राजनीति
कांग्रेस, सीपीसी के बीच समझौते के खिलाफ जनहित याचिका पर सुप्रीम ने जताई हैरानी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के बीच 2008 के समझौते की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए)/सीबीआई को निर्देश देने वाली एक जनहित याचिका पर आश्चर्य व्यक्त किया। यह समझौता कथित तौर पर उच्च-स्तरीय सूचनाओं के आदान-प्रदान और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत उनके बीच सहयोग के लिए किया गया था।
प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने हैरानी जताते हुए कहा कि किसी विदेशी सरकार द्वारा किसी दूसरे देश के राजनीतिक दल के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने के बारे में पहले कभी नहीं सुना। शीर्ष अदालत ने पीआईएल पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता शशांक शेखर झा और गोवा से संचालित गोवा क्रोनिकल के संपादक सेवियो रॉड्रिग्स से अपील की कि वे याचिका को वापस लें और इसे लेकर हाईकोर्ट के समक्ष जाएं।
पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा, चीन के साथ एक राजनीतिक दल कैसे समझौता कर सकता है? वकील ने दलील दी कि समझौता सार्वजनिक (पब्लिक डोमेन) नहीं है और सोमवार को आगे की दलीलों के लिए मामले को सूचीबद्ध करने के लिए अदालत की अनुमति मांगी।
पीठ ने जवाब दिया कि वह वकील को इस मामले को वापस लेने और नए सिरे से फाइल करने की अनुमति दे रहे हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने वकील से कहा कि हम केवल एक नई याचिका देखना चाहते हैं और आप हाईकोर्ट में क्यों नहीं गए? वकील ने दलील दी कि सभी अपराध यूएपीए के तहत हैं और इसकी जांच एनआईए कर सकती है। इसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने जवाब दिया कि हाईकोर्ट उचित न्यायालय है और सभी राहत उसी के द्वारा दी जा सकती है। पीठ ने कहा, हम इस पर उनका ²ष्टिकोण भी देख सकते हैं।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि चीन के साथ शत्रुतापूर्ण संबंध होने के बावजूद, आईएनसी ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जब वह गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे थे और समझौते के तथ्यों और विवरणों को भी छिपाया गया।
याचिका में दलील दी गई, याचिकाकर्ताओं का ²ढ़ विश्वास है कि राष्ट्र की सुरक्षा से किसी को भी समझौता नहीं करना चाहिए और न ही करना चाहिए। इसलिए, इस याचिका को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत स्थानांतरित किया गया है, जो समझौते के बारे में पारदर्शिता और स्पष्टता लाना चाहती है। रेस्पॉन्डेंट नंबर 1 (आईएनसी) और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच हस्ताक्षर किए गए, जो कि पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की वास्तविक सरकार है।
यह समझौता 7 अगस्त, 2008 को संप्रग शासन के दौरान बीजिंग में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) और आईएनसी के बीच उच्च-स्तरीय सूचनाओं और उनके बीच सहयोग का आदान-प्रदान करने के लिए हुआ था। इस पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से कांग्रेस को घेरा गया और चीन के साथ होने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद राजनीतिक विवाद हुआ और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर आभूषण व्यापारी से हुई लूट के बाद मुंबई रेलवे पुलिस ने 3 कर्मियों को निलंबित कर दिया

मुंबई: मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर 37 वर्षीय आभूषण व्यापारी से हुई लूट के मामले में मुंबई रेलवे पुलिस ने तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है। हालाँकि, अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
मुंबई रेलवे पुलिस आयुक्त राकेश कलासागर ने बताया, “सहायक उपनिरीक्षक ललित जगताप, हेड कांस्टेबल राहुल भोसले और अनिल राठौड़ को निलंबित कर दिया गया है और जाँच शुरू कर दी गई है। इसके अलावा, आभूषण व्यापारी से जबरन वसूली के मामले में चार अन्य पुलिसकर्मियों का मुख्यालय में तबादला कर दिया गया है।”
राजस्थान के एक आभूषण व्यापारी को मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर खाकी वर्दी पहने तीन लोगों ने कथित तौर पर लूट लिया। यह घटना 10 अगस्त को प्लेटफार्म नंबर 5 पर हुई। एक्सप्रेस ट्रेन का इंतज़ार कर रहे शिकायतकर्ता के पास एक खाकी वर्दीधारी व्यक्ति आया और उसके बैग की तलाशी ली, जिसमें सोने का एक टुकड़ा और नकदी मिली। इसके बाद तीनों ने उससे 14 ग्राम सोने का एक टुकड़ा और 30,000 रुपये नकद लूट लिए।
एफआईआर के अनुसार, शिकायतकर्ता कुलदीप कुमार सोनी, राजस्थान के चुरू में रहने वाले एक आभूषण व्यापारी हैं। वह अपनी बहन के शहर में रहने के कारण, रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए 1 अगस्त को अपनी बेटी के साथ मुंबई आए थे। 10 अगस्त को, वह राजस्थान लौट रहे थे। सोनी अपनी 8 साल की बेटी भावी सोनी और अपने बहनोई दिनेश सोनी के साथ रात करीब 10:30 बजे मुंबई सेंट्रल स्टेशन पहुँचे। वे रात 11 बजे रवाना होने वाली दुरंतो एक्सप्रेस का इंतज़ार कर रहे थे।
प्लेटफार्म नंबर 5 पर, बिना नेमप्लेट वाली खाकी वर्दी पहने एक आदमी मेज के साथ एक कुर्सी पर बैठा था। उसने सोनी और उसके रिश्तेदारों को अपने पास बुलाया और सोनी के बैग की तलाशी ली। तलाशी लेने पर, उसमें 14 ग्राम सोने की ईंट और 31,900 रुपये नकद मिले। जब सोनी से इस बारे में पूछा गया, तो उसने बताया कि उसके पास सोने की रसीदें हैं। इसके बावजूद, उस आदमी ने उसकी बेटी के सामने ही उसे गालियाँ दीं और पीटा।
फिर उस आदमी ने अपने एक साथी को बुलाया, जो खाकी वर्दी में था, और तीनों को प्लेटफ़ॉर्म के पास एक अंधेरे कमरे में ले गया। वहाँ, खाकी वर्दी पहने एक तीसरा आदमी, जो खुद को एक वरिष्ठ अधिकारी बता रहा था, उनके साथ आ मिला। तीनों ने व्यापारी को गालियाँ दीं, उसके साथ मारपीट की, उसे गिरफ्तार करने की धमकी दी और एक सादे कागज़ पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डाला। इस दौरान, शिकायतकर्ता की बेटी रोने लगी और सदमे में आ गई। जब ट्रेन चलने वाली थी, तो आरोपियों ने सोनी से सोने की ईंट और 31,000 रुपये नकद छीन लिए। जब सोनी ने बताया कि यात्रा के दौरान उसके पास पैसे नहीं थे, तो उन्होंने केवल 1,900 रुपये लौटाए। फिर उन्होंने उन्हें जाने दिया।
राजस्थान लौटने के बाद, सोनी ने 18 अगस्त को रतनगढ़ पुलिस स्टेशन में घटना की शिकायत दर्ज कराई। बाद में मामला मुंबई सेंट्रल जीआरपी को सौंप दिया गया। उनकी शिकायत के आधार पर, खाकी वर्दी पहने तीन अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 119(1) (संपत्ति हड़पने के लिए जानबूझकर चोट पहुँचाना या गंभीर चोट पहुँचाना, या किसी व्यक्ति को कोई गैरकानूनी काम करने के लिए मजबूर करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
राजनीति
भाजपा सांसदों, मंत्रियों ने सीएम रेखा गुप्ता पर हुए ‘कायराना’ हमले की कड़ी निंदा की

नई दिल्ली, 20 अगस्त। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर बुधवार को जनसुनवाई के दौरान हमला हुआ। भाजपा ने इस हमले की निंदा की और इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला एवं कायराना बताया। उन्होंने मामले की जांच की मांग की।
भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने सीएम रेखा गुप्ता पर हुए हमले को कायराना हरकत बताया। उन्होंने मिडिया से कहा, “दिल्ली की मुख्यमंत्री के ऊपर हुआ हमला एक कायराना हरकत है, जिसकी हम कड़ी निंदा करते हैं। लेकिन यह हमला दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का जज्बा नहीं तोड़ पाएगा। वह जमीन से जुड़ी हुई नेता हैं और लोगों के बीच में जाकर उनका काम करती हैं। उनके हौसले को यह हमला नहीं हिला पाएगा। सुरक्षा में जो चूक हुई है, उसकी जांच होगी। जो शख्स पकड़ा गया है, उसने क्यों ऐसा किया है, उसकी भी जांच होगी। ऐसे हमलों से रेखा गुप्ता डरने वाली नहीं हैं, और वह दिल्ली के हित में लगातार काम करती रहेंगी।”
भाजपा सांसद कमलजीत सहरावत ने मिडिया से कहा, “पिछले पांच महीनों से, जब से रेखा गुप्ता दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी हैं, वह लोगों के बीच और अपने आवास पर ‘जन सुनवाई’ कर रही हैं। आज जो हुआ वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। एक जांच होनी चाहिए कि इस व्यक्ति ने ऐसा व्यवहार क्यों किया, क्योंकि यह चिंता का विषय है। मुख्यमंत्री सिर्फ सरकार का चेहरा नहीं, बल्कि पूरे शहर का प्रतिनिधि होता है। एक मुख्यमंत्री जो जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझता है, अगर ऐसे व्यक्ति पर हमला होता है, तो इसकी निंदा जरूर होनी चाहिए। इसकी पूरी जांच होनी चाहिए और इस तरह की घटना के पीछे की असली वजह जानने के लिए पूरी सच्चाई सामने आनी चाहिए।”
दिल्ली सरकार के मंत्री प्रवेश वर्मा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके इस हमले को लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला बताया। उन्होंने लिखा, “अपने आवास पर जनसुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हुआ हमला अत्यंत निंदनीय है और लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा प्रहार है। जनसुनवाई का कार्यक्रम लोगों से सीधे जुड़ने का माध्यम है, जहां जनता अपने सवाल और संदेह बिना किसी डर या बाधा के मुख्यमंत्री तक पहुंचा पाती है। ऐसी पवित्र लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश कदापि स्वीकार नहीं की जा सकती। दोषियों पर उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।”
दिल्ली सरकार के मंत्री आशीष सूद ने इस कृत्य को लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “मुख्यमंत्री पर हुआ हमला अत्यंत दुखद, निंदनीय और अस्वीकार्य है। दिल्ली के हित के लिए निरंतर कार्यरत एक संवेदनशील और दृढ़निश्चयी महिला नेतृत्व पर इस प्रकार का कायरतापूर्ण आक्रमण लोकतांत्रिक आचरण की मूल भावना के विपरीत है। यह अमर्यादित कृत्य न केवल हमारे लोकतंत्र की साख को आहत करता है, बल्कि समाज में अराजकता फैलाने का घृणित प्रयास भी है। प्रदेश की महिला मुख्यमंत्री पर हमला करने वाले अराजक तत्वों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। दिल्ली पुलिस इस मामले की गहन विवेचना कर रही है और मुझे विश्वास है कि जांच इस षड्यंत्र की तह तक जाएगी। मैं और प्रदेश की समूची जनता इस कायरतापूर्ण कार्य की घोर निंदा करते हैं।”
भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, “मुख्यमंत्री सुरक्षित हैं और अपना काम पहले की तरह जारी रखेंगी। चिंता की कोई बात नहीं है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।”
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई में भारी बारिश से जलभराव, कई लोकल ट्रेन सेवाएं रद्द

मुंबई, 20 अप्रैल। मुंबई क्षेत्र में बुधवार को भारी बारिश और जलभराव के कारण कई लोकल ट्रेन सेवाओं को रद्द कर दिया गया है। पश्चिम रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है। लगातार बारिश की वजह से रेलवे ट्रैक पर पानी भर गया, जिससे ट्रेनों का संचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
पश्चिम रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि मुंबई में जलभराव के कारण रेल सेवाओं में भारी व्यवधान पड़ा है। उन्होंने यात्रियों से अपील की है कि वे अपने घर से निकलने से पहले अपनी ट्रेन की स्थिति जरूर चेक कर लें। रद्द की गई ट्रेनों में मडगांव से बांद्रा टर्मिनस जाने वाली ट्रेन संख्या 10116 शामिल है, जो 19 अगस्त 2025 को रद्द की गई थी। इसके अलावा, कमान रोड से बांद्रा टर्मिनस के बीच का रूट भी बंद रहा। इसी तरह, बांद्रा टर्मिनस से मडगांव जाने वाली ट्रेन संख्या 10115 आज 20 अगस्त को रद्द कर दी गई है और बांद्रा टर्मिनस से कमान रोड तक का सफर भी प्रभावित हुआ है।
इसके साथ ही कई लोकल ट्रेनों के शेड्यूल में भी बदलाव देखने को मिला। नालासोपारा से बोरीवली जाने वाली ट्रेन एनएसपी 90012 सुबह 03:40 बजे रवाना होने वाली थी, लेकिन वह रद्द हो गई। इसी तरह, बोरीवली से चर्चगेट जाने वाली बीओ 90014 सुबह 04:15 बजे और विरार से दादर जाने वाली वीआर 92002 सुबह 04:00 बजे रद्द की गई। दादर से विरार, नालासोपारा से चर्चगेट, और विरार से चर्चगेट तक जाने वाली अन्य ट्रेनें जैसे वीआर 92009, एनएसपी 90046, और वीआर 92004 भी प्रभावित हुईं। इसके अलावा, चर्चगेट से विरार, नालासोपारा से अंधेरी, और अंधेरी से विरार तक जाने वाली ट्रेनें जैसे वीआर 92021, एनएसपी 92006, और वीआर 92013 भी रद्द हुईं।
वहीं, रेलवे ने यात्रियों से कहा कि वे स्थिति सामान्य होने तक धैर्य रखें और रेलवे के हेल्पलाइन या ऑनलाइन अपडेट्स के जरिए जानकारी हासिल करें। बारिश के कारण मुंबई में सड़क यातायात भी प्रभावित हुआ है, जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
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