अंतरराष्ट्रीय
टी20 वर्ल्ड कप : पाकिस्तान ने नामीबिया को 190 रनों का दिया लक्ष्य

मोहम्मद रिजवान (79) की शानदार पारी की वजह से आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप के सुपर 12 में मंगलवार को यहां शेख जायद स्टेडियम में खेले जा रहे मैच में पाकिस्तान ने नामीबिया को 190 रनों का लक्ष्य दिया। टूर्नामेंट में पहली बार टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी पाकिस्तान ने 20 ओवरों में 2 विकेट के नुकसान पर 189 रन बनाए। टीम की ओर से एक बार फिर सलामी जोड़ी के रूप में कप्तान बाबर आजम और रिजवान के बीच 86 गेंद में 113 रनों की लंबी साझेदारी देखने को मिली। नामीबिया की ओर से डेविड विसे और जान फ्रिलिंक को एक-एक विकेट मिला। इनके अलावा टीम के अन्य गेंदबाज विरोधी टीम के बल्लेबाजों को झटका देने में नाकाम रहे।
इससे पहले, पहले बल्लेबाजी करने उतरी पाकिस्तान की शुरुआत बेहतरीन रही। उन्होंने पावरप्ले में बिना कोई विकेट गंवाए 29 रन बनाए। इस दौरान कप्तान बाबर और रिजवान ने शानदार बल्लेबाजी की। टीम का स्कोर 13 ओवरों में 101 रन पर पहुंचा दिया। इस दौरान कप्तान बाबर ने अपना अर्धशतक पूरा किया।
इसके बाद, कप्तान बाबर ने सात चौके की मदद से 49 गेंदों में 70 रन बनाकर आउट हो गए। तीसरे नंबर पर आए फखर जमान ने रिजवान के साथ मिलकर टीम के स्कोर को आगे बढ़ाया, जिसके कारण पाकिस्तान का स्कोर 15 ओवरों में एक विकेट के नुकसान पर 118 रन बने। इस बीच, जमान 5 रन बनाकर जल्द ही पवेलियन लौट गए।
चौथे नंबर में आए टीम के अनुभवी बल्लेबाज मोहम्मद हाफिज ने रिजवान के साथ मिलकर तेज गति से रन जोड़े, इस दौरान रिजवान ने भी अपना अर्धशतक पूरा किया और टीम के स्कोर को आगे बढ़ाया। रिजवान ने आठ चौके और चार छक्के मारकर 50 गेंदों में 79 नाबाद रन बनाए और हाफिज ने पांच चौके की मदद से 16 गेंदों में नाबाद 32 रन बनाए, जिसे टीम का स्कोर 20 ओवरों में 189 रनों तक पहुंच सका।
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिकी सीनेट की रिपोर्ट में ट्रंप की हत्या के प्रयास में सीक्रेट सर्विस की ‘चौंकाने वाली विफलताओं’ की निंदा की गई

वाशिंगटन, 14 जुलाई। अमेरिकी सीनेट ने पिछले साल एक चुनावी रैली के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या के प्रयास की अपनी जाँच के निष्कर्षों का विवरण देते हुए एक तीखी रिपोर्ट जारी की है। इसमें अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के संचालन और तैयारियों में “चौंकाने वाली विफलताओं” को उजागर किया गया है और इस घटना को राष्ट्रपति की सुरक्षा में एक गंभीर चूक बताया गया है।
सीनेट की होमलैंड सिक्योरिटी एंड गवर्नमेंटल अफेयर्स कमेटी (HSGAC) के अध्यक्ष, अमेरिकी सीनेटर रैंड पॉल ने रविवार को समिति की अंतिम रिपोर्ट जारी की, “जिसमें अमेरिकी सीक्रेट सर्विस (USSS) की “चौंकाने वाली विफलताओं” का ज़िक्र है, जिसके कारण 13 जुलाई, 2024 को बटलर, पेंसिल्वेनिया में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या के प्रयास में गोली मारकर हत्या कर दी गई।”
रिपोर्ट के अनुसार, 13 जुलाई, 2024 को एक बंदूकधारी बटलर फ़ार्म शो रैली के पास अमेरिकन ग्लास रिसर्च बिल्डिंग की छत पर चढ़ गया और गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें राष्ट्रपति ट्रंप समेत चार लोग घायल हो गए और दमकलकर्मी कोरी कॉम्पेरेटोरे की मौत हो गई। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कम से कम 25 मिनट पहले ही सीक्रेट सर्विस को संदिग्ध हमलावर के बारे में सूचना दी गई थी और उसके पास रेंजफाइंडर भी था।
इस हमले के बाद, अमेरिकी सीनेट की होमलैंड सुरक्षा और सरकारी मामलों की समिति (समिति) और अमेरिकी सीनेट की जांच पर स्थायी उपसमिति (PSI) ने एक संयुक्त-द्विपक्षीय जाँच शुरू की।
अध्यक्ष पॉल ने कहा, “बटलर, पेंसिल्वेनिया में जो हुआ, वह सिर्फ़ एक त्रासदी नहीं थी—यह एक कांड था। यूनाइटेड स्टेट्स सीक्रेट सर्विस विश्वसनीय खुफिया जानकारी पर कार्रवाई करने में विफल रही, स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय करने में विफल रही, और एक ऐसे हमले को रोकने में विफल रही जिसने लगभग एक पूर्व राष्ट्रपति की जान ले ली।”
उन्होंने आगे कहा, “इन नाकामियों के बावजूद, किसी को भी नौकरी से नहीं निकाला गया। और हम सिर्फ़ इतना जानते हैं कि मेरे द्वारा समन जारी करने के कारण ही थोड़ी-बहुत सज़ा दी गई। यह अस्वीकार्य है। यह निर्णय लेने में कोई एक चूक नहीं थी। यह हर स्तर पर सुरक्षा का पूर्ण विघटन था—नौकरशाही की उदासीनता, स्पष्ट प्रोटोकॉल का अभाव और प्रत्यक्ष खतरों पर कार्रवाई करने से चौंकाने वाला इनकार। हमें व्यक्तियों को जवाबदेह ठहराना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि सुधार पूरी तरह से लागू हों ताकि ऐसा दोबारा न हो।”
समिति की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यूएसएसएस ने चुनाव अभियान के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों, संसाधनों और संसाधनों के कई अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया था।
रिपोर्ट में कहा गया है, “समिति को उपलब्ध कराए गए यूएसएसएस दस्तावेज़ों के अनुसार, यूएसएसएस मुख्यालय ने 2024 के चुनाव अभियान के दौरान अतिरिक्त संसाधनों के लिए डोनाल्ड ट्रंप डिवीजन (डीटीडी) के कम से कम 10 अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया या पूरा नहीं किया, जिनमें उन्नत काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (सी-यूएएस) संसाधन, काउंटर असॉल्ट टीम (सीएटी) के कर्मचारी और काउंटर स्नाइपर कर्मचारी शामिल हैं।”
रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि “यह कोई एक गलती नहीं थी, बल्कि यह रोकी जा सकने वाली असफलताओं का एक सिलसिला था, जिसके कारण राष्ट्रपति ट्रम्प को अपनी जान गँवानी पड़ी।”
अंतरराष्ट्रीय
ओबामा ने ईरान को बहुत कुछ दिया, मैं नहीं देने वाला: ट्रंप

वाशिंगटन, 30 जून। ईरान पर भविष्य में क्या अमेरिका हमला करेगा या नहीं, फिलहाल इसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। ईरान के उप-विदेश मंत्री अमेरिका के साथ भविष्य में किसी भी कूटनीतिक और न्यूक्लियर वार्ता पर शर्त रख चुके हैं। ऐसे में ट्रंप ने कहा है कि अब वह ईरान से बात नहीं कर रहे हैं।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर लिखा, “मैं ईरान को कुछ भी नहीं दे रहा हूं। ओबामा की तरह, जिन्होंने ‘परमाणु हथियार जेसीपीओए (जो अब समाप्त हो जाएगा) के तहत अरबों डॉलर का भुगतान किया था। इतना ही नहीं, मैं उनसे इस विषय पर बात भी नहीं करने वाला हूं, क्योंकि हमने उनकी न्यूक्लियर फैसिलिटी को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है।”
ट्रंप शुक्रवार को उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर चुके थे, जिनमें कहा गया था कि उनके प्रशासन ने सिविलियन एनर्जी प्रोड्यूसिंग न्यूक्लियर प्रोग्राम बनाने के लिए ईरान को 30 बिलियन डॉलर तक की मदद करने की चर्चा की थी।
रविवार को ‘बीबीसी’ से बातचीत में माजिद तख्त-रवांची ने कहा था कि अमेरिका को ईरान के खिलाफ किसी भी हमले से इनकार करना चाहिए। इसके साथ ही उप-विदेश मंत्री ने कहा कि ईरान के खिलाफ भविष्य के हमलों पर ट्रंप प्रशासन की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।
माजिद ने बताया कि अमेरिका ने मध्यस्थ देशों से कहा है कि वह ईरान के साथ बातचीत करना चाहता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि वह भविष्य में हमले करेगा या नहीं।
अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर फैसिलिटी नतांज, फोर्डो और इस्फाहान को नष्ट किया था। इस फैसले के साथ अमेरिका इजरायल-ईरान के बीच संघर्ष में कूद पड़ा था।
इसके जवाब में ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इसके बाद ट्रंप ने ईरान-इजरायल के बीच युद्ध विराम की घोषणा की थी।
अंतरराष्ट्रीय
ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु ने ट्रंप-नेतन्याहू के खिलाफ जारी किया ‘फतवा’

तेहरान, 30 जून। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ने एक ‘फतवा’ जारी करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ‘ऊपर वाले का दुश्मन’ बताया है। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरुओं में से एक हैं।
शीर्ष शिया धर्मगुरु ने अपने फतवे में कहा, “कोई भी व्यक्ति या शासन जो नेता या मरजा को धमकाता है, उसे ऊपर वाले का दुश्मन माना जाता है।”
सेमी-ऑफिशियल मेहर समाचार एजेंसी के अनुसार, “रविवार को अपने ऑफिस के एक बयान में शिराजी ने दुनियाभर के मुसलमानों से ऐसी धमकियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने को कहा है। शिराजी ने कहा है कि अगर कोई मुस्लिम जो अपने मुस्लिम कर्तव्य का पालन करता है, उसे अपने अभियान में कठिनाई या नुकसान उठाना पड़ता है, तो उसे ऊपर वाले की राह में एक योद्धा के रूप में इनाम से नवाजा जाएगा।”
फतवे में कहा गया है, “मुसलमानों या इस्लामी देशों के जरिए उस दुश्मन को दिया जाने वाला कोई भी सहयोग या समर्थन हराम या निषिद्ध है। दुनियाभर के सभी मुसलमानों के लिए यह जरूरी है कि वह इन दुश्मनों को उनके शब्दों और गलतियों पर पछतावा करवाएं।”
रिपोर्ट्स के अनुसार यह फतवा राष्ट्रपति ट्रंप और इजरायली अधिकारियों के ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के खिलाफ कथित धमकियों के बाद आया है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने खामेनेई को ‘एक बहुत ही भयावह और अपमानजनक मौत’ से बचाया है। इसके साथ ही ट्रंप ने ईरानी सर्वोच्च नेता के ऊपर इजरायल पर जीत के बारे में गलत बयान देने का आरोप लगाया।
हाल ही में इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने एक इंटरव्यू में कहा कि ईरान के साथ अपने 12-दिवसीय संघर्ष के दौरान, इजरायल ने खामेनेई को खत्म करने की कोशिश की, लेकिन इस ऑपरेशन को अंजाम देने का मौका कभी नहीं आया।
कैट्ज ने इजराइल के ‘चैनल 13’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “अगर वह हमारी नजर में होते, तो हम उन्हें मार गिराते। हम खामेनेई को खत्म करना चाहते थे, लेकिन कोई ऑपरेशनल मौका नहीं था।”
इजरायल ने 13 जून को ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ शुरू किया, जिसमें ईरान की प्रमुख सैन्य और न्यूक्लियर एसेट्स को निशाना बनाया गया। इसके बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ गया।
जवाबी कार्रवाई में, ईरान ने इजरायली शहरों और बाद में कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। तेहरान के इस कदम से पहले फोर्डो, नतांज और इस्फाहान में उसकी न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अमेरिकी हमले हुए थे।
संघर्ष के बारह दिन बाद ट्रंप ने दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा की।
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