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Tuesday,09-December-2025

राजनीति

पेट्रोलियम की तरह ऑक्सीजन के रणनीतिक भंडार की जरूरत : नेशनल टास्क फोर्स

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 सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित शीर्ष चिकित्सा विशेषज्ञों के राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) ने सुझाव दिया है कि देश में चल रही कोविड-19 महामारी के बीच सरकार को दो से तीन सप्ताह की खपत के लिए ऑक्सीजन गैस का अतिरिक्त भंडार रखना चाहिए। शीर्ष अदालत द्वारा गठित 12 सदस्यीय एनटीएफ यानी नेशनल टास्क फोर्स ने कहा, हमारे पास पेट्रोलियम उत्पादों के लिए की गई व्यवस्था के समान दो से तीन सप्ताह की खपत को कवर करने के लिए देश के लिए ऑक्सीजन का रणनीतिक भंडार होना चाहिए। इसी तरह, सभी अस्पतालों में आपात स्थितियों से निपटने के लिए अतिरिक्त भंडार होना चाहिए।

इसने सुझाव दिया कि बड़े शहरों में तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) का उत्पादन करने के लिए व्यवस्था बनानी चाहिए, ताकि उनकी मेडिकल ऑक्सीजन की 50 प्रतिशत मांग को तुरंत पूरा किया जा सके। क्योंकि देश का सड़क परिवहन कमजोर है, इसलिए इसने स्थानीय तौर पर या फिर अस्पतालों के पास में ही ऑक्सीजन के निर्माण की रणनीति बनाने की सलाह दी है।

पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, दिल्ली और मुंबई को उनकी जनसंख्या घनत्व के कारण प्राथमिकता के आधार पर लिया जा सकता है। सभी 18 मेट्रो शहरों को कम से कम 100 मीट्रिक टन भंडारण के साथ ऑक्सीजन स्वतंत्र बनाया जाना चाहिए।

एनटीएफ ने देश के लिए ऑक्सीजन की जरूरतों को निर्धारित करने के लिए एक फॉर्मूला प्रस्तावित किया, जो महामारी के बीच देखभाल के सभी स्तरों पर विचार करता है।

एनटीएफ ने रिपोर्ट में उदाहरण देते हुए समझाया है कि 100 बिस्तरों वाला अस्पताल, जिसमें 25 प्रतिशत आईसीयू बेड हों, उसमें तरल मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) की आवश्यकता 1.5 मीट्रिक टन होगी। कार्य बल ने कहा है कि इसी फार्मूले का इस्तेमाल किया जा सकता है। पैनल ने कहा कि ऐसा फॉर्मूला एक गतिशील, विकसित प्रक्रिया का हिस्सा होगा।

पैनल ने सिफारिश करते हुए कहा, कोरोना के बढ़ते मामलों वाले राज्यों को मांग से अधिक आवंटन करने के लिए अपने यहां करीब 20 प्रतिशत भंडारण क्षमता बढ़ानी चाहिए।

एनटीएफ ने कहा है कि महामारी की अगली लहर से लड़ने की तैयारी में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन और बढ़ाने की कोशिशें की जानी चाहिए। मौजूदा वक्त में तत्काल मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन पांच प्रतिशत से बढ़ाकर आठ प्रतिशत करने की जरूरत है। इसके लिए सरकार को ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाले उद्योगों की मदद करनी चाहिए।

समिति ने कहा कि ऑक्सीजन के न्यायसंगत उपयोग के लिए अस्पतालों का ऑडिट किया जाना चाहिए, जिसमें उनकी पाइपलाइन प्रणाली को भी देखा जाए। इसने कहा कि इस तरह के ऑडिट से 10 से 20 प्रतिशत तक ऑक्सीजन की बचत होगी।

पैनल ने जोर देकर कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के अनुरूप राज्यवार ऑक्सीजन ऑडिट समितियों का गठन किया जाना चाहिए। इसके अलावा केंद्रीय स्तर पर सिलेंडरों की खरीद, ऑक्सीजन का उत्पादन और आपूर्ति बढ़ाना, उपरोक्त सिद्धांत के आधार पर ऑक्सीजन की राज्यों की जरूरतों का आकलन करना, आपूर्ति श्रंखला की जरूरत को देखने जैसे कदम उठाने चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एनटीएफ के सदस्य वर्तमान महामारी के प्रबंधन में सरकार द्वारा की गई कड़ी मेहनत को पहचानते हैं।

एनटीएफ के सदस्य इस बात की सराहना करते हैं कि उनकी कई सिफारिशें पहले ही लागू हो चुकी हैं और अन्य पर काम भी शुरू हो चुका है।

पैनल ने सुझाव दिया कि ऑक्सीजन बेड और आईसीयू बेड की संख्या के आधार पर प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्तर के अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता की गणना के लिए एक सूत्र विकसित करने की आवश्यकता है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में व्याप्त आक्सीजन संकट के मद्देनजर इस 12 सदस्यीय समिति का गठन किया था। शीर्ष अदालत ने छह मई को एनटीएफ का गठन किया था, ताकि कोविड मरीजों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन के आवंटन की पद्धति तैयार की जा सके।

राजनीति

सुप्रीम कोर्ट ने बीएलओ की सुरक्षा पर जारी किया नोटिस

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नई दिल्ली, 9 दिसंबर: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया में शामिल बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नया नोटिस जारी किया है। यह कदम राज्य में बीएलओ की बढ़ती सुरक्षा चिंताओं और उनके कार्यभार के बढ़ते दबाव के मद्देनजर उठाया गया है।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि तमाम राजनेता इस मुद्दे को लेकर कोर्ट पहुंच रहे हैं। ऐसा लगता है कि यह मंच उन्हें हाईलाइट करने का माध्यम बन गया है।”

सुनवाई के दौरान जस्टिस जॉयमाल्य बागची ने कहा कि बीएलओ पर बढ़ती धमकियों और हिंसा के कई मामलों में सिर्फ एक एफआईआर दर्ज है। याचिका में उठाई गई बाकी हिंसा की घटनाएं पुरानी हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आम तौर पर चुनाव से पहले पुलिस प्रशासन सीधे चुनाव आयोग के नियंत्रण में नहीं दिया जाता।

चुनाव आयोग के वकील ने भी बीएलओ की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग का समर्थन किया।

गौरतलब है कि इससे पहले 4 दिसंबर को बीएलओ की मौत पर तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टी टीवीके द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बीएलओ की मौतों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। कोर्ट ने कहा था कि बीएलओ पर बढ़ते काम के बोझ को कम करने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती तत्काल की जानी चाहिए। देशभर में अब तक लगभग 35-40 बीएलओ अत्यधिक कार्यभार और तनाव के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। याचिकाकर्ताओं ने पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग की थी।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस बागची की पीठ ने कहा था कि एसआईआर प्रक्रिया एक वैध प्रशासनिक कार्रवाई है, जिसे समय पर पूरा करना बेहद आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया था कि यदि कहीं स्टाफ की कमी है, तो राज्य सरकारों को अतिरिक्त कर्मचारी नियुक्त करने का कार्य करना अनिवार्य है।

कोर्ट ने यह भी कहा था कि बीमार, असमर्थ या अत्यधिक दबाव में काम कर रहे अधिकारियों के लिए राज्य सरकारों को संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए और तुरंत वैकल्पिक स्टाफ तैनात करना चाहिए। इससे बीएलओ के कार्य घंटे कम होंगे और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

ट्रंप का बड़ा कृषि राहत पैकेज, लेकिन भारत के चावल आयात को ‘टैरिफ की धमकी’

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TRUMP

वाशिंगटन, 9 दिसंबर: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किसानों के लिए कई अरब डॉलर की राहत योजना का ऐलान किया और भारत सहित एशियाई देशों से आने वाली कृषि आयात पर अपनी नाराजगी भी जताई। व्हाइट हाउस में किसानों और अधिकारियों के साथ बैठक में उन्होंने कहा कि अमेरिकी किसानों की सुरक्षा के लिए शुल्क (टैरिफ) का कड़ा इस्तेमाल किया जाएगा।

ट्रंप ने बताया कि सरकार किसानों को लगभग 12 अरब डॉलर की आर्थिक मदद देगी, जिसे अमेरिका ट्रेडिंग पार्टनर्स से मिल रहे टैरिफ रेवेन्यू से फंड करेगा। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों की महंगाई और कमजोर दामों से किसान परेशान हैं, इसलिए यह मदद जरूरी है। ट्रंप ने किसानों को अमेरिका की रीढ़ बताते हुए कहा कि शुल्क लगाना कृषि क्षेत्र को संभालने की उनकी योजना का अहम हिस्सा है।

बैठक में भारत का जिक्र खास तौर पर चावल आयात के मुद्दे पर आया। लुइज़ियाना की एक चावल उत्पादक कंपनी की सीईओ मेरिल कैनेडी ने कहा कि भारत, थाईलैंड और चीन जैसे देश बहुत सस्ता चावल भेज रहे हैं, जिससे अमेरिकी किसान मुश्किल में हैं। उन्होंने ट्रंप से कहा कि शुल्क बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने भारत के खिलाफ डब्ल्यूटीओ केस का ज़िक्र करते हुए कड़ी पाबंदियां लगाने की अपील की।

ट्रंप को जब बताया गया कि अमेरिका में बिकने वाले दो बड़े चावल ब्रांड भारतीय कंपनियों के हैं, तो ट्रंप ने कहा कि वह तुरंत कार्रवाई करेंगे और टैरिफ लगाने से समस्या कुछ ही मिनट में हल हो जाएगी।

बैठक में सोयाबीन और अन्य फसलों पर भी चर्चा हुई। ट्रंप ने बताया कि उन्होंने हाल ही में चीन के राष्ट्रपति से बातचीत की है और चीन भारी मात्रा में अमेरिकी सोयाबीन खरीद रहा है। अधिकारियों ने बताया कि चीन आने वाले समय में बड़ी मात्रा में सोयाबीन खरीदने का वादा कर चुका है।

कई लोगों के लिए, भारत से जुड़े व्यापार मुद्दे ग्लोबल कॉम्पिटिशन और अमेरिकी कमोडिटी बाजारों के भविष्य की चिंताओं से जुड़े हुए थे। केनेडी ने प्रशासन से चावल को “राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा” मानने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि सब्सिडी वाला विदेशी चावल विदेशों में अमेरिकी उत्पादों की जगह ले रहा है। कई किसानों ने तेजी से कदम उठाने की मांग की। वहीं, कुछ अधिकारियों ने दावा किया कि बाइडेन सरकार के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर हुई।

बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच कृषि व्यापार पिछले एक दशक में काफी बढ़ा है। भारत अमेरिका को बासमती चावल, मसाले और समुद्री उत्पाद निर्यात करता है, जबकि अमेरिका से बादाम, कपास और दालें खरीदता है। लेकिन चावल और चीनी पर सब्सिडी जैसे मुद्दों पर विवाद अक्सर सामने आते रहते हैं।

ट्रंप का नया शुल्क-आधारित रुख संकेत देता है कि आने वाले महीनों में एशियाई देशों, खासकर भारत के लिए परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं।

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राजनीति

नागरिकता से पहले वोटर लिस्ट में कैसे जुड़ा नाम? सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी

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नई दिल्ली, 9 दिसंबर: बिना भारतीय नागरिकता हासिल किए मतदाता सूची में नाम शामिल कराने से जुड़े मामले में दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। यह नोटिस वकील विकास त्रिपाठी द्वारा दायर रिवीजन पिटीशन पर जारी किया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 6 जनवरी, 2026 को होगी।

वकील विकास त्रिपाठी का कहना है कि सोनिया गांधी का नाम 1980 की नई दिल्ली की वोटर लिस्ट में शामिल था, जबकि उन्होंने 30 अप्रैल 1983 को भारत की नागरिकता हासिल की। इसी आरोप के आधार पर मजिस्ट्रेट कोर्ट में मुकदमा दर्ज कर जांच कराने की मांग की गई थी, लेकिन सितंबर 2025 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।

मजिस्ट्रेट कोर्ट के इसी आदेश को चुनौती देते हुए त्रिपाठी ने रिवीजन पिटीशन दाखिल की, जिस पर अब राऊज एवेन्यू कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है।

दाखिल याचिका में कहा गया है कि 1980 की वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी का नाम कैसे शामिल हुआ, जबकि तब तक उन्होंने भारतीय नागरिकता प्राप्त नहीं की थी। याचिका में यह भी पूछा गया है कि 1982 में उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया गया था, तो आखिर किन कारणों से यह कार्रवाई हुई?

याचिका में यह भी कहा गया कि यदि 1983 में ही नागरिकता मिली, तो 1980 में नाम शामिल कराने के लिए किन दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया? क्या उस समय फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराया गया?

राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वे आरोपों पर विस्तृत जवाब दाखिल करें।

बता दें कि इससे पहले, मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सितंबर 2025 में दायर उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच कराने की मांग की गई थी। बाद में, इसी आदेश को चुनौती देते हुए रिवीजन पिटीशन दाखिल की गई, जिस पर कोर्ट ने अब जवाब मांगा है।

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