राजनीति
लुलु मॉल विवाद: सीएम योगी ने विरोध-प्रदर्शन पर लखनऊ प्रशासन को लगाई फटकार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के लुलु मॉल विवाद को लेकर हो रहे विरोध-प्रदर्शन को लेकर जिला और पुलिस प्रशासन को फटकार लगाई। सीएम योगी ने कहा, इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और इस तरह की चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मॉल में तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे उपद्रवियों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने सोमवार शाम को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि व्यापारिक प्रतिष्ठान लुलु मॉल को सियासी गढ़ में तब्दील कर दिया गया है। कुछ लोगों द्वारा अनावश्यक बयान दिए जा रहे थे और मॉल में आने वाले लोगों की आवाजाही में बाधा डालने के लिए प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे थे। किसी को भी प्रार्थना या अन्य कार्यक्रम आयोजित करके सड़क पर यातायात बाधित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
इस बीच, लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट ने कहा कि 12 जुलाई को लुलु मॉल में कथित तौर पर नमाज अदा करने वाले चार लोगों का वीडियो फर्जी था।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 15 जुलाई को वायरल हुआ यह वीडियो असल में उन लोगों का है, जिन्हें पुलिस ने 15 जुलाई को मॉल के अंदर हनुमान चालीसा पढ़ने और नमाज पढ़ने के प्रयास में गिरफ्तार किया था।
मुख्यमंत्री ने पुलिस अधिकारियों से अपने-अपने जिलों में स्थिति की समीक्षा करने और असामाजिक तत्वों पर नजर रखने को कहा।
राजनीति
लोगों को जोड़ने वाली कर्म की राजनीति से ही सभी की भलाई संभव : मायावती

लखनऊ, 16 अप्रैल। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों के साथ अहम बैठक की। इस बैठक में दोनों राज्यों में पार्टी संगठन की समीक्षा की गई।
बैठक में बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि डबल इंजन की भाजपा सरकार सर्वसमाज के करोड़ों गरीब बहुजनों के समुचित हित, कल्याण एवं विकास के हिसाब से कार्य न करके, सपा सरकार की तरह ही, केवल कुछ क्षेत्र व समूह विशेष के लोगों के लिए ही समर्पित है और वैसा ही दिखना भी चाहती है, जिससे यूपी का बहु-अपेक्षित व अति-प्रतीक्षित विकास प्रभावित हो रहा है। जबकि, बसपा की सभी चारों सरकारों में सर्वसमाज को न्याय दिलाने और विकास में उचित भागीदार बनाने के साथ-साथ कानून द्वारा कानून का राज सख्ती से स्थापित करके खासकर करोड़ों दलितों, पिछड़ों, महिलाओं, किसानों और बेरोजगारों आदि अन्य उपेक्षितों के हितों की रक्षा, सुरक्षा व उन्हें न्याय दिलाने पर विशेष बल दिया गया था, जिससे यहां हर तरफ अमन चैन का माहौल था। इसलिए यूपी और उत्तराखंड भाजपा सरकार को भी धर्म को कर्म के बजाय कर्म को धर्म मानकर कार्य करने का सही संवैधानिक दायित्व निभाना जरूरी है, जिसमें ही जन व देशहित पूरी तरह से निहित है।
उन्होंने कहा कि वैसे तो बहुजनों में भी खासकर दलित समाज के वोटों के स्वार्थ की खातिर बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को उनकी जयंती आदि पर याद करने की होड़ सी लगी रही है, किंतु ऐसे समय में भी उनकी प्रतिमाओं का अनादर व उनके अनुयायियों को प्रताड़ित करने और हत्या आदि की वारदातें यह साबित करती हैं कि इन बीएसपी विरोधी पार्टियों में बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर के प्रति आदर-सम्मान, निष्ठा व ईमानदारी राजनीति से प्रेरित छलावा है।
बैठक में “ट्रंप टैरिफ गेम” को लेकर पूरी दुनिया में मची आर्थिक खलबली और उथलपुथल का संज्ञान लेते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि दुनिया की सबसे विशाल आबादी वाला विकासशील देश होने के नाते भारत के करोड़ों गरीब व पिछड़े बहुजनों की महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि की विशेष समस्याएं व चिंताएं हैं, जिसका सरकार को अपनी नीति बनाते समय जरूर खास ध्यान रखना चाहिए। इसके साथ ही, ऐसे अकस्मात आए नए आर्थिक चुनौतियों का सामना करते समय भारत को अपने आत्म-सम्मान पर किसी प्रकार की कोई आंच नहीं आने देना चाहिए, यही सरकार से जन अपेक्षा है।
उन्होंने आगे कहा कि देश व खासकर उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड राज्य में भी द्वेष व विभाजन की संकीर्ण राजनीति खत्म होनी चाहिए तथा लोगों को जोड़ने वाली कर्म की राजनीति के जरिए जन व देशहित में कार्य करना जरूरी है।
राष्ट्रीय समाचार
नासिक : सतपीर दरगाह पर चला बुलडोजर, हाईकोर्ट के आदेश पर की गई कार्रवाई

नासिक, 16 अप्रैल। महाराष्ट्र के नासिक में मंगलवार को अवैध निर्माण हटाने के दौरान हिंसक झड़प में 21 पुलिसकर्मी घायल हो गए। नासिक महानगरपालिका ने बुलडोजर कार्रवाई की, जिसका भारी विरोध किया गया। भारी संख्या में जुटे लोगों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े।
हाईकोर्ट के आदेशानुसार यह कार्रवाई की गई, लेकिन जैसे ही इसे अंजाम देने की शुरुआत हुई, भीड़ ने इसका तीव्र विरोध किया। इसके बाद, मंगलवार रात हाईकोर्ट के निर्देशानुसार दरगाह ट्रस्टियों ने दरगाह को खुद हटाने की प्रक्रिया शुरू की थी। इसी दौरान बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए और उन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया। स्थिति तब और बिगड़ गई जब उग्र भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, भीड़ ने उन मुस्लिम नेताओं पर भी हमला किया जो लोगों को शांत कराने पहुंचे थे।
स्थिति को काबू में करने और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इस दौरान आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। इस हिंसा में कुल 21 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और पुलिस के तीन वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। काफी मशक्कत के बाद स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सका।
बुधवार सुबह दरगाह को पूरी तरह से गिरा दिया गया। इस घटना को लेकर प्रशासन ने एफआईआर दर्ज कर ली है और आरोपियों की पहचान कर गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जोन-1 के अधिकारी, सभी डीसीपी, एसीपी, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक व अन्य स्टाफ को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी गई है।
इस कार्रवाई के मद्देनजर पुलिस से भी काफी बंदोबस्त कर रखा था। दरगाह के पास सड़कों पर हर तरफ भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी।
नगरपालिका ने 1 अप्रैल को अदालत के आदेश के बाद एक अनधिकृत निर्माण पर नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि निर्माण को स्वयं नहीं हटाया गया तो प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा। 15 दिन तक इस दिशा में कुछ नहीं किया गया तो बुलडोजर कार्रवाई को अंजाम दिया गया।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
बांग्लादेश : राष्ट्रीय चुनाव में देरी का मुद्दा गर्माया, यूनुस से मुलाकात करेगी बीएनपी

ढाका, 16 अप्रैल। देश के प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) बुधवार को अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से मुलाकात करेगी। पार्टी दिसंबर 2025 के बाद राष्ट्रीय चुनाव में किसी भी तरह की देरी के खिलाफ है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बीएनपी आगामी चुनाव के लिए एक स्पष्ट रोडमैप की मांग करेगी।
बीएनपी स्थायी समिति के सदस्य सलाहुद्दीन अहमद ने कहा कि बैठक के दौरान पार्टी अंतरिम सरकार की मंशा पर स्पष्टता की मांग करेगी।
अहमद ने कहा, “हम मुख्य सलाहकार को दिसंबर तक चुनाव कराने के उनके वादे की याद दिलाएंगे। उनसे प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए सार्वजनिक रूप से इसकी पुष्टि करने की अपील करेंगे। हम उनसे चुनाव आयोग को सभी जरूरी तैयारियां पूरी करने का निर्देश देने के लिए भी कहेंगे।”
बीएनपी नेताओं ने संकेत दिया कि यदि बैठक के दौरान कोई आम सहमति नहीं बनी तो वे लोकतंत्र की बहाली और इसी वर्ष राष्ट्रीय चुनाव कराने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरेंगे। पार्टी ने अगले तीन महीनों के लिए गतिविधियों की रूपरेखा तैयार की है। बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट यूएनबी ने पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से बताया कि ये कार्यक्रम संभवतः रैलियां, मार्च और जुलूस होंगे, जिनकी शुरुआत जमीनी स्तर से होगी।
यूएनबी से बात करते हुए बीएनपी की स्थायी समिति के एक सदस्य ने कहा कि राष्ट्रीय चुनाव को स्थगित करने और वर्तमान अंतरिम सरकार को पांच साल तक सत्ता में बनाए रखने के उद्देश्य से एक अभियान चल रहा है। उन्होंने कहा कि गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने हाल ही में दावा किया था कि जनता चाहती है कि अंतरिम सरकार पांच साल तक बनी रहे।
पिछले महीने, राष्ट्र के नाम एक टेलीविजन संबोधन में, यूनुस ने कहा कि चुनाव दिसंबर 2025 और जून 2026 के बीच होंगे। उन्होंने कहा कि आम सहमति आयोग सभी राजनीतिक दलों से सुधारों पर सक्रिय रूप से राय इक्ट्ठा कर रहा है।
बांग्लादेश में राजनीतिक दलों की बहुचर्चित एकता, जो अगस्त 2024 में पूर्व पीएम शेख हसीना के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित अवामी लीग सरकार को सत्ता से बेदखल करने के दौरान पूरी तरह से प्रदर्शित हुई थी, धीरे-धीरे फीकी पड़ रही है।
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