खेल
आईसीसी ने शेयर किया राहुल द्रविड़ का रिकार्ड
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने शनिवार को भारत के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ का टेस्ट रिकार्ड शेयर किया है। द्रविड़ दुनिया के सर्वकालिक महान बल्लेबाजों में गिने जाते हैं। उनके नाम क्रिकेट में कई रिकार्ड हैं। आईसीसी ने जो रिकार्ड शेयर किया है, उसके माध्यम से बताया है कि क्यों द्रविड़ भारत के लिए लंबे प्रारूप में अहम खिलाड़ी थे।
आईसीसी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, “31,258- राहुल द्रविड़ ने टेस्ट क्रिकेट में किसी अन्य बल्लेबाज से ज्यादा गेंदें खेली हैं। किसी भी अन्य बल्लेबाज ने 30,000 गेंदों से ज्यादा गेंदें नहीं खेली हैं। द्रविड़ का हर टेस्ट मैच में गेंद खेलने का औसत 190.6 है।”
द्रविड़ को विश्व क्रिकेट में द वॉल के नाम से जाना जाता है। वह 1994 से 2012 तक भारतीय टीम के अहम सदस्य रहे और उन्होंने अपने खेल से टीम को कई मैच जिताए।
मनोरंजन
रिलीज से पहले विवादों में रणवीर सिंह की फिल्म ‘धुरंधर’, शहीद मेजर मोहित शर्मा के माता-पिता ने की रोक लगाने की मांग

नई दिल्ली, 28 नवंबर : लेखक और निर्देशक आदित्य धर की फिल्म ‘धुरंधर’ रिलीज से पहले ही कानूनी पचड़े में फंस चुकी है। अशोक चक्र अवार्डी शहीद मेजर मोहित शर्मा के माता-पिता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की है। फिल्म 5 दिसंबर को रिलीज होने वाली है।
भारतीय सेना के शहीद मेजर मोहित शर्मा के माता-पिता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। परिवार का कहना है कि फिल्म ‘धुरंधर’ की रिलीज पर तुरंत रोक लगाई जाए, क्योंकि ये फिल्म उनके बेटे की जिंदगी से प्रभावित लगती है और फिल्म को बनाने से पहले फिल्म प्रोड्यूसर्स ने कोई परमिशन नहीं ली है।
याचिका में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन, भारतीय सेना और फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर को पक्षकार बनाया गया है।
इससे पहले भी सोशल मीडिया पर लगातार ‘धुरंधर’ की कहानी को मेजर मोहित की जिंदगी से प्रभावित फिल्म बताया जा रहा है। हालांकि 26 नवंबर को निर्देशक आदित्य धर ने फिल्म को लेकर बयान भी जारी किया था और कहा था कि फिल्म मोहित शर्मा की जिंदगी से प्रेरित नहीं है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था, “हमारी फिल्म धुरंधर बहादुर मेजर मोहित शर्मा के जीवन पर आधारित नहीं है। यह एक आधिकारिक स्पष्टीकरण है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि अगर हम भविष्य में मोहित सर पर बायोपिक बनाते हैं तो इसे पूरी सहमति और परिवार के साथ पूर्ण परामर्श के साथ करेंगे और इस तरह से करेंगे जिससे देश के लिए उनके बलिदान और हम सभी के लिए छोड़ी गई विरासत का सच्चा सम्मान हो।”
बता दें कि ‘धुंरधर’ के ट्रेलर रिलीज के बाद फिल्म के हर किरदार पर बात की गई, लेकिन रणवीर सिंह के किरदार पर मेकर्स ने अभी तक कोई बात नहीं की है। इस बात पर सस्पेंस बरकरार है कि रणवीर सिंह का रोल किस किरदार से प्रेरित है। फिल्म में आर. माधवन का किरदार अजीत डोभाल, अर्जुन रामपाल का किरदार पाकिस्तान के इलियास कश्मीरी, जबकि संजय दत्त का किरदार पाकिस्तानी एसपी चौधरी असलम से प्रेरित है।
गौर करने वाली बात ये है कि रणवीर सिंह का लुक शहीद मेजर मोहित से मिलता है, जिन्होंने अपना नाम और पहचान बदलकर कई साल हिजबुल मुजाहिद्दीन टेरिरिस्ट ग्रुप के साथ आतंकी बनकर बिताए थे और वे जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकवादी विरोधी अभियान के दौरान मारे गए थे। उनके अदम्य साहस के लिए उन्हें अशोक चक्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
राष्ट्रीय
महाराष्ट्र सरकार ने केवल आधार के आधार पर जारी किए गए जन्म प्रमाण पत्र रद्द किए; देरी से हुए पंजीकरण की सख्त जांच के आदेश दिए

मुंबई: महाराष्ट्र में विलंबित जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए आधार कार्ड को दस्तावेज नहीं माना जाएगा और जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम, 2023 के बाद केवल आधार कार्ड के माध्यम से बनाए गए सभी जन्म प्रमाण पत्र रद्द कर दिए जाएंगे, राज्य राजस्व विभाग द्वारा जारी एक नोटिस में यह जानकारी दी गई है।
सरकार ने यह फैसला फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्रों के अवैध इस्तेमाल को रोकने के लिए लिया है। राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने आधार कार्ड का इस्तेमाल करके जारी किए गए सभी संदिग्ध प्रमाण पत्रों को रद्द करने का आदेश दिया है।
अब तक ये प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
राजस्व विभाग द्वारा 16 सूत्रीय सत्यापन दिशा-निर्देश में कहा गया है कि जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में 11 अगस्त, 2023 को किए गए संशोधन के बाद उप तहसीलदार द्वारा जारी आदेशों को वापस लिया जाए तथा वापस लिए गए आदेश का सत्यापन सक्षम प्राधिकारी या जिला कलेक्टर के स्तर पर कराया जाए।
चूंकि राज्य में निलंबित लंबित आवेदनों पर तत्काल कार्रवाई आवश्यक है, इसलिए सभी संबंधित कार्यालयों की जाँच की जाए और लोक स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाए। साथ ही, जो आवेदन इस मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार नहीं हैं, उन्हें तत्काल रद्द किया जाए और नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) पोर्टल पर उनकी प्रविष्टि तुरंत हटा दी जाए, ऐसा दिशानिर्देशों में कहा गया है।
दिशानिर्देशों के अनुसार, आधार कार्ड को किसी भी विषय या मामले के साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है, और लंबित आवेदन की जांच के दौरान आधार संख्या और जन्म तिथि प्रमाण पत्र के बीच कोई विसंगति पाए जाने पर पुलिस शिकायत दर्ज की जानी चाहिए।
नोटिस में अमरावती, सिल्लोड, अकोला, संभाजीनगर शहर, लातूर, अंजनगांव सुर्जी, अचलपुर, पुसाद, परभणी, बीड, गेवराई, जालनाक्सी, अर्धपुर और परली सहित बड़ी संख्या में अनधिकृत जन्म-मृत्यु के मामलों वाले 14 क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है और सभी संबंधित तहसीलदारों/पुलिस स्टेशनों को मामलों की “गंभीरता से जांच” करने के लिए कहा गया है।
दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि तहसीलदारों द्वारा दिए गए आदेश के बाद सभी संबंधित नगर पालिकाओं/नगरपालिकाओं को विलंबित जन्म रिकॉर्ड का मिलान करना चाहिए।
यह देखा गया है कि कुछ कार्यालयों द्वारा प्रमाण-पत्र जारी कर दिए गए हैं, जबकि तहसीलदारों ने विलंबित जन्म अभिलेख लेने के आदेश नहीं दिए हैं। अतः उक्त प्रमाण-पत्रों के सत्यापन हेतु सभी संबंधित नगर पालिकाओं/नगरपालिकाओं के साथ समन्वय स्थापित कर आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए।
कई तहसीलदार कार्यालयों ने बिना किसी स्कूल प्रमाण पत्र या जन्मतिथि या स्थान के प्रमाण के, केवल आधार कार्ड को प्रमाण के रूप में स्वीकार करके आवेदकों को जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिए हैं। विलंबित जन्म प्रमाण पत्र जारी करने के लिए जारी आदेश त्रुटिपूर्ण हैं और ऐसे आदेशों पर पुनर्विचार करना कार्यपालक मजिस्ट्रेट या तहसीलदार की ज़िम्मेदारी है।
कार्यपालक मजिस्ट्रेट और उपखंड अधिकारी को विसंगतियों की सूची बनाकर पुलिस को देनी होगी। ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जाए।
तहसीलदार या उप-विभागीय कार्यालय को ऐसे व्यक्तियों की सूची तुरंत प्रस्तुत करनी होगी, यदि केवल आधार कार्ड को मूल जन्म प्रमाण पत्र के लिए मूल महत्वपूर्ण साक्ष्य माना जाता है, और उन लोगों की सूची जिनकी जन्मतिथि आवेदक द्वारा आवेदन में दी गई जानकारी या साक्ष्य से भिन्न है, पुलिस स्टेशन को। जिस तहसील में कोई पुलिस शिकायत नहीं की गई है या कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है, वहां जन्मतिथि में ऐसी विसंगतियों के लिए आवेदक के खिलाफ मामला दर्ज करना तहसीलदार की जिम्मेदारी है, जो जालसाजी या धोखाधड़ी है।
नोटिस में आगे कहा गया है कि जिन जन्म प्रमाण-पत्र आदेशों को रद्द किया गया है, उनके लिए तहसीलदार और स्थानीय स्वशासन निकायों के अधिकारी आपस में समन्वय स्थापित कर आवेदक से इन सभी मूल आदेशों की प्रति प्राप्त करें। यदि यह मूल प्रमाण-पत्र वापस नहीं किया जाता है, तो स्थानीय पुलिस की सहायता ली जाए।
नोटिस में कहा गया है कि संभागीय आयुक्तों को जिला कलेक्टर, सभी संबंधित तहसीलदारों, सभी संबंधित नगर निगमों/नगर पालिकाओं/जिला परिषदों/पुलिस के साथ समन्वय में उनकी अध्यक्षता में एक दिवसीय बैठक आयोजित करने के लिए कहा गया है।
राष्ट्रीय
पश्चिम बंगाल में एसआईआर पर घमासान, टीएमसी सांसदों का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा चुनाव आयोग

नई दिल्ली, 28 नवंबर : तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में जारी एसआईआर प्रक्रिया के विरोध में चुनाव आयोग का रुख किया। टीएमसी के 10 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचा और इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताई।
टीम की अगुवाई राज्यसभा में तृणमूल संसदीय दल के नेता डेरेक ओ’ ब्रायन ने की। उनके साथ लोकसभा में डिप्टी लीडर शताब्दी रॉय, कल्याण बनर्जी, महुआ मोइत्रा, प्रतिमा मंडल, सजदा अहमद, डोला सेन, ममता ठाकुर, साकेत गोखले और प्रकाश चिक बराइक भी मौजूद थे।
प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग को एक लिखित शिकायत सौंपी। उनका आरोप है कि बंगाल में एसआईआर के नाम पर बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर लाखों मतदाताओं के नाम काटने की साजिश कर रहे हैं। खास तौर पर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों और तृणमूल समर्थक क्षेत्रों में बड़ी संख्या में नाम हटाए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार का कहना है कि चुनाव आयोग की देखरेख में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत फर्जी मतदाताओं को चिन्हित करके उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। संविधान के मुताबिक 18 वर्ष से अधिक उम्र के भारत के ही नागरिक को मतदान का अधिकार है।
केंद्र सरकार का दावा है कि भारत में बड़ी संख्या में कई अन्य देशों के भी नागरिक रह रहे हैं, जिन्होंने यहां पर खुद को भारतीय नागरिक के रूप में दिखाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनवा लिए हैं। ऐसे मतदाताओं को ही चिन्हित करने के लिए चुनाव आयोग की देखरेख में एसआईआर प्रक्रिया शुरू की गई है। अब तक कई ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन्हें उनके देश भेजा जा चुका है।
केंद्र सरकार के मुताबिक, अवैध मतदाताओं में सबसे ज्यादा बांग्लादेश के लोग शामिल हैं, जो भारत में जीविका के लिए पहले तो अवैध तरीके से दाखिल हुए और फिर फर्जी दस्तावेज बनवाकर यहीं बस गए।
विपक्षी दलों का कहना है कि सत्तारूढ़ दल भाजपा वोट काटने के मकसद से एसआईआर करा रही है ताकि मौजूदा राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में किया जा सके। हालांकि भाजपा लगातार विपक्ष के इन दावों को सिरे से खारिज कर रही है।
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