘स्त्रीधन क्या होता है: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘शादी से पहले, शादी के दौरान और विदाई या उसके बाद महिला को उपहार में मिली संपत्तियां उसका ‘स्त्रीधन’ होती हैं। यह उसकी पूर्ण संपत्ति है और वह अपनी इच्छानुसार इसका जो चाहे कर सकती है।’

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: शीर्ष अदालत ने कहा कि महिला ने 89 सोने के सिक्कों के बदले में रुपयों की वसूली के लिए सफलतापूर्वक कार्रवाई शुरू की है। साल 2009 में इनका मूल्य 8.90 लाख रुपये था। बेंच ने कहा, ‘इस दौरान फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखना, बिना किसी अतिरिक्त बात के, उसके साथ अन्याय होगा। समय बीतने, जीवन-यापन की बढ़ती लागत और समानता तथा न्याय के हित को ध्यान में रखते हुए, हम संविधान के अनुच्छेद 142 द्वारा दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए अपीलकर्ता को 25,00,000 रुपये की राशि प्रदान करना ठीक समझते हैं।’

राष्ट्रीय समाचार

2008 मालेगांव विस्फोट मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पीड़ितों के अधूरे विवरण के कारण बरी किए जाने के खिलाफ अपील पर सुनवाई स्थगित की

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मुंबई: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बुधवार को 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सात आरोपियों को बरी करने के खिलाफ अपील पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें पीड़ितों के अपीलकर्ता परिवार के सदस्यों के बारे में अधूरी जानकारी प्रस्तुत की गई थी।

इस मामले में बरी किये गये सात आरोपियों में पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित भी शामिल हैं।

इससे पहले, मंगलवार को उच्च न्यायालय ने कहा कि विस्फोट मामले में बरी किये जाने के खिलाफ अपील दायर करना “सभी के लिए खुला रास्ता नहीं है” और यह भी पूछा कि क्या पीड़ितों के परिवार के सदस्यों से मुकदमे में गवाह के रूप में पूछताछ की गई थी।

बुधवार को अपीलकर्ताओं के वकील ने विवरण का एक चार्ट प्रस्तुत किया, लेकिन मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने कहा कि यह अधूरा है।

परिवार के सदस्यों के वकील ने पीठ को बताया कि प्रथम अपीलकर्ता निसार अहमद, जिनके बेटे की विस्फोट में मृत्यु हो गई थी, मुकदमे में गवाह नहीं थे।

उन्होंने बताया कि हालांकि, विशेष अदालत ने अहमद को मुकदमे के दौरान हस्तक्षेप करने और अभियोजन पक्ष की सहायता करने की अनुमति दी थी।

वकील ने कहा कि छह अपीलकर्ताओं में से केवल दो से ही अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में पूछताछ की गई।

उच्च न्यायालय ने कहा कि चार्ट में ऐसा उल्लेख नहीं है।

अदालत ने कहा, “चार्ट भ्रामक है। आपको इसे ठीक से सत्यापित करने की आवश्यकता है। इन व्यक्तियों की जांच की गई थी या नहीं, यही सवाल है। चार्ट अधूरा है।” और सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी।

उच्च न्यायालय विस्फोट में जान गंवाने वाले छह लोगों के परिजनों द्वारा बरी किये जाने के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था।

29 सितम्बर 2008 को, महाराष्ट्र के नासिक जिले में मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट हो गया, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और 101 अन्य घायल हो गए।

अपील में विशेष अदालत के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें मामले में पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सात आरोपियों को बरी कर दिया गया था।

मंगलवार को उच्च न्यायालय की पीठ ने जानना चाहा कि क्या परिवार के सदस्यों से मुकदमे में गवाह के रूप में पूछताछ की गई थी।

पिछले हफ़्ते दायर अपील में दावा किया गया था कि दोषपूर्ण जाँच या जाँच में कुछ खामियाँ अभियुक्तों को बरी करने का आधार नहीं हो सकतीं। इसमें यह भी तर्क दिया गया था कि (विस्फोट की) साज़िश गुप्त रूप से रची गई थी, इसलिए इसका कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं हो सकता।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि विशेष एनआईए अदालत द्वारा 31 जुलाई को पारित आदेश, जिसमें सात आरोपियों को बरी किया गया था, गलत और कानून की दृष्टि से खराब था और इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए।

अपील में कहा गया है कि निचली अदालत के न्यायाधीश को आपराधिक मुकदमे में “डाकिया या मूकदर्शक” की भूमिका नहीं निभानी चाहिए। अपील में आगे कहा गया है कि जब अभियोजन पक्ष तथ्य उजागर करने में विफल रहता है, तो निचली अदालत प्रश्न पूछ सकती है और/या गवाहों को तलब कर सकती है।

अपील में कहा गया, “दुर्भाग्यवश, ट्रायल कोर्ट ने मात्र एक डाकघर की तरह काम किया है और अभियुक्तों को लाभ पहुंचाने के लिए अपर्याप्त अभियोजन की अनुमति दी है।”

इसमें मीडिया द्वारा मामले की जांच और सुनवाई के तरीके पर भी चिंता जताई गई तथा आरोपियों को दोषी ठहराने की मांग की गई।

अपील में कहा गया है कि राज्य के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने सात लोगों को गिरफ्तार करके एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया और तब से अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी वाले क्षेत्रों में कोई विस्फोट नहीं हुआ है।

इसमें दावा किया गया कि एनआईए ने मामला अपने हाथ में लेने के बाद आरोपियों के खिलाफ आरोपों को कमजोर कर दिया।

विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि मात्र संदेह वास्तविक सबूत का स्थान नहीं ले सकता तथा दोषसिद्धि के लिए कोई ठोस या विश्वसनीय सबूत नहीं है।

एनआईए अदालत की अध्यक्षता कर रहे विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने कहा था कि आरोपियों के खिलाफ कोई भी “विश्वसनीय और ठोस सबूत” नहीं है, जो मामले को संदेह से परे साबित कर सके।

अभियोजन पक्ष का कहना था कि यह विस्फोट दक्षिणपंथी उग्रवादियों द्वारा सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मालेगांव शहर में मुस्लिम समुदाय को आतंकित करने के इरादे से किया गया था।

एनआईए अदालत ने अपने फैसले में अभियोजन पक्ष के मामले और की गई जांच में कई खामियों को चिन्हित किया था तथा कहा था कि आरोपी व्यक्ति संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं।

ठाकुर और पुरोहित के अलावा आरोपियों में मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे।

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राजनीति

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर शाइना एनसी बोलीं, ‘यूएस ने माना हमारा महत्व’

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मुंबई, 17 सितंबर। भारत-अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता को लेकर रिश्ते सुधर रहे हैं। भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता फिर से शुरू होने पर शिवसेना नेता शाइना एनसी ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने यह मान लिया है कि व्यापारिक भागीदार के तौर पर भारत कितना महत्वपूर्ण है।

शिवसेना नेता शाइना एनसी ने ट्रंप के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है और मुझे पूरा विश्वास है कि दोनों महान देशों के लिए किसी सफल निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई कठिनाई नहीं होगी। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को अपना ‘महान मित्र’ बताते हुए कहा कि वह उनसे बात करेंगे।

शिवसेना नेता शाइना एनसी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “अमेरिका ने भारत को एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार के रूप में मान्यता दी है और यह समझा है कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल केवल भारत या अमेरिका तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अन्य देशों तक भी विस्तारित हो सकती है। जितनी जल्दी वे इसे समझेंगे, उतना ही बेहतर होगा।”

शाइना एनसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 75वें जन्मदिन की बधाई दी। उन्होंने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री ने देश के लिए अपने खून की आखिरी बूंद तक समर्पित कर दी है। तेरापंथ युवक परिषद, दक्षिण मुंबई, जायंट्स वेलफेयर फाउंडेशन और शिवसेना कार्यकर्ताओं की ओर से हमने मेगा रक्तदान शिविर का आयोजन किया है, जो भारत के लिए अपना योगदान देने वाले व्यक्ति (प्रधानमंत्री) को समर्पित है।”

कांग्रेस सांसद प्रणिता शिंदे के बयान पर शाइना एनसी ने पलटवार किया। उन्होंने कहा, “हम उन लोगों का स्वागत करते हैं जिन्होंने अपनी शुभकामनाएं दीं, क्योंकि ये दिल से दी गई प्रार्थनाएं हैं। लेकिन कांग्रेस पार्टी के सदस्य घटिया बयान देते हैं, उन्हें गंभीरता से आत्ममंथन करना चाहिए, क्योंकि भारत की 140 करोड़ की आबादी पीएम मोदी के सम्मान में खड़ी है।”

पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद अफरीदी द्वारा लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की तारीफ करने पर शिवसेना नेता ने कहा, “भारत को पाकिस्तान या किसी पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर से कोई सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। हमारे पास 140 करोड़ नागरिकों का समर्थन है, जो काफी है।”

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राजनीति

‘मोदी जी में दिखता था भविष्य का नेता, पहले ही समझ गए थे राजनाथ सिंह’, रक्षा मंत्री ने बताया पुराना किस्सा

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नई दिल्ली, 17 सितंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘मोदी स्टोरी’ के तहत उनके साथ अपनी राजनीतिक यात्रा, उनके विचारों, अनुशासन, गहन ज्ञान और चुनौतियों को स्वीकार करने के साहस पर विस्तार से बात की। राजनाथ सिंह ने पीएम मोदी के नेतृत्व, संगठनात्मक कौशल और उनकी संवेदनशीलता की जमकर सराहना की।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि जब मुरली मनोहर जोशी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब नरेंद्र मोदी ने भारत यात्रा के दौरान कन्वीनर की जिम्मेदारी निभाई थी। झांसी में उनकी मुलाकात मोदीज जी से हुई। मोदी जी की भाषण शैली और विषय प्रस्तुति ने उन्हें प्रभावित किया। राजनाथ सिंह ने कहा, “उस समय मेरे मन में यह भाव आया कि अगर भाजपा की लीडरशिप में कोई एक फ्यूचर है तो मोदी जी हैं।”

2006 में जब राजनाथ सिंह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब भी उनकी पीएम नरेंद्र मोदी के साथ कई मुलाकातें हुईं। ‘मोदी स्टोरी’ में रक्षा मंत्री ने बताया, “राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उनके सुझाव बहुत उपयोगी और सटीक होते थे। संगठन के दृष्टिकोण से उनके विचार हमेशा प्रासंगिक रहे।”

उन्होंने पीएम मोदी के अनुशासन की सराहना करते हुए एक घटना का जिक्र किया, जब चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद मोदी जी अशोका रोड स्थित उनके आवास पर आए और कहा, “अध्यक्ष जी, मैं अपना रिपोर्ट कार्ड देने आया हूं। मैंने आपके दिए कैंपेन का काम पूरा कर लिया है।”

राजनाथ सिंह ने बताया कि मोदी जी ने मुख्यमंत्री बनने से पहले ही एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में कई विदेशी यात्राएं कीं और विश्व को समझने की उनकी ललक बचपन से थी।

उन्होंने कहा, “मुझे यह बाद में पता चला था कि उन्होंने कई विदेशी यात्राएं मुख्यमंत्री बनने से पहले ही कर ली थीं। तब वे संगठन की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। एक सामान्य व्यक्ति के रूप में उन्होंने दुनिया के कई देशों का दौरा किया। समाज और दुनिया को समझने की उनकी ललक, मुझे लगता है कि ये बचपन से रही है।”

रक्षा मंत्री ने पीएम नरेंद्र मोदी के साहस और संवेदनशीलता की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “मैंने उन्हें कभी किसी चुनौती से घबराते या डरते नहीं देखा। उनकी काल्पनिक क्षमता और संवेदनशीलता अद्भुत है। किसी दर्दनाक घटना पर उनकी आंखों में आज भी आंसू आ जाते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि मोदी जी की अथक परिश्रम की क्षमता और नेतृत्व ‘दैवीय कृपा’ का परिणाम है।

राजनाथ ने कहा, “उन्हें किसी चुनौती से घबराते हुए मैंने कभी नहीं देखा है। मुझे लगता है कि उनके ऊपर ‘दैवीय कृपा’ है। बिना ईश्वर की कृपा से यह क्षमता ऐसे ही नहीं आती है। घबराते हुए और डरते हुए मैंने कभी मोदी जी को नहीं देखा है। वे काल्पनिक क्षमता के भी अद्भुत धनी हैं। उतने ही संवेदनशील हैं।”

रक्षा मंत्री ने ‘मोदी स्टोरी’ में बताया कि 2013 में जब नरेंद्र मोदी जी को चुनाव समिति का अध्यक्ष और बाद में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया, तब 17-18 राज्यों में उनके साथ मेरे दौरे हुए। उनके सुझावों ने चुनाव प्रचार को प्रभावी और सफल बनाया। राजनाथ सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि मोदी की कहानियां और किस्से सुनकर आज भी आनंद की अनुभूति होती है।

आखिर में राजनाथ सिंह ने कहा, “मुझे लगता है कि भगवान ने सोच-समझकर उन्हें इस धरती पर भेजा है। उनकी अथक परिश्रम की क्षमता, संवेदनशीलता और नेतृत्व बिना ईश्वरीय कृपा के संभव नहीं है।”

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