खेल
खुद को सीमित नहीं करना चाहती : भवानी देवी

आठ बार की राष्ट्रीय चैम्पियन भवानी देवी वहां पहुंचने का लक्ष्य लेकर चल रही हैं, जहां आज तक भारत को कोई फेंसर (तलवारबाज) नहीं पहुंच सका है। भवानी टोक्यो में ऐसी चीज का सपना देख रही हैं, जिसके बारे में अन्य लोग सोचकर भी डर जाते हैं।
भवानी देवी ने कहा, “किसी ने मुझसे पूछा कि क्वार्टर फाइनल में जाने के लिए मेरे क्या प्लान्स हैं। अब जबकि मैं ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुकी हूं तो मैंने कहा कि सिर्फ क्वार्टर फाइनल ही क्यों फाइनल क्यों नहीं।”
इटली से बुधवार को वर्चुल प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए भवानी देवी ने कहा, “मैं टोक्यो ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहती हूं और मैं यह सोचकर सीमित नहीं करना चाहती कि मैं वैश्विक आयोजन में क्या हासिल कर सकती हूं या क्या नहीं हासिल कर सकती हूं। वहां जाना है तो यह मानकर जाना होगा कि वहां संभावनाएं असीम हैं।
फेंसिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और आईओए के महासचिव राजीव मेहता ने प्रेस से बात करते हुए गर्व के साथ कहा कि उन्हें भवानी की प्रतिभा में हमेशा विश्वास था।
मेहता ने कहा, मैंने दो साल पहले कहा था कि वह ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने जा रही है और तब कई लोग मुझ पर हंस रहे थे। अब मैं यह कहने जा रहा हूं कि वह टोक्यो में कुछ खास हासिल करने जा रही है।
मेहता का मानना है कि भवानी की योग्यता देश में फेंसिंग (तलवारबाजी) का चेहरा बदलने वाली है। उन्होंने कहा, खेल मंत्री के साथ, हमने पहले ही इस खेल के लिए रणनीति बना ली है। हम 31 मार्च तक देशभर में 50 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का निर्माण करना चाहते हैं। इनमें से प्रत्येक में 30 प्रतिभाशाली बच्चों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
भवानी का उद्भव और सफलता धैर्य, कड़ी मेहनत और बलिदान की कहानी है। वह अपने वित्तीय संघर्षों के बारे में नकारात्मक बातों पर ध्यान नहीं देना चाहती था, लेकिन उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने 11 साल की उम्र में इत्तेफाकन तलवारबाजी अपनाई थी।
भवानी ने हंसते हुए कहा, जब मैंने खेलों में हिस्सा लेने के लिए दाखिला लिया, तो हम सभी को समूहों में विभाजित किया गया और पांच अलग-अलग खेलों में से एक को चुनने का विकल्प दिया गया। जब तक मेरी बारी आई, तब तक केवल तलवारबाजी में ही स्लॉट बचा था।
अंतरराष्ट्रीय
ग्रेटा थनबर्ग और ‘सेल्फी यॉट’ पर मौजूद सभी एक्टिविस्ट को किया जा रहा डिपोर्ट: इजरायल

तेल अवीव, 10 जून। राहत सामग्री के साथ गाजा जाने वाली एक नौका पर सवार जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग सहित 12 यात्रियों को डिपोर्ट करने के लिए बेन गुरियन हवाई अड्डे पर लाया गया है। इस नौका को इजरायली बंदरगाह अशदोद में जब्त कर लिया गया था।
निर्वासन प्रक्रिया इजरायली बलों के समुद्र में इस जहाज को रोके जाने के बाद की गई है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए इजरायल के विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, “‘सेल्फी यॉट’ के यात्री इजरायल से प्रस्थान करने और अपने देश लौटने के लिए बेन गुरियन हवाई अड्डे पर पहुंचे। वहीं, जो लोग निर्वासन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने और इजरायल छोड़ने से इनकार करेंगे, उन्हें न्यायिक प्राधिकारी के समक्ष लाया जाएगा।”
एक्टिविस्ट्स का यह समूह, फ्रीडम फ्लोटिला गठबंधन (एफएफसी) द्वारा आयोजित एक मिशन का हिस्सा है, जो चावल और शिशु आहार सहित गाजा को महत्वपूर्ण सहायता पहुंचाने के लिए यात्रा पर निकला था।
मैडलीन नामक नाव को कथित तौर पर गाजा के तट से लगभग 185 किलोमीटर पश्चिम में रोका गया था।
समूह द्वारा जारी किए गए एक वीडियो में इजरायली सेना को जहाज पर चढ़ते हुए दिखाया गया है, जबकि कार्यकर्ता अपने हाथ ऊपर उठाए खड़े हैं, उनमें से एक ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान कोई भी घायल नहीं हुआ।
जब्ती के बाद, इजरायली रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने कहा कि कार्यकर्ताओं को सोमवार शाम को चिकित्सा जांच के लिए ले जाया गया और उन्हें हमास के हमले से जुड़ी (7 अक्टूबर के नरसंहार पर बनी डॉक्युमेंट्री) दिखाई गई।
गैलेंट ने दावा किया कि “जब उन्होंने देखा कि यह किस बारे में है, तो उन्होंने इसे देखना जारी रखने से इनकार कर दिया,” उन्होंने थनबर्ग और अन्य कार्यकर्ताओं पर हमास के अत्याचारों को अनदेखा करने और “सच्चाई से अपनी आंखें बंद करने” का आरोप लगाया।
एफएफसी ने ऑपरेशन की कड़ी निंदा की। उन्होंने इजरायली सेना पर “हमला” करने और जहाज पर “अवैध रूप से चढ़ने” का आरोप लगाया।
गठबंधन ने कहा कि सहायता मिशन पूरी तरह से मानवीय था, जिसका उद्देश्य गाजा को राहत पहुंचाना था। जहाज पर सवार लोगों में ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, स्पेन, स्वीडन और तुर्की के नागरिक शामिल थे।
ग्रेटा के अलावा, समूह में यूरोपीय संसद की फ़्रांसीसी सदस्य रीमा हसन और अल जजीरा के फ्रांसीसी पत्रकार उमर फयाद जैसे लोग शामिल थे।
फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों उन नेताओं में शामिल थे जिन्होंने दृढ़ता से आवाज उठाते हुए हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा करने का इजरायल से आग्रह किया।
मैक्रों ने विदेश में अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए फ़्रांस की प्रतिबद्धता पर जोर दिया और कहा कि देश “सतर्क” है और “जब भी वे खतरे में होते हैं, तो अपने सभी नागरिकों के साथ खड़ा रहता है।”
फ़्रांसीसी सरकार ने इजरायल से कार्यकर्ताओं की “सुरक्षा” सुनिश्चित करने की भी मांग की, मैक्रों ने गाजा पर मानवीय नाकेबंदी को “एक घोटाला” और “अपमान” करार दिया।
राष्ट्रीय
बड़ा मंगल: हनुमान मंदिर में उमड़े श्रद्धालु, ‘जय श्रीराम’ के नारों से गूंजा परिसर

अमेठी, 10 जून। ज्येष्ठ माह के पांचवें मंगलवार को उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित हनुमान मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतार देखने को मिली। हनुमान जी के दर्शन और पूजन के लिए लोगों में गजब का उत्साह नजर आया। खासकर ‘जामों के गौरा’ स्थित हनुमान गढ़ी मंदिर में दर्शनार्थियों का तांता लगा रहा।
मंदिर परिसर में “संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमिरे हनुमत बलबीरा” और हनुमान जी के जयकारों की गूंज सुनाई दी। श्रद्धालुओं ने मंदिरों के साथ-साथ चौराहों और कस्बों में स्टॉल लगाकर प्रसाद वितरण और भंडारे का आयोजन किया। भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के लिए रास्तों को डायवर्ट किया, ताकि व्यवस्था बनी रहे।
वहीं, मिठाई और पूजन सामग्री की दुकानों पर भी प्रसाद लेने के लिए भीड़ देखने को मिली।
हनुमान गढ़ी मंदिर में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं। श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना कर मंगलकामनाएं मांगी। मंदिर परिसर में मेले जैसा माहौल रहा, जहां लोग भक्ति और आस्था में डूबे नजर आए। भक्तों का कहना था कि हनुमान जी के दर्शन से उनके सारे दुख-दर्द मिट जाते हैं।
बता दें, ज्येष्ठ मास के मंगलवार को बड़का मंगल, बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है। मान्यता है कि इस माह के मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा-पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और कई समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मंगलवार के दिन हनुमान जी को सिंदूर के साथ धी या चमेली का तेल मिलाकर लगाना चाहिए। साथ ही उन्हें प्रिय चना-गुड़, बूंदी के लड्डू, पान और लौंग का भोग भी लगाना चाहिए।
श्रीराम दूत को लाल रंग का चोला और झंडा भी चढ़ाना चाहिए। श्रीराम भक्त को अपने स्वामी का नाम सर्वप्रिय है। ऐसे में रामनाम की माला या तुलसी की पत्तियों, बरगद, पीपल के पत्तों पर राम नाम लिखकर चढ़ाने से मनोरथ भी पूरे होते हैं।
खेल
निकोलस पूरन ने सिर्फ 29 की उम्र में लिया अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास

नई दिल्ली, 10 जून। वेस्टइंडीज के विकेटकीपर-बल्लेबाज निकोलस पूरन ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया है। पूरन के अचानक लिए गए इस फैसले ने उनके फैंस को हैरान कर दिया है। आईसीसी ने मंगलवार को इसकी पुष्टि की है।
कुछ दिनों पहले ही साउथ अफ्रीका के विकेटकीपर-बल्लेबाज हेनरिक क्लासेन ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहने की घोषणा की थी, जिसके बाद एक और मशहूर विकेटकीपर-बल्लेबाज का संन्यास क्रिकेट प्रेमियों को चौंका गया।
29 वर्षीय निकोलस पूरन ने संन्यास का ऐलान करते हुए अपने इंस्टाग्राम पर लिखा, “मैंने काफी सोचने और विचार-विमर्श करने के बाद इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास का ऐलान किया है। यह खेल जिससे हम प्यार करते हैं, उसने बहुत कुछ दिया है और देता रहेगा। मैरून जर्सी पहनना, एंथम के लिए खड़े होना, और हर बार मैदान पर उतरते समय अपना सब कुछ देना… इसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है कि इसका मेरे लिए क्या मतलब है। टीम का कप्तान होना एक ऐसा सौभाग्य है, जिसे मैं हमेशा अपने दिल के करीब रखूंगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “फैंस के लिए- आपके अटूट प्यार के लिए धन्यवाद। आपने मुश्किल पलों में मुझे संभाला और बेहतरीन जुनून के साथ अच्छे पलों का जश्न मनाया। अपने परिवार, दोस्तों और टीम के साथियों के लिए मैं कहना चाहूंगा कि मेरा साथ देने के लिए धन्यवाद। आपके विश्वास और समर्थन ने मुझे इन सब के जरिए आगे बढ़ाया।”
निकोलस पूरन ने 2014 के अंडर-19 पुरुष क्रिकेट विश्व कप में वेस्टइंडीज का प्रतिनिधित्व किया था, जिसके दो साल बाद उन्हें टी20आई फॉर्मेट में सीनियर टीम की ओर से इंटरनेशनल डेब्यू करने का मौका मिला।
इसके बाद 2018 में पूरन ने वनडे फॉर्मेट में डेब्यू किया। शानदार प्रदर्शन को देखते हुए बाएं हाथ के इस खिलाड़ी को विश्व कप 2019 के लिए टीम में मौका मिला।
साल 2021 में पूरन पुरुष टी20 वर्ल्ड कप के लिए कैरेबियन टीम के उप-कप्तान बने और साल 2022 में दोनों ‘व्हाइट बॉल फॉर्मेट’ में कप्तानी की बागडोर संभाली।
निकोलस पूरन ने वेस्टइंडीज के लिए सिर्फ ‘व्हाइट बॉल क्रिकेट’ ही खेला। उन्होंने 61 वनडे मुकाबलों में पूरन के नाम 39.66 की औसत के साथ 1983 रन हैं। इस दौरान पूरन ने तीन शतक और 11 अर्धशतक जड़े हैं। 106 टी20आई मुकाबलों में इस खिलाड़ी ने 13 अर्धशतक की मदद से 2275 रन बनाए। इस फॉर्मेट में उनका औसत 26.14 रहा।
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