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भारत लाया जाएगा मुंबई हमले का आरोपी तहव्वुर राणा, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने दी प्रत्यर्पण की मंजूरी

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वाशिंगटन, 25 जनवरी। मुंबई 26/11 हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा के प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने उसकी दोषसिद्धि के खिलाफ समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है।

भारत, पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था। राणा 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में वांछित है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह तहव्वुर राणा के लिए भारत को प्रत्यर्पित न किए जाने का आखिरी कानूनी मौका था। इससे पहले, राणा सैन फ्रांसिस्को में उत्तरी सर्किट के लिए अमेरिकी अपील कोर्ट समेत कई संघीय अदालतों में कानूनी लड़ाई हार चुका है।

राणा ने पिछले साल 13 नवंबर को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में ‘प्रमाणपत्र’ के लिए याचिका दाखिल की थी। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका को अस्वीकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “याचिका स्वीकार नहीं की जाती।”

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तहव्वुर राणा फिलहाल लॉस एंजिल्स के मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में है।

बता दें कि अमेरिकी कोर्ट ने अगस्त 2024 में फैसला सुनाते हुए भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को भारत भेजने की मंजूरी दी थी, लेकिन मामला कागजी कार्रवाई में ही अटका रहा। भारतीय एजेंसियों ने कोर्ट में सभी सबूत पेश किए थे, जिसके बाद कोर्ट ने मंजूरी दी थी।

अमेरिका के एफबीआई ने राणा को साल 2009 में शिकागो से गिरफ्तार किया था। वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेटिव के तौर पर भारत में काम कर रहा था। हमले के मुख्य मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली को राणा ने ही हमले की साजिश रचने, रेकी करने में मदद की थी। जिसके सबूत भारत ने अमेरिका की कोर्ट में पेश किए थे, जिनमें राणा की संलिप्तता साफ दिखाई दी थी।

गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई आतंकवादियों की गोलियों की तड़तड़ाहट से कांप उठी थी। आतंकी हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोग मारे गए थे, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे।

अंतरराष्ट्रीय

युद्धविराम समझौते के 60 दिन पूरे, लेबनान पर इजरायल ने किया हमला, 22 की मौत 124 घायल

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बेरूत, 27 जनवरी। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि दक्षिणी लेबनान में अपने घर लौटने की कोशिश कर रहे लोगों पर इजरायली हमले हुए, जिसमें 22 लोगों की मौत हो गई, जिनमें छह महिलाएं भी शामिल हैं। इसके अलावा, 124 लोग घायल हो गए हैं।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि घायलों में 12 महिलाएं और इस्लामिक स्काउट एसोसिएशन का एक सदस्य भी था जो मानवीय बचाव मिशन का काम कर रहा था।

एक लेबनानी सैन्य सूत्र ने मीडिया को बताया कि इजरायली सेना, मर्कवा टैंक और बुलडोजर के साथ मेस अल-जबल गांव में नागरिकों की भीड़ की ओर बढ़ी और “निवासियों को डराने और वहां से भगाने के लिए भारी गोलीबारी की।”

सूत्र ने कहा कि इजरायली सेना ने दक्षिणी लेबनान के नकौरा में स्थित संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल के मुख्यालय के प्रवेश द्वार पर मुख्य सड़क को भी बंद कर दिया। उन्होंने बताया कि सेना ने मेस अल-जबल और अरकोब हाइट्स पर कई बार फायरिंग की। मीडिया के मुताबिक, पूर्वी लेबनान और दक्षिण-पूर्वी लेबनान के शेबा क्षेत्र के पश्चिम में माउंट सदानेह की ओर भी मशीन-गन से गोलियां दागी गईं।

रविवार को 60 दिनी युद्धविराम की समय सीमा खत्म हो गई। इजरायल और लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह के बीच महीनों के संघर्ष के बाद नवंबर के अंत में युद्धविराम समझौता हुआ था। इसके तहत लेबनानी सेना को लितानी नदी के दक्षिण क्षेत्रों में रहने, वहां सुरक्षा सुनिश्चित करने और हथियारों या आतंकवादियों की मौजूदगी को रोकने की जिम्मेदारी थी।

युद्धविराम समझौते के बावजूद, इजरायली सेना ने लेबनान में हमले जारी रखे, जिनमें से कुछ हमलों में सीमावर्ती क्षेत्रों में लोग मारे गए और घायल हुए।

रविवार को लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि दक्षिणी लेबनान में अपने घर लौटने की कोशिश कर रहे लोगों की भीड़ पर इजरायल ने गोलीबारी की, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 83 लोग घायल हो गए।

ग्यारह पीड़ितों में से दस नागरिक थे, जो इजरायल के साथ लेबनान की दक्षिणी सीमा पर अपने घर लौटने की कोशिश कर रहे थे, जबकि ग्यारहवां एक सैनिक था, जो दक्षिणी लेबनान के अल-धाहिरा में मारा गया था।

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अंतरराष्ट्रीय

ऑस्ट्रेलिया में जंगलों में लगी आग, कई घर जलकर हुए खाक

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सिडनी, 25 जनवरी। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में जंगलों में लगी आग अब रौद्र रूप धारण कर चुकी है। इस आग की जद में आकर कई घर जलकर खाक हो चुके हैं। लोगों का कहना है कि यहां से उनका निकलना मुश्किल हो चुका है।

मीडिया के अनुसार, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में अधिकारियों ने शनिवार सुबह चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि राज्य के दक्षिण-पश्चिम में दो जंगलों में आग लगी है। आग के कारण निकासी मार्गों पर असर पड़ा है। अब वहां से निकलने का समय बहुत कम है।

पर्थ से 190 किमी दक्षिण-पश्चिम में आर्थर नदी शहर के पास एक जगह आग लग गई। इस आग ने शुक्रवार को गर्म और हवा वाली स्थिति में 11,000 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को जला दिया। ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (एबीसी) ने शनिवार को बताया कि आग से दो घर जल गए हैं। इसके साथ ही और घरों को नुकसान होने की आशंका है।

आर्थर नदी और आसपास के शहरों के लोगों को चेतावनी दी गई है। कहा गया है कि अब वहां से निकलने के लिए बहुत देर हो चुकी है। लोग अब अपने घरों में आश्रय ले लें।

अग्निशमन और आपातकालीन सेवा विभाग (डीएफईएस) ने आपातकालीन चेतावनी जारी की। इसमें कहा गया, “अगर आप अभी निकले, तो आपकी जान खतरे में पड़ सकती है। आग आने से पहले आपको सुरक्षित जगह लेनी चाहिए। आग की जद में आकर आप अपनी जान से भी हाथ धो सकते हैं।”

इस संबंध में जारी की गई चेतावनी में निवासियों से कहा गया है कि वे अपने घरों को खाली करने के लिए तैयार रहें। राज्य के दक्षिणी तट पर ब्रेमर बे के पास एक अलग आग की भी चेतावनी दी गई।

डीएफईएस ने कहा, “कृपया इस क्षेत्र को छोड़ने या आने की कोशिश न करें, चाहे आप वाहन से हों या पैदल। अगर आप किसी मजबूत संरचना में सुरक्षित नहीं रह सकते, तो आपको समुद्र तट या खुले मैदान में जाना चाहिए, जहां कोई घास या पेड़ न हों।”

पर्थ से 300 किमी पूर्व में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के कम आबादी वाले मध्य क्षेत्र में आग लगी है। यह आग 40,000 हेक्टेयर में फैली हुई है। अब आग के लिए चेतावनियां कम कर दी गई हैं। लेकिन क्षेत्र के लोगों को स्थितियों पर नजर रखने की सलाह दी गई है।

पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया कई दिनों से तेज गर्मी झेल रहा है। राज्य में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर है।

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अंतरराष्ट्रीय

जम्मू-कश्मीर : भारतीय क्षेत्र में घुसा पाकिस्तानी ड्रोन, सेना ने की फायरिंग

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जम्मू, 22 जनवरी। जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने वाले एक पाकिस्तानी ड्रोन पर सैनिकों ने बुधवार को फायरिंग की।

रक्षा सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से एक ड्रोन पुंछ जिले के मेंढर सेक्टर में नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय क्षेत्र में घुस आया।

सूत्रों ने बताया, “सेना के सतर्क जवानों ने ड्रोन पर फायरिंग की और उसे पाकिस्तानी सीमा में वापस लौटना पड़ा।”

सूत्रों के मुताबिक बुधवार रात करीब 1 बजे सतर्क जवानों को ड्रोन की हरकत का पता चला। जवानों ने तड़के तलाशी अभियान शुरू किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ड्रोन से कोई हथियार या नशीले पदार्थ तो नहीं गिराए जा रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बनाए रखने के लिए हथियार, ड्रग्स या नकदी गिराने के लिए पाकिस्तानी सेना की सहायता से आतंकवादी ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं।

आतंकवादियों की कार्यप्रणाली ओवर-ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) को नियुक्त करना रही है, जो जाहिर तौर पर निहत्थे नागरिक होते हैं। ये ओवर-ग्राउंड वर्कर्स ड्रोन से गिराए गए बमों को आतंकवादियों के उपयोग के लिए उठाते हैं।

केंद्र शासित प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करने वाले बीएसएफ ने ड्रोन की गतिविधियों का पता लगाने के लिए विशेष एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात किया है। एक बार जब इनका पता चल जाता है तो तैनात जवान इन्हें तुरंत निष्क्रिय कर देते हैं।

बता दें कि अतीत में, जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ और हथियारों की आवाजाही के लिए सीमा पार सुरंगों का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन पिछले पांच वर्षों से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ऐसी कोई सुरंग नहीं मिली है। अधिकारियों ने बताया कि नियंत्रण रेखा एक प्राकृतिक सीमा है और सीमा पार सुरंग बनाना आसान नहीं है।

जम्मू-कश्मीर में 740 किलोमीटर लंबी एलओसी और पाकिस्तान के साथ 226 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है। भारतीय सेना जहां नियंत्रण रेखा की सुरक्षा करती है, वहीं बीएसएफ जम्मू संभाग के जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाती है।

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