राजनीति
मैनपुरी में अखिलेश यादव कर रहे बड़ी चुनौती का सामना

समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के निधन के एक महीने के भीतर ही पार्टी में अशांति और परिवार में बेचैनी बढ़ रही है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को उनके पिता मुलायत सिंह यादव के निधन से खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव के रूप में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के साथ-साथ परिवार के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 1989 से समाजवादी पार्टी के सबसे मजबूत गढ़ों में से एक रही है।
5 दिसंबर को मैनपुरी सीट पर होने वाले उपचुनाव में उम्मीदवार तय करना अखिलेश यादव के लिए एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव ने कुछ महीने पहले घोषणा की थी कि अगर मुलायम सिंह चुनाव नहीं लड़े तो वह 2024 में मैनपुरी सीट से चुनाव लड़ेंगे।
एक वरिष्ठ नेता ने कहा शिवपाल यादव इस सीट पर किसी बाहरी व्यक्ति को स्वीकार नहीं कर सकते और अखिलेश के लिए इस समय परिवार और पार्टी को एकजुट रखना महत्वपूर्ण है-खासकर हाल ही में लखीमपुर खीरी में हार के बाद।
अखिलेश पर मैनपुरी में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने का भी दबाव है क्योंकि समाजवादी पार्टी की बागडोर संभालने के बाद से उनको लगातार हार का सामना करना पड़ा है।
अखिलेश के नेतृत्व में पार्टी 2017 का विधानसभा चुनाव, 2019 का लोकसभा चुनाव और फिर 2022 का विधानसभा चुनाव हार गई।
2022 के विधानसभा चुनावों के बाद सपा को आजमगढ़ और रामपुर व अब लखीमपुर उपचुनाव में अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा है।
मैनपुरी और रामपुर में एक और हार पार्टी और परिवार में अखिलेश के लिए समस्या पैदा कर सकती है।
पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक माना जा रहा है कि तेज प्रताप यादव पार्टी का उम्मीदवार हो सकते हैं, जिन्होंने 2014 के उपचुनाव में मैनपुरी सीट जीती थी।
तेज प्रताप यादव मुलायम के भतीजे हैं और उनके करीबी रहे हैं। मुलायम ने राजनीति में तेज प्रताप का मार्गदर्शन किया और तेज प्रताप ने महत्वपूर्ण मामलों पर हमेशा उनसे सलाह ली।
तेज प्रताप राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं और 2019 में मैनपुरी सीट से मुलायम सिंह के चुनाव जीतने के बाद से ही तैयारी कर रहे हैं।
मुलायम सिंह के सबसे बड़े भाई के पोते तेजप्रताप, मुलायम के दो साल से अस्वस्थ होने के कारण उनके निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि थे।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, तेज प्रताप मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र के लोगों से बहुत घुलेमिले हुए हैं और संभवत: वही सपा की पसंद हैं।
इसके अलावा तेज प्रताप शिवपाल के भी उतने ही करीबी हैं और पारिवारिक सूत्रों ने कहा कि अगर तेज प्रताप को पार्टी का उम्मीदवार बनाया जाता है, तो शिवपाल उन्हें उपचुनाव में चुनौती नहीं देंगे।
पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि मुलायम सिंह की अनुपस्थिति में उनके छोटे भाई अभय राम, जो परिवार को एकजुट रखने की कोशिश कर रहे हैं, ने सुझाव दिया है कि तेज प्रताप को मैनपुरी से चुनाव लड़ना चाहिए। इससे अखिलेश और शिवपाल के बीच कोई और टकराव नहीं होगा।
राजनीति
बिहार चुनाव : सुपौल के पिपरा विधानसभा में जदयू-राजद की राह नहीं होगी आसान

पटना, 2 अक्टूबर : बिहार के सुपौल जिले में स्थित पिपरा विधानसभा क्षेत्र राज्य की राजनीति के लिए काफी अहम मानी जाती है। इस सीट की अहमियत इस बात से लगाई जा सकती है कि यहां जदयू की मजबूत स्थिति के बावजूद विपक्ष का भी दबदबा रहा है।
बिहार में 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई। 2010 में इस सीट पर पहली बार विधानसभा चुनाव हुए और उस दौरान जदयू की सुजाता देवी ने 14,686 वोटों से जीत हासिल की। हालांकि, 2015 के चुनाव में यह सीट जदयू के हाथों से निकल गई और राजद के यदुवंश कुमार यादव ने भाजपा के विश्व मोहन कुमार को 36,369 वोटों से मात दी। 2020 में फिर से यहां परिवर्तन हुआ और जदयू ने जीत दर्ज की।
पिपरा की राजनीति में एक खास बात यह है कि कोई भी पार्टी लगातार तीन चुनावों में एक ही उम्मीदवार को टिकट नहीं दे पाई है। पिछले तीन चुनावों में पार्टी के साथ-साथ जीतने वाला उम्मीदवार भी अलग ही रहा है। 2020 विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव 2024 में यहां जीतने वाली पार्टी का दबदबा रहा है।
पिपरा विधानसभा क्षेत्र कोसी नदी के तट पर स्थित है, जिसके कारण यहां हर साल बाढ़ का खतरा बना रहता है। कोसी नदी इस क्षेत्र के लिए वरदान और अभिशाप दोनों है। यह नदी जहां कृषि के लिए उपजाऊ भूमि प्रदान करती है, वहीं बाढ़ के रूप में तबाही भी लाती है। इसके बावजूद, यहां धान, मक्का और जूट जैसी फसलों की बड़े पैमाने पर खेती होती है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था का आधार है। हालांकि, क्षेत्र की भौगोलिक-आर्थिक स्थिति और बुनियादी ढांचे की चुनौतियां इसे विकास में पीछे रखती हैं।
सड़क, बिजली और स्वच्छ पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी भी यहां के निवासियों के लिए बड़ी समस्या है। कृषि-आधारित उद्योगों की कमी और स्थानीय स्तर पर रोजगार के सीमित अवसरों के कारण युवाओं का पलायन एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है।
सुपौल जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दक्षिण में स्थित पिपरा के आसपास के प्रमुख क्षेत्रों में मधेपुरा (40 किमी), सहरसा (50 किमी), बनमंखी (60 किमी), और पूर्णिया (70 किमी) शामिल हैं।
चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 के विधानसभा चुनाव में पिपरा में 2,89,160 रजिस्टर्ड मतदाता थे, जिनमें 16.70 प्रतिशत मुस्लिम और 14.65 प्रतिशत अनुसूचित जाति के मतदाता शामिल थे। इसके अलावा, यादव मतदाता भी क्षेत्र में बड़ी संख्या में हैं, जो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
पिपरा में जदयू की मजबूत पकड़ के बावजूद आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में राजद-नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन से उन्हें कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है।
महाराष्ट्र
मुंबई पुलिस कमिश्नर देविन भारती ने दशहरा विजयादशमी पर शस्त्र पूजा की

मुंबई: दशहरे के अवसर पर आज मुंबई पुलिस कमिश्नर देविन भारती द्वारा मुंबई पुलिस में शस्त्र और गोला-बारूद की पूजा की गई। देविन भारती के साथ संयुक्त पुलिस आयुक्त (प्रशासन) जयकुमार, अतिरिक्त आयुक्त वनिता साहू, डीसीपी (जोन एलवी) रागसुधा आर, डीसीपी (एलए-नायगांव) आनंद भूते और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
दशहरे पर मुंबई के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में भी शस्त्र और गोला-बारूद की पूजा की गई। मुंबई शहर में पुलिस ने दशहरे के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे, इसके साथ ही पुलिस ने दुर्गा देवी के विसर्जन की भी व्यवस्था की थी। मुंबई पुलिस कमिश्नर ने शस्त्र पूजा के बाद शस्त्र पूजा की तस्वीरें अपने एक्स अकाउंट पर शेयर की हैं। नायगांव में शस्त्र पूजन समारोह आयोजित किया गया
अपराध
मुंबई क्राइम: कांदिवली के डेवलपर पर ₹4.07 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला दर्ज

मुंबई: कांदिवली पुलिस ने एक स्थानीय डेवलपर के खिलाफ 4.07 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। डेवलपर की पहचान जयंत मेहता के रूप में हुई है, जो समाजदीप बिल्डिंग, बाटा शोरूम लेन, कांदिवली (पश्चिम) में रहता है।
रियल एस्टेट एजेंट दिनेश दयालाल वडोदरिया (74) द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, आरोपी ने शिवमहल बिल्डिंग, दानविभवन चॉल, मथुरादास रोड, कांदिवली (पश्चिम) स्थित 11 कमरों के पुनर्विकास के दस्तावेज़ दिखाकर कथित तौर पर उनके साथ धोखाधड़ी की। आरोपी ने शिकायतकर्ता को परियोजना के लिए धन मुहैया कराने पर लाभदायक रिटर्न का आश्वासन दिया।
इन आश्वासनों पर विश्वास करके, वडोदरिया ने ₹2.89 करोड़ नकद और ₹1.18 करोड़ चेक के माध्यम से, कुल मिलाकर ₹4.07 करोड़ का निवेश किया। हालाँकि, न तो पुनर्विकास परियोजना पूरी हुई और न ही शिकायतकर्ता को कोई रिटर्न मिला, जिसके कारण मामला दर्ज किया गया।
कथित धोखाधड़ी मथुरादास रोड, व्हाइट आर्च बिल्डिंग, कांदिवली (पश्चिम) में हुई। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। आगे की जाँच जारी है।
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