व्यापार
केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग को दी मंजूरी, कर्मचारियों के वेतन में होगी बड़ी वृद्धि

नई दिल्ली, 16 जनवरी। केंद्र सरकार ने आम बजट 2025 से पहले कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला लिया है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में गुरुवार को आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी गई है। इस फैसले का इंतजार बड़ी संख्या में केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों की ओर से किया जा रहा है। इस फैसले से वेतन और पेंशन बढ़ोतरी का रास्ता खुल गया है।
केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के द्वारा लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि आठवें वेतन आयोग के गठन का फैसला लिया गया है। यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों के लिए लाभ सुनिश्चित करने के मद्देनजर लिया गया है। यह नया आयोग 2026 तक रिपोर्ट सौंपेगा।
नया वेतन आयोग हर 10 साल में लागू किया जाता है। इससे पहले सातवां वेतन आयोग 2016 में लागू किया गया था। इस वजह से माना जा रहा है कि आठवां वेतन आयोग 2026 से लागू किया जा सकता है।
आठवां वेतन आयोग लागू होने के साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में बड़ा इजाफा देखने को मिल सकता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, आठवें वेतन आयोग में न्यूनतम आधार वेतन को बढ़ाकर 34,650 रुपये किया जा सकता है, जो कि सातवें वेतन आयोग में 18,000 रुपये है। वहीं, पेंशन को 9,000 रुपये से बढ़ाकर 17,280 रुपये किया जा सकता है।
केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन को तय करने में फिटमेंट फैक्टर की अहम भूमिका होती है। इस बार यह 1.92 हो सकता है।
आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन और उसकी सिफारिशें स्वीकार होने पर लगभग 49 लाख सरकारी कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनभोगियों के वेतन पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा और उन्हें इसका लाभ मिलेगा।
केंद्रीय वेतन आयोग का गठन समय-समय पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन ढांचे और भत्तों में बदलाव की समीक्षा और सिफारिशों के लिए किया जाता है।
व्यापार
औसत से अधिक मानसून से भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर की ग्रामीण मांग बढ़ी : एचएसबीसी

नई दिल्ली, 3 जून। औसत से अधिक मानसून के कारण भारतीय ऑटोमोबाइल क्षेत्र में ग्रामीण मांग बढ़ रही है और रबी की अच्छी फसल के कारण ट्रैक्टर की मांग में भी तेजी बनी हुई है। यह जानकारी मंगलवार को जारी की गई रिपोर्ट में दी गई।
एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च की रिपोर्ट में बताया गया कि हमारी चैनल पार्टनर की टिप्पणी से संकेत मिलता है कि विवाह के लिए दिनों की संख्या में वृद्धि और रबी की अच्छी फसल ने मई में दोपहिया वाहनों की वृद्धि को गति दी है।
रिपोर्ट में बताया गया कि मई में इलेक्ट्रिक फोर-व्हीलर का मार्केट शेयर कुल बिक्री में बढ़कर 3.4 प्रतिशत हो गया है। इलेक्ट्रिक फोर-व्हीलर में टाटा की बाजार हिस्सेदारी 35 प्रतिशत, एमजी की 31 प्रतिशत और एमएंडएम की 20 प्रतिशत रही। हुंडई की ‘ई क्रेटा’ मॉडल की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत रही।
उन्होंने अपने नोट में कहा, “इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों का मार्केट शेयर कुल बिक्री में बढ़कर 6.1 प्रतिशत और रिटेल सेल्स 1,00,000 तक पहुंच गई है। टीवीएस ने मई में कुल 25,000 यूनिट्स वाहन बेचे। वहीं, बजाज 22,000 यूनिट्स के साथ दूसरे और ओला तीसरे स्थान पर था।”
रिपोर्ट में बताया गया कि यात्री वाहनों की मांग में रिकवरी का कोई संकेत नहीं है और मांग स्थिर बनी हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, “हमारा मानना है कि कमजोर मांग के कारण यात्री वाहनों में डिस्काउंट उच्च स्तरों पर बना रहेगा।”
चार पहिया वाहनों में मारुति की बिक्री मई में सालाना आधार पर 3 प्रतिशत बढ़ी है। इस दौरान घरेलू बिक्री में 6 प्रतिशत की गिरावट की भरपाई निर्यात में 80 प्रतिशत की वृद्धि से हुई।
रिपोर्ट में बताया गया, “एमएंडएम की मई में एसयूवी की थोक बिक्री 52.4 हजार यूनिट रही, जो पिछले साल की समान अवधि से 21 प्रतिशत अधिक है। टाटा की पीवी बिक्री पिछले साल की समान अवधि से 11 प्रतिशत कम रही, जबकि ईवी में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हुंडई की घरेलू बिक्री में 11 प्रतिशत की गिरावट आई, जिसका मुख्य कारण नियमित प्लांट बंद होना है।”
दोपहिया सेगमेंट में बजाज की घरेलू दोपहिया बिक्री में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि निर्यात में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई। टीवीएस की दोपहिया बिक्री में पिछले साल की समान अवधि से 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि घरेलू बिक्री में 14 प्रतिशत और निर्यात में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
व्यापार
वैश्विक चुनौतियों के बीच भारतीय कंपनियों का वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में स्थिर रहा प्रदर्शन : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 2 जून। वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में भारत में कॉर्पोरेट जगत का प्रदर्शन कुल मिलाकर संतोषजनक रहा। वहीं, वित्त वर्ष 2026 में खपत बढ़ने के बाद इसमें और अधिक वृद्धि की गुंजाइश है। यह जानकारी सोमवार को जारी रिपोर्ट में दी गई।
बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) की रिपोर्ट के अनुसार, 1,893 कंपनियों के सैंपल की कुल शुद्ध बिक्री चौथी तिमाही में 5.4 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि शुद्ध लाभ में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
अर्थशास्त्री अदिति गुप्ता ने कहा, “कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें सुधार की उम्मीद है। इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े क्षेत्रों में नकारात्मक आधार प्रभाव के बावजूद स्थिर वृद्धि जारी है। एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल जैसे उपभोक्ता से जुड़े क्षेत्रों के लिए, मजबूत ग्रामीण और मौसमी मांग स्थिर सुधार में सहायता करती है।”
सेवा क्षेत्र के उद्योगों ने भी निरंतर मांग की गति के बीच स्थिर वृद्धि दर्ज करना जारी रखा।
महत्वपूर्ण बात यह है कि चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल के बावजूद, कंपनियां भविष्य की विकास संभावनाओं को लेकर सकारात्मक बनी हुई हैं।
उन्होंने कहा, “स्थिर कमोडिटी कीमतें, कम घरेलू महंगाई, अनुकूल मानसून, व्यापार सौदे, सरकारी पूंजीगत व्यय और कर प्रोत्साहन की वजह से वृद्धि और मांग को बढ़ावा मिल सकता है।”
चौथी तिमाही में, व्यय और ब्याज लागत कम रही, जिससे कंपनियों की ऋण चुकाने की क्षमता में सुधार हुआ।
ऑयल एंड गैस, टेक्सटाइल और आयरन एंड स्टील जैसे कुछ बड़े क्षेत्रों में बिक्री में कुछ नरमी देखी गई, जिसका ओवरऑल सैंपल पर असर पड़ा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह एक बार की घटना प्रतीत होती है। इसी तरह, बीएफएसआई सेगमेंट में पिछले साल मजबूत प्रदर्शन के बाद कुछ धीमी गति देखी गई और इसे ऋण में वृद्धि में धीमी गति से जोड़ा जा सकता है।
अशांत वैश्विक व्यापार वातावरण के संदर्भ में और साथ ही पिछले वर्ष के उच्च आधार पर विचार करते हुए, प्रदर्शन काफी स्थिर लगता है।
पिछले वर्ष 20.7 प्रतिशत और 14.3 प्रतिशत के उच्च आधार पर, वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में परिचालन और शुद्ध लाभ में क्रमशः 8.2 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है, “कुल 24 सेक्टर ने कुल सैंपल (5.4 प्रतिशत) के लिए तुलनात्मक शुद्ध बिक्री की तुलना में शुद्ध बिक्री में उच्च वृद्धि दर दर्ज की है। पीएटी (प्रॉफिट आफ्टर टैक्स) के लिए, 16 सेक्टर ने सैंपल एवरेज (7.6 प्रतिशत) की तुलना में अधिक वृद्धि दर्ज की।”
पर्यावरण
भारत में वित्त वर्ष 2028 तक 7.29 मिलियन और 2047 तक 35 मिलियन ग्रीन जॉब्स के अवसर होंगे : रिपोर्ट

मुंबई, 2 जून। भारत की ग्रीन इकोनॉमी तेजी से बढ़ते हुए 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर और 2070 तक 15 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह जानकारी सोमवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।
इस तेज वृद्धि के साथ भारत बड़ी संख्या में ग्रीन जॉब्स सृजित करने के लिए भी तैयार है।
एनएलबी सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2027-28 तक लगभग 7.29 मिलियन और वर्ष 2047 तक 35 मिलियन नौकरियों के अवसर पैदा हो सकते हैं।
एनएलबी सर्विसेज के सीईओ सचिन अलग ने कहा, “पिछले 4-5 वर्षों में हमने देखा है कि ग्रीन जॉब्स विशिष्ट भूमिकाओं से बढ़कर रिन्यूएबल एनर्जी, ईवी और सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी मुख्यधारा में आ गई हैं।”
अलग ने कहा, “आज के ग्रीन वर्कफोर्स को सस्टेनेबिलिटी संबंधी जानकारी और डिजिटल फ्लूएंसी दोनों की जरूरत है। इसी के साथ एआई, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन, जीआईएस और डेटा-ड्रिवन टूल का बढ़ता इंटीग्रेशन प्रगतिशील, नए युग के ग्रीन करियर की नींव रख रहा है।”
जैसे-जैसे हरित क्षेत्र का विस्तार हो रहा है, उद्योग न केवल ग्रीन टेक्नोलॉजी और रिन्यूएबल एनर्जी में निवेश कर रहे हैं, बल्कि बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए स्किल्ड वर्कफोर्स बनाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
यह बदलाव कंपनियों को अपनी भर्ती रणनीतियों को बदलने के लिए प्रेरित कर रहा है।
केवल पारंपरिक डिग्री पर निर्भर रहने के बजाय, नियोक्ता अब व्यावहारिक हरित कौशल और व्यावहारिक अनुभव को अधिक महत्व दे रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई कंपनियां युवाओं को सस्टेनेबिलिटी से संबंधित कौशल से लैस करने के लिए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर काम कर रही हैं।
नया रोजगार परिदृश्य पहले के पूर्वानुमानों से अधिक मजबूत है। 2024 में नौकरी की मांग के मामले में हरित क्षेत्र में सालाना 15-20 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने की उम्मीद थी।
अधिकांश ग्रीन जॉब्स अभी भी मुंबई, बेंगलुरु और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में हैं। लेकिन, जयपुर, इंदौर, विशाखापत्तनम, कोयंबटूर, भुवनेश्वर, चंडीगढ़ और अहमदाबाद जैसे छोटे शहर भी ग्रीन जॉब्स के प्रमुख केंद्र बन रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, टियर II और टियर III शहरों में वित्त वर्ष 2028 तक अनुमानित 7.29 मिलियन नौकरियों में से 35-40 प्रतिशत का सृजन होने की उम्मीद है।
ग्रीन जॉब्स की भूमिकाएं भी अधिक विविध होती जा रही हैं। ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) विश्लेषण, जलवायु डेटा विश्लेषण और ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में पेशेवरों की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिसमें सालाना 20-30 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
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