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Monday,25-August-2025
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सेंसेक्स 35000 के स्तर को बनाए रखने में नाकाम, निफ्टी 10300 के ऊपर

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Stock-Market

घरेलू शेयर बाजार में सोमवार को भारी उतार-चढ़ाव के बीच सेंसेक्स 35200 के ऊपर तक उछला, लेकिन सत्र के आखिर में 35000 के मनोवैज्ञानिक स्तर को बनाए रखने में नाकाम रहा। हालांकि निफ्टी 10300 के मनोवैज्ञानिक स्तर के ऊपर बंद हुआ।

सेंसेक्स पिछले सत्र से 179.59 अंकों यानी 0.52 फीसदी की तेजी के साथ 34,911.32 पर बंद हुआ और निफ्टी भी पिछले सत्र से 66.80 अंकों यानी 0.65 फीसदी की बढ़त बनाकर 10311.20 पर ठहरा।

बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स पिछले सत्र से 160.30 अंकों की बढ़त के साथ 34,892.03 पर खुला और 35,213.52 तक उछला जबकि कारोबार के दौरान सेंसेक्स का निचला स्तर 34794.40 रहा।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के 50 शेयरों पर आधारित प्रमुख संवेदी सूचकांक निफ्टी भी पिछले सत्र से 74.35 अंकों की बढ़त बनाते हुए 10318.75 पर खुला और कारोबार के दौरान 10,396.65 तक उछला जबकि निचला स्तर 10277.60 रहा।

बीएसई मिडकैपस सूचकांक पिछले सत्र से 258.83 अंकों यानी 2.02 फीसदी की तेजी के साथ 13,062.67 पर बंद हुआ और स्मॉलकैप सूचकांक 166.84 अंकों यानी 1.36 फीसदी की तेजी के साथ 12,443.95 पर बंद हुआ।

सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 21 शेयरों में तेजी रही जबकि नौ शेयर गिरावट के साथ बंद हुए। सबसे ज्यादा तेजी वाले पांच शेयरों में बजाज ऑटो (6.89 फीसदी), बजाज फाइनेंस (5.34 फीसदी), बजाज फिनसर्व (4.85 फीसदी), कोटक बैंक (4.14 फीसदी) और पावरग्रिड (3.76 फीसदी) शामिल रहे।

सेंसेक्स के सबसे ज्यादा गिरावट वाले पांच शेयरों में एचडीएफसी (1.13 फीसदी), ओएनजीसी (0.99 फीसदी), टीसीएस (0.92 फीसदी), रिलायंस (0.70 फीसदी) और एचडीएफसी बैंक (0.50 फीसदी) शामिल रहे।

बीएसई के 19 सेक्टरों में से 18 सेक्टरों के सूचकांकों में तेजी रही जबकि एक सेक्टर में गिरावट दर्ज की गई। सबसे ज्यादा तेजी वाले पांच सेक्टरों में पावर (2.77 फीसदी), मेटल (2.69 फीसदी), हेल्थकेयर (2.26 फीसदी), बैंक इंडेक्स (1.93 फीसदी) और टेलीकॉम (1.86 फीसदी) शामिल रहे जबकि आईटी का सूचकांक (0.35 फीसदी) गिरावट के साथ बंद हुआ।

राष्ट्रीय समाचार

जापान, भारत में निवेश दोगुना करने की बना रहा योजना, पीएम मोदी की यात्रा पर हो सकती है घोषणा : रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 22 अगस्त। जापान सरकार अगले 10 वर्षों में निजी क्षेत्र के जरिए भारत में 10 ट्रिलियन येन (68 अरब डॉलर) का निवेश करने की योजना बना रही है। यह जानकारी टोक्यो की एक मीडिया रिपोर्ट में दी गई।

जापान के ‘द असाही शिंबुन’ अखबार में सूत्रों के हवाले से प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 अगस्त को टोक्यो में अपनी बैठक के दौरान इस नए लक्ष्य की पुष्टि कर सकते हैं।

यह योजना जापान के वर्तमान लक्ष्य का विस्तार करेगी, जिसके तहत वह पांच वर्षों में 5 ट्रिलियन येन का निवेश किया जाना है। इसकी घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने मार्च 2022 में अपनी भारत यात्रा के दौरान की थी।

प्रधानमंत्री मोदी और उनके जापानी समकक्ष के बीच शिखर वार्ता के बाद जारी किए जाने वाले संयुक्त बयान में इस नए निवेश लक्ष्य को शामिल किए जाने की उम्मीद है।

प्रधानमंत्री मोदी 29 अगस्त से जापान की तीन दिवसीय यात्रा पर होंगे, जो मई 2023 में हिरोशिमा में जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद उनकी पहली यात्रा होगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जापानी कारोबारियों ने तब से हर वित्तीय वर्ष में भारत में औसतन लगभग 1 ट्रिलियन येन का निवेश किया है।

रिपोर्ट में बताया गया कि दोनों सरकारें एक आर्थिक सुरक्षा पहल शुरू करने की भी योजना बना रही हैं, जो आर्थिक सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक नया द्विपक्षीय सहयोग ढांचा है, जिसमें महत्वपूर्ण सामग्रियों की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करना और मुख्य बुनियादी ढांचे की सुरक्षा की गारंटी देना जैसी चीजें शामिल होंगी।

यह पहल सेमीकंडक्टर, महत्वपूर्ण खनिज, दूरसंचार, स्वच्छ ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स और एआई जैसे वैज्ञानिक क्षेत्रों सहित प्रमुख क्षेत्रों को प्राथमिकता देगी।

असाही शिंबुन की रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई तकनीक और स्टार्टअप्स में सहयोग को विशेष रूप से आगे बढ़ाने के लिए एक एआई सहयोग पहल की स्थापना की जाएगी।

इसके अतिरिक्त, डिजिटल पार्टनरशिप 2.0 नामक एक परियोजना विकसित की जाएगी, जिससे मैन्युफैक्चरिंग से परे आर्थिक सहयोग का विस्तार करके सेमीकंडक्टर, एआई और स्टार्टअप्स जैसे उभरते तकनीकी क्षेत्रों को शामिल किया जा सके।

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राष्ट्रीय समाचार

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस: भारत सैटेलाइट से लेकर ह्यूमन स्पेसफ्लाइट तक की अपनी यात्रा का मनाएगा जश्न

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नई दिल्ली, 22 अगस्त। भारत शनिवार को दूसरा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाने जा रहा है। यह दिन सैटेलाइट से लेकर ह्यूमन स्पेसफ्लाइट तक देश की यात्रा का जश्न मानने के रूप में खास होगा।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 23 अगस्त 2023 को भारत ने चंद्रमा पर उतरने वाले चौथे और उसके दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले पहले देश के रूप में इतिहास रच दिया। यह एक ऐसा क्षण था, जिसने भविष्य में आगे बढ़ने को लेकर प्रेरित किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा, “कल, हम दूसरा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाएंगे, जो सैटेलाइट से लेकर ह्यूमन स्पेसफ्लाइट तक के भारत के सफर और अनंत संभावनाओं के हमारे दृष्टिकोण को लेकर खास होगा।”

भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र देश के तकनीकी और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

2020 में ऐतिहासिक अंतरिक्ष सुधारों के साथ, सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को उदार बनाया है और भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) का गठन किया है।

2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों की घोषणा के बाद, पंजीकृत अंतरिक्ष स्टार्टअप्स की संख्या तेजी से बढ़कर 300 से अधिक हो गई है।

इन-स्पेस ने नवंबर 2022 और मई 2024 में क्रमशः भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप्स की दो सफल सब-ऑर्बिटल फ्लाइट्स को भी सुगम बनाया है। इसके अलावा, छह एजेंसी इसरो और गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए चौदह सैटेलाइट को ऑर्बिट में लॉन्च किया।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी. नारायणन के अनुसार, गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन का पहला मानवरहित मिशन, जी1, अर्ध-मानव रोबोट व्योममित्र के साथ लॉन्च के लिए तैयार है और इसका लॉन्च दिसंबर में होने की उम्मीद है।

राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में उन्होंने भारतीय वायु सेना ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर उनके सफल मिशन के लिए सराहना की, जो किसी भारतीय द्वारा किया गया पहला मिशन है। शुक्ला मानवयुक्त गगनयान मिशन के लिए चुने गए अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं।

उन्होंने आगे कहा कि हाल ही में लॉन्च नासा इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार सैटेलाइट (निसार) पूरी तरह से ठीक है और सभी सिस्टम अच्छी तरह से काम कर रहे हैं।

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राष्ट्रीय समाचार

जीएसटी सुधारों से उपभोक्ताओं के पास खर्च करने के लिए बचेगा अधिक पैसा : एक्सपर्ट्स

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नई दिल्ली, 16 अगस्त। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के पूर्व अध्यक्ष नजीब शाह ने शनिवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन से भारतीय उपभोक्ताओं के पास खर्च करने के लिए अधिक पैसा बचेगा, जिससे अर्थव्यवस्था में मांग और समग्र उपभोग को बढ़ावा मिलने की संभावना है।

केंद्र सरकार मौजूदा जीएसटी ढांचे में टैक्स स्लैब की संख्या चार से घटाकर दो ( 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत) करने पर विचार कर रही है, जबकि लग्जरी और सिन गुड्स के लिए 40 प्रतिशत का एक विशेष टैक्स स्लैब पेश किया जाएगा।

यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन के दौरान दिए गए उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि जीएसटी में अगली पीढ़ी के सुधारों का अनावरण दिवाली तक किया जाएगा, जिससे आम आदमी को “पर्याप्त” कर राहत मिलेगी और छोटे व्यवसायों को लाभ होगा।

मिडिया के साथ बातचीत में, नजीब शाह ने सुझाव दिया कि “मौजूदा स्लैब को नए स्लैब में मिलाया जा सकता है जैसे 5 प्रतिशत के स्लैब और 12 प्रतिशत के स्लैब को मिलाकर लगभग 7-8 प्रतिशत का एक बीच का स्लैब बनाया जा सकता है।”

उन्होंने आगे कहा, “12 प्रतिशत के स्लैब और 18 प्रतिशत के स्लैब को मिलाकर 15-16 प्रतिशत का स्लैब बनाया जा सकता है, और मार्च 2026 में सेस हटने के बाद 28 प्रतिशत की दर संभवतः 30 प्रतिशत हो जाएगी।”

शाह ने कहा कि कम टैक्स स्लैब से उपभोक्ताओं के पास अधिक खर्च करने योग्य आय बचेगी, जिससे अर्थव्यवस्था में मांग और समग्र उपभोग को बढ़ावा मिल सकता है।

विशेषज्ञ ने कहा कि “जीएसटी सुधारों से कीमतें कम होंगी, ऋण प्रवाह सुचारू होगा और विवादों में कमी आएगी, जिससे अंततः उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए लागत कम हो जाएगी।”

वहीं, सरकारी संग्रह पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए और साथ ही उपभोक्ताओं को राहत भी मिलनी चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि लघु एवं मध्यम उद्यमों को सरलीकृत कर दरों, कम अनुपालन बोझ और जीएसटी ढांचे के भीतर निर्बाध ऋण तक बेहतर पहुंच से महत्वपूर्ण लाभ होगा।

जीएसटी सुधारों को जरूरी बताते हुए, शाह ने मिडिया को बताया कि वह इसे एक परिवर्तनकारी कदम के रूप में देखते हैं जो कर प्रणाली को मजबूत करेगा, विकास को प्रोत्साहित करेगा और एक प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।

सरकार के प्रस्ताव के अनुसार, वर्तमान में 12 प्रतिशत कर वाली लगभग 99 प्रतिशत वस्तुओं के 5 प्रतिशत टैक्स स्लैब में स्थानांतरित होने की संभावना है, जबकि 28 प्रतिशत स्लैब में शामिल 90 प्रतिशत वस्तुएं, जिनमें व्हाइट गुड्स भी शामिल हैं, 18 प्रतिशत कर स्लैब में स्थानांतरित हो जाएंगी।

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