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Thursday,12-June-2025
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भारत का सर्जरी बाजार 2025 तक 80 अरब डॉलर तक पहुंचने के आसार

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surgery

 किफायती देखभाल की बढ़ती मांग के साथ, न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी (एमआईएस) बाजार वित्तीय वर्ष 2025 तक 80 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इसकी जानकारी सोमवार को जारी एक नई रिपोर्ट में दी गई है। एमआईएस में कोई भी सर्जिकल प्रक्रिया शामिल है जो बड़े होल के बजाय छोटे चीरों के माध्यम से की जाती है।

सबसे आम एमआईएस सर्जरी में लैप्रोस्कोपी (एपेंडिसाइटिस, हर्निया और पित्त पथरी), स्त्री रोग (हिस्टेरेक्टॉमी, योनि पुटी हटाने), मूत्रविज्ञान (गुर्दे की पथरी और प्रोस्टेट) और नेत्र विज्ञान (मोतियाबिंद और लेसिक) शामिल हैं।

बेंगलुरु स्थित मार्केट रिसर्च फर्म रेडसीर के अनुसार, ” आने वाले वर्षों में जागरूकता में वृद्धि के साथ, इन सर्जरी को करने के लिए कुशल चिकित्सा पेशेवरों की संख्या में वृद्धि होगी, इन सेवाओं की उपलब्धता में वृद्धि होगी।”

रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से, चूंकि सर्जरी की लागत तुलनात्मक रूप से कम है, इसलिए इन प्रक्रियाओं से छोटे शहरों और कस्बों में अधिक मांग होगी, जहां सामथ्र्य एक बड़ी बाधा है।

कुल मिलाकर भारतीय स्वास्थ्य सेवा बाजार जो वित्त वर्ष 2020 में 150 अरब डॉलर था, अगले पांच वर्षों में 300 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है।

निष्कर्षों से पता चलता है कि बढ़ते शहरीकरण के साथ साथ स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता, आसान पहुंच, जीवनशैली की बीमारियों में वृद्धि और सरकारी नीतियों जैसे कारक इस क्षेत्र के विकास को गति देंगे।

वर्तमान में, खर्च का 70 प्रतिशत, यानी 105 बिलियन डॉलर, इन पेशेंट देखभाल पर है जिसे केवल 70,000 अस्पतालों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

इसके अलावा, 70 प्रतिशत से अधिक इनपेशेंट केयर मार्केट सर्जरी के नेतृत्व में है।

रिपोर्ट के अनुसार, इसके अलावा, केवल 22,000 अस्पताल ही इन सर्जरी को करने में सक्षम हैं। इनमें कॉरपोरेट चेन अस्पताल, मध्यम आकार और छोटे आकार के अस्पताल शामिल हैं। इसमें से निजी और बड़े पैमाने के अस्पताल एमआईएस के लिए सबसे बड़े प्रदाता हैं जो इसे एक बड़ी चुनौती बनाते हैं।

भारत का स्वास्थ्य उद्योग महामारी की दूसरी लहर में अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा है।

रेडसीर की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वर्षों में समग्र उद्योग में लगातार वृद्धि हुई है, लेकिन उद्योग अभी भी कई आवश्यक क्षेत्रों में पिछड़ रहा है।

राष्ट्रीय

ओडिशा : पुरी जगन्नाथ मंदिर में देवस्नान पूर्णिमा का भव्य आयोजन, मुख्यमंत्री हुए शामिल

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पुरी, 11 जून। ओडिशा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में बुधवार को देवस्नान पूर्णिमा का पवित्र पर्व भक्ति और भव्यता के साथ मनाया गया। हजारों भक्त भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा और सुदर्शन के पवित्र स्नान अनुष्ठान को देखने के लिए मंदिर पहुंचे।

इस खास मौके पर ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और कई विधायकों ने भी मंदिर में दर्शन किए और अनुष्ठानों में हिस्सा लिया।

सुबह 5:32 बजे मंगलार्पण के साथ अनुष्ठान शुरू हुआ। इसके बाद भगवान सुदर्शन, बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ की पहांडी (जुलूस) स्नान मंडप तक ले जाई गई।

भगवान सुदर्शन की पहांडी (रथ पर चढ़ने की प्रक्रिया) सुबह 5:45 बजे, बलभद्र की 5:53 बजे, सुभद्रा की 6:06 बजे और भगवान जगन्नाथ की 6:22 बजे शुरू हुई।

सुबह 7:46 बजे जलाभिषेक अनुष्ठान शुरू हुआ, जिसमें सुनकुआ (स्वर्ण कुआं) से लाए गए पवित्र जल के 108 घड़ों से देवताओं का स्नान कराया गया।

यह परंपरा जगन्नाथ संस्कृति का अनमोल हिस्सा है। सुबह 8:42 बजे भगवान जगन्नाथ के स्नान मंडप पहुंचने के साथ पहांडी अनुष्ठान पूरा हुआ।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पिपिली विधायक आश्रित पटनायक, सत्यबाड़ी विधायक उमा शंकर और ब्रह्मपुर विधायक उपासना महापात्रा के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।

उन्होंने स्नान मंडप से पहांडी अनुष्ठान देखा और भक्तों का अभिवादन किया। मुख्यमंत्री ने हाथ जोड़कर और दर्शक दीर्घा से हाथ हिलाकर भक्तों का स्वागत किया, जिसे भीड़ ने उत्साह से जवाब दिया।

देवस्नान पूर्णिमा का यह पर्व इसलिए खास है, क्योंकि इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन को गर्भगृह से बाहर लाकर सार्वजनिक दर्शन के लिए स्नान मंडप पर रखा जाता है। यह साल का एकमात्र मौका होता है, जब भक्त इन अनुष्ठानों को इतने करीब से देख पाते हैं। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि दृश्यों के लिहाज से भी मंत्रमुग्ध करने वाला होता है। साथ ही, यह विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा की तैयारियों की शुरुआत का भी प्रतीक है।

मंदिर प्रशासन ने इस आयोजन के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए थे, ताकि भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो। भक्तों ने इस पवित्र अवसर पर भगवान के दर्शन और अनुष्ठानों को देखकर खुद को धन्य महसूस किया। यह पर्व पुरी की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को और समृद्ध करता है।

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राष्ट्रीय

एक्सिओम 4 मिशन का प्रक्षेपण फिर टला, स्पेसएक्स और इसरो ने बताई वजह

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नई दिल्‍ली, 11 जून। भारतीय अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ले जाने वाले एक्सिओम-4 मिशन को एक बार फिर स्थगित कर दिया गया है। स्पेसएक्स और इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी दी है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पोस्ट में बताया, “इसरो पर पहला भारतीय गगनयात्री भेजने के लिए 11 जून 2025 को लॉन्च होने वाले एक्सिओम 04 मिशन को स्थगित कर दिया गया है। फाल्कन 9 लॉन्च वाहन के बूस्टर चरण के प्रदर्शन से पहले लॉन्च पैड पर सात सेकंड का हॉट टेस्ट किया गया। परीक्षण के दौरान प्रोपल्शन बे में एलओएक्स रिसाव का पता चला। इसरो टीम की ओर से एक्सिओम और स्पेसएक्स के विशेषज्ञों के साथ इस विषय पर चर्चा के आधार पर रिसाव को ठीक करने और लॉन्च के लिए मंजूरी देने से पहले आवश्यक सत्यापन परीक्षण करने का निर्णय लिया गया है। इसलिए 1 जून 2025 को होने वाले एक्सिओम 04 के प्रक्षेपण को स्थगित कर दिया गया है।”

यानि रॉकेट फाल्कन 9 में आई खराबी के कारण इसे फिलहाल टाल दिया गया है। स्पेसएक्स ने भी एक्स पोस्ट में इसकी तस्दीक की। बताया कि प्रक्षेपण के लिए इस्तेमाल किए जा रहे फाल्कन 9 रॉकेट में तकनीकी खराबी के कारण अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए मिशन को स्थगित कर दिया गया है। प्रक्षेपण की नई तारीख फिलहाल तय नहीं हुई है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले इस मिशन को 29 मई के लिए शेड्यूल किया गया था। लेकिन, कुछ तकनीकी खामियों के चलते इसे स्थगित कर दिया गया। फिर इसके लॉन्चिंग के लिए 10 जून की तारीख तय की गई थी।

एक्सिओम-4 मिशन भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि शुभांशु शुक्ला चार दशकों में अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बनेंगे, जो राकेश शर्मा के नक्शेकदम पर चलने वाले हैं, जिन्होंने 1984 में सोवियत अंतरिक्ष यान में उड़ान भरी थी।

आपको बता दें केंद्र सरकार ने एक्सिओम-4 मिशन में भारत की भागीदारी के लिए 550 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

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148वीं रथ यात्रा से पहले अहमदाबाद में निकलेगी भगवान जगन्नाथ की जलयात्रा

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अहमदाबाद, 11 जून। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को लेकर अहमदाबाद में तैयारियां जोरों पर हैं। 27 जून को आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन यहां भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलने वाली है। उससे पहले, बुधवार को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान की जल यात्रा निकलेगी।

चली आ रही परंपरा के मुताबिक, जलयात्रा के जरिए भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ ननिहाल यानी सरसपुर जाते हैं और यहां 15 दिन तक रुकते हैं।

जलयात्रा में शामिल भक्तगण साबरमती नदी से 108 कलशों में जल लेकर मंदिर तक आएंगे। फिर उस जल से भगवान जगन्नाथ का अभिषेक किया जाएगा। इस जल यात्रा में संत, महंत, स्थानीय लोग और कुछ राजनीतिक नेता भी शामिल होंगे।

इस जलयात्रा को लेकर महाराज दिलीप दास ने कहा, “148वीं रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पावन अवसर के पूर्व ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन जल यात्रा महोत्सव मनाया जाता है। 108 कलश में साबरमती नदी का जल भरकर भगवान को स्नान कराया जाता है। यह परंपरा बरसों से चली आ रही है। अनेक भक्त, संत, महंत और राजकीय माननीय गणों के बीच इस महोत्सव का आयोजन हो रहा है।”

बता दें कि भगवान के ननिहाल सरसपुर में भी तैयारियां बड़ी धूमधाम से चल रही हैं। भगवान जगन्नाथ का स्वागत करने के लिए भव्य तैयारी की जा रही है। इसके तहत, भगवान पर ड्रोन के जरिए फूलों की वर्षा की जाएगी। बैंडबाजे और ढोल-ताशे से भगवान जगन्नाथ का स्वागत होगा।

भगवान के स्वागत के लिए यहां अंबेडकर हॉल से भगवान रणछोड़ राय मंदिर तक शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसमें तकरीबन तीन हजार लोग हिस्सा लेंगे। मंदिर के आसपास सड़कों पर खूबसूरत रंगोली बनाई गई है।

भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलराम की प्रतिमा मंदिर में दर्शन के लिए रखी जाएंगी। भक्त उनके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आएंगे। भगवान सरसपुर में 15 दिनों तक रहेंगे, इस दौरान रणछोड़ राय मंदिर में हर दिन भजन कीर्तन होगा।

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