अंतरराष्ट्रीय
फेडरल बैंक के इस वर्ष ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी के अनुमान से एशियाई बाजार 15 माह के निचले स्तर पर

अमेरिका के केन्द्रीय बैंक के प्रमुख की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की पुष्टि के बाद एशियाई बाजारों में पिछले 15 माह की जोरदार गिरावट दर्ज की गई है।
रूस और यूक्रेन के बीच राजनीतिक तनाव, आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं और तेल की बढ़ती कीमतों के बारे में निवेशक चिंतित हैं। अमेरिकी फेडरल बैंक की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की घोषणा ने गुरुवार को वित्तीय बाजारों में हलचल पैदा कर दी है।
बीएनपी पारिबा मार्केट्स 360 के मुख्य वैश्विक अर्थशास्त्री लुइगी स्पेरांजा को अब उम्मीद है कि फेडरल बैंक इस साल छठी बार ब्याज दरें बढ़ाएगा।
द गार्जियन ने बताया हमने फेड प्रमुख पॉवेल की टिप्पणी को पढ़ा है कि यह चक्र पिछले एक से अलग है, और एक संकेत के रूप में कहा गया है किफेड बाजारों पर पहले की तुलना में अधिक सख्ती कस सकता है। हमने इस वर्ष के लिए अपने अनुमान को पिछले के चार से छह आधार अंक की बढ़ोतरी में स्थानांतरित कर दिया है। अब उम्मीद करते हैं कि फेड फंड का लक्ष्य 2023 के अंत तक 2.25-2.50 प्रतिशत है, जो हमारे पहले के अनुमान से 25 आधार अंक से अधिक है। इस साल छठी बार बढ़ोतरी अमेरिकी इक्विटी के लिए चुनौतियां हैं।
पिछले महीने, फेड ने कहा था कि वर्ष 2022 में दरों में तीन गुना वृद्धि की जाएगी।
सिडनी में ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म आईजी के विश्लेषक काइल रोड्डा ने कहा, कि फेड का लक्ष्य मंहगाई दर को कम करना है जापान में निक्केई ने 3 प्रतिशत से अधिक की गिरावट का सामना किया है जबकि सियोल में कोस्पी का प्रदर्शन भी नकारात्मक रहा। हांग कांग के बाजार में 2.5 फीसदी और सिडनी में करीब 2 फीसदी की गिरावट आई है।
जापान के बाहर क्षेत्रीय बाजारों में एमएसीआई नवंबर 2020 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर 2 प्रतिशत से अधिक गिर गया। वायदा कारोबार के अनुसार,एफटीएसई100 का गुरुवार की सुबह खुलने पर लगभग 2 प्रतिशत गिरना तय है। वॉल स्ट्रीट के बाजारों में भी भारी नुकसान हो रहा है।
अमेरिका में पाइनब्रिज इन्वेस्टमेंट्स में ग्लोबल मल्टी-एसेट के प्रमुख माइक केली ने कहा कि यह अमेरिकी शेयरों से बाहर निकलने का संकेत था। रिपोर्ट में कहा गया है, यह लंबी अवधि की संपत्ति बेचने के बारे में है,इसलिए हम अमेरिकी इक्विटी के लिए कम जोखिम में हैं।
अंतरराष्ट्रीय
बांग्लादेश में हिंदू नेता की हत्या : भारत ने की निंदा, कहा – अपनी जिम्मेदारी निभाए यूनुस सरकार

नई दिल्ली, 19 अप्रैल। भारत ने शनिवार को बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के एक प्रमुख नेता भाबेश चंद्र रॉय के अपहरण और क्रूर हत्या की निंदा की। विदेश मंत्रालय ने इसे देश की अंतरिम सरकार के तहत अल्पसंख्यकों के ‘व्यवस्थित उत्पीड़न के पैटर्न’ का हिस्सा बताया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि यह घटना बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ लक्षित हिंसा की खतरनाक ट्रेंड को दर्शाती है।
जायसवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “हमने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक नेता भाबेश चंद्र रॉय के अपहरण और क्रूर हत्या को व्यथित रूप से देखा। यह हत्या अंतरिम सरकार के तहत हिंदू अल्पसंख्यकों के व्यवस्थित उत्पीड़न के पैटर्न का अनुसरण करती है, जबकि पिछली ऐसी घटनाओं के अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं।”
प्रवक्ता ने कहा, “हम इस घटना की निंदा करते हैं और एक बार फिर अंतरिम सरकार को याद दिलाते हैं कि वह बिना कोई बहाना बनाए या भेदभाव किए, हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभाए।”
बांग्लादेश पूजा उडजापान परिषद की बिराल इकाई के उपाध्यक्ष रॉय को गुरुवार शाम दिनाजपुर जिले में उनके घर से अगवा कर लिया गया।
पुलिस और परिवार के अनुसार, उन्हें शाम करीब 4:30 बजे एक फोन आया, जिसके बाद चार अज्ञात लोग मोटरसाइकिल पर आए और उन्हें जबरन नाराबारी गांव ले गए।
कथित तौर पर रॉय पर हमला किया गया और वे बेहोश पाए गए। उन्हें दिनाजपुर के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
भारत में विपक्षी नेताओं ने भी पड़ोसी देश में हुई इस घटना की निंदा की।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर भी हमले जारी हैं। हाल ही में बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के बारे में बहुत ही निंदनीय और निराशाजनक टिप्पणी की। बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, मानवाधिकारों का उल्लंघन, 1971 के मुक्ति संग्राम की यादों को मिटाने की कोशिश, भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को कमजोर करने का प्रयास है। 1971 से लेकर आज तक भारत ने हमेशा बांग्लादेश के सभी लोगों के लिए शांति और समृद्धि की कामना की है। यही उपमहाद्वीप के सर्वोत्तम हित में है।”
व्यापार
सीबीआईसी ने जीएसटी रजिस्ट्रेशन की प्रोसेसिंग के लिए जारी किए संशोधित दिशानिर्देश

नई दिल्ली, 18 अप्रैल। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने शुक्रवार को जीएसटी रजिस्ट्रेशन आवेदनों की प्रोसेसिंग के लिए अधिकारियों को संशोधित निर्देश जारी किए हैं, इससे करदाताओं पर अनुपालन का बोझ कम होगा और नियम-आधारित पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
सरकार के इस कदम को व्यापार में आसानी करने के एक प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के दौरान आवेदकों को होने वाली परेशानियों को लेकर राजस्व विभाग (सीबीआईसी) को कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं।
ये शिकायतें मुख्य रूप से जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के दौरान अधिकारियों की ओर से मांगे जाने वाले अतिरिक्त दस्तावेजों को लेकर थीं।
शिकायतों का निवारण करने और जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को आसान बनाने के लिए सीबीआईसी ने नये दिशानिर्देश जारी किए हैं।।
वित्त मंत्रालय ने कहा, “अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे रजिस्ट्रेशन आवेदन पत्र में दिए गए दस्तावेजों की निर्धारित सूची का सख्ती से पालन करें। नए निर्देशों में विशिष्ट मामलों की स्थिति में रजिस्ट्रेशन आवेदन पत्र के साथ अपलोड किए जाने वाले आवश्यक दस्तावेजों की भी जानकारी दी गई है।”
मीडिया ने अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे छोटी-मोटी विसंगतियों या ऐसे अतिरिक्त दस्तावेजों के आधार पर नोटिस जारी न करें, जो आवेदनों के प्रोसेसिंग के लिए आवश्यक नहीं हैं।
इसके अतिरिक्त सरकारी एजेंसी ने कहा है कि विशिष्ट मामलों में संबंधित उप/सहायक आयुक्त से अनुमोदन लेने का भी निर्देश दिया गया है, जहां सूचीबद्ध दस्तावेजों के अलावा अन्य दस्तावेज मांगे जाने की आवश्यकता है।
मीडिया की ओर से मुख्य आयुक्तों को सलाह दी गई है कि वे जहां भी आवश्यक हो, बारीकी से निगरानी रखें और जरूरी ट्रेड नोटिस जारी करने के लिए सिस्टम विकसित करें।
साथ ही, यह भी सलाह दी गई है कि इन निर्देशों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
मंत्रालय ने कहा, “इससे जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्राप्त करने की प्रक्रिया में और सुविधा होगी, अनुपालन बोझ कम होगा और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा मिलेगा।”
व्यापार
यूएस रेसिप्रोकल पर टैरिफ 90 दिनों की रोक से हरे निशान में खुला शेयर बाजार

नई दिल्ली, 11 अप्रैल। भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत शुक्रवार को हरे निशान में हुई। सुबह 9:38 पर सेंसेक्स 1,349 अंक या 1.83 प्रतिशत की बढ़त के साथ 75,196 और निफ्टी 444 अंक की तेजी के साथ 22,843 पर था।
बाजार में तेजी की वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिनों के लिए रोक लगाना है। वहीं, 10 अप्रैल को महावीर जयंती की छुट्टी के कारण बाजार इस खबर पर प्रतिक्रिया नहीं दे पाया था, जिसके कारण आज बाजार में तेजी देखने को मिल रही है।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप भी हरे निशान में हैं। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 899 अंक या 1.81 प्रतिशत की तेजी के साथ 50,481 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 311 अंक या 2.04 प्रतिशत की बढ़त के साथ 15,568 पर था।
सेक्टोरल आधार पर ऑटो, फार्मा, एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी, मीडिया, प्राइवेट बैंक और इन्फ्रा के साथ करीब सभी इंडेक्स हरे निशान में हैं।
सेंसेक्स में टाटा मोटर्स, सन फार्मा, टाटा स्टील, टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक, बजाज फिनसर्व, अदाणी पोर्ट्स, बजाज फाइनेंस, इटरनल, एमएंडएम, पावर ग्रिड टॉप गेनर्स थे। वहीं, टीसीएस और एशियन पेंट्स ही लाल निशान में कारोबार कर रहे थे।
एशिया के ज्यादातर बाजारों में गिरावट के साथ कारोबार हो रहा था। टोक्यो, हांगकांग, बैंकॉक और सोल लाल निशान में थे, जबकि जकार्ता और शंघाई हरे निशान में थे। गुरुवार के कारोबारी सत्र में अमेरिकी शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट हुई। डाओ 2.50 प्रतिशत और नैस्डैक 4.31 प्रतिशत फिसलकर बंद हुआ।
भारतीय रुपया बुधवार के 86.69 के पिछले बंद स्तर के मुकाबले शुक्रवार को 51 पैसे बढ़कर 86.18 प्रति डॉलर पर खुला। वहीं, शुक्रवार को सोना पहली बार 3,200 डॉलर प्रति औंस के महत्वपूर्ण स्तर को पार कर एक नए उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जिसका कारण कमजोर डॉलर और बढ़ते व्यापार युद्ध था, जिसके कारण निवेशक सुरक्षित संपत्तियों में निवेश कर रहे हैं।
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