अपराध
मुंबई: ईडी का कहना है कि शिराज़ी जेल से ड्रग साम्राज्य चला रहा है

जेल में बंद ड्रग माफिया अलियासगर शिराज़ी कथित तौर पर न्यायिक हिरासत में रहते हुए जेल से साइकोट्रॉपिक प्रतिबंधित दवाओं की तस्करी कर रहा है। यह खुलासा हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत में दायर अभियोजन शिकायत में हुआ।
अभियोजन पक्ष की शिकायत के अनुसार, उसकी पत्नी मेहरीन के मोबाइल फोन के डिजिटल फोरेंसिक विश्लेषण से पता चला कि शिराज़ी ने कथित तौर पर उसे और उसके अकाउंटेंट सिद्धि गणेश जामदार को जेल से संदेश भेजे थे, जिसमें उन्हें अपनी अवैध गतिविधियों को जारी रखने का निर्देश दिया गया था जो उसकी गिरफ्तारी के कारण रुक गई थी।
शिराज़ी ने कथित तौर पर मेहरीन और जामदार को अपने सहयोगियों से संपर्क करने का निर्देश दिया। संगम सिंह (उर्फ गोलू भाई) और मनोज पटेल, भारत से दवाओं की अवैध शिपिंग जारी रखने के लिए। पूछताछ के दौरान, मेहरीन ने मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल होने की बात स्वीकार की और कहा कि उसे अपने पति से व्हाट्सएप पर लिखित निर्देश मिले थे।
कहा जाता है कि निर्देशों का पालन करते हुए उन्होंने जामदार को अमेरिका जाने वाले शिपमेंट के लिए सिंह के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया था। अपनी ओर से, सिंह ने मेहरीन के साथ दवाओं और प्रतिबंधित दवाओं की एक विस्तृत सूची साझा की, जिसमें ज़ोल्टार्ट, ओल्ट्राम, डियाज़ा, रालम और ट्रैकेम शामिल हैं, जिसमें मात्रा निर्दिष्ट की गई है। यह शिपमेंट कथित तौर पर पटेल को दिया गया था, जिन्होंने बक्सों की तस्वीरें और सामग्री का विवरण देने वाली एक सूची मेहरीन और जामदार के साथ साझा की थी। पूरे ऑपरेशन के दौरान, मेहरीन कथित तौर पर नकद रसीदों के लिए पुर्तगाल स्थित नंबर के माध्यम से संगम और पटेल के संपर्क में रही। उसने लगभग 1 करोड़ रुपये नकद लेने की बात कबूल की।
अभियोजन पक्ष की शिकायत में जुलाई और अगस्त 2023 में मेहरीन और जामदार के बीच हुई बातचीत सहित आपत्तिजनक सबूतों पर प्रकाश डाला गया। जब चैट और मेहरीन के बयान का सामना किया गया, तो शिराज़ी ने आरोपों का खंडन किया। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने मेहरीन को कानूनी शुल्क और ऋण भुगतान के लिए पैसे के लिए कूरियर उद्योग में अपने सहयोगियों और अपने पूर्व व्यावसायिक संपर्कों के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया था।
ईडी की जांच के अनुसार, सिंह ने सितंबर 2023 में शिराज़ी के लिए आखिरी खेप भेजी और भाग गया। ऐसा माना जाता है कि वह दुबई में है, जहां से वह अपना ड्रग्स कारोबार संचालित कर रहा है। मेसर्स श्री उमिया इंटरनेशनल लॉजिस्टिक्स कंपनी के मालिक पटेल ने अपनी ओर से सितंबर 2023 में ओपियोइड खेप भेजने की बात स्वीकार की और कहा कि जब जामदार ने शिराज़ी के परिवार के सामने आने वाली वित्तीय कठिनाइयों का हवाला देते हुए उनसे संपर्क किया, तो उन्होंने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। शिराज़ी के अनुसार, पटेल उनके बिजनेस पार्टनर हैं और उन्हें 75 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। हालांकि, ईडी ने पाया कि पटेल को अपराध से 1.81 करोड़ रुपये की आय प्राप्त हुई।ईडी की अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि शिराज़ी द्वारा संचालित ड्रग सिंडिकेट में दूरसंचार, लॉजिस्टिक्स, कंसल्टेंसी और फार्मा के क्षेत्र की कंपनियां शामिल थीं। आरोपी टेलीकॉम कंपनियों के कॉल सेंटर और वेबसाइटों का इस्तेमाल विदेशों से दवाओं के ऑर्डर प्राप्त करने के लिए किया जाता था, जिसके बाद शिपमेंट को दवाओं या फार्मास्यूटिकल्स के रूप में गलत घोषित किया जाता था और विदेशों में तस्करी की जाती थी।
अपराध
नासिक : धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह के बाद बवाल, पथराव में कई घायल

नासिक, 16 अप्रैल। नासिक के काठे गली इलाके में मंगलवार रात पुलिस पर पथराव किया गया। यह घटना तब हुई जब क्षेत्र में बिजली कट गई और इसी अंधेरे का फायदा उठाकर भीड़ ने अचानक पुलिस और आसपास खड़े वाहनों पर पत्थर बरसाने शुरू कर000000 दिए। इस हिंसक घटनाक्रम में तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि पांच वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हंगामे की वजह एक धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह बताई जा रही है।
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी। रात में करीब 500 पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया ताकि हालात और न बिगड़ें। बताया जा रहा है कि हंगामे के समय करीब 400 से 500 लोग मौजूद थे। पुलिस ने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए इलाके में ट्रैफिक मार्गों में बदलाव भी कर दिए हैं। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मिलकर हालात पर कड़ी नजर रखी और रात भर गश्त जारी रही।
सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले की जड़ एक विवादास्पद धार्मिक स्थल है, जिस पर पिछले कुछ दिनों से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। नगरपालिका ने 1 अप्रैल को अदालत के आदेश के बाद एक अनधिकृत निर्माण पर नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि निर्माण को स्वयं नहीं हटाया गया तो प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा। इस चेतावनी के बावजूद धार्मिक स्थल को नहीं हटाया गया, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष और तमाम तरह की अफवाह फैल गई।
अधिकारियों ने बताया कि इस क्षेत्र में कुछ धार्मिक स्थलों का निर्माण बिना अनुमति के किया गया था और इन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया गया था, जिसके बाद यह घटना हुई है। अगले दो दिनों में ऐसे सभी अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा। नासिक पुलिस का कहना है पुलिस पूरे इलाके में शांति बनाए रखने के लिए कार्रवाई कर रही है। पुलिस और प्रशासनिक अमले की मौजूदगी अब भी इलाके में बनी हुई है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
अपराध
जयपुर: ईडी ने पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी की

जयपुर, 15 अप्रैल। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को जयपुर में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी शुरू की। प्रताप सिंह राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
यह कार्रवाई प्रदेश के चर्चित 2,850 करोड़ रुपये के पीएसीएल घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह पर आरोप है कि घोटाले की कुछ राशि उनके पास भी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कोर्ट ने कमेटी से कहा था कि पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम करके 6 माह में लोगों को ब्याज सहित भुगतान करें। सेबी के आकलन के अनुसार, पीएसीएल की 1.86 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो निवेशकों की जमा राशि की तुलना में 4 गुना है।
पीएसीएल कंपनी की योजनाओं को अवैध मानते हुए सेबी ने 22 अगस्त 2014 को कंपनी के कारोबार बंद कर दिए थे, जिसके चलते निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास जमा रह गई। इसके बाद कंपनी और सेबी के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला और सेबी केस जीत गई। 17 साल तक राज्य में रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पीएसीएल में प्रदेश के 28 लाख लोगों ने करीब 2,850 करोड़ और देश के 5.85 करोड़ लोगों ने कुल 49,100 करोड़ का निवेश किया था।
कंपनी पर बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, जयपुर ग्रामीण, उदयपुर, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत आधे से ज्यादा राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। इस घोटाले का पहला खुलासा जयपुर में ही हुआ था, जब 2011 में चौमू थाने में ठगी और चिट फंड एक्ट के तहत पहला केस दर्ज किया गया। मामले में प्रताप सिंह की भागीदारी 30 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसको लेकर अब ईडी जांच कर रही है।
अपराध
सलमान खान को फिर मिली जान से मारने की धमकी

मुंबई: फिल्म अभिनेता सलमान खान को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है। सलमान खान लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर हैं और लॉरेंस गैंग सलमान को जान से मारने की धमकी भी दे चुका है, जिसके बाद से सलमान खान को सोशल मीडिया पर लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल रूम को एक व्हाट्सएप संदेश मिला जिसमें सलमान खान को उनके घर में घुसकर जान से मारने और उनकी कार को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। यह धमकी भरा संदेश मिलने के बाद वर्ली पुलिस ने ट्रैफिक पुलिस की शिकायत पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धमकी का मामला दर्ज कर लिया है।
मुंबई पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि सलमान खान को धमकी देने वाला शख्स किसी गिरोह से जुड़ा है या फिर किसी ने शरारत में यह धमकी दी है। धमकी भरे संदेश के बाद पुलिस भी अलर्ट पर है। सलमान खान के घर के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसके साथ ही सलमान खान को वाई प्लस सुरक्षा भी प्राप्त है। ऐसे में पुलिस ने भी इस धमकी को गंभीरता से लिया है।
मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पंचालकर ने भी पुलिस को धमकी भरे फोन कॉल, व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर धमकी भरे संदेशों को लेकर सतर्क रहने का आदेश दिया है। मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच भी इस मामले की जांच कर रही है। सलमान खान की जान को खतरा है, इसलिए पुलिस किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतना चाहती है और पुलिस ने इस मामले में जांच भी शुरू कर दी है। सलमान खान को इससे पहले भी कई बार जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है।
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