अंतरराष्ट्रीय
60 टेस्ट के बाद कप्तान के तौर पर धोनी से बेहतर हैं कोहली

विराट कोहली 60 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी करने के बाद महेंद्र सिंह धोनी की तुलना में अधिक सफल टेस्ट कप्तान हैं। हालांकि उन्हें अभी भी सीमित ओवरों के क्रिकेट में एक कप्तान के रूप में भारत के पूर्व विकेटकीपर-बल्लेबाज की उपलब्धियों की बराबरी करने की जरूरत है। भारत की टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल (18 से 22 जून तक) के लिए इंग्लैंड के लिए रवाना होगी। इसके कुछ दिन बाद भारतीय टीम इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेलेगी।
इस मैचों से पहले ही कोहली धोनी के साथ सबसे अधिक संख्या में भारत की टेस्ट कप्तानी करने वाले व्यक्ति के रूप में खड़े हैं। दोनों ने 60 टेस्ट मैचों में भारत की अगुवाई की है।
हालांकि, कोहली अधिक सफल हैं। उन्होंने टीम का 36 जीत में नेतृत्व किया जबकि धोनी की कप्तानी में टीम ने ं 27 जीत हासिल की है।
एशिया के बाहर कप्तान के रूप में भारत के नंबर -3 बल्लेबाज के रिकॉर्ड को ऑस्ट्रेलिया में 2018-19 की टेस्ट सीरीज जीत के साथ सजाया गया था। यह एक ऐसी उपलब्धि थी जिसने अजिंक्य रहाणे के नेतृत्व में भारतीय टीम को 2020-21 में यह उपलब्धि दोहराने का विश्वास दिया था।
कोहली ने वेस्टइंडीज में छह में से चार मैच जीते हैं। इसी तरह दक्षिण अफ्रीका में तीन में से एक मैच जीता है। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में सात में से दो मैच जीते हैं। और इंग्लैंड में पांच में से एक टेस्ट जीता है। वह हालांकि न्यूजीलैंड में दोनों टेस्ट हार चुके हैं।
इसकी तुलना में, धोनी ने भारत को न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में एक-एक टेस्ट में जीत दिलाई। इससे भी बदतर, वह उस समय शीर्ष पर थे जब भारत को 2011 में इंग्लैंड ने और 2011-12 में ऑस्ट्रेलिया ने टेस्ट सीरीज में 0-4 से हरा दिया गया था।
हालांकि, जब सीमित ओवरों के क्रिकेट की बात आती है, तो धोनी की बराबरी नहीं की जा सकती। उन्होंने भारत के सीमित ओवरों के कप्तान के रूप में सभी प्रमुख ट्राफियां जीती हैं – 50 ओवर का विश्व कप, टी 20 विश्व कप और साथ ही चैंपियंस ट्रॉफी। उन्होंने चेन्नई सुपर किंग्स को आईपीएल के साथ-साथ चैंपियंस लीग टी20 खिताब भी दिलाया है।
कोई आश्चर्य नहीं कि इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने धोनी को सभी प्रारूपों में कोहली से बेहतर कहा है, हालांकि उन्हें लगा कि कोहली टेस्ट क्रिकेट में कप्तान के रूप में बेहतर हैं।
कोहली ने 95 मैचों में भारत की कप्तानी की है, जिसमें 65 मैच जीते हैं और 27 में एक टाई और दो में कोई नतीजा नहीं निकला है। उन्होंने 45 टी20क में भारत का नेतृत्व किया। भारत ने 27 जीते और 14 हारे हैं।
इसकी तुलना में, धोनी ने 200 मैचों में भारत का नेतृत्व किया। इनमें से 110 जीते, 74 हारे। धोनी ने 72 मैचों में भारत की कप्तानी की, जिससे उन्हें 41 जीत, 28 हार का सामना करना पड़ा।
कोहली की तुलना में कप्तान के तौर पर धोनी का जीत प्रतिशत उल्लेखनीय नहीं है, लेकिन धोनी ने भारत के लिए जो बड़ी ट्राफियां जीती हैं, उसने उन्हें बाकी लोगों से ऊपर रखा है।
अंतरराष्ट्रीय
ओबामा ने ईरान को बहुत कुछ दिया, मैं नहीं देने वाला: ट्रंप

वाशिंगटन, 30 जून। ईरान पर भविष्य में क्या अमेरिका हमला करेगा या नहीं, फिलहाल इसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। ईरान के उप-विदेश मंत्री अमेरिका के साथ भविष्य में किसी भी कूटनीतिक और न्यूक्लियर वार्ता पर शर्त रख चुके हैं। ऐसे में ट्रंप ने कहा है कि अब वह ईरान से बात नहीं कर रहे हैं।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर लिखा, “मैं ईरान को कुछ भी नहीं दे रहा हूं। ओबामा की तरह, जिन्होंने ‘परमाणु हथियार जेसीपीओए (जो अब समाप्त हो जाएगा) के तहत अरबों डॉलर का भुगतान किया था। इतना ही नहीं, मैं उनसे इस विषय पर बात भी नहीं करने वाला हूं, क्योंकि हमने उनकी न्यूक्लियर फैसिलिटी को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है।”
ट्रंप शुक्रवार को उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर चुके थे, जिनमें कहा गया था कि उनके प्रशासन ने सिविलियन एनर्जी प्रोड्यूसिंग न्यूक्लियर प्रोग्राम बनाने के लिए ईरान को 30 बिलियन डॉलर तक की मदद करने की चर्चा की थी।
रविवार को ‘बीबीसी’ से बातचीत में माजिद तख्त-रवांची ने कहा था कि अमेरिका को ईरान के खिलाफ किसी भी हमले से इनकार करना चाहिए। इसके साथ ही उप-विदेश मंत्री ने कहा कि ईरान के खिलाफ भविष्य के हमलों पर ट्रंप प्रशासन की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।
माजिद ने बताया कि अमेरिका ने मध्यस्थ देशों से कहा है कि वह ईरान के साथ बातचीत करना चाहता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि वह भविष्य में हमले करेगा या नहीं।
अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर फैसिलिटी नतांज, फोर्डो और इस्फाहान को नष्ट किया था। इस फैसले के साथ अमेरिका इजरायल-ईरान के बीच संघर्ष में कूद पड़ा था।
इसके जवाब में ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इसके बाद ट्रंप ने ईरान-इजरायल के बीच युद्ध विराम की घोषणा की थी।
अंतरराष्ट्रीय
ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु ने ट्रंप-नेतन्याहू के खिलाफ जारी किया ‘फतवा’

तेहरान, 30 जून। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ने एक ‘फतवा’ जारी करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ‘ऊपर वाले का दुश्मन’ बताया है। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरुओं में से एक हैं।
शीर्ष शिया धर्मगुरु ने अपने फतवे में कहा, “कोई भी व्यक्ति या शासन जो नेता या मरजा को धमकाता है, उसे ऊपर वाले का दुश्मन माना जाता है।”
सेमी-ऑफिशियल मेहर समाचार एजेंसी के अनुसार, “रविवार को अपने ऑफिस के एक बयान में शिराजी ने दुनियाभर के मुसलमानों से ऐसी धमकियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने को कहा है। शिराजी ने कहा है कि अगर कोई मुस्लिम जो अपने मुस्लिम कर्तव्य का पालन करता है, उसे अपने अभियान में कठिनाई या नुकसान उठाना पड़ता है, तो उसे ऊपर वाले की राह में एक योद्धा के रूप में इनाम से नवाजा जाएगा।”
फतवे में कहा गया है, “मुसलमानों या इस्लामी देशों के जरिए उस दुश्मन को दिया जाने वाला कोई भी सहयोग या समर्थन हराम या निषिद्ध है। दुनियाभर के सभी मुसलमानों के लिए यह जरूरी है कि वह इन दुश्मनों को उनके शब्दों और गलतियों पर पछतावा करवाएं।”
रिपोर्ट्स के अनुसार यह फतवा राष्ट्रपति ट्रंप और इजरायली अधिकारियों के ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के खिलाफ कथित धमकियों के बाद आया है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने खामेनेई को ‘एक बहुत ही भयावह और अपमानजनक मौत’ से बचाया है। इसके साथ ही ट्रंप ने ईरानी सर्वोच्च नेता के ऊपर इजरायल पर जीत के बारे में गलत बयान देने का आरोप लगाया।
हाल ही में इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने एक इंटरव्यू में कहा कि ईरान के साथ अपने 12-दिवसीय संघर्ष के दौरान, इजरायल ने खामेनेई को खत्म करने की कोशिश की, लेकिन इस ऑपरेशन को अंजाम देने का मौका कभी नहीं आया।
कैट्ज ने इजराइल के ‘चैनल 13’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “अगर वह हमारी नजर में होते, तो हम उन्हें मार गिराते। हम खामेनेई को खत्म करना चाहते थे, लेकिन कोई ऑपरेशनल मौका नहीं था।”
इजरायल ने 13 जून को ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ शुरू किया, जिसमें ईरान की प्रमुख सैन्य और न्यूक्लियर एसेट्स को निशाना बनाया गया। इसके बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ गया।
जवाबी कार्रवाई में, ईरान ने इजरायली शहरों और बाद में कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। तेहरान के इस कदम से पहले फोर्डो, नतांज और इस्फाहान में उसकी न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अमेरिकी हमले हुए थे।
संघर्ष के बारह दिन बाद ट्रंप ने दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा की।
अंतरराष्ट्रीय
सीजफायर की उम्मीदों के बीच गाजा में इजरायली सैनिक की मौत

यरूशलम, 30 जून। उत्तरी गाजा पट्टी में एक इजरायली सैनिक की मौत की सूचना सामने आई है, जिसकी जानकारी इजरायली सेना ने दी है।
‘सिन्हुआ समाचार एजेंसी’ के अनुसार सेना ने बताया है कि 401वीं ब्रिगेड की 601वीं कॉम्बैट इंजीनियरिंग बटालियन के सार्जेंट यिसरायल नतन रोसेनफेल्ड (20) लड़ाई के दौरान मारे गए।
इजरायल के सरकारी स्वामित्व वाले ‘कान टीवी’ ने बताया कि रोसेनफेल्ड की मौत जबालिया में एक विस्फोटक उपकरण की वजह से हुई। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां सेना ने उत्तरी गाजा में एक नियोजित बफर जोन के हिस्से के रूप में चौकियों के निर्माण की तैयारी में इमारतों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया था।
जून की शुरुआत से गाजा पट्टी में 21 इजरायली सैनिक मारे गए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2023 तक सैनिकों की मौत का आंकड़ा 880 तक पहुंच चुका था।
इससे पहले रविवार को, फिलिस्तीनी सूत्रों ने उत्तरी गाजा में भारी बमबारी की सूचना दी। गाजा स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इजरायली हमलों में करीब 88 लोग मारे गए और 365 घायल हो गए।
इजरायली डिफेंस फोर्सेज ने गाजा के भीड़भाड़ वाले रिहायशी इलाकों के अलावा स्कूल, स्टेडियम और शरणार्थी टेंट को निशाना बनाया।
यह हमला तब हुआ जब इजरायली सेना ने नई इवैक्युएशन वॉर्निंग जारी की। इस चेतावनी में गाजा शहर और जबालिया के निवासियों से तुरंत अल-मवासी क्षेत्र की ओर जाने को कहा गया।
यह हमले ऐसे समय पर हुए, जब एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगले हफ्ते तक सीजफायर का संकेत दिया था, लेकिन इजरायल की इस कार्रवाई ने इन उम्मीदों को धूमिल कर दिया है।
इस बीच, गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने रविवार को बताया कि अक्टूबर 2023 से इजरायली सैन्य अभियानों में मरने वाले फिलिस्तीनियों की संख्या कम से कम 56,500 हो गई है।
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