अंतरराष्ट्रीय
वैश्विक ई-कॉमर्स राजस्व में इतिहास में पहली बार 95 अरब डॉलर की कमी का अनुमान

इतिहास में पहली बार दुनिया भर में ई-कॉमर्स राजस्व के इस साल काफी कम होने का अनुमान है। ऐसा आपूर्ति श्रृंखला में बाधा पैदा होने और बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण है। उद्योग को इस साल 3.74 ट्रिलियन डॉलर की बिक्री की उम्मीद है, जो 2021 की तुलना में 95 बिलियन डॉलर कम है। एक रिपोर्ट में गुरुवार को ये बात कही गई है। ऑगस्ताफ्रीप्रेस डॉट कॉम के आंकड़ों के अनुसार, अपेक्षित ई-कॉमर्स राजस्व में गिरावट 2022 में वैश्विक चुनौतियों के बीच आ रही है।
महामारी के दौरान, कई उपभोक्ताओं ने खरीददारी के अपने व्यवहार को बदल दिया है और ब्रांड वैल्यू, उपलब्धता और सुविधा की तलाश में नए ब्रांडों की ओर रुख किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, पारंपरिक ई-कॉमर्स तकनीक भी अपनी सीमा तक पहुंच गई है, और कई ब्रांड अपने ई-कॉमर्स तकनीक को ग्राहकों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं देख रहे हैं। इसके अलावा, डिजिटल विज्ञापनों की लागत बढ़ रही है। हालांकि, आपूर्ति श्रृंखला में बाधा और मुद्रास्फीति कमजोर कारक बनी हुई है।
स्टेटिस्टा डिजिटल मार्केट आउटलुक के अनुसार, केवल चार वर्षों में, वैश्विक राजस्व में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 2021 में 3.84 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो गई। इलेक्ट्रॉनिक्स और फैशन में बिक्री इनमें से कुल मूल्य का लगभग आधा हिस्सा है।
आंकड़े बताते हैं कि 2017 और 2021 के बीच, वैश्विक ई-कॉमर्स फैशन उद्योग का राजस्व 67 प्रतिशत बढ़कर 890 बिलियन डॉलर हो गया। इस अवधि में इलेक्ट्रॉनिक्स बिक्री 46 प्रतिशत बढ़कर 920 बिलियन डॉलर हो गई।
स्टेटिस्टा डिजिटल मार्केट आउटलुक के नवीनतम पूवार्नुमान से पता चलता है कि वैश्विक मैक्रो-इकोनॉमिक कारकों ने ई-कॉमर्स उद्योग में पहली बार साल-दर-साल राजस्व में गिरावट दर्ज की है।
रिपोर्ट में कहा गया है, पिछले पूवार्नुमान ने एक साल पहले की तुलना में 2022 में 481 बिलियन डॉलर अधिक राजस्व का अनुमान लगाया था। हालांकि, जुलाई तक, वैश्विक ई-कॉमर्स राजस्व प्रक्षेपण 4.22 ट्रिलियन डॉलर से 3.74 ट्रिलियन डॉलर तक फिसल गया।
हालांकि इस समय एक परिस्थितियां विपरीत हैं, लेकिन स्टेटिस्टा को उम्मीद है कि राजस्व वृद्धि अंतत: पटरी पर आ जाएगी।
पिछले साल, वैश्विक ई-कॉमर्स बाजार में लगभग 3.8 बिलियन लोगों ने ऑनलाइन खरीददारी की थी।
आंकड़े बताते हैं कि 2022 में ऑनलाइन खरीददारों के 31.5 करोड़ सालाना बढ़कर 4.1 अरब होने की उम्मीद है। साथ ही, इस साल बाजार की पहुंच दर 54.1 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है।
व्यापार
ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी केवी प्रदीप ने दिया इस्तीफा

नई दिल्ली, 9 जून। ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक लिमिटेड ने सोमवार को बताया कि निजी कारणों के चलते कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (एमडी) केवी प्रदीप ने इस्तीफा दे दिया है।
कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा, “उनके इस्तीफे के प्रभावी होने की तारीख आने वाले समय में बताई जाएगी।”
हाल ही में राज्य सरकारों की ओर से दिए गए बड़े ऑर्डर एक के बाद एक रद्द होने के कारण ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक मुश्किल में है, जिससे कंपनी को भारी नुकसान हुआ है।
मई के आखिर में महाराष्ट्र सरकार की ओर से कंपनी को दिया गया 5,150 बसों का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया गया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में, महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि कंपनी 22 मई तक सौंपे जाने वाले 1,000 बसों में से एक भी बस देने में विफल रही है। आपूर्तिकर्ता की निष्क्रियता के कारण अधिकारियों को 5,150 बसों के लिए टेंडर रद्द करने का निर्देश दिया गया है।
माना जा रहा है कि इस कॉन्ट्रैक्ट के रद्द होने से कंपनी को 9,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने के साथ ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक की ऑर्डर बुक 10,000 बसों से घटकर लगभग 5,000 रह गई है।
इसके अलावा तेलंगाना सरकार की ओर से दिए 50 इंटरसिटी बसों के कॉन्ट्रैक्ट को छोटा किए जाने से कंपनी को करीब 70 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। जानकारी के मुताबिक, यह कॉन्ट्रैक्ट 6 मार्च, 2023 को कंपनी को दिया गया था और इसे जुलाई 2024 तक पूरा किया जाना था। लेकिन, इस ऑर्डर के तहत केवल 10 बसों की ही डिलीवरी हो पाई, जिसके कारण राज्य सरकार ने ऑर्डर में बसों की संख्या को घटाने का फैसला किया।
ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक का शेयर 0.22 प्रतिशत की बढ़त के साथ नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 1,224.60 पर बंद हुआ। मौजूदा समय में शेयर अपने 52 हफ्तों के उच्चतम स्तर 1,960 रुपए से करीब 37.5 प्रतिशत नीचे है।
राष्ट्रीय
करण अदाणी ने विझिनजाम में दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाज का स्वागत किया

तिरुवनंतपुरम, 9 जून। अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (एपीएसईजेड) के प्रबंध निदेशक करण अदाणी ने सोमवार को कहा कि उन्हें 24,346 टीईयू (ट्वेंटी-फुट इक्विवेलेंट यूनिट्स) की क्षमता वाले दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाज एमएससी इरिना का अदाणी समूह के विझिनजाम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह पर स्वागत करते हुए गर्व हो रहा है।
एमएससी इरिना का विझिनजाम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह पर पहुंचना एक बड़ी ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह मंगलवार तक यहां खड़ा रहेगा।
करण अदाणी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “24,346 टीईयू की क्षमता वाले दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाज एमएससी इरिना का हमारे विझिनजाम बंदरगाह पर स्वागत करते हुए गर्व हो रहा है।”
अदाणी पोर्ट्स के प्रबंध निदेशक ने कहा, “यह जहाज दक्षिण एशियाई तटों पर पहली बार आया है, जो इसे न केवल विझिनजाम के लिए बल्कि वैश्विक ट्रांसशिपमेंट में भारत के एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरने के लिए एक मील का पत्थर बनाता है।”
399.9 मीटर की लंबाई और 61.3 मीटर की चौड़ाई के साथ यह जहाज एक स्टैंडर्ड फीफा फुटबॉल मैदान से लगभग चार गुना लंबा है। इसे एशिया और यूरोप के बीच बड़ी मात्रा में कंटेनरों के परिवहन की सुविधा के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। एमएससी इरिना व्यापार मार्गों और रसद दक्षता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण है। यह आगमन बंदरगाह के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसे 2 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया था।
एमएससी इरिना को मार्च 2023 में लॉन्च किया गया था और उसी वर्ष अप्रैल में इसने अपनी पहली यात्रा शुरू की थी। यह एक लाइबेरियाई जहाज है और कंटेनरों को 26 स्तरों तक ऊंचा रखने के लिए डिजाइन किया गया है।
अदाणी पोर्ट्स ने वित्त वर्ष 2024-25 में 450 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) कार्गो संभाला था, जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 7 प्रतिशत की वृद्धि को दिखाता है। एपीएसईजेड के प्रमुख बंदरगाह मुंद्रा ने एक ही वित्त वर्ष में 200 एमएमटी कार्गो मार्क को पार करके ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जो किसी भी भारतीय बंदरगाह के लिए पहली बार है। एपीएसईजेड का लक्ष्य 2030 तक दुनिया का सबसे बड़ा बंदरगाह संचालक बनना, 2025 तक कार्बन न्यूट्रल होना और 2040 तक नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करना है।
व्यापार
नीति आयोग ने राज्यों के साथ स्ट्रक्चर्ड एंगेजमेंट को बढ़ावा देने के लिए वर्कशॉप किया आयोजित

नई दिल्ली, 3 जून। नीति आयोग ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि राज्यों के साथ स्ट्रक्चर्ड एंगेजमेंट को बढ़ावा देने के लिए देहरादून में स्टेट सपोर्ट मिशन (एसएसएम) के अंतर्गत एक दिवसीय रिजनल वर्कशॉप आयोजित की गई।
इस वर्कशॉप का आयोजन नीति आयोग ने उत्तराखंड सरकार के स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर एम्पावरिंग एंड ट्रांसफोर्मिंग उत्तराखंड (सेतु) आयोग के सहयोग से किया था।
नीति आयोग की ओर से एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “सेंट्रल सेक्टर स्कीम के तहत स्टेट इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफोर्मेशन (एसआईटी) के माध्यम से नीति आयोग और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच स्ट्रक्चर्ड एंगेजमेंट को बढ़ावा देने के लिए यह सीरीज की पहली वर्कशॉप है।”
इस वर्कशॉप का उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एसएसएम पहलों पर अपने अनुभव साझा करने और एक-दूसरे से सीखने के लिए एक साथ एक मंच पर लाना है।
उद्घाटन सत्र में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत, सेतु आयोग के उपाध्यक्ष राज शेखर जोशी, उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद वर्धन, सेतु आयोग के सीईओ शत्रुघ्न सिंह और नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
उन्होंने राज्यों के विकास और राज्य के दृष्टिकोण को दिशा देने में परिवर्तन के लिए राज्य संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी विचार-विमर्श में भाग लिया।
डेटा-ड्रिवन गवर्नेंस पर सेशन में साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने के लिए एनआईटीआई फॉर स्टेट्स पोर्टल और नीति आयोग में विकसित भारत स्ट्रैटेजी रूम जैसे प्लेटफार्मों पर प्रकाश डाला गया।
इस रिजनल वर्कशॉप में क्लाइमेट मिटिगेशन, मॉनिटरिंग एंड इवैल्यूएशन, स्टेट विजन फॉरम्यूलेशन, कैपेसिटी बिल्डिंग जैसी महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं पर चर्चा की गई। साथ ही, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एसआईटी कार्यान्वयन पर विचार करने महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि साझा करने और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान किया गया।
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