व्यापार
एआई का वर्कलोड बढ़ने के साथ 50 प्रतिशत से अधिक भारतीय कंपनियां डेटा सेंटर क्षमता में कर रही हैं निवेश
मुंबई, 12 नवंबर: भारत में 50 प्रतिशत से ज्यादा कंपनियों का मानना है कि एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) वर्कलोड आने वाले तीन से पांच वर्षों में 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ सकता है और इसे संभालने के लिए 51 प्रतिशत कंपनियां अगले 12 महीनों में नई डेटा सेंटर क्षमता में निवेश कर रही हैं। यह जानकारी बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
नेटवर्किंग उपकरण बनाने वाली कंपनी सिस्को की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया कि 91 प्रतिशत भारतीय कंपनियां अपने सिस्टम में ऑटोनॉमस एआई एजेंट्स की तैनाती कर रही हैं और केवल 37 प्रतिशत ही उसे पूरी तरह से सुरक्षित रख पाने में सक्षम हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर, एआई को लागू करने वाले 13 प्रतिशत संगठन फंडामेंटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकल्प चुनकर अपने समकक्षों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे चक्रवृद्धि लाभ प्राप्त हो रहे हैं।
सिस्को ने रिपोर्ट में ऐसे संगठनों को “पेससेटर” कहते हुए, कहा कि 97 प्रतिशत ग्लोबल पेससेटर्स ने यूस केस को अनलॉक करने और अधिक रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (आरओआई) प्राप्त करने के लिए एआई का उपयोग किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “वे नेटवर्क-फर्स्ट नींव का निर्माण करते हैं, पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता देते हैं, निरंतर अनुकूलन करते हैं और पहले दिन से ही सुरक्षा का ध्यान रखते हैं।”
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कर्मचारियों के लिए भी वर्कप्लेस में उनके काम करने के तरीकों को बदलने को लेकर एक अहम फैक्टर बन रहा है।
जॉब साइट इनडीड की एक लेटेस्ट स्टडी बताती है कि 71 प्रतिशत कर्मचारी एआई का इस्तेमाल करियर को प्लान करने और प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए करते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 75 प्रतिशत कर्मचारियों ने माइक्रो-रिटायरमेंट, मूनलाइटिंग, फ्लेक्सिबल शेड्यूल और बेयर-मिनिमम मंडे जैसे कम से कम एक नए वर्कप्लेयर बिहेवियर को अपनाना शुरू कर दिया है।
इसके अलावा, 68 प्रतिशत एंट्री-टू-जूनियर लेवल कर्मचारी सीखने और करियर प्लानिंग को लेकर नई अप्रोच को ट्राई कर रहे हैं। 10 में से 4 कर्मचारी यानी लगभग 40 प्रतिशत कर्मचारियों का कहना है कि वे मूनलाइटिंग, फ्लेक्सिबल शेड्यूल और शॉर्ट करियर ब्रेक्स के साथ वर्क-लाइफ दोनों को बैलेंस करते हैं।
राष्ट्रीय समाचार
भारत 2030 तक 7.3 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ बनेगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

GDP
नई दिल्ली, 29 दिसंबर: भारत 4.18 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और अगले 2.5 से 3 वर्षों में जर्मनी को पछाड़कर तीसरी रैंक हासिल कर लेगा और 2030 तक 7.3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। यह जानकारी सोमवार को एक आधिकारिक बयान में दी गई।
भारतीय अर्थव्यवस्था तेज गति से विकास कर रही है। वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर छह तिमाही के उच्चतम स्तर पर रही है। यह दिखाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक उतार-चढ़ाव में भी मजबूत बनी हुई है।
बयान के कहा गया, “भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इस गति को बनाए रखने के लिए अच्छी स्थिति में है। 2047 तक – अपनी आजादी के सौवें साल तक – उच्च मध्यम-आय वाला देश बनने की महत्वाकांक्षा के साथ, देश आर्थिक विकास, संरचनात्मक सुधारों और सामाजिक प्रगति की मजबूत नींव पर आगे बढ़ रहा है।”
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान पहले के 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है।
भारत की घरेलू ग्रोथ कई कारणों से ऊपर की ओर जा रही है जिसमें मजबूत घरेलू मांग, इनकम टैक्स और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) का सरलीकरण, कच्चे तेल की कम कीमतें, सरकारी पूंजीगत खर्च, साथ ही अनुकूल मौद्रिक और वित्तीय स्थितियां शामिल हैं, जिन्हें कम महंगाई का भी समर्थन मिल रहा है।
बयान में कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था की गति में निजी क्षेत्र मजबूत भूमिका निभा रहा है और लगातार ग्रोथ को सपोर्ट कर रहा है।
इसके अलावा, सरकार देश के निर्यात को आगे बढ़ाने के लिए लगातार अन्य देश के साथ व्यापारिक समझौता कर रही है। 2025 में सरकार ने यूके, ओमान और न्यूजीलैंड के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) किया है।
चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान भारत के सामान और सेवाओं का कुल निर्यात बढ़कर रिकॉर्ड 418.91 अरब डॉलर हो गया। इसमें पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 5.86 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है।
व्यापार
डाटा लीक माम ले में कूपैंग का बड़ा कदम, 1.17 अरब डॉलर मुआवजे का ऐलान

सोल, 29 दिसंबर: दक्षिण कोरिया की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी कूपैंग ने बड़े पैमाने पर हुए डेटा लीक के बाद 1.68 ट्रिलियन वॉन (करीब 1.17 अरब डॉलर) का मुआवजा प्लान घोषित किया है। यह जानकारी कंपनी ने सोमवार को दी।
यह फैसला कूपैंग के संस्थापक किम बोम-सुक द्वारा सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के एक दिन बाद आया। इस डेटा लीक से दक्षिण कोरिया की लगभग दो-तिहाई आबादी प्रभावित हुई थी।
कंपनी के अनुसार, कूपैंग अपने 3.37 करोड़ ग्राहकों में से प्रत्येक को 50,000 वॉन (करीब 3,000 रुपए) के कूपन और छूट देगी। इसमें कूपैंग वाउ के पेड मेंबर, सामान्य यूजर और वे पुराने ग्राहक भी शामिल हैं जिन्होंने अपना अकाउंट बंद कर दिया है।
कंपनी ने बताया कि मुआवजा 15 जनवरी से दिया जाएगा।
कूपैंग के अंतरिम सीईओ हैरोल्ड रोजर्स ने कहा कि इस घटना को सीख के रूप में लेते हुए कंपनी ग्राहकों को सबसे ऊपर रखेगी और उनका भरोसा जीतने के लिए पूरी जिम्मेदारी निभाएगी।
हर ग्राहक को मिलने वाले 50,000 वॉन के मुआवजे में अलग-अलग सेवाओं के लिए कूपन शामिल हैं। इसमें कूपैंग की शॉपिंग सेवा के लिए 5,000 वॉन, फूड डिलीवरी कूपैंग ईट्स के लिए 5,000 वॉन, यात्रा सेवाओं के लिए 20,000 वॉन और आर.लक्स नाम की लग्जरी ब्यूटी व फैशन सेवाओं के लिए 20,000 वॉन शामिल हैं।
पिछले हफ्ते कूपैंग ने कहा था कि जांच में एक पूर्व कर्मचारी को डाटा लीक के लिए जिम्मेदार पाया गया है। कंपनी ने बताया कि हैकिंग में इस्तेमाल किए गए उपकरण भी बरामद कर लिए गए हैं और आरोपी ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है। कंपनी का दावा है कि आरोपी ने करीब 3,000 खातों का डाटा सेव किया था, जिसे बाद में हटा दिया गया।
हालांकि, सरकार ने कूपैंग के इस दावे को एकतरफा बताया है। सरकार ने कहा है कि इस मामले में चल रही सरकारी और निजी जांच की रिपोर्ट अभी सामने नहीं आई है।
29 नवंबर को कूपैंग ने पुष्टि की थी कि 3.37 करोड़ ग्राहकों की निजी जानकारी लीक हुई है। यह संख्या 20 नवंबर को अधिकारियों को बताई गई शुरुआती 4,500 खातों की संख्या से कहीं ज्यादा है।
कंपनी के अनुसार, सितंबर तिमाही में कूपैंग के सक्रिय यूजर 2.47 करोड़ थे। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि लगभग सभी यूजर इस डाटा लीक से प्रभावित हो सकते हैं।
लीक हुई जानकारी में ग्राहकों के नाम, फोन नंबर, ईमेल आईडी और डिलीवरी पते शामिल थे।
व्यापार
सिल्वर ने बनाया एक और नया रिकॉर्ड, छुआ 2.54 लाख रुपए का उच्चतम स्तर

gold
मुंबई, 29 दिसंबर: सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को घरेलू स्तर पर मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर मार्च डिलीवरी वाली चांदी ने एक और रिकॉर्ड बना लिया है। चांदी के दाम 4 प्रतिशत से ज्यादा की उछाल के साथ 2,54,174 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गए, जो अब तक का सबसे उच्चतम स्तर है। वहीं सोने की कीमतों में मामूली गिरावट देखने को मिली।
खबर लिखे जाने तक (सुबह 10:47 बजे) मार्च डिलीवरी वाली चांदी 3.72 प्रतिशत यानी 8,931 रुपए की तेजी के साथ 2,48,718 रुपए प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रही थी। तो वहीं फरवरी डिलीवरी वाला सोना 24 रुपए यानी 0.02 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 1,39,849 रुपए प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा था।
हालांकि वैश्विक बाजार में चांदी की कीमतों में तेज गिरावट देखी गई। इससे पहले चांदी ने स्पॉट मार्केट में 84 डॉलर प्रति औंस से ऊपर का नया रिकॉर्ड बनाया था।
रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद निवेशकों ने मुनाफा कमाने के लिए बिकवाली की, जिससे चांदी अपने ऊंचे स्तर से करीब 8 प्रतिशत तक गिर गई। इस गिरावट के चलते चांदी में लगातार सातवें दिन बढ़त दर्ज करने का सिलसिला टूट गया।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी के फ्यूचर्स रेट शुरुआती कारोबार में 82.67 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचे, जो एक दिन में 7 प्रतिशत की तेजी थी। इससे पहले शुक्रवार को इसमें 11 प्रतिशत की बड़ी तेजी आई थी, जो 2008 के बाद एक दिन की सबसे बड़ी बढ़त थी।
इन ऊंची कीमतों पर चांदी की तेजी अक्टूबर में आई सप्लाई की कमी से भी ज्यादा तेज मानी जा रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि छुट्टियों के कारण बाजार में कम खरीद-बिक्री हुई, जिससे कीमतों में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिला। बाजार में चांदी की उपलब्धता कम है और पैसा जल्दी बाहर निकल सकता है, जिससे कीमतों में तेजी बनी हुई है।
एक्सपर्ट्स ने यह भी बताया कि सोने की तरह चांदी के पास कोई बड़ा भंडार नहीं है। लंदन गोल्ड मार्केट में करीब 700 अरब डॉलर का सोना मौजूद है, जिसे जरूरत पड़ने पर बाजार में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन चांदी के साथ ऐसा नहीं है।
2025 में अब तक चांदी की कीमतों में करीब 180 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। इस साल के अभी तीन कारोबारी दिन बाकी हैं और अगर यही रफ्तार रही, तो यह 1979 के बाद चांदी का सबसे अच्छा साल साबित हो सकता है, जब कीमतें 200 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी थीं।
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के कमोडिटीज उपाध्यक्ष राहुल कलंत्री ने कहा कि डॉलर इंडेक्स में कमजोरी, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और दुनिया में बढ़ते तनाव से चांदी की कीमतों को सहारा मिला है। डॉलर इंडेक्स लगातार पांचवें हफ्ते गिरा है।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और वेनेजुएला के बीच नए तनाव से निवेशक सुरक्षित निवेश के रूप में कीमती धातुओं (सोने और चांदी) की ओर रुख कर रहे हैं।
चीन द्वारा जनवरी 2026 से चांदी के निर्यात पर रोक लगाने के प्रस्ताव से भी कीमतों में तेजी आई है। दुनिया में अनिश्चितता के कारण लोग कीमती धातुओं में निवेश कर रहे हैं।
एक्सपर्ट के अनुसार, चांदी को 2,38,810 से 2,37,170 रुपए के स्तर पर सपोर्ट मिल सकता है, जबकि ऊपर की ओर 2,41,810 से 2,43,470 रुपए का स्तर रेजिस्टेंस के रूप में काम कर सकता है।
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