खेल
एडिलेड टेस्ट : भारत ने गंवाया पुजारा का विकेट, चायकाल तक स्कोर 107/3

नाथन लॉयन ने एडिलेड ओवल मैदान पर भारत और आस्ट्रेलिया के बीच खेले जा रहे डे-नाइट टेस्ट मैच के पहले दिन गुरुवार को दूसरे सत्र की समाप्ति की घोषणा होने से कुछ ओवर पहले मेजबान टीम को भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा का अहम विकेट दिला कर उसे राहत की सांस दी। 100 के कुल स्कोर पर लॉयन की गेंद पुजारा के बल्ले को छूती हुई पैड पर लगी और हवा में उछली। लेग स्लिप पर खड़े मार्नस लाबुशैन ने डाइव मार कगर कैच पकड़ लिया। अंपायर ने तो पुजारा को नॉट आउट दिया था, लेकिन मेजबान टीम ने रिव्यू लिया जिसमें पुजारा को आउट दे दिया गया।
विराट कोहली अभी भी मैदान पर हैं और यह आस्ट्रेलिया के लिए बड़ा खतरा हैं। दूसरे सत्र का खेल खत्म होने तक भारत ने 55 ओवरों में तीन विकेट खोकर 107 रन बना लिए हैं। कोहली 39 रन बनाकर खेल रहे हैं। उप-कप्तान अजिंक्य रहाणे भी उनके साथ 20 गेंदों पर दो रन बनाकर खड़े हैं।
पुजारा ने आउट होने से पहले हालांकि अनुशासित गेंदबाजी करने वाले आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को काफी परेशान किया और धैर्यपूर्ण बल्लेबाजी की।
पहले सत्र में भारत ने दो विकेट खोकर 41 रन बनाए थे। आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की अनुशासित गेंदबाजी के सामने रन बनाना आसान नहीं था और शुरुआती झटकों के बाद भारत पर दबाव भी था। ऐसे में पुजारा ने अपने चिर परिचित अंदाज में विकेट पर टिककर बल्लेबाजी की।
पुजारा इसी तरह की बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं। भारत के पिछले आस्ट्रेलियाई दौरे पर भी पुजारा ने इसी अंदाज में बल्लेबाजी कर आस्ट्रिलायई गेंदबाजों को थका दिया था। उनके साथ कोहली ने भी धीमी बल्लेबाजी की। उनका ध्यान भी इसी बात पर था कि मेजबान टीम विकेट नहीं ले पाए। हालांकि लॉयन ने पुजारा को आउट कर भारत को तीसरा झटका दिया। पुजारा ने 160 गेंदों का सामना कर 43 रन बनाए। उनकी पारी में सिर्फ दो चौके शामिल रहे। कोहली अभी तक 111 गेंदों का सामना कर चुके हैं। इनमें से चार ही गेंदों पर उन्होंने चौके लगाए हैं। पुजारा और कोहली ने तीसरे विकेट के लिए 68 रन जोड़े।
पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारत को दूसरी ही गेंद पर मिशेल स्टार्क ने झटका दे कर दबाव में ला दिया। स्टार्क की इनस्विंगर पृथ्वी शॉ के बल्ले का किनारा लेकर विकेट पर जा लगी। शॉ खाता नहीं खोल पाए।
दूसरे सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल ने पुजारा के साथ संभलकर बल्लेबाजी की। मयंक भी आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के सामने संघर्ष कर रहे थे जिसका अंत 19वें ओवर की पहली ही गेंद पर पैट कमिंस ने कर दिया। 40 गेंदों पर 17 रन बनाने वाले मयंक 32 के कुल स्कोर पर बोल्ड हो गए। उन्होंने अपनी पारी में दो चौके मारे।
फिर कोहली ने मैदान पर दस्तक दी और पुजारा के साथ मिलकर पहले सत्र का अंत नाबाद रहते हुए किया। दूसरे सत्र में भी यह दोनों आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को विकेट के लिहाज से मायूस करने में काफी हद तक सफल रहे, लेकिन अंत में लॉयन ने आस्ट्रेलियाई टीम को पुजारा का विकेट दिल ही दिया।
अंतरराष्ट्रीय
इजरायली सेना की उपलब्धियों से वर्ल्ड लीडर्स प्रभावित: नेतन्याहू

तेल अवीव, 19 जून। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के अनुसार वर्ल्ड लीडर्स ने इजरायली सेना के दृढ़ संकल्प और उपलब्धियों को सराहा है।
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष की शुरुआत बीते शुक्रवार से हुई। नेतन्याहू ने ईरान के खिलाफ ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ शुरू करने की घोषणा की, जो ईरान के परमाणु हथियारों के खतरे को कम करने के लिए एक टारगेटेड सैन्य अभियान है।
इसके बाद तेहरान की ओर से तीव्र और आक्रामक जवाबी कार्रवाई शुरू हुई, जिससे क्षेत्र एक व्यापक युद्ध के कगार पर पहुंच गया।
नेतन्याहू ने बुधवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा “मुझे आपको बताना चाहिए कि मैं विश्व नेताओं से बात करता हूं। वह हमारे दृढ़ संकल्प और हमारी सेना की उपलब्धियों से बहुत प्रभावित हैं। वह आपसे, इजरायल के नागरिकों से, आपकी दृढ़ भावना और आपकी दृढ़ता से भी बहुत प्रभावित हैं।”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिले उनके समर्थन को लेकर इजरायली प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं इजरायल के एक महान मित्र राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हमारे साथ खड़े होने और इजरायल के एयरस्पेस की रक्षा में मदद करने में अमेरिका के सपोर्ट के लिए धन्यवाद देता हूं। हम अक्सर बात करते हैं, जिसमें पिछली रात की बातचीत भी शामिल है। हमारी बातचीत बहुत गर्मजोशी से हुई। मैं ट्रंप को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं।”
नेतन्याहू ने कहा कि ईरान के खिलाफ ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ अभियान का उद्देश्य इजरायल के लिए दो अस्तित्वगत खतरों को दूर करना था। हम पर परमाणु खतरा और बैलिस्टिक मिसाइल का खतरा है। इजरायल इन खतरों को दूर करने के लिए कदम-दर-कदम आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, “हम तेहरान के एयरस्पेस को कंट्रोल करते हैं। हम अयातुल्ला शासन पर बहुत जोरदार हमला कर रहे हैं। हम न्यूक्लियर इंस्टॉलेशन्स, मिसाइल्स, कमांड सेंटर्स और शासन के प्रतीकों पर हमला कर रहे हैं। हमें बहुत नुकसान हो रहा है लेकिन हम देखते हैं कि घरेलू मोर्चा मजबूत है। लोग मजबूत हैं, और इजरायल राज्य पहले से कहीं अधिक मजबूत है। मैंने सरकारी मंत्रालयों को उन सभी लोगों की सहायता करने का निर्देश दिया है, जिन्हें नुकसान पहुंचा है।”
नेतन्याहू ने यह भी उल्लेख किया है कि गाजा पट्टी में ‘तीव्र लड़ाई’ जारी है। उन्होंने कहा कि इजरायल पीछे नहीं हटेगा। वह दो कार्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है- “हमास को हराना और हमारे सभी बंधकों को वापस लाना, चाहे वह जीवित हों या मृत। खेद के साथ इतना जरूर कहूंगा कि, हाल के दिनों में भी हमारे वीर सैनिक मारे गए हैं। मैं परिवारों के दुख में शामिल हूं। हम सरकार और पूरे देश की ओर से उन्हें संवेदनाएं भेजते हैं। हम तब तक संघर्ष जारी रखेंगे, जब तक हमास को हरा नहीं देते।”
दुर्घटना
अहमदाबाद विमान हादसा: 210 मृतकों के डीएनए मैच, स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने दी जानकारी

नई दिल्ली, 19 जून। गुजरात के अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे में मारे गए लोगों के डीएनए सैंपल के मिलान की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने सोशल मीडिया पर गुरुवार को डीएनए मिलान के बारे में ताजा जानकारी साझा की है।
ऋषिकेश पटेल ने बताया कि गुरुवार सुबह 8.30 बजे तक 210 लोगों के डीएनए सैंपल का मिलान हो गया है और उनके परिजनों से भी संपर्क साधा गया है। 187 शवों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि डीएनए सैंपल का मिलान कराने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि जल्द ही बाकी अन्य मृतकों के डीएनए का मिलान कर लिया जाएगा। इसके बाद शेष पार्थिव अवशेष जल्द ही परिजनों को सौंप दिए जाएंगे। दूसरी ओर, घटनास्थल पर मृतकों के कीमती सामानों की जांच कर उनके परिजनों को सौंपा जा रहा है।
गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर जानकारी दी। उन्होंने कहा, “अहमदाबाद पुलिस, जिला प्रशासन और सामाजिक कार्यकर्ताओं को बधाई, उन्होंने पीड़ितों के परिवारों को कीमती सामान लौटाने का शानदार काम किया। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने कई लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव किया है। इन नायकों को सलाम।“
बुधवार को अहमदाबाद सिविल अस्पताल के अधीक्षक राकेश जोशी ने बताया था कि विमान हादसे में एकमात्र जीवित बचे विश्वास को छुट्टी दे दी गई है और उन्हें उनके परिवार के साथ घर वापस भेज दिया गया है।
इससे पहले, अहमदाबाद विमान हादसे को लेकर गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने बताया था कि जो भी सामान दुर्घटनास्थल से मिला है, वह जांच के बाद उनके परिजनों को सौंप दिया जाएगा।
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, “दुर्घटनास्थल पर मिले प्रत्येक सामान को सावधानीपूर्वक एकत्र किया जाएगा, उसका दस्तावेजीकरण किया जाएगा और संबंधित परिवारों को सौंप दिया जाएगा। हमारी टीम इन व्यक्तिगत वस्तुओं का पता लगाने और उनकी पहचान करने के लिए लगन से काम कर रही है और हम नागरिक उड्डयन विभाग के साथ मिलकर एक सुचारु और सम्मानजनक प्रक्रिया सुनिश्चित कर रहे हैं।”
अंतरराष्ट्रीय
ईरान में फंसी भारतीय पर्वतारोही फल्गुनी डे वीजा संबंधी उलझन के कारण अस्तारा सीमा पर फंसी

कोलकाता: संघर्ष प्रभावित तेहरान से 500 किलोमीटर की जोखिम भरी सड़क यात्रा के बाद फंसे हुए भारतीय पर्यटक फल्गुनी डे मंगलवार शाम को अजरबैजान से लगती ईरान की अस्तारा सीमा पर पहुंच गए, लेकिन उनकी परेशानी अभी खत्म नहीं हुई है।
डे अब अज़रबैजान पार करने और बाकू पहुंचने के लिए आवश्यक जटिल कागजी कार्रवाई के जाल में फंस गए हैं, जहां से वह घर लौटने की योजना बना रहे हैं।
डे ने पीटीआई को एक वॉयस मैसेज के जरिए बताया, “मैं इस यात्रा के जरिए तेहरान में बमों से बचने में कामयाब हो गया, लेकिन अब मैं ईरान की अस्तारा सीमा पर फंस गया हूं, क्योंकि अजरबैजान के अधिकारी मुझे उस सरकार द्वारा जारी विशेष माइग्रेशन कोड के बिना अपने देश में स्वीकार नहीं करेंगे और मेरा ई-वीजा काम नहीं करेगा।”
कोलकाता के इस कॉलेज प्रोफेसर ने कहा, “मेरे लाख समझाने के बावजूद मुझे बताया गया कि उस कोड को आने में कम से कम एक पखवाड़ा और लगेगा, और मुझे नहीं पता कि मैं ईरान में इतने लंबे समय तक कैसे जीवित रह पाऊंगा।”
वास्तविकता में इसका मतलब यह है कि उत्तर-पूर्वी ईरान में कैस्पियन सागर के पास अस्तारा से बाकू में एक होटल के कमरे की सुरक्षा तक 300 किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा अब डे के लिए एक दूर का सपना बनकर रह गई है।
पीटीआई ने मंगलवार को डे की दुर्दशा के बारे में रिपोर्ट की थी। डे भी एक शौकिया पर्वतारोही हैं। वे माउंट दामावंद के ज्वालामुखी शिखर पर चढ़ने के लिए 5 जून को तेहरान पहुंचे थे। वे इजरायली मिसाइलों के कारण 17 जून तक तेहरान में फंसे रहे। इसके बाद उन्होंने सड़क मार्ग से शहर से भागने और अजरबैजान सीमा तक पहुंचने का हताश प्रयास किया।
डे ने लगभग रोते हुए कहा, “मैं इस समय शारीरिक और भावनात्मक रूप से पूरी तरह से थक चुका हूँ। इसके अलावा, मैं पैसों की भारी कमी से जूझ रहा हूँ और घर पहुँचने की अनिश्चितता मुझे परेशान कर रही है। मुझे सुरक्षित निकालने के लिए मेरे सारे प्रयास और मेरे परिवार और दोस्तों द्वारा खर्च किया गया पैसा बेकार हो गया है।”
डे ने बताया कि कोलकाता से उनके परिवार द्वारा बाकू में होटल की बुकिंग की गई थी, जहां डे को बुधवार सुबह पहुंचना था, लेकिन सीमा चौकी पर जटिलताओं के कारण उन्हें सीमा पार नहीं कर पाने के कारण बुकिंग रद्द करनी पड़ी।
उन्होंने कहा, “यहां तक कि बाकू से मुंबई जाने वाली उड़ान, जिसके लिए मैंने टिकट बुक किया था, भी चारों ओर व्याप्त अनिश्चितताओं के कारण रद्द कर दी गई है।”
डे ने कहा, “तेहरान में किसी ने मुझे नहीं बताया कि मेरा ई-वीज़ा ज़मीन के रास्ते अज़रबैजान जाने के लिए पर्याप्त नहीं है और मुझे इस विशेष प्रवासन पास कोड की भी ज़रूरत है, ख़ास तौर पर इस तरह की युद्ध स्थिति में। मैंने उस कोड के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करने में कोई समय बर्बाद नहीं किया, लेकिन अधिकारियों ने मुझे ई-मेल के ज़रिए जवाब दिया कि इस प्रक्रिया को पूरा होने में कम से कम 15 दिन लगेंगे।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं ऐसी जगह पर इतना लंबा इंतजार कैसे कर सकता हूं? यहां विदेशियों की लंबी कतार है और उनके पास हर तरह के वीजा हैं। मैं उन्हें अपने-अपने वतन लौटने के लिए सीमा पार करते हुए देख सकता हूं। लेकिन मेरे जैसे भारतीयों को बताया गया है कि सीमा पार करने के लिए हमारे पास माइग्रेशन कोड होना अनिवार्य है।”
हालांकि, डे पर मंडरा रहे इस काले बादल के बीच अच्छी बात यह है कि उन्हें अपने देश में मित्रों और परिवार के सदस्यों तथा इस सुदूर देश में अजनबियों से भी निरंतर समर्थन मिल रहा है।
डे ने कहा, “कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति सांता दत्ता लगातार मेरे संपर्क में हैं। वह दूतावास से संपर्क करने और मेरे सुरक्षित बाहर निकलने के लिए अधिकारियों से संपर्क करने में मेरी मदद कर रही हैं। पर्वतारोही देबाशीष बिस्वास भी ऐसा ही कर रहे हैं। तेहरान में भारतीय दूतावास की सांस्कृतिक शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी बलराम शुक्ला भी मेरी मदद कर रहे हैं।”
उन्होंने पीटीआई को बताया कि तेहरान और बाकू दोनों स्थानों पर दूतावास के अधिकारी ईरान में फंसे भारतीयों की मदद के लिए युद्ध स्तर पर मिलकर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “दूतावासों ने अब मेरे दस्तावेज अज़रबैजानी अधिकारियों को भेज दिए हैं ताकि मैं इस देश से बाहर निकल सकूं, क्योंकि मैं अभी भी विशेष स्थिति में फंसा हुआ हूं।”
डे ने बताया कि जिस कार से वे तेहरान से अस्तारा जा रहे थे, उसे भोजन, शौचालय और ईंधन भरने के लिए कई बार रुकना पड़ा।
डे ने कहा, “ईरान में फिलहाल कार ईंधन की सीमा तय है। एक निर्धारित सीमा से अधिक ईंधन भरना संभव नहीं है। इसलिए हमें ईंधन भरने के लिए कई बार रुकना पड़ा।”
हालांकि, परेशान पर्यटक ने अपनी स्थानीय ट्रैवल एजेंसी के ड्राइवर दम्पति के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया, जो उसकी सुरक्षा का ख्याल रखने के लिए अस्तारा सीमा टर्मिनल तक उसके साथ आए, उसे भावनात्मक समर्थन दिया और यहां तक कि उसके लिए फल और चाय भी लाये।
वर्तमान अनिश्चितता को देखते हुए डे ने कहा कि अब वह अर्मेनिया सीमा तक आठ घंटे की अतिरिक्त यात्रा करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं, ताकि वहां जाने के लिए अपनी किस्मत आजमा सकें।
इस बीच, डे को अपने शुभचिंतकों की प्रार्थनाओं पर ही भरोसा है।
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