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गोवा का कर्ज बढ़कर 35 हजार करोड़ रुपये, प्रति नागरिक 2.2 लाख रुपये का बोझ

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Yuri Alemao, Pramod Sawant,

जहां मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने नौ महीने पहले कहा था कि गोवा को दो साल के बाद कर्ज लेने की जरूरत नहीं होगी, वहीं विपक्षी दलों ने 35 हजार करोड़ रुपये के कर्ज को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है।

विपक्ष के नेता यूरी अलेमाओ ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि 2012 में सत्ता में आने के बाद से भाजपा सरकार ने केवल इवेंट मैनेजमेंट और उस पर करोड़ों खर्च करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

अलेमाओ ने दावा किया,“सरकार लगभग 200 करोड़ की मासिक उधारी के साथ ‘ऋण जाल’ में है। इसके परिणामस्वरूप राज्य का कुल कर्ज 35000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।”

उन्होंने कहा कि 2007 में (कांग्रेस शासन के दौरान) गोवा की देनदारी 6317 करोड़ रुपये थी. “यह 2012 में लगभग 7000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया (जब कांग्रेस ने सत्ता खो दी और भाजपा ने सरकार बनाई)। मौजूदा देनदारी 35000 करोड़ रुपये की है। इससे गोवा के प्रत्येक नागरिक पर 2.20 लाख रुपये का बोझ पड़ा है. अलेमाओ ने कहा, सरकार बढ़ते कर्ज को नियंत्रित करने के मामले में पूरी तरह से अनभिज्ञ है।

”उन्होंने कहा,“भाजपा सरकार ने खनन बंद कर दिया, जिससे अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ा। वे पिछले ग्यारह वर्षों में कानूनी खनन फिर से शुरू करने में बुरी तरह विफल रहे हैं।

अलेमाओ ने कहा,“सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के परिणामस्वरूप पर्यटन क्षेत्र का पतन हुआ है जो राज्य की अर्थव्यवस्था की एक और रीढ़ है। गोवा में विदेशी पर्यटकों की आमद में भारी गिरावट देखी जा रही है। इस वर्ष कथित तौर पर यह गिरावट लगभग 65 प्रतिशत है।”

गोवा फॉरवर्ड के विधायक विजय सरदेसाई ने कहा कि सरकार को विशेष रूप से कार्यक्रमों, प्रचार और रोड शो पर फिजूलखर्ची रोकनी चाहिए।

सरदेसाई ने कहा,“क्योंकि इस वर्ष खनन वास्तव में शुरू नहीं हुआ है, इसलिए राजस्व सृजन इस शासन का फोकस नहीं रहा है। पूंजीगत व्यय खर्च नहीं किया जा रहा है, बल्कि एक फूली हुई, भ्रष्ट और अक्षम नौकरशाही जिस पर राजस्व व्यय का अधिकांश हिस्सा खर्च किया जाता है, विकास और प्रगति के लिए विनाश का कारण बनता है। सरकार को लक्ष्यों और उपलब्धियों का मध्यावधि मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। समय-समय पर मूल्यांकन के अभाव में अधिकांश मंत्रियों ने खराब प्रदर्शन किया है।”

बेनौलीम से आप विधायक वेन्जी वीगास ने भी राज्य के वित्तीय घाटे को नियंत्रित करने में विफलता पर भाजपा सरकार की आलोचना की।

“केंद्र 3 प्रतिशत की उधार सीमा की अनुमति देता है, हालांकि हमारे राज्य ने 4.3 प्रतिशत का अनुरोध किया और बिजली सुधारों के संचालन के लिए हमें 0.5 प्रतिशत अतिरिक्त मिलता है। लेकिन मुझे लगता है कि बिजली सुधार नहीं हुए हैं. सौर ऊर्जा कहीं नहीं है। मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि हम अतिरिक्त 1.3 प्रतिशत उधार क्यों मांग रहे हैं। हमारे नेताओं और नौकरशाहों को अधिक राजस्व लाने का ध्यान रखना चाहिए। वीगास ने कहा, हमारे पास राजस्व कमाने के लिए दिमाग होना चाहिए न कि उधार लेने के लिए।

उनके मुताबिक, बजट 2021-22 के दौरान सरकार ने मूल राशि के तौर पर 2200 करोड़ रुपये और ब्याज भुगतान के तौर पर 1894 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाने का अनुमान लगाया था। हालांकि, सरकार ने ब्याज के तौर पर सिर्फ 1783 करोड़ रुपये का भुगतान किया।

उन्होंने कहा, ”योजना बेमेल है और यह एक बड़ी भूल है।”

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार राजस्व सृजन मॉड्यूल लाने में विफल रही है। उन्होंने आरोप लगाया, ”भाजपा को विरासत में मिली भ्रष्ट व्यवस्था उन्हें कर्ज लेने के लिए मजबूर कर रही है।”

वीगास ने कहा,“सरकार राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने और राजस्व उत्पन्न करने में भी विफल रही है। बहुसंख्यक समुदाय को वोट देने से पहले इस बारे में पता होना चाहिए. अगर हम वित्त को गंभीरता से नहीं लेंगे तो हमारा सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा।”

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव गिरीश चोडनकर, जिन्होंने लगातार कर्ज का मुद्दा उठाया, ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, जिनके पास वित्त विभाग भी है, के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार वित्त प्रबंधन में पूरी तरह से विफल रही है।

गिरीश चोडनकर ने कहा, “यह स्पष्ट रूप से कुप्रबंधन है जिसमें वह (सावंत) केवल कार्यक्रम आयोजित करने के लिए पैसे उधार लेते हैं और राजस्व उत्पन्न करने में विफल रहते हैं।” उन्होंने कहा कि योजनाओं के लाभार्थी भुगतान का इंतजार कर रहे हैं।

चोडनकर के मुताबिक, उधारी का 80 से 90 फीसदी हिस्सा पूंजीगत व्यय के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए, ताकि राजस्व उत्पन्न किया जा सके।

“आठ साल पहले मैंने कहा था कि राज्य के वित्त के संबंध में यह एक चिंताजनक स्थिति है, जहां केवल व्यय है लेकिन राजस्व उत्पन्न करने की कोई योजना नहीं है। चोडनकर ने दावा किया, सरकार मितव्ययता के कदम उठाने में भी विफल रही है, जिसे इस बात से देखा जा सकता है कि कैसे उसने शपथ ग्रहण समारोहों और मंत्रियों के लिए हाई-एंड वाहन खरीदने पर करोड़ों रुपये खर्च किए।

उन्होंने कहा कि वित्तीय स्थिति ऐसी है कि देनदारियां राज्य के बजट की मात्रा से अधिक हो गयी हैं. “कर्ज राज्य के बजट से अधिक है। यह सरकार लोगों को धोखा दे रही है। कई बार मुख्यमंत्री कहते हैं कि केंद्र सरकार ने यहां बुनियादी ढांचे के निर्माण पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किये। उन्होंने सवाल किया कि अगर यह सच है तो राज्य का पैसा कहां जाता है।”

उन्होंने कहा कि राज्य की देनदारियों के अलावा, निगमों और अन्य की देनदारियां भी हैं, जो राज्य की ऋण रिपोर्ट में प्रतिबिंबित नहीं होती हैं।

उन्होंने कहा, “वास्तव में वित्त सचिव को अनुशासन लाना चाहिए, लेकिन जब कोई सक्षम अधिकारी ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसका तबादला कर दिया जाता है क्योंकि अधिकारी उन्हें वह करने का मौका नहीं देता जो वे चाहते हैं।”

चोडनकर ने कहा,“इस भाजपा सरकार के पास कोई दृष्टिकोण नहीं है और कोई नवीन विचार नहीं है। वे शराब पर कर बढ़ाकर पर्यटन को भी ख़त्म करने की कोशिश कर रहे हैं। खनन राजस्व खोने के बावजूद, हम वित्त को सुचारू रूप से चलाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन भाजपा विफल रही है।”

सावंत ने अप्रैल 2023 में कहा, “हमने ऐसी योजना और वित्तीय प्रबंधन किया है कि दो साल के बाद हमें ऋण लेने की आवश्यकता नहीं होगी। हमारे पास खनन राजस्व, जीएसटी संग्रह, उत्पाद शुल्क राजस्व और मोपा में मनोहर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से 36 प्रतिशत हिस्सा होगा।”

सावंत ने कहा था, “गोवा आने वाले वर्षों में पर्याप्त राजस्व उत्पन्न करने की राह पर होगा, इसके बाद उसे ऋण लेने की आवश्यकता नहीं होगी।”

उन्होंने कहा, “मुझे परियोजनाओं के लिए नाबार्ड से ऋण लेने की मंजूरी देने में कोई हिचकिचाहट नहीं हुई, क्योंकि मैंने अगले चार वर्षों के लिए वित्तीय योजना बना ली है।”

बीजेपी महासचिव और पूर्व विधायक दामोदर नाइक ने अपनी पार्टी का बचाव करते हुए कहा कि विपक्ष का काम सरकार को निशाना बनाना है और इसलिए वे बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।

नाइक ने एक उदाहरण देते हुए कहा,“यह सरल है… मान लीजिए कि यदि सीमा पर युद्ध चल रहा है और यदि हमारे सैनिक 500 पाकिस्तानियों (सैनिकों) को मार डालते हैं, तो विपक्ष इस बारे में कभी नहीं बोलता है, लेकिन यदि वे हमारे एक बंकर को निशाना बनाते हैं तो विपक्ष इसके बारे में शोर मचाता है।”

नाइक ने कहा,“राज्य की वित्तीय स्थिति बहुत अच्छी चल रही है। हमें यह समझना चाहिए कि यदि हम चुकाने में असफल होते तो हमें ‘आर्थिक रूप से बीमार राज्य’ कहा जाता। हमारी सरकार के पास राजस्व उत्पन्न करने की योजना है और वे चल रही हैं।”

राजनीति

बंगाल की संस्कृति की अनदेखी भाजपा को पड़ेगी भारी : सौरभ भारद्वाज

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नई दिल्ली, 9 अप्रैल। दिल्ली के चित्तरंजन पार्क इलाके में मांस और मछली की दुकानों को लेकर विवाद छिड़ गया है। इस विवाद के केंद्र में एक वीडियो है, जिसमें कुछ लोग डीडीए मार्केट स्थित एक मंदिर के बगल में चल रही मांस-मछली की दुकानों को जबरन बंद कराने की कोशिश कर रहे हैं।

यह मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है, जहां आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी पर सीधा हमला बोला है।

‘आप’ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, “भाजपा को देश की संस्कृति के बारे में कुछ नहीं मालूम। वे व्हाट्सएप पर जो देखते हैं, उसे ही सच मान लेते हैं। चित्तरंजन पार्क में बंगाली समुदाय के लोग रहते हैं, जो सबसे ज्यादा शिक्षित और समझदार हैं। बंगाल की संस्कृति की अनदेखी भाजपा को भारी पड़ेगी।”

उन्होंने कहा कि जिस प्रांगण में मां दुर्गा की पूजा होती है, वहां मांस और मछली भी प्रसाद स्वरूप चढ़ाई जाती है। बंगाली समाज नवरात्र में भी मांसाहार करता है, यह उनकी सांस्कृतिक पहचान है।

उन्होंने सवाल उठाया, “डीडीए ने इन दुकानों को कानूनी रूप से आवंटित किया है। ऐसे में भाजपा समर्थकों द्वारा गरीब दुकानदारों को धमकाना और धौंस जमाना बिल्कुल गलत है। भाजपा अपनी ताकत सिर्फ गरीबों पर ही क्यों दिखाती है?”

आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी ने भी भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा, “अगर भाजपा को मांस-मछली की दुकानों से इतनी परेशानी है, तो उन्हें पहले डीडीए से सवाल करना चाहिए, जिसने ये दुकानें आवंटित की हैं। गरीब दुकानदारों को परेशान करना और उन पर अत्याचार करना कहीं न कहीं भाजपा की उगाही की मंशा को दर्शाता है।”

इस पूरे विवाद पर स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि यह मार्केट पिछले 70 वर्षों से यहां स्थित है और मंदिर भी मार्केट के लोगों ने ही बनवाया है। दुकानदारों का आरोप है कि कुछ लोग जबरन संस्कृति के नाम पर दुकानों को बंद करवाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि दुकानें डीडीए से पूरी तरह से अनुमोदित हैं।

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अंतरराष्ट्रीय

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार : विदेश मंत्री जयशंकर ने बताई संख्या, कहा – ‘हमारी कड़ी नजर’

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नई दिल्ली, 28 मार्च। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत पाकिस्तान में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर करीब से नजर रख रहा है और इन मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा रहा है।

उनकी यह टिप्पणी संसद के चल रहे बजट सत्र के दौरान लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान आई।

जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार के बारे में चिंताओं को संयुक्त राष्ट्र में उठाया गया है ताकि इस मामले पर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया जा सके।

विदेश मंत्री ने कहा, “हम पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार पर बहुत बारीकी से नजर रखते हैं। उदाहरण के तौर पर, मैं सदन को बताना चाहूंगा कि सिर्फ फरवरी महीने में ही हिंदू समुदाय के खिलाफ़ अत्याचार के 10 मामले सामने आए। उनमें से सात अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन से संबंधित थे। दो किडनैपिंग से संबंधित थे। एक होली मना रहे छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई से संबंधित था।”

विदेश मंत्री ने अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा के मामलों का भी विस्तृत ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान में सिख समुदाय से संबंधित तीन घटनाएं हुईं। एक मामले में, एक सिख परिवार पर हमला किया गया। दूसरे मामले में, एक पुराने गुरुद्वारे को फिर से खोलने के कारण एक सिख परिवार को धमकाया गया। समुदाय की एक लड़की के साथ अपहरण और धर्मांतरण का मामला भी सामने आया।”

पाकिस्तान में अहमदिया और ईसाई समुदायों के खिलाफ अन्याय जिक्र करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “अहमदिया समुदाय से संबंधित दो मामले थे। एक मामले में, एक मस्जिद को सील किया गया और दूसरे में, 40 कब्रों को अपवित्र किया गया था। एक मामला ऐसा भी था जिसमें एक ईसाई व्यक्ति, जो कथित तौर पर मानसिक रूप से अस्थिर था, पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया।”

वैश्विक मंचों पर भारत की प्रतिक्रिया पर जोर देते हुए विदेश मंत्री ने हाल की दो घटनाओं का जिक्र किया, जहां भारतीय प्रतिनिधियों ने पाकिस्तान के मानवाधिकार रिकॉर्ड की कड़ी आलोचना की।

जयशंकर ने कहा, “फरवरी के महीने में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में हमारे प्रतिनिधि ने बताया कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है, जहां ‘मानवाधिकारों का हनन, अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और लोकतांत्रिक मूल्यों का व्यवस्थित क्षरण राज्य की नीतियों का हिस्सा है।’

विदेश मंत्री ने कहा, “पाकिस्तान बेशर्मी से संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों को पनाह देता है और किसी को उपदेश देने की स्थिति में नहीं है। इसके बजाय, उसे अपने लोगों को वास्तविक शासन और न्याय प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”

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मनोरंजन

पिता सैफ अली खान पर हुए अटैक से सारा को लगा था झटका, माना- ‘जीवन में एक बड़ी सीख मिली’

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मुंबई, 27 मार्च। बॉलीवुड अभिनेत्री सारा अली खान ने पिता सैफ अली खान पर उनके बांद्रा स्थित घर पर हुए हमले पर पहली बार अपने दिल की बात कही है। उन्होंने कहा इस वाकये ने उन्हें हैरान कर दिया और जिन्दगी को देखने के उनके नजरिए को बदल कर रख दिया।

एनडीटीवी युवा के छठे संस्करण में पहुंची सारा ने अपने पिता को सकुशल रखने के लिए ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान कहा, “यह और ज्यादा खराब हो सकता था। मैं भगवान की बहुत आभारी हूं कि सब कुछ ठीक है। अपनी लाइफ को लेकर हम सभी को शुक्रगुजार होना चाहिए।”

सारा से पूछा गया कि क्या इस हादसे की वजह से उनका परिवार और करीब आ गया है और उनका पिता सैफ से बॉन्ड और तगड़ा हो गया है। उन्होंने कहा, “इससे आपको एहसास होता है कि चीजें बस पल भर की हैं। इससे मुझे ये एहसास नहीं हुआ कि मैं अपने पिता से प्यार करती हूं, मैं ये बात पिछले 29 साल से जानती हूं।”

उन्होंने कहा, “ये और भी बुरा हो सकता था और मैं बहुत शुक्रगुजार हूं कि सब कुछ ठीक है। ये इस बात का रिमाइंडर था कि ये जिंदगी हमारे पास है।”

उन्होंने कहा, “हम सब मेंटल हेल्थ का ख्याल रखने पर बात करते हैं। लेकिन जिंदगी के लिए शुक्रगुजार होना भी जरूरी है और उस तरह के पल आपको इसी बात का एहसास दिलाते हैं।” अभिनेत्री ने यह भी साझा किया कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने उन्हें क्या सिखाया, जैसा कि उन्होंने कहा, “इसने मुझे एहसास दिलाया कि जीवन रातों रात बदल सकता है, तो हर दिन का हर पल सेलिब्रेशन का हकदार है। मुझे समझ आया कि जीना कितनी बड़ी बात है।”

सारा के मुताबिक, इस हादसे ने उन्हें जिंदगी की छोटी-छोटी खुशियों को सराहना सिखाया।

बता दें, 16 जनवरी, 2025 को सैफ अली खान के आवास पर हमला हुआ था। कथित तौर पर चोरी के इरादे से घुसे चोर ने उन पर चाकू से कई हमले किए थे। इसके बाद खून से लथपथ एक्टर खुद ही अस्पताल पहुंचे थे। उनका एक छोटा से ऑपरेशन भी हुआ था।

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