राजनीति
कर्नाटक सरकार को उन किसानों के हितों की रक्षा करनी चाहिए जिन्होंने वोट देकर सत्ता में पहुंचाया : बोम्मई

बेंगलुरु, 6 जनवरी। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शनिवार को कहा कि सरकार को उन किसानों के हितों की रक्षा करनी चाहिए, जिन्होंने कांग्रेस को वोट दिया और उन्हें राज्य में सत्ता में पहुंचाया।
पूर्व सीएम ने कहा, ”राज्य सरकार द्वारा जारी 105 करोड़ रुपये की सूखा राहत पर्याप्त नहीं है। कोई नहीं जानता कि इन पैसों से कितने किसानों को फायदा होगा। प्राकृतिक आपदा की गंभीरता बहुत अधिक थी और राज्य सरकार द्वारा जारी की गई राशि बहुत कम है।”
उन्होंने कहा कि उनकी राजनीतिक इकाई केवल इसलिए अस्तित्व में है क्योंकि वह किसानों के हितों की रक्षा करते रहे हैं, और हमेशा उनके अधिकारों को सुनिश्चित करते रहे हैं। मैंने हमेशा उनकी आवाज उठाई है।”
पूर्व सीएम बोम्मई की टिप्पणी मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा नेता अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए राज्य सरकार पर आरोप लगा रहे हैं।
बोम्मई ने कहा कि केंद्र से एनडीआरएफ दिशानिर्देशों के अनुसार राहत राशि की मांग करना आम बात है। लेकिन, किसानों को पूरी राशि जारी करके संकट में फंसे कृषक समुदाय को बचाना राज्य सरकार का कर्तव्य है।
मैं मुख्यमंत्री सिद्दारमैया से तुरंत राहत राशि जारी करने का आग्रह करता हूं। सरकार राशि क्यों नहीं जारी कर रही है क्योंकि उसका दावा है कि कर्नाटक की वित्तीय स्थिति स्थिर है? राज्य सरकार ने केंद्र से 18,000 करोड़ रुपये की मांग की है, लेकिन, उन्होंने केवल 105 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जो एक प्रतिशत भी नहीं है।
सरकार को अपनी प्रतिबद्धता शब्दों से नहीं बल्कि कार्यों से प्रदर्शित करनी चाहिए। पिछली भाजपा सरकार ने केवल दो महीने के भीतर एनडीआरएफ मानदंडों के अनुसार 2,031 करोड़ रुपये जारी किए थे। इसलिए, भाजपा को मौजूदा सरकार से सवाल पूछने का पूरा अधिकार है।
महाराष्ट्र
जमील मर्चेंट ने ईशनिंदा के लिए घृणित यूट्यूबर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, मुंबई पुलिस से एफआईआर दर्ज करने की मांग की

मुंबई: सामाजिक कार्यकर्ता जमील मर्चेंट ने देश में ईशनिंदा और इस्लाम विरोधी दुष्प्रचार के खिलाफ मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। अपनी लिखित शिकायत में जमील मर्चेंट ने कहा है कि पाँच यूट्यूबर और सोशल मीडिया कार्यकर्ता सस्ती प्रसिद्धि पाकर विवादास्पद और आपत्तिजनक वीडियो वायरल करके दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने की साजिश में शामिल हैं। साथ ही, इन वीडियो से मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँची है और ईशनिंदा की गई है। ऐसे में इन पाँचों यूट्यूबर और सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
सामाजिक कार्यकर्ता जमील मर्चेंट ने नफ़रत भरे भाषणों के संबंध में शिकायत दर्ज कराई है। अभिषेक ठाकुर, दास चौधरी, डॉ. प्रकाश सिंह, गुरु और अमित सिंह राठौर सोशल मीडिया पर इस्लाम विरोधी और पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार और भड़काऊ बयान देकर समाज में नफ़रत फैला रहे हैं। इनमें से ज़्यादातर यूट्यूबर हैं जो ख़ुद को एक ख़ास समुदाय का नेता बताकर मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं।
जमील मर्चेंट ने उन लोगों की इंस्टाग्राम आईडी भी शेयर की है जो ऐसे भाषणों के ज़रिए दो समुदायों के बीच नफ़रत फैला रहे हैं। शिकायत में मांग की गई है कि ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ तुरंत एफ़आईआर दर्ज की जाए। मर्चेंट ने पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ राज्य मानवाधिकार संगठनों से भी अपनी शिकायत दर्ज कराई है। इंस्टाग्राम और यूट्यूब चलाने वाली मेटा को भी इस संबंध में लिखित शिकायत देकर उनकी आईडी बंद करने को कहा गया है। जमील मर्चेंट ने इससे पहले नफ़रत भरे भाषणों के मामले में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितेश राणे के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी और भड़काऊ भाषणों के मामले में जमील मर्चेंट ने याचिका दायर की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सख़्त आदेश जारी किए थे और संस्थाओं व सरकारों को भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने और ऐसे तत्वों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने के आदेश भी जारी किए थे जो नफ़रत दिखाकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश करते हैं और एक वर्ग को निशाना बनाते हैं। जमील मर्चेंट उन पाँच याचिकाकर्ताओं में से एक हैं जिन्होंने वक्फ बोर्ड संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर अभी फ़ैसला आना बाकी है।
राष्ट्रीय समाचार
दिल्ली में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, कई अधिकारियों के तबादले किए गए

नई दिल्ली, 2 अगस्त। दिल्ली में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल हुआ है। सरकार ने शनिवार को 23 आईएएस और डैनिक्स अधिकारियों के तबादलों और अतिरिक्त प्रभारों की घोषणा की। इन अधिकारियों में मुख्यमंत्री के सचिव विकास आनंद भी शामिल हैं, जिन्हें सूचना एवं प्रचार विभाग के सचिव का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
सतर्कता विभाग के प्रमुख सचिव संदीप कुमार को सूचना प्रौद्योगिकी के प्रमुख सचिव की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह पहले से प्रमुख सचिव (पर्यावरण एवं वन) एवं प्रमुख सचिव (प्रशासनिक सुधार) का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं। आईएएस अधिकारी दिलराज कौर के विभाग में बदलाव हुआ है। उन्हें सामान्य प्रशासन की प्रमुख सचिव की जगह सामाजिक कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव बनाया गया है। हालांकि, अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव का अतिरिक्त प्रभार उनके पास रहेगा।
शुरबीर सिंह को वित्त विभाग का सचिव नियुक्त किया गया है। साथ ही, वे सचिव (सामान्य प्रशासन) एवं सचिव (विद्युत) का अतिरिक्त प्रभार भी संभालेंगे। प्रिंस धवन अब प्रबंध निदेशक (डीटीसी) और विशेष आयुक्त (परिवहन) के अतिरिक्त विशेष सचिव (आईटी) एवं कार्यकारी निदेशक (जीएसडीएल) का अतिरिक्त प्रभार भी संभालेंगे। सेंट्रल दिल्ली के जिलाधिकारी जी. सुधाकर को प्रबंध निदेशक (एसआरडीसी) का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
पंकज कुमार, जिनके पास नियंत्रक (वजन एवं माप) की जिम्मेदारी है, उप जिलाधिकारी (मुख्यालय) के अलावा विशेष सचिव (एनसीआर) का भी अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की विशेष सचिव तपस्या राघव को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की राज्य मिशन निदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। सामाजिक कल्याण विभाग की निदेशक अंजलि सहरावत को अब निदेशक (उच्च शिक्षा) एवं निदेशक (तकनीकी प्रशिक्षण एवं शिक्षा) की जिम्मेदारी मिली है।
वाणिज्य एवं कर विभाग के विशेष आयुक्त सचिन राणा अब सीवीओ (डीटीएल/आईपीजीसीएल/पीपीसीएल) का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे। स्वास्थ्य विभाग की विशेष सचिव किन्नी सिंह को सचिव (जन शिकायत आयोग) एवं परियोजना निदेशक (दिल्ली राज्य एड्स नियंत्रण समिति) का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। आईपीएस सुनील अंचिपका को विशेष सचिव (पर्यटन) का अतिरिक्त प्रभार मिला है।
आईपीएस अधिकारी संजीव कुमार विशेष सचिव (प्रशासनिक सुधार) के साथ विशेष सचिव (एससी/एसटी/ओबीसी/अल्पसंख्यक कल्याण) का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे। संदीप कुमार मिश्रा को विशेष सचिव (पर्यावरण एवं वन) का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। कुमार अभिषेक को उपायुक्त/जिलाधिकारी (उत्तर), राजस्व विभाग के रूप में नियुक्त किया गया है। यश चौधरी निदेशक (सामाजिक कल्याण) बनाए गए हैं।
डैनिक्स अधिकारी श्रवण बगारिया को उनके वर्तमान पदों से हटाकर उपायुक्त/जिलाधिकारी (दक्षिण-पूर्व), राजस्व विभाग के रूप में स्थानांतरित किया गया है। प्रशांत कुमार अब मुख्यमंत्री कार्यालय में अतिरिक्त सचिव (जन शिकायत प्रकोष्ठ) के रूप में जिम्मेदारी संभालेंगे।
शिंगारे रामचंद्र महादेव को अतिरिक्त सचिव (डीएसएसएसबी) बनाया गया है। पुनीत कुमार पटेल को अतिरिक्त सचिव (शहरी विकास) के रूप में नियुक्त किया गया है। निधि सरोह की नियुक्ति मुख्यमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव (जन शिकायत प्रकोष्ठ) के रूप में हुई है। वित्त विभाग के उप सचिव रविंद्र कुमार को उनकी वर्तमान जिम्मेदारियों से हटाकर दिल्ली जल बोर्ड के अधीन कार्य के लिए नियुक्त किया गया है। रमेश कुमार की नियुक्ति उप सचिव (गृह) के रूप में हुई है।
राजनीति
चुनाव आयोग ने बढ़ाया बूथ लेवल अधिकारियों का पारिश्रमिक

नई दिल्ली, 2 अगस्त। बिहार में जारी मतदाता सूची पुनरीक्षण के बीच भारतीय निर्वाचन आयोग ने शनिवार को बूथ लेवल अधिकारियों के पारिश्रमिक में वृद्धि करने का फैसला किया है। इस संबंध में चुनाव आयोग की तरफ से अधिसूचना भी जारी की गई है। जिसमें आयोग ने अपने फैसले के बारे में बताया।
अधिसूचना के मुताबिक, बूथ लेवल अधिकारी को पहले 6 हजार रुपए की राशि मिलती थी, जिसे बढ़ाकर अब 12 हजार रुपए कर दिया गया है। मतदाता सूची के पुनरीक्षण में शामिल बूथ लेवल अधिकारियों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि को एक हजार रुपए से बढ़ाकर अब दो हजार रुपये कर दिया गया है। वहीं, बूथ लेवल पर्यवेक्षक को पहले 12 हजार रुपए मिलते थे, जिसे बढ़ाकर अब 18 हजार रुपए कर दिया गया है। असिस्टेंट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर को मिलने वाला पारिश्रमिक अब 25 हजार रुपए है, जबकि इलेक्ट्रॉल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर का पारिश्रमिक 30 हजार रुपए कर दिया गया है।
वहीं, निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों की अहम भूमिका को भी रेखांकित किया। आयोग ने कहा कि मतदाता सूची किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था की आधारशीला होती है, जिसे हमारे आयोग के अधिकारी मिलकर तैयार करते हैं। इसी को देखते हुए हमने उनके पारिश्रमिक को बढ़ाने का फैसला किया है।
चुनाव आयोग ने अपनी अधिसूचना में बताया कि इससे पहले अधिकारियों को मिलने वाले पारिश्रमिक में ऐसा संशोधन 2015 में किया था। इसके अलावा, ऐसा पहली बार हुआ है जब असिस्टेंट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर और इलेक्ट्रॉल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर को मानदेय देने का फैसला किया है।
बता दें कि बिहार में अभी मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया जारी है, जिसके तहत फर्जी मतदाताओं को चिन्हित किया जा रहा है। केंद्र सरकार का कहना है कि बांग्लादेश और नेपाल के कई नागरिक फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर भारतीय नागरिकता प्राप्त कर चुके हैं और यहां का लाभ उठा रहे हैं। लिहाजा ऐसे लोगों को चिन्हित करने के लिए मतदाता सूची पुनरीक्षण जरूरी है। इसके तहत फर्जी मतदाताओं को चिन्हित किया जा रहा है।
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