व्यापार
कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच लाल निशान में खुला भारतीय शेयर बाजार

मुंबई, 17 जनवरी। कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार को लाल निशान में खुला। शुरुआती कारोबार में आईटी और प्राइवेट बैंक सेक्टर में बिकवाली देखी गई।
सुबह करीब 9.30 बजे सेंसेक्स 325.79 अंक या 0.42 प्रतिशत की गिरावट के साथ 76,717.03 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 86.80 अंक या 0.37 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,225 पर कारोबार कर रहा था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 1,118 शेयर हरे निशान में कारोबार कर रहे थे, जबकि 1,039 शेयर लाल निशान में थे।
जानकारों के अनुसार, बाजार के लिए दो सकारात्मक बातें हैं: एक, डॉलर इंडेक्स और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट का रुख जारी है और दूसरा, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और इंफोसिस के तीसरी तिमाही के नतीजे उम्मीद से बेहतर हैं। उन्होंने कहा, “इन दोनों शेयरों में बाजार में मामूली सुधार लाने की क्षमता है।”
निफ्टी बैंक 470.55 अंक या 0.95 प्रतिशत की गिरावट के साथ 48,808.15 पर था। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 208.65 अंक या 0.38 प्रतिशत की गिरावट के साथ 54,275.15 पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 18.20 अंक या 0.10 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,625.10 पर था।
इस बीच, सेंसेक्स पैक में इंफोसिस, एक्सिस बैंक, टीसीएस, एचसीएल टेक, एमएंडएम, कोटक महिंद्रा बैंक, बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस और इंडसइंड बैंक टॉप लूजर्स रहे। जबकि रिलायंस, जोमैटो, एलएंडटी, सन फार्मा, अदाणी पोर्ट्स, आईटीसी और टाटा मोटर्स टॉप गेनर्स रहे।
अमेरिकी बाजारों में, आखिरी कारोबारी सत्र में डाउ जोंस 0.16 प्रतिशत गिरकर 43,153.13 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 इंडेक्स 0.21 प्रतिशत गिरकर 5,937.34 पर और नैस्डैक 0.89 प्रतिशत गिरकर 19,338.29 पर बंद हुआ।
एशियाई बाजारों में सोल, बैंकॉक और जापान लाल निशान पर कारोबार कर रहे थे। जबकि चीन, जकार्ता और हांगकांग हरे निशान पर कारोबार कर रहे थे।
बाजार पर नजर रखने वालों ने कहा, “बाजार में करेक्शन ने लार्जकैप के वैल्यूएशन को उचित बना दिया है। निफ्टी अब वित्त वर्ष 2026 की अनुमानित आय के करीब 19 गुना पर कारोबार कर रहा है। इसलिए, दीर्घावधि निवेशक, जो विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली के कारण होने वाली वोलैटिलिटी को नजरअंदाज कर सकते हैं, वे गिरावट का इस्तेमाल कर हाई-क्वालिटी वाले लार्जकैप शेयरों को खरीदने के लिए कर सकते हैं।”
इस बीच, एफआईआई ने 16 जनवरी को 4,341.95 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, दूसरी ओर घरेलू संस्थागत निवेशकों ने उसी दिन 2,928.72 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
राष्ट्रीय समाचार
नया इनकम टैक्स बिल अगले हफ्ते संसद में पेश होगा, नियमों के सरलीकरण पर रहेगा जोर

नई दिल्ली, 8 फरवरी। आम आदमी के हाथ में अधिक पैसा छोड़ने और नियमों के सरलीकरण के लिए सरकार अगले हफ्ते नए इनकम टैक्स बिल को संसद में पेश कर सकती है।
नए इनकम टैक्स बिल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रीमंडल से शुक्रवार को मंजूरी मिल गई थी। अब इसे फाइनेंस पर संसद की स्थायी समिति के पास भेजे जाने से पहले अगले हफ्ते संसद में पेश किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, नए इनकम टैक्स बिल में सरकार ने नियमों के सरलीकरण पर जोर दिया है, जिससे लोग आसानी से इनकम टैक्स से जुड़े नियमों को समझ सकें।
कैबिनेट द्वारा नए इनकम टैक्स बिल को मंजूरी दिए जाने से पहले इस मामले से जुड़े लोगों ने कहा था कि केंद्रीय बजट में इनकम टैक्स छूट की सीमा 12 लाख रुपये तक बढ़ाए जाने के बाद टैक्स आधार में कमी को देखते हुए, नया कानून संभवतः टैक्स दायरे को बढ़ाने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करेगा।
सूत्रों का कहना है कि मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट 1961 में लागू हुआ था। नया इनकम टैक्स बिल 21वीं सदी के मुताबिक होगा और मौजूदा कानून को रिप्लेस करेगा।
सूत्रों की मानें तो नए इनकम टैक्स बिल में सरकार ने भाषा को सरल बनाने पर काम किया है। दरअसल अभी जो इनकम टैक्स एक्ट है उसमें एक कोट में किसी चीज की व्याख्या अलग होती है, दूसरे में अलग। यानी यह कानून पूरी तरह से खिचड़ी की तरह बन गया है।
इस बिल के सरलीकरण को ऐसे समझा जा सकता है कि पुराने आयकर कानून में लगभग 6 लाख के करीब शब्द हैं जो इस नए बिल में 3 लाख के करीब रह जाएंगे और यह करदाताओं को समझने के लिए भी आसान होगा।
सूत्रों के अनुसार, सरकारी योजनाओं पर सरकार लोगों की निवेश को लेकर निर्भरता भी कम करने का प्रयास कर रही है जिससे लोग अन्य जगहों पर ज्यादा निवेश करें और इससे सामान्य व्यक्ति को ज्यादा फायदा मिल सके।
व्यापार
भारत का निर्यात चालू वित्त वर्ष में छू सकता है 800 अरब डॉलर का आंकड़ा

नई दिल्ली, 8 फरवरी। भारत का निर्यात चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2024-25) में 800 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है। इसकी वजह देश के सभी सेक्टरों में मजबूत आर्थिक गतिविधि होना है। यह जानकारी सरकार द्वारा दी गई।
यूनियन कॉमर्स और इंडस्ट्री मिनिस्टर, पीयूष गोयल ने कहा कि निर्यात तेजी से बढ़ रहा है और पिछले चार सालों में इसमें काफी वृद्धि हुई है।
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा,”हम पहली बार 800 अरब डॉलर से अधिक निर्यात के साथ वित्तीय वर्ष समाप्त करेंगे।”
हालांकि, घरेलू स्तर पर उपलब्धता की कमी और उच्च मांग के कारण पेट्रोलियम उत्पाद, कोकिंग कोयला, दालें और खाद्य तेल जैसे कुछ उत्पादों का आयात करना जरूरी हैं। घरेलू खपत बढ़ने के साथ आयात में वृद्धि अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा संकेत है।
मंत्री के मुताबिक, उन क्षेत्रों में उत्पादन इकाइयां स्थापित करने और स्थापित करने में कुछ वर्ष लगेंगे।
वैश्विक बाजार में विभिन्न श्रेणियों में भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ने के कारण, देश का कुल निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 778 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 2013-14 में यह 466 बिलियन डॉलर था, जो कि 67 प्रतिशत की भारी वृद्धि है।
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, विश्व व्यापारिक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी भी 1.66 प्रतिशत से बढ़कर 1.81 प्रतिशत हो गई, जिससे देश रैंकिंग में 20वें से 17वें स्थान पर पहुंच गया। यह उपलब्धि तब हासिल हुई जब सरकार ने निर्यात वृद्धि को बनाए रखने और तेज करने के लिए कई पहल लागू की हैं।
देश ने शीर्ष 10 वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं में अपनी रैंक बनाए रखने या सुधारने के साथ कई प्रमुख उत्पाद श्रेणियों के निर्यात में तेज वृद्धि दर्ज की है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर पर देश के रणनीतिक फोकस के प्रभावशाली परिणाम मिले हैं।
राष्ट्रीय समाचार
कोयला आयात कम करना, घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर मुख्य फोकस : मंत्री

नई दिल्ली, 8 फरवरी। भारत सरकार ने एक बार फिर दोहराया है कि कोयले के आयात को कम करना और घरेलू उत्पादन बढ़ाना उसकी प्राथमिकता है। कोयला क्षेत्र भारत की ऊर्जा सुरक्षा का महत्वपूर्ण आधार है और देश के औद्योगिक व आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाता है।
भारत के पास दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा कोयला भंडार है और यह कोयले का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। देश की कुल ऊर्जा जरूरतों का 55 प्रतिशत कोयले से पूरा होता है।
देश में लगभग 74 प्रतिशत बिजली उत्पादन ताप विद्युत संयंत्रों (थर्मल पावर प्लांट) पर निर्भर है। इसलिए एक मजबूत और टिकाऊ कोयला क्षेत्र की जरूरत बनी रहती है, यह बात कोयला एवं खनन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कही। उन्होंने यह भी बताया कि कोयला मंत्रालय इस क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
सरकार के प्रयासों से आयातित कोयले पर निर्भरता कम हुई है। अप्रैल से नवंबर 2024 के बीच कोयला आयात में 5.35 प्रतिशत की कमी आई, जिससे लगभग 3.91 अरब डॉलर (30,007.26 करोड़ रुपये) की बचत हुई। खासकर, घरेलू बिजली संयंत्रों में उपयोग होने वाले कोयले का आयात 23.56 प्रतिशत घटा है।
मंत्रालय की ‘मिशन कोकिंग कोल’ योजना का लक्ष्य 2029-30 तक देश में कोकिंग कोल का उत्पादन बढ़ाकर 140 मिलियन टन (एमटी) करना है, जिससे इस्पात क्षेत्र में आयात पर निर्भरता कम हो सके।
भारत का कोयला उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 में 997.82 मिलियन टन तक पहुंच गया, जो 2014-15 में 609.18 मिलियन टन था। पिछले दस वर्षों में इस क्षेत्र की औसत वार्षिक वृद्धि दर 5.64 प्रतिशत रही है। वित्त वर्ष 2023-24 में उत्पादन में पिछले साल की तुलना में 11.71 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
जनवरी 2025 तक कोयला मंत्रालय ने 184 खदानों का आवंटन किया, जिनमें से 65 को खनन शुरू करने की अनुमति मिल चुकी है। इन खदानों से कुल 136.59 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 34.20 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2024-25 में उत्पादन 170 मिलियन टन से अधिक होने की उम्मीद है।
आठ कोर उद्योगों में कोयला क्षेत्र ने सबसे तेज वृद्धि दर्ज की है, दिसंबर 2024 में इसमें 5.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
इसके अलावा, भारतीय रेलवे की माल ढुलाई से होने वाली कुल आय का लगभग 50 प्रतिशत कोयला परिवहन से आता है। साथ ही, कोयला क्षेत्र में लगभग 4.78 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है।
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