राजनीति
नई चुनौतियों का सामना करने के लिए पुलिस आधुनिकीकरण पर है जोर : शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार ने सीमा सुरक्षा, आतंकवाद और साइबर अपराध जैसी चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैयार करने के लिए पुलिस आधुनिकीकरण कार्यक्रम शुरू किया है। गृह मंत्री ने वर्तमान समय में प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हम पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन के साथ भारत की सीमाओं की सुरक्षा में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के उत्कृष्ट प्रदर्शन के साथ ही प्रौद्योगिकी को भी जोड़ना चाहते हैं।
शाह ने यह टिप्पणी राष्ट्रीय राजधानी के चाणक्यपुरी इलाके में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक में पुलिस स्मारक दिवस के अवसर पर बोलते हुए की। दरअसल 21 अक्टूबर को हर साल पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है। पूरा देश साल 1959 में पूर्वी लद्दाख में शहीद हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 10 जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए यह दिवस मनाता है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय पुलिस स्मारक में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। लद्दाख के हॉट स्प्रिंग क्षेत्र में 1959 में चीनी सैनिकों की ओर से घात लगाकर 10 भारतीय जवानों पर हमला किया था, जिसमें वह शहीद हो गए थे।
शाह ने कहा, “पुलिस का काम आतंकवाद, नकली मुद्रा, नशीले पदार्थों पर नियंत्रण, साइबर अपराध, हथियारों की तस्करी, मानव तस्करी के क्षेत्रों में नई चुनौतियों और नए आयामों को देखना है। पिछले दो से तीन दशकों से जो नए आयाम सामने आए हैं, उनके लिए पुलिस बलों को तैयार करना एक चुनौती है।”
गृह मंत्री ने कहा, “हमने पुलिस के लिए एक व्यापक आधुनिकीकरण कार्यक्रम तैयार किया है और मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में मोदी सरकार उन्हें इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करेगी।”
उन्होंने कहा कि सरकार देश की सीमाओं को अभेद्य बनाने के लिए प्रौद्योगिकी पर जोर दे रही है और इस संबंध में तैयारी विस्तार से की जा रही है।
शाह ने कहा कि हमारे सैनिक तकनीक की मदद और मुस्तैदी से अपनी सीमाओं को बेहतर ढंग से सुरक्षित कर सकेंगे।
गृह मंत्री शाह ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार कई काम करने जा रही है ताकि प्रति एक लाख आबादी पर पुलिसकर्मियों की उपलब्धता में कमी को दुरुस्त किया जा सके।
गृह मंत्री ने आंतरिक और सीमा सुरक्षा सुनिश्चित करने में पुलिस कर्मियों के प्रयासों की सराहना की और 35398 पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के उन जवानों को याद किया, जिन्होंने अपना कर्तव्य निभाते हुए अपने प्राणों की आहुति दी है। उन्होंने ऐसे 264 जवानों को भी नमन किया, जिन्होंने पिछले एक साल के दौरान देश व इसके नागरिकों की सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
शाह ने कोविड-19 के कारण अपनी जान गंवाने वाले 343 कर्मियों को भी याद किया और कहा कि वे लोगों की मदद करने और रक्त और प्लाज्मा दान करने के लिए अपना कर्तव्य निभाते रहे।
उन्होंने कहा कि कई बदलाव जल्द ही पुलिस आवास और प्रशिक्षण के संदर्भ में दिखाई देंगे और उनका मंत्रालय इन मुद्दों पर काम कर रहा है।
राजनीति
हंगामे से बाधित हुआ प्रश्नकाल, राज्यसभा की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित

नई दिल्ली, 20 अगस्त। बुधवार को संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही शुरू होने के कुछ देर बाद ही नारेबाजी के चलते बाधित हुई। राज्यसभा व लोकसभा की कार्यवाही प्रारंभ होने के कुछ ही देर बाद दोनों सदनों में हंगामा शुरू हो गया। सदन में हो रही नारेबाजी के कारण पहले लोकसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। इसके कुछ ही मिनटों बाद राज्यसभा में भी यही स्थिति उत्पन्न हुई जिसके कारण राज्यसभा की कार्यवाही भी स्थगित करनी पड़ी।
दोपहर 12 बजे राज्यसभा की कार्यवाही एक बार फिर से शुरू हुई, लेकिन राज्यसभा में हंगामा और नारेबाजी अभी भी जारी रहा, जिसके कारण सदन की कार्रवाई दोबारा स्थगित करनी पड़ी। बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही प्रारंभ होते ही विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्ष के सांसदों ने चुनाव आयोग द्वारा करवाए जा रहे बिहार मतदाता सूची के गहन रिव्यू पर चर्चा की मांग की। चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष के सांसद अपनी सीटों से उठकर आगे आ गए और नारेबाजी करने लगे। इस दौरान कई सांसदों के हाथों में नारे लिखी हुई तख्तियां भी थी, जिस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपनी आपत्ति जताई।
उन्होंने सांसदों को ऐसी तख्तियां सदन में नहीं लेकर आने को कहा। इसके साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ने नारेबाजी कर रहे सांसदों को अपनी सीट पर जाकर बैठने का आग्रह किया। लेकिन सदन में लगातार हंगामा और नारेबाजी होती रही जिसके कारण लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। 12 बजे सदन की कार्रवाई प्रारंभ होने के बाद भी यहां विपक्ष के सांसद अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी करते रहे। उधर राज्यसभा में भी यही स्थिति बनी रही।
राज्य सभा में सदन की कार्रवाई प्रारंभ होने के कुछ देर बाद उपसभापति हरिवंश नारायण ने बताया कि उन्हें नियम 267 के अंतर्गत चर्चा के लिए कुल 18 नोटिस मिले हैं। उन्होंने बताया कि विपक्षी सांसदों ने इन नोटिसों के माध्यम से तीन विभिन्न विषयों पर चर्चा की मांग की है। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें भेजे गए 18 नोटिस में से कोई भी नोटिस नियमानुसार नहीं है। इसके कारण उन्होंने सभी नोटिसों को अस्वीकार कर दिया। इसके उपरांत सांसद ने नारेबाजी प्रारंभ कर दी और उपसभापति को सदन की कार्रवाई दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
12 बजे जैसे ही राज्यसभा की कार्यवाही दोबारा प्रारंभ हुई, सदन में हंगामा फिर शुरू हो गया। अगले कुछ ही मिनटों में सदन की कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा। मौजूदा सत्र में लोकसभा व राज्यसभा दोनों ही सदनों में लगातार हंगामा हो रहा है। इस हंगामे के कारण राज्यसभा व लोकसभा में प्रश्नकाल एवं शून्यकाल की कार्यवाही सबसे अधिक बाधित हुई हैं।
मंगलवार को भी राज्यसभा व लोकसभा की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल सकी थी। राज्यसभा में विपक्ष की मांग रही है कि सदन की अन्य कार्यवाही स्थगित कर बिहार मतदाता सूची संबंधी मामलों पर चर्चा कराई जाए। इसके लिए कई विपक्षी सांसद बार-बार नियम 267 के तहत नोटिस दे रहे हैं। हालांकि नियमों का हवाला देते हुए उप सभापति ने ये सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए।
उप सभापति का यह भी कहना है कि जो विषय न्यायालय के समक्ष विचाराधीन हैं उन पर सदन में चर्चा नहीं कराई जा सकती। हालांकि विपक्षी सांसद अपनी इस मांग पर लगातार नारेबाजी करते आ रहे हैं। विपक्षी सांसदों का कहना है कि सदन की अन्य सभी कार्यवाही स्थगित करके सबसे पहले बिहार मतदाता सूची के रिव्यू के मुद्दे पर चर्चा आयोजित की जानी चाहिए।
वहीं उपसभापति ने पूर्व में लिए गए निर्णयों की जानकारी भी विपक्ष को दी। विपक्ष को बताया गया कि नियम 267 को लेकर पूर्व में जो निर्णय दिए गए हैं, वे निर्णय अभी भी लागू हैं। सांसदों को अन्य नियमों की जानकारी भी दी गई है। उपसभापति ने बताया कि अदालत में विचाराधीन होने विषय सदन में चर्चा के लिए नहीं रखे जा सकते हैं। इसी गतिरोध के कारण अब तक सदन में कई बार हंगामा व नारेबाजी देखी गई। विपक्ष अपनी बात न माने जाने से बुधवार को भी नाराज दिखा। वहीं मंगलवार को विपक्षी सदस्यों ने राज्यसभा से वॉकआउट किया था।
राष्ट्रीय समाचार
अहमदाबाद में छात्र की हत्या पर फूटा अभिभावकों का गुस्सा, स्कूल के बाहर भारी हंगामा

अहमदाबाद, 20 अगस्त। अहमदाबाद के स्कूल में हमले के दौरान घायल छात्र की मौत पर लोगों का गुस्सा फूटा है। सिंधी समाज के लोगों और छात्र के परिजनों में भारी आक्रोश है। बुधवार को बड़ी संख्या में लोग स्कूल पहुंचे और जमकर विरोध प्रदर्शन किया। अभिभावकों ने विरोध में कथित तौर पर स्कूल में तोड़फोड़ की।
अहमदाबाद के खोखरा इलाके में सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट स्कूल में 19 अगस्त को घटना हुई। शुरुआत में दो बच्चों के बीच मामूली झगड़ा हुआ था। इसी दौरान, आठवीं के छात्र ने बहस के बाद दसवीं के छात्र को चाकू मार दिया। इससे वह गंभीर रूप से घायल हुआ था। अस्पताल में इलाज के दौरान छात्र की मौत हो गई।
इससे, स्कूल में तनावपूर्ण माहौल पैदा हो गया, क्योंकि पीड़ित के रिश्तेदार और अन्य लोग परिसर में इकट्ठा हो गए। वे स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर हंगामा करने लगे। प्रदर्शनकारियों ने स्कूल पर लापरवाही का आरोप लगाया और ‘न्याय’ मिलने तक छात्र का शव लेने से इनकार कर दिया।
अभिभावकों ने बुधवार को विरोध प्रदर्शन तेज करते हुए सड़क को जाम कर दिया। गुस्साई भीड़ स्कूल के बाहर आकर सड़क पर बैठ गई। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस भी स्कूल पहुंच गई। हालांकि, इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच काफी देर धक्कामुक्की हुई। गुस्साई भीड़ स्कूल में भी घुसी और स्कूल स्टाफ के साथ हाथापाई की गई।
अभिभावकों ने मांग उठाई कि स्कूल प्रशासन और प्रिंसिपल के खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए। उन्होंने छात्र की हत्या के बाद स्कूल की मान्यता रद्द करने और बुलडोजर कार्रवाई करके संपत्ति को भी जब्त करने की मांग की।
फिलहाल, आरोपी छात्र पुलिस की हिरासत में है। खोखरा पुलिस ने आरोपी के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है और अपनी जांच के तहत सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है।
अपराध
सीएम रेखा गुप्ता पर हमला करने वाले की पहचान हुई, गुजरात के राजकोट का निवासी निकला हमलावर

नई दिल्ली, 20 अगस्त। बुधवार की सुबह ‘जन सुनवाई’ के दौरान दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर एक व्यक्ति ने हमला कर दिया। हमलावर की पहचान कर ली गई है। वह गुजरात के राजकोट का रहने वाला है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हमला करने वाले की पहचान गुजरात के राजकोट निवासी राजेश भाई खिमजी भाई सकारिया के रूप में हुई है। वह 41 साल का है। पुलिस आरोपी को पकड़ सिविल लाइंस थाने ले गई है।
पुलिस हमले के कारणों का पता लगाने के लिए हमलावर से पूछताछ कर रही है। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में गुजरात पुलिस से संपर्क किया है।
दिल्ली सीएम पर हुए हमले को उनकी सुरक्षा में एक बड़ी चूक के रूप में देखा जा रहा है। दिल्ली पुलिस घटना की आंतरिक जांच करेगी कि इतनी सुरक्षा के बावजूद यह घटना कैसे हुई। दिल्ली पुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता में मामले की जांच की जाएगी।
सूत्रों ने मिडिया को बताया कि साप्ताहिक जन सुनवाई के दौरान राजेश अचानक बाहर आया और मुख्यमंत्री पर एक भारी वस्तु फेंक दी। हमले के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जमीन पर गिर पड़ीं।
बताया जा रहा है कि हमलावर ने मुख्यमंत्री पर हमला करने से पहले उन्हें कुछ कागज दिए और एक अदालती मामले का हवाला दिया। इसके बाद उसने मुख्यमंत्री पर हमला कर दिया। सूत्रों के अनुसार, फिलहाल मुख्यमंत्री एक डॉक्टर की निगरानी में हैं और घटना के बाद, मुख्यमंत्री आवास पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद हैं और सिविल लाइंस थाने में जांच चल रही है। पुलिस के अनुसार, पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के आवास पर मौजूद थे।
दिल्ली मुख्यमंत्री के राजनिवास मार्ग स्थित कैंप ऑफिस में हर बुधवार जनसुनवाई की जाती है। जन सुनवाई 7 बजे सुबह शुरू होती है। इस दौरान सीएम सभी लोगों से एक-एक मिलती हैं।
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