राजनीति
तेलंगाना के उप मुख्यमंत्री, पांच मंत्रियों ने पदभार संभाला

तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क और पांच अन्य मंत्रियों ने गुरुवार को पदभार संभाला।
भट्टी, जिनके पास वित्त और योजना तथा ऊर्जा विभाग हैं, ने वैदिक मंत्रोच्चार और पंडितों के आशीर्वाद के बीच सुबह 8.21 बजे पदभार ग्रहण किया।
कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, उन्होंने चुनाव में कांग्रेस द्वारा लोगों को दी गई छह गारंटियों में से दो के लिए धन जारी करने से संबंधित फाइलों पर हस्ताक्षर किए।
उन्होंने महालक्ष्मी योजना का समर्थन करने के लिए टीएसआरटीसी को 374 करोड़ रुपये जारी किए, जिसके तहत सरकार ने बसों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा प्रदान की।
भट्टी ने जरूरतमंदों को राजीव आरोग्य श्री के तहत 10 लाख रुपये तक का इलाज मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग को 298 करोड़ रुपये जारी करने का आदेश भी जारी किया।
उन्होंने बिजली सब्सिडी के रूप में 996 करोड़ रुपये की राशि जारी करने से संबंधित फाइल पर हस्ताक्षर किये।
उपमुख्यमंत्री ने मुलुगु जिले के मेदाराम में प्रसिद्ध आदिवासी त्योहार-सम्मक्का सरलम्मा के संबंध में व्यवस्था के लिए 75 करोड़ रुपये जारी करने की फाइल पर हस्ताक्षर किए।
सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार, उद्योग और वाणिज्य मंत्री, डी. श्रीधर बाबू कार्यभार संभालने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने सुबह 6.30 बजे पदभार ग्रहण किया।
नालामाडा उत्तम कुमार रेड्डी ने सिंचाई और सीएडी, खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला; सी. दामोदर राजनरसिम्हा ने स्वास्थ्य, चिकित्सा और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी ने राजस्व एवं आवास और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया। सीताक्का ने पंचायती राज और ग्रामीण विकास, महिला एवं बाल कल्याण मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला।
जब मंत्रियों ने अपने-अपने कक्ष में कार्यभार संभाला तो वरिष्ठ अधिकारी, विधायक और कांग्रेस नेता मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी, उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क और 10 अन्य मंत्रियों ने 7 दिसंबर को शपथ ली थी।
कुछ मंत्रियों ने शपथ लेने के एक दिन बाद ही कार्यभार संभाल लिया था।
राजनीति
‘हम पर लग रहा कार्यपालिका के अधिकारों में दखल देने का आरोप’, बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग पर बोले जस्टिस गवई

नई दिल्ली, 21 अप्रैल। वक्फ कानून लागू होने के बाद पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। वकील विष्णु शंकर जैन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा। हालांकि, बंगाल में राष्ट्रपति लगाने की मांग पर जस्टिस बीआर गवई ने कहा, ” वैसे भी हम पर आरोप लग रहा है कि हम कार्यपालिका के अधिकारों में दखल दे रहे हैं।”
दरअसल, वकील विष्णु शंकर जैन ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। उन्होंने जस्टिस गवई की बेंच से कहा कि राज्य में मौजूदा हिंसा को देखते हुए अर्धसैनिक बलों की तत्काल तैनाती की आवश्यकता है।
विष्णु जैन की टिप्पणी पर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि आप चाहते हैं कि हम इसे लागू करने के लिए राष्ट्रपति को आदेश जारी करें? वैसे भी हम पर कार्यपालिका में अतिक्रमण करने का आरोप है। हम पर आरोप लग रहा है कि हम कार्यपालिका के अधिकारों में दखल दे रहे हैं।
विष्णु जैन ने कहा कि इस मामले पर पहले से बंगाल में पोस्ट पोल हिंसा की मेरी याचिका लंबित है, जिस पर कोर्ट 2022 में नोटिस जारी कर चुका है। यह मामला कल सुनवाई के लिए लिस्टेड है। इसी मामले में हमने बंगाल में वर्तमान हिंसा को लेकर एक अर्जी दाखिल की है, जिसमें अर्धसैनिक बलों की तैनाती, तीन रिटायर जजों की निगरानी में जांच कराने और राज्यपाल से इस मामले की रिपोर्ट मांगने की अपील की है। इसमें हिंदुओं के पलायन संबंधी जानकारी मुहैया कराने की भी याचना की गई है।
दरअसल, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन कानून के विरोध में भड़की हिंसा के बाद हालात तनावपूर्ण हैं। इस हिंसा से डरकर दर्जनों परिवारों का पलायन जारी है।
इस हिंसा के बीच भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था, “अगर सुप्रीम कोर्ट कानून बनाता है तो संसद को बंद कर देना चाहिए।”
हालांकि, भाजपा ने सांसद निशिकांत दुबे और पार्टी के राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट और देश के मुख्य न्यायाधीश पर दिए गए बयान से किनारा कर लिया है। दोनों नेताओं ने वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट की चल रही सुनवाई के संदर्भ में न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल उठाए। भारतीय जनता पार्टी ने इन बयानों से किनारा करते हुए इसे इन नेताओं की व्यक्तिगत राय करार दिया और ऐसी टिप्पणियों से बचने का निर्देश जारी किया।
राजनीति
‘आज की नीतियां तय करेंगी एक हजार साल का भविष्य’, सिविल सर्विस डे पर बोले पीएम मोदी

नई दिल्ली, 21 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित 17वें सिविल सेवा दिवस कार्यक्रम में शिरकत की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कई अधिकारियों को सम्मानित किया। पीएम मोदी ने कहा कि हम आज जिन नीतियों पर काम कर रहे हैं, जो निर्णय ले रहे हैं, वे एक हजार साल का भविष्य तय करने वाले हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “इस बार का सिविल सर्विस डे कई वजहों से बहुत विशेष है। इस साल हम अपने संविधान का 75वां वर्ष मना रहे हैं और यह सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती का भी साल है। 21 अप्रैल, 1947 को सरदार वल्लभभाई पटेल ने आप सभी को ‘भारत का स्टील फ्रेम’ कहा था यानी ईमानदारी और अनुशासन से भरे सिविल सेवक।”
उन्होंने कहा, “सरदार वल्लभभाई पटेल ने स्वतंत्र भारत की ब्यूरोक्रेसी की नई मर्यादाएं तय की थीं। एक ऐसा सिविल सर्वेंट जो राष्ट्र की सेवा को अपना सर्वोत्तम कर्तव्य माने, जो लोकतांत्रिक तरीके से प्रशासन चलाए, जो ईमानदारी, अनुशासन और समर्पण से भरा हुआ हो।”
प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर पर दिए अपने भाषण का जिक्र करते हुए कहा, “कुछ समय पहले मैंने लाल किले से कहा था कि आज के भारत को आने वाले 1 हजार साल की नींव को मजबूत करना है। एक हिसाब से देखें तो 1 हजार साल की सहस्त्राब्दी के पहले 25 साल बीत गए हैं। यह नई शताब्दी का 25वां साल है और नई सहस्त्राब्दी का भी 25वां साल है। हम आज जिन नीतियों पर काम कर रहे हैं, जो निर्णय ले रहे हैं, वे 1 हजार साल का भविष्य तय करने वाले हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “आज हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं, जो तेजी से बदल रही है। हमारी नौकरशाही और नीति-निर्माण पुरानी प्रणालियों पर काम नहीं कर सकते। यही कारण है कि 2014 से ही व्यवस्थागत बदलाव को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है। हम खुद को बहुत तेजी से बदल रहे हैं। भारत का आकांक्षी समाज- चाहे वह युवा हो, किसान हो या महिलाएं, वह अभूतपूर्व सपने और महत्वाकांक्षाएं रखता है। इन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हमें उतनी ही अभूतपूर्व गति से प्रगति की आवश्यकता है।”
पीएम मोदी ने विकसित भारत की बात करते हुए कहा, “विकसित भारत के हमारे लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भी विकास रथ के हर चक्र को मिलकर चलना है। दृढ़ प्रतिज्ञ होकर हर क्षण, हर दिन इस लक्ष्य के लिए काम करना है। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जीना है, जिंदगी खपानी है।”
उन्होंने सिविल सेवा की थीम “भारत का समग्र विकास” पर कहा, “मुझे खुशी है कि इस साल की सिविल सेवा की थीम भारत का समग्र विकास है। यह सिर्फ एक थीम नहीं है बल्कि यह राष्ट्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है। समग्र विकास का मतलब है कि कोई भी परिवार, नागरिक या गांव पीछे न छूटे। वास्तविक प्रगति छोटे-मोटे बदलावों के बारे में नहीं है, बल्कि बड़े पैमाने पर सार्थक प्रभाव के बारे में है। हर घर में साफ पानी होना चाहिए और हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए।”
महाराष्ट्र
प्रस्तावित कोलाबा जेट्टी परियोजना में कार पार्किंग को लेकर पर्यावरणविदों ने मैरीटाइम बोर्ड और बीएमसी में शिकायत दर्ज कराई

मुंबई: गेटवे ऑफ इंडिया के निकट प्रस्तावित जेटी परियोजना के खिलाफ नागरिकों द्वारा उठाई गई आपत्तियों के सिलसिले में एक और घटनाक्रम में, एक पर्यावरण कार्यकर्ता ने जेटी पर प्रस्तावित कार पार्किंग स्थल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
पर्यावरणविद ज़ोरू भथेना ने महाराष्ट्र समुद्री बोर्ड (एमएमबी), महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एमसीजेडएमए) और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को लिखे अपने पत्र में अधिकारियों को याद दिलाया है कि प्रस्तावित जेटी समुद्र के पानी के अंदर बनाई जा रही है, जो तटीय विनियमन क्षेत्र-4 है। शिकायत पत्र में कहा गया है, “यह नावों के लिए जेटी है। कारों के लिए नहीं।”
राज्य सरकार ने गेटवे ऑफ इंडिया और रेडियो क्लब के बीच अपोलो बंदर पर प्रस्तावित जेटी के लिए 229 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। पिछले महीने बंदरगाह और मत्स्य पालन मंत्री नितेश राणे ने इसका भूमिपूजन किया था, हालांकि कोलाबा के निवासी इस परियोजना का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
क्लीन हेरिटेज कोलाबा रेजिडेंट्स एसोसिएशन (सीएचसीआरए) यातायात संबंधी समस्याओं, पर्यावरणीय क्षति, हेरिटेज क्षेत्र को होने वाले नुकसान तथा जेटी परियोजना के कारण उत्पन्न होने वाली अन्य समस्याओं की ओर ध्यान दिला रहा है।
भथेना द्वारा शिकायत पत्र में एक मीडिया का हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि जेटी पर 1.58 एकड़ की बड़ी कार पार्किंग प्रस्तावित है। “इस प्रस्तावित जेटी पर वाहनों की आवाजाही/पार्किंग की अनुमति नहीं है, जिसका खुलासा 25 अगस्त, 2014 को MCZMA की 93वीं बैठक में की गई अनुशंसा में पहले ही हो चुका है। ऐसा प्रतीत होता है कि जेटी के आसपास पार्किंग की जगह की कमी के कारण समुद्र के अंदर कुछ सौ कार पार्किंग जोड़ने की योजना बनाई गई है।”
पत्र में यह भी कहा गया है कि ताज महल होटल, जो इस क्षेत्र में सबसे ज़्यादा कारों का संचालन करता है, ने अपनी पार्किंग को बंद करके रखा है, जिससे आस-पास की सड़कों पर पहले से ही भीड़भाड़ वाली पार्किंग और यातायात की समस्या और बढ़ गई है। इसमें बीएमसी से बंद पार्किंग स्थलों को उपलब्ध कराने की मांग की गई है।
भथेना ने कहा, “एमएमबी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रस्तावित जेटी का उद्देश्य जल परिवहन ही हो, अन्य कोई उद्देश्य नहीं। हम एमसीजेडएमए से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं कि सीआरजेड विनियमन का उल्लंघन करते हुए कोई कार्य नियोजित या क्रियान्वित न किया जाए। वहीं बीएमसी को आसपास के क्षेत्र में मौजूदा कार पार्किंग स्थलों को खोलना चाहिए।”
इस बीच, सीएचसीआरए ने कोलाबा जेटी परियोजना के बारे में सभी स्वीकृतियों, व्यवहार्यता अध्ययन आदि सहित 27 दस्तावेजों की मांग की थी, लेकिन अभी भी अधिकारियों से उक्त दस्तावेज मिलने का इंतजार है। एसोसिएशन ने कहा कि 19 अप्रैल को स्थानीय विधायक और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के साथ उनकी बैठक हुई थी और उन्हें वादा किया गया है कि 22 अप्रैल तक उन्हें मांगे गए सभी दस्तावेज दे दिए जाएंगे।
जेटी का काम तब तक रुका हुआ है जब तक निवासियों को मांगे गए सभी दस्तावेज नहीं मिल जाते और उनके सभी सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं मिल जाता। कोलाबा के नाराज निवासियों और विधायक नार्वेकर ने राणे के साथ बैठक कर अपनी आपत्ति जताने के बाद 29 मार्च को मंत्री राणे ने इस पर रोक लगाने का आदेश दिया था।
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