अंतरराष्ट्रीय समाचार
चीन ने चंद्रमा पर मानवयुक्त लैंडिंग के लिए कई प्रमुख तकनीकों में सफलता हासिल की : यांग लिवेई

थ्येनचो-7 कार्गो अंतरिक्ष यान के सफल प्रक्षेपण ने वर्ष 2024 में चीन के मानवयुक्त अंतरिक्ष इंजीनियरिंग के प्रक्षेपण मिशन का उद्घाटन किया। इस वर्ष चीन की मानवयुक्त चंद्रमा लैंडिंग इंजीनियरिंग भी तेज और लगातार आगे बढ़ेगी।
अंतरिक्ष में जाने वाले चीन के पहले अंतरिक्ष यात्री और चीन के मानवयुक्त अंतरिक्ष इंजीनियरिंग कार्यालय के उप मुख्य डिजाइनर यांग लिवेई ने हाल में इंटरव्यू के दौरान कहा कि मानवयुक्त चंद्र लैंडिंग इंजीनियरिंग की परियोजना स्थापना का प्रारंभिक चरण में, वास्तव में चीन ने तकनीकी अनुसंधान और कार्यक्रम प्रदर्शन में कई कार्य किये हैं।
परियोजना स्थापित होने के बाद, चीन की रॉकेट प्रणाली और लैंडर सहित चीनी अंतरिक्ष यान आदि सभी को प्रारंभिक प्रोटोटाइप में स्थानांतरित कर दिया गया है। इस तरह, कुछ प्रयोग समेत चीन की मानवयुक्त चंद्र लैंडिंग इंजीनियरिंग के अगले चरण से संबंधित कार्य सफलतापूर्वक किए जाएंगे।
ऐसा कह सकते हैं कि चीन की मानवयुक्त चंद्र लैंडिंग इंजीनियरिंग की कई प्रमुख प्रौद्योगिकियों ने पहले ही सफलता हासिल कर ली है।
गौरतलब है कि वर्ष 2023 में, चीन की मानवयुक्त चंद्रमा लैंडिंग इंजीनियरिंग परियोजना की स्थापना शुरू की गई थी। वहीं, हाल में 17 जनवरी को चीन ने वनछांग अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र से सफलतापूर्वक लांग मार्च -7 याओ-8 वाहक रॉकेट से थ्येनचो-7 कार्गो अंतरिक्ष यान सफलता से प्रक्षेपित किया।
इस अंतरिक्ष यान ने निर्धारित कक्षा में प्रवेश करने के बाद स्थिति सेटिंग को सफलतापूर्वक पूरा किया, जिसने चीनी अंतरिक्ष स्टेशन के थ्येनह कोर मॉड्यूल के पीछे डॉक किया। इसके बाद, शनचो-17 अंतरिक्ष यात्री दल थ्येनचो-7 में प्रवेश करेगा और योजना के अनुसार कार्गो स्थानांतरण व अन्य संबंधित कार्य करेगा।
थ्येनचो-7 कार्गो अंतरिक्ष यान में शनचो-17 अंतरिक्ष यात्री दल के लिए निवासी उपभोग्य वस्तुएं, प्रणोदक, अनुप्रयोग प्रयोगात्मक (परीक्षण) उपकरण और अन्य सामग्री आदि विभिन्न आपूर्ति सामग्री लदी है, जिसमें परंपरागत चीनी वसंत त्योहार के उपहार भी शामिल हैं।
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इसरो-नासा का संयुक्त उपग्रह ‘निसार’ आज श्रीहरिकोटा से लॉन्च होगा

नई दिल्ली, 30 जुलाई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिका की नासा मिलकर एक नई खास सैटेलाइट निसार लॉन्च करने जा रहे हैं। यह सैटेलाइट बुधवार शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च की जाएगी।
1.5 बिलियन डॉलर के इस मिशन का उद्देश्य पृथ्वी की सतह की निगरानी के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाना है। इसका खास मकसद प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण में हो रहे बदलावों पर बारीकी से नजर रखना है।
निसार (नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार) एक ऐतिहासिक प्रोजेक्ट है। यह पहला ऐसा प्रोजेक्ट है जिसमें धरती को देखने के लिए दो अलग-अलग फ्रीक्वेंसी वाले रडार नासा का एल-बैंड और इसरो का एस-बैंड का इस्तेमाल किया जाएगा।
इन रडार को नासा की 12 मीटर के एंटीना से चलाया जाएगा, जो इसरो के आई-3के सैटेलाइट प्लेटफॉर्म पर लगाई गई है। 2,392 किलोग्राम वजन वाले इस उपग्रह को भारत के जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा।
यह सैटेलाइट 740 किलोमीटर की ऊंचाई पर सन-सिंक्रीनस ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। वहां से यह हर 12 दिन में धरती की जमीन और बर्फ से ढके इलाकों की 242 किलोमीटर चौड़ी पट्टी की हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें लेगा। इसमें पहली बार स्वीपएसएआर तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।
इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि इसरो और नासा द्वारा संयुक्त रूप से विकसित पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को भारत में निर्मित जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट द्वारा 30 जुलाई को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सैटेलाइट किसी भी मौसम या रोशनी में, दिन-रात (24×7) तस्वीरें उपलब्ध कराएगा।
रविवार रात (27 जुलाई) चेन्नई एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए नारायणन ने कहा, “यह सभी मौसमों में 24 घंटे पृथ्वी की तस्वीरें ले सकता है। यह भूस्खलन का पता लगा सकता है, आपदा प्रबंधन में मदद कर सकता है और जलवायु परिवर्तन पर नजर रख सकता है।”
इससे पहले, रविवार को अंतरिक्ष विभाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “निसार मिशन में नासा और इसरो दोनों की तकनीकी विशेषज्ञता शामिल है। नासा ने एल-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर), हाई-रेट टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम, जीपीएस रिसीवर और 12 मीटर की खुलने वाली एंटीना दी है। वहीं इसरो ने एस-बैंड एसएआर पेलोड, उपग्रह को ले जाने वाला स्पेसक्राफ्ट, जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट और उससे जुड़ी सभी लॉन्च सेवाएं दी हैं।”
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ट्रंप ने रूस को दी चेतावनी, कहा- 10 दिन में यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म न हुआ तो कड़े टैरिफ का सामना करना होगा

TRUMP
वाशिंगटन, 30 जुलाई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए 10 दिन की समय सीमा दी है। यह घोषणा उन्होंने स्कॉटलैंड की यात्रा से वाशिंगटन लौटते समय पत्रकारों से बातचीत में की।
ट्रंप ने चेतावनी दी कि अगर रूस 10 दिन में युद्धविराम पर सहमत नहीं होता, तो अमेरिका रूस पर “कड़े टैरिफ और अन्य प्रतिबंध” लगाएगा।
दो सप्ताह पहले, 14 जुलाई को ट्रंप ने रूस को 50 दिन का समय देते हुए चेतावनी दी थी कि अगर युद्धविराम नहीं हुआ तो रूस को ‘कठोर टैरिफ’ का सामना करना पड़ेगा। हालांकि, उन्होंने सोमवार को ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ बैठक के दौरान समय सीमा को घटाकर “10 या 12 दिन” कर दिया, तथा “मास्को द्वारा समझौता करने की इच्छा न दिखाने” पर निराशा व्यक्त की।
इस बयान पर रूस की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मंगलवार को कहा कि रूस ने ट्रंप के बयान पर ध्यान दिया है, लेकिन यूक्रेन में उसका “विशेष सैन्य अभियान” जारी रहेगा। पेसकोव ने यह भी कहा कि रूस शांति प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन वह अपने हितों को सुनिश्चित करते हुए ही कोई समझौता करेगा।
इस बीच, यूक्रेन में युद्ध की स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। रविवार को रूस ने यूक्रेन के उत्तर-पूर्वी सूमी क्षेत्र में ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिसमें चार लोग घायल हो गए।
दूसरी ओर, रूसी अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने 150 यूक्रेनी ड्रोनों को मार गिराया। इन हमलों में सेंट पीटर्सबर्ग के पास एक व्यक्ति की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए।
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पाकिस्तान में फ्लैश फ्लड का कहर: टीवी एंकर समेत 15 लोग लापता, स्थानीय लोग सरकार की व्यवस्थाओं से नाराज

नई दिल्ली, 28 जुलाई। पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान में रविवार को हाईवे पर अचानक पानी भर गया। फ्लैश फ्लड की चपेट में आई एक टीवी एंकर और उसके परिवार के सदस्यों समेत 15 लोगों के बह जाने की आशंका है। वहीं कई दिनों से प्रकृति की मार झेल रहे इस इलाके के विस्थापितों ने स्वच्छ पेयजल, बिजली, सड़क पहुंच और संचार सेवाओं की गंभीर कमी की शिकायत की है।
बाढ़ से प्रभावित डायमर की बाबूसर और थोर घाटियों में बचे लोगों ने कहा कि वे हाल के दिनों की सबसे घातक बाढ़ की चपेट में आ गए हैं, जिसमें कई लोग बेघर हो गए और उनका सारा सामान बह गया। मीडिया हाउस डॉन के मुताबिक प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि फ्लैश फ्लड से बाबूसर हाईवे पर अचानक पानी बढ़ गया और इसमें 10 से 15 पर्यटक बह गए। अब तक सात शव बरामद किए जा चुके हैं।
पर्यटकों में एक निजी चैनल की टीवी एंकर, उनके पति और उनके चार बच्चे भी शामिल हैं।
गिलगित-बाल्टिस्तान सरकार के प्रवक्ता फैजुल्लाह फारक ने बताया कि एक पश्तो भाषा के टीवी चैनल की एंकर के परिवार ने अधिकारियों से संपर्क कर बताया है कि वह, उनके पति और उनके चार बच्चे लापता हैं।
फारक ने बताया कि उन्हें एंकर का एक बटुआ मिला है। वहीं, चिलास के मीनार इलाके में सिंधु नदी से एक अज्ञात महिला का शव बरामद हुआ है। माना जा रहा है कि यह महिला उन पर्यटकों में शामिल है जो बाबूसर हाईवे पर आई बाढ़ में बह गए थे।
उन्होंने कहा, “खोजी कुत्तों और ड्रोन की मदद से बाकी लापता लोगों की तलाश जारी है।”
उन्होंने मीडिया को बताया कि भारी मशीनरी का उपयोग करके मरम्मत कार्य जारी है, 15 स्थानों पर सड़क अवरुद्ध है, और उनमें से 13 स्थानों पर आंशिक रूप से मार्ग साफ कर दिया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सोमवार तक राजमार्ग आंशिक रूप से यातायात के लिए फिर से खोल दिया जाएगा।
गिलगित क्षेत्र में, दान्योर नाले से आई अचानक बाढ़ के कारण मुख्य आपूर्ति पाइपलाइन और कई सिंचाई नहरें क्षतिग्रस्त होने के बाद, दान्योर और सुल्तानाबाद इलाकों के हजारों निवासी लगातार तीन दिनों तक पीने के पानी के बिना रहे।
वहीं आम लोग सरकार की अनदेखी से भी खासा नाराज हैं। गिलगित के पूर्व मंत्री मुहम्मद इकबाल के नेतृत्व में क्षेत्र के बुजुर्गों ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सरकार बार-बार आश्वासन के बावजूद बाधित जल आपूर्ति बहाल करने में विफल रही है।
उन्होंने कहा कि हालांकि निवासियों ने पाइपलाइन को अस्थायी रूप से बहाल करने में कामयाबी हासिल की थी, लेकिन बाद में आई बाढ़ ने इसे फिर से नष्ट कर दिया। उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि अभी तक कोई मरम्मत कार्य शुरू नहीं किया गया है और सरकार को कार्रवाई के लिए एक दिन का अल्टीमेटम दिया है, अन्यथा वे विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे।
इस बीच, घांचे जिले के कोंडस और हल्दी के निवासियों ने भी राहत सामग्री, बिजली, पेयजल और सड़क मार्ग की कमी की शिकायत की।
कोंडस में हुए विनाशकारी भूस्खलन में 50 से ज्यादा घर बह गए, जिससे कई परिवार बेघर हो गए और उन्हें भोजन, आश्रय, चिकित्सा देखभाल, और आपातकालीन सेवाओं की तत्काल आवश्यकता है। स्थानीय लोगों ने इंटरनेट की अनुपलब्धता पर भी दुख जताया, जिससे बातचीत करना या मदद के लिए फ़ोन करना और भी मुश्किल हो गया।
जुटल और गिलगित-बाल्टिस्तान के अन्य बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों ने भी बुनियादी सुविधाओं की कमी की शिकायत की और सरकार की धीमी प्रतिक्रिया और समय पर राहत पहुंचाने में विफलता की आलोचना की।
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