राजनीति
मोदी सरकार के मंत्री आठवले ने शरद पवार को दिया एनडीए में आने का सुझाव
मोदी सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री राम दास आठवले ने सोमवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी मुखिया शरद पवार को एनडीए में शामिल होने का सुझाव दिया है। आठवले ने कहा है कि इससे देश और महाराष्ट्र दोनों का विकास होगा। शरद पवार के साथ आने पर महाराष्ट्र में भाजपा, राकांपा और आरपीआई का महागठबंधन बनेगा।
महाराष्ट्र के राज्यसभा सदस्य और एनडीए के सहयोगी दल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष आठवले ने आईएएनएस से कहा, ‘शिवसेना को सपोर्ट करने में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को कोई फायदा नहीं है। महाराष्ट्र के विकास के लिए केंद्र से ज्यादा से ज्यादा पैसा मिलना चाहिए। इसलिए शरद पवार को एनडीए के साथ आने पर विचार करना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र में भाजपा, राकांपा और आरपीआई की महायुति बनेगी।’
आठवले ने कहा, “शरद पवार महाराष्ट्र के बड़े नेता हैं। उन्हें किसानों, दलित, आदिवासी और ओबीसी की समस्याओं के बारे में जानकारी है। वह देश के कृषि मंत्री रहे हैं। ऐसे में मेरा निवेदन है कि उन्हें देश के विकास के लिए नरेंद्र मोदी के साथ आने चाहिए। ऐसा मेरा व्यक्तिगत मत है। महाराष्ट्र में भाजपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और आरपीआई की महायुति बनेए ऐसी मेरी व्यक्तिगत इच्छा है।”
बता दें कि 2019 के विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। दोनों दलों को क्रमश: 105 और 56 सीटें मिलीं थीं। लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर हुए विवाद पर शिवसेनाए भाजपा से अलग होकर कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार बनाने में सफल हुई थी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं। राज्य में निर्दलीयों के पास 13 और दो विधायक एआईएमआईएम के पास हैं।
सरकार के अंदर बीते दिनों खींचतान की खबरें आने के बाद सियासी गलियारे में यह अटकलें लग रहीं थीं कि कहीं शरद पवार की पार्टी बीजेपी के साथ जाने का फैसला न कर लें। हालांकि एनसीपी ऐसी खबरों को अब तक खारिज करती रही है। लेकिन, मोदी सरकार के मंत्री और महाराष्ट्र के राज्यसभा सदस्य रामदास आठवले की ओर से पवार को एनडीए में आने का सुझाव देने से सियासी सरगर्मी बढ़ गई है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख ने प्रशासनिक ढांचा बदलने का दिया प्रस्ताव, खर्चों में बड़ी कटौती का लक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र, 2 दिसंबर: संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कामकाज को अधिक कुशल और कम खर्चीला बनाने के लिए एक बड़े प्रशासनिक सुधार की घोषणा की है। उन्होंने प्रस्ताव दिया है कि संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की विभिन्न इकाइयों को अलग-अलग तरीके से मिलने वाली प्रशासनिक सेवाओं को अब एक कॉमन एडमिनिस्ट्रेटिव प्लेटफॉर्म के तहत जोड़ा जाए। इससे काम की गति बढ़ेगी और खर्चों में भारी कटौती होगी।
गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की पांचवीं समिति को बताया कि इसे न्यूयॉर्क और बैंकॉक स्टेशनों से शुरू किया जाएगा। उन्होंने 2026 के लिए प्रस्तावित प्रोग्राम बजट और 2025/26 की अवधि के लिए पीसकीपिंग ऑपरेशन के सपोर्ट अकाउंट से जुड़ी एक रिवाइज्ड एस्टिमेट रिपोर्ट पेश की
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि अभी अलग-अलग इकाइयां एक जैसा काम करती हैं, जिससे समय और धन दोनों की अधिक खपत होती है। ये नया मॉडल हमारी दक्षता को काफी बढ़ाएगा।
यूएन प्रमुख ने पूरे यूएन सिस्टम की पेरोल प्रोसेसिंग को एक ग्लोबल टीम के तहत लाने का एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह टीम तीन प्रमुख केंद्रों से काम करेगी, जिनमें यूएन मुख्यालय (न्यूयॉर्क), रीजनल सर्विस सेंटर, एंटेब्बे (युगांडा) यूएन ऑफिस, नैरोबी (केन्या) शामिल हैं। इससे प्रक्रिया सरल होगी और खर्च भी कम होगा।
उन्होंने पेरोल प्रोसेसिंग को एक सिंगल ग्लोबल टीम में कंसॉलिडेट करने का भी प्रस्ताव रखा, जो तीन सेंटर्स — UN हेडक्वार्टर, एंटेबे में रीजनल सर्विस सेंटर और नैरोबी में यूनाइटेड नेशंस ऑफिस में काम करेगी।
इसके अलावा, गुटेरेस ने न्यूयॉर्क और जिनेवा में एंटिटीज द्वारा उन कामों की की व्यवस्थित समीक्षा करने का प्रस्ताव रखा, जिन्हें कम लागत वाले ड्यूटी स्टेशनों में प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह हमारे कमर्शियल फुटप्रिंट को कम करने और लंबे समय में लागत में कमी लाने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है।
यूएन प्रमुख के अनुसार, 2017 से न्यूयॉर्क में व्यावसायिक लीज खत्म करने और दफ्तरों के समेकन के जरिए यूएन सचिवालय ने 126 मिलियन डॉलर की बचत की है।
अब दो और इमारतों की लीज 2027 तक समाप्त की जाएगी, जिससे 2028 से हर साल 24.5 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त बचत होने का अनुमान है।
गुटेरेस द्वारा पेश रिपोर्ट के अनुसार, यूएन का 2026 का नियमित बजट 3.238 बिलियन डॉलर प्रस्तावित है, जो 2025 की तुलना में 15.1 प्रतिशत कम है।
राजनीति
राज्यसभा में एसआईआर पर चर्चा को लेकर भारी हंगामा, सदन की कार्यवाही स्थगित

नई दिल्ली, 2 दिसंबर: मंगलवार को राज्यसभा में जोरदार हंगामा देखने को मिला। विपक्षी दलों ने एसआईआर के मुद्दे पर तुरंत चर्चा कराए जाने की मांग रखी। विपक्ष ने अपनी इस मांग को लेकर सदन में जमकर विरोध किया और जोरदार नारेबाजी की।
विपक्ष के इस हंगामे के बीच कुछ देर सदन की कार्यवाही चली, लेकिन सदन में हंगामा जारी रहने पर सभापति ने सदन को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। दरअसल, विपक्ष के कई सदस्यों ने नियम 267 के अंतर्गत चर्चा के लिए नोटिस दिया था।
सदन में बोलते हुए राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कई सदस्यों ने नियम 267 के तहत नोटिस दिया है। संसदीय परंपरा के मुताबिक नोटिस देने वाले इन सदस्यों के नाम तथा उनके मुद्दों को सदन में बताया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम एसआईआर पर एक गंभीर चर्चा चाहते हैं। लोग मर रहे हैं, स्थिति गंभीर है।
खड़गे ने कहा कि लगभग 28 लोगों की मौत हो चुकी है। यह अत्यंत जरूरी विषय है। सदन में इस विषय पर अविलंब चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने राज्यसभा के सभापति से आग्रह किया कि लोकतंत्र, जनता और देशहित में इस विषय पर तुरंत चर्चा की अनुमति दी जाए।
वहीं, सदन में हो रहे हंगामे पर राज्यसभा के सभापति ने कहा कि जब तक सदन सुव्यवस्थित नहीं होगा, वे सभी सदस्यों को नहीं सुन सकते। उन्होंने कहा कि खड़गे द्वारा उठाए गए मुद्दों पर उन्होंने तुरंत संसदीय कार्य मंत्री से प्रतिक्रिया मांगी थी और मंत्री ने सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए समय मांगा है।
सभापति ने नेता प्रतिपक्ष से कहा, “कल भी संसदीय कार्य मंत्री ने आपकी मांग पर सकारात्मक रुख अपनाया था, इसलिए हमें उन्हें कुछ समय देना चाहिए।”
वहीं विपक्ष की इस मांग पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वे विपक्ष के नेताओं से औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरीकों से बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा कि समस्या तब शुरू होती है जब समय सीमा तय की जाती है। लोकतंत्र में संवाद आवश्यक है। देश में कई मुद्दे हैं और वे सभी महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष से सहयोग की अपील की।
सदन के नेता जे.पी. नड्डा ने भी कहा कि विपक्ष ने चर्चा की मांग रखी गई है और संसदीय कार्य मंत्री ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही विपक्षी नेताओं के साथ बैठक होगी। वहीं सदन में विपक्षी सांसद एसआईआर के मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग को लेकर नारेबाजी करते रहे और सदन में इस विषय पर शोरगुल जारी रहा। अंत में हंगामे के चलते सभापति ने सदन को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई की वायु गुणवत्ता में सुधार, बीएमसी का दावा, शहर भर में प्रदूषणकारी स्थलों पर कार्रवाई तेज

पिछले कुछ दिनों में मुंबई की वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने इस सकारात्मक रुझान का श्रेय शहर और उपनगरों में प्रदूषण नियंत्रण उपायों के सख्त क्रियान्वयन को दिया है। अधिकारियों ने बताया कि 26 नवंबर 2025 से वायु गुणवत्ता सूचकांक में लगातार सुधार हो रहा है, और सबसे उल्लेखनीय प्रगति पिछले 48 घंटों में दर्ज की गई है।
हवा की गति, जो 28 नवम्बर तक तीन से चार किलोमीटर प्रति घंटे के आसपास थी, अब बढ़कर दस से अठारह किलोमीटर प्रति घंटे के बीच हो गई है, जिससे प्रदूषकों के बिखराव में मदद मिल रही है।
नगर आयुक्त एवं प्रशासक भूषण गगरानी ने निर्देश दिया है कि प्रदूषण मानदंडों का उल्लंघन करने वाले निजी निर्माण स्थलों और सरकारी परियोजनाओं के विरुद्ध बिना रुके कार्रवाई जारी रखी जाए। पहले से जारी अट्ठाईस सूत्री दिशानिर्देशों का पालन न करने पर कई स्थलों को पहले ही काम रोकने का नोटिस जारी किया जा चुका है।
गगरानी ने स्पष्ट किया कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान चरण 4 वर्तमान में मुंबई पर लागू नहीं है। हालाँकि, निगम ने यह सुनिश्चित करने के लिए निगरानी बढ़ा दी है कि प्रदूषण नियंत्रण संबंधी सभी निर्देशों का सख्ती से पालन होता रहे।
व्यापक अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए, बीएमसी ने प्रत्येक प्रशासनिक वार्ड में चौरानबे मोबाइल दस्ते तैनात किए हैं। ये टीमें निजी निर्माण स्थलों और सड़क व मेट्रो परियोजनाओं जैसे प्रमुख सार्वजनिक कार्यों का निरीक्षण कर रही हैं। वे निर्माण स्थलों पर लगे सेंसर आधारित वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) निगरानी उपकरणों की भी जाँच कर रही हैं और अनियमितताएँ पाए जाने पर नोटिस जारी कर रही हैं।
अतिरिक्त नगर आयुक्त अश्विनी जोशी इन उपायों के दैनिक कार्यान्वयन की देखरेख कर रहे हैं।
गगरानी ने कहा कि नगर निगम प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक साथ कई पहल कर रहा है। इनमें बेकरी और श्मशान घाटों को स्वच्छ ईंधन से बदलना, धूल कम करने के लिए मिस्टिंग मशीनों का इस्तेमाल, प्रमुख सड़कों की धुलाई और बड़े पैमाने पर स्वच्छता अभियान चलाना शामिल है। कचरा जलाने को हतोत्साहित करने और नागरिकों में नियमों का पालन करने के लिए जन जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
मुंबई बंदरगाह प्राधिकरण ने कथित तौर पर अपने परिसर में अलाव जलाने पर रोक लगाने के बीएमसी के अनुरोध पर कार्रवाई की है, जो स्थानीय प्रदूषण के स्तर में योगदान दे रहा था।
बीएमसी ने दोहराया कि मुंबई के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में सुधार कई मोर्चों पर समन्वित प्रयासों का परिणाम है। हवा की स्थिति अब अनुकूल होने के साथ, नगर निकाय ने सभी हितधारकों से निरंतर अनुशासन बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया।
गगरानी ने निजी, सरकारी और अर्ध-सरकारी परियोजना प्रमुखों से प्रदूषण नियंत्रण दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करने का आग्रह किया। उन्होंने बेकरियों से जल्द से जल्द स्वच्छ ईंधन अपनाने की अपील की और नागरिकों से खुले में कचरा जलाने से बचकर निगम का सहयोग करने का अनुरोध किया।
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