व्यापार
पिछले एक साल में सोने ने 21 फीसदी का रिटर्न दिया है

मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक साल में सोने ने 21.84 फीसदी का रिटर्न दिया है, जबकि चांदी पर रिटर्न 21.05 फीसदी रहा है।
अक्टूबर में, भारतीय शेयर बाजारों ने नकारात्मक रुझान दिखाया। निफ्टी50 इंडेक्स में 2.84 प्रतिशत की गिरावट आई, मिड-कैप 150 इंडेक्स में 3.80 प्रतिशत की गिरावट आई।
रियल्टी को छोड़कर सभी क्षेत्रों का प्रदर्शन लाल निशान में रहा। मेटल सेक्टर में सबसे ज्यादा 6 फीसदी की गिरावट देखी गई।
अमेरिका में, एसएंडपी 500 और नास्दक 100 दोनों में अक्टूबर 2023 में 2 प्रतिशत की गिरावट आई, जिसमें हेल्थकेयर और कंज्यूमर सेक्टर का सबसे बड़ा योगदान था। वैश्विक स्तर पर, उभरते और विकसित दोनों बाजारों में क्रमशः 4 प्रतिशत और 3 प्रतिशत की गिरावट के साथ नकारात्मक प्रदर्शन देखा गया। दक्षिण कोरिया में 7 प्रतिशत की सबसे बड़ी गिरावट देखी गई, जबकि स्विट्जरलैंड 5 प्रतिशत की गिरावट के साथ विकसित बाजारों में सबसे आगे रहा।
बढ़ते भू-राजनीतिक जोखिम, अमेरिका से कम मांग और मिश्रित चीनी डेटा के कारण अक्टूबर के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में 11 प्रतिशत की गिरावट आई। मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच, सोने और चांदी की कीमतों में क्रमशः 7 प्रतिशत और 1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ कीमती धातुएं हरे रंग में थीं। बिटकॉइन और एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी क्रमशः 29 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की दर से बढ़ीं।
व्यापार
सेंसेक्स 542 अंक गिरकर बंद, आईटी इंडेक्स 2 प्रतिशत से अधिक लुढ़का

मुंबई, 24 जुलाई। भारतीय शेयर बाजार गुरुवार के कारोबारी सत्र में लाल निशान में बंद हुआ। बाजार में चौतरफा बिकवाली देखी गई। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 542.47 अंक या 0.66 प्रतिशत की गिरावट के साथ 82,184.17 और निफ्टी 157.80 अंक या 0.63 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 25,062.10 पर था।
बाजार में गिरावट के नेतृत्व आईटी शेयरों ने किया। निफ्टी आईटी इंडेक्स में 2.21 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा एफएमसीजी और रियल्टी इंडेक्स में भी एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट हुई। फाइनेंशियल सर्विसेज, एनर्जी, इन्फ्रा और कंजप्शन इंडेक्स में आधा प्रतिशत से अधिक की गिरावट हुई। वहीं, ऑटो, पीएसयू बैंक और मेटल इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में अधिक बिकवाली देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 346.40 अंक या 0.58 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 58,960.70 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 206.40 अंक या 1.09 प्रतिशत की गिरावट के साथ 18,686.80 पर बंद हुआ।
सेंसेक्स पैक में इटरनल (जोमैटो), टाटा मोटर्स, सन फार्मा, टाटा स्टील और टाइटन टॉप गेनर्स थे। ट्रेंट, टेक महिंद्रा, बजाज फिनसर्व, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचसीएल टेक, इन्फोसिस, कोटक महिंद्र बैंक, आईटीसी, एनटीपीसी, एशियन पेंट्स और बजाज फाइनेंस टॉप लूजर्स थे।
बाजार के जानकारों के मुताबिक, सकारात्मक वैश्विक संकेतों के बावजूद भारतीय शेयर बाजारों में आज भारी गिरावट आई । भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते को लेकर शुरुआती आशावाद की जगह सावधानी ने ले ली क्योंकि निवेशकों का ध्यान अब आय पर केंद्रित हो गया है। पहली तिमाही के कमजोर प्रदर्शन के कारण आईटी और एफएमसीजी क्षेत्रों ने लार्ज-कैप शेयरों को नीचे खींच लिया।
उन्होंने आगे कहा कि पहली तिमाही की आय मोटे तौर पर अनुकूल है, लेकिन यह प्रीमियम मूल्यांकन को सही नहीं ठहराती है। भारतीय बाजार 21 गुना पी/ई के तीन साल के उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहा है।
भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत सपाट हुई थी। सुबह 9:16 पर सेंसेक्स 50 अंक की मामूली गिरावट के साथ 82,675 और निफ्टी 19 अंक की कमजोरी के साथ 25,200 पर था।
अपराध
ईडी ने 3,000 करोड़ रुपए के यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में अनिल अंबानी से जुड़ी संस्थाओं पर छापे मारे

नई दिल्ली, 24 जुलाई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को 3,000 करोड़ रुपए के यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह से संबंधित 35 से ज्यादा परिसरों, 50 कंपनियों और 25 से अधिक लोगों के कई ठिकानों पर छापे मारे हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के बाद, ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की जांच शुरू कर दी।
सूत्रों के अनुसार, इस मामले में नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए), बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी अन्य एजेंसियों और संस्थानों ने भी ईडी के साथ जानकारी साझा की।
ईडी की प्रारंभिक जांच में बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों के साथ धोखाधड़ी करके जनता के पैसों को इधर-उधर करने/निपटाने की एक सुनियोजित और सोची-समझी योजना का खुलासा हुआ है। साथ ही, यस बैंक लिमिटेड के प्रमोटर सहित बैंक अधिकारियों को रिश्वत देने का अपराध भी जांच के दायरे में है।
प्रारंभिक जांच में यस बैंक से (2017 से 2019 तक) लगभग 3,000 करोड़ रुपए के अवैध लोन डायवर्जन का पता चला है। ईडी ने पाया है कि लोन स्वीकृत होने से ठीक पहले, यस बैंक के प्रमोटरों को पैसा दिया गया था। एजेंसी रिश्वतखोरी और लोन के इस गठजोड़ की भी जांच कर रही है।
नियामक ने अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों को यस बैंक द्वारा दिए गए लोन में कई नियमों का करते हुए उल्लंघन पाया है, जैसे कि क्रेडिट अप्रूवल मैमोरेंडम (सीएएम) पिछली तारीख के थे, बैंक की लोन नीति का उल्लंघन करते हुए बिना किसी उचित जांच/लोन विश्लेषण के निवेश प्रस्तावित किए गए थे।
लोन शर्तों का उल्लंघन करते हुए, इन लोन को आगे कई समूह कंपनियों और मुखौटा कंपनियों में डायवर्ट किया गया।
जानकारी के मुताबिक, सेबी ने आरएचएफएल मामले में अपने निष्कर्ष ईडी के साथ साझा किए हैं। आरएचएफएल द्वारा कॉर्पोरेट लोन में नाटकीय वृद्धि भी ईडी की जांच के घेरे में है। आरएचएफएल के कॉर्पोरेट लोन वित्त वर्ष 2017-18 में 3,742.60 करोड़ रुपए से एक ही साल में बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 में 8,670.80 करोड़ रुपए हो गए थे।
सूत्रों के अनुसार, जांच फिलहाल चल रही है। ईडी यस बैंक के अधिकारियों, समूह की कंपनियों और अनिल अंबानी की कंपनियों से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के बीच संबंधों का पता लगाने की कोशिश कर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
ब्रिटेन दौरे पर पीएम मोदी: ऐतिहासिक संबंधों से लेकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट तक, 1993 की नींव पर 2025 की साझेदारी

नई दिल्ली, 24 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन दौरे पर हैं। दो दिवसीय यह यात्रा भारत-ब्रिटेन संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। खासकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के जरिए द्विपक्षीय व्यापार को एक नई ऊंचाई देने की कोशिश है। यह पीएम मोदी की चौथी ब्रिटेन यात्रा है, जबकि कीर स्टार्मर के प्रधानमंत्री बनने के बाद पहला दौरा है।
लंदन पहुंचने पर पीएम मोदी का स्वागत किया गया, जहां खासतौर पर भारतीय नागरिक उनके बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लंदन का माहौल इस दौरान पूरी तरह ‘मोदीमय’ हो गया था, जहां भारतीय मूल के लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा गया। खैर, इस यात्रा के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन से उनके जुड़ाव की कुछ पुरानी तस्वीरें भी चर्चा में हैं। ‘मोदी आर्काइव’ ने 1993 के बाद की यात्राओं का ब्योरा साझा किया है, जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि एक कार्यकर्ता के तौर पर गए थे।
1993 में उनका पहला ब्रिटेन दौरा हुआ था, जब वे भाजपा के महासचिव और राष्ट्रीय राजनीति में एक उभरती हुई हस्ती थे। अपनी पहली अमेरिकी यात्रा से लौटते वक्त उनका अचानक ब्रिटेन जाना हुआ, जहां वह कुछ समय रुके। न कोई तय कार्यक्रम था, न कोई भव्य मंच। यह बस अमेरिका से लौटते समय एक सहज, अनौपचारिक पड़ाव था।
अपने पहले ब्रिटेन के पड़ाव में उन्होंने भारतीय प्रवासी समुदाय से जुड़ने का अवसर नहीं छोड़ा। उन्होंने ‘सनराइज रेडियो’ और एक गुजराती अखबार जैसी सामुदायिक संस्थाओं का दौरा किया। उन्होंने क्रॉयडन और हेस्टिंग्स में कई परिवारों से मुलाकात की। यह अनौपचारिक बातचीत थी। लंदन अंडरग्राउंड में उन्होंने ब्रिटेन में रहने वाले आम भारतीयों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया। अहम यह है कि वह जो बीज उस समय बोए गए, उन्होंने आने वाले दशकों तक भारत की प्रवासी कूटनीति को मजबूती दी।
भाजपा जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत कर रही थी तो गुजरात में नरेंद्र मोदी इस जिम्मेदारी को निभा रहे थे। उस समय 1985 और 1995 के बीच पार्टी का जमीनी नेटवर्क एक से बढ़कर 16 हजार से ज्यादा ग्राम इकाइयों तक पहुंचा था। इसका फायदा 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिला। उस समय नरेंद्र मोदी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे। गुजरात में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 26 में से 20 लोकसभा सीटें जीतीं।
इस शानदार जीत के बाद 1999 में दूसरी बार ब्रिटेन दौरे पर गए थे। उनकी 5 दिवसीय ब्रिटेन यात्रा का केंद्र बिंदु नीसडेन के स्वामीनारायण स्कूल में आयोजित ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी (यूके) का ऐतिहासिक कार्यक्रम था। उस कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी, “भाजपा राष्ट्रवाद और देशभक्ति का प्रतीक है।”
उन्होंने भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और एनडीए के नीतिगत दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की। नरेंद्र मोदी ने भाजपा को सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी नहीं, बल्कि परंपरा, धर्म, संस्कृति और आधुनिकता से जुड़ा हुआ एक आंदोलन बताया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की दुनिया भर में प्रशंसा की जाती है।
इस यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी का लोहाना महाजन समुदाय ने गर्मजोशी से स्वागत किया था, जहां उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भारतीय सभ्यता के ‘सच्चे राजदूत’ कहा।
सितंबर 2000 में भी नरेंद्र मोदी लंदन में एक छोटी यात्रा पर गए। कैरेबियन में विश्व हिंदू सम्मेलन और अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र शांति सम्मेलन की यात्रा पर जाते समय वो लंदन में ठहरे। ब्रिटेन की इस संक्षिप्त यात्रा में भी नरेंद्र मोदी ने एक अमिट छाप छोड़ी।
उन्होंने ब्रिटिश उप-प्रधानमंत्री जॉन प्रेस्कॉट से मुलाकात के दौरान एशिया में राजनीतिक स्थिरता और भारतीय उपमहाद्वीप की स्थिति के बारे में चर्चा की। इस चर्चा में सबसे महत्वपूर्ण विषय ‘वैश्विक आतंकवाद’ था। वहां एक बयान में नरेंद्र मोदी ने कहा, “आतंकवाद मानवता के विरुद्ध एक बुराई है, चाहे वह भारत में हो, मध्य पूर्व में हो या उत्तरी आयरलैंड में।”
यह उल्लेखनीय है कि 9/11 के आतंकी हमलों से लगभग एक साल पहले ही नरेंद्र मोदी ने वैश्विक आतंकवाद को मानवता के लिए एक साझा खतरा बताया था, जब अधिकतर वैश्विक नेतृत्व इस चुनौती की गंभीरता को समझने में पीछे था।
यही नहीं, नरेंद्र मोदी उन लोगों को नहीं भूलते जो भारत के साथ खड़े होते हैं, 2003 में इसका उदाहरण देखने को मिला।
अगस्त 2003 में भूकंप ने भुज ही नहीं पूरे गुजरात को हिला दिया। उस समय नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। भुज भूकंप के बाद वे धन्यवाद देने के लिए ब्रिटेन दौरे पर गए। खचाखच भरे वेम्बली कॉन्फ्रेंस सेंटर में उनकी आवाज गूंज रही थी। नरेंद्र मोदी ने कहा था, “आप सभी गुजरात के सच्चे मित्र हैं और मैं दोस्ती का ऋण चुकाने आया हूं।”
उन्होंने हजारों प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया, जिन्होंने 2001 के भूकंप के दौरान गुजरात के लिए सहायता, समर्थन और संसाधन जुटाए थे। उन्होंने प्रवासी भारतीयों की न सिर्फ उनकी उदारता के लिए, बल्कि भारत के साथ उनके भावनात्मक जुड़ाव के लिए भी प्रशंसा की और उन्हें “गुजरात के सच्चे दोस्त” कहा।
इस यात्रा में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी मुलाकात हुई, जो उस समय लंदन में थे।
कुछ इसी तरह पीएम मोदी का ब्रिटेन के प्रति जुड़ाव 2011 में गुजरात की स्वर्ण जयंती पर देखने को मिला। हालांकि, वह स्वयं ब्रिटेन नहीं गए थे, बल्कि गांधीनगर से ही डिजिटल माध्यम (‘जूम’) के जरिए लंदन के मेफेयर में मौजूद श्रोताओं को संबोधित किया था। उत्साही श्रोताओं से मोदी ने कहा, “गुजरात और विकास एक-दूसरे के पर्याय हैं। गुजरात इतिहास रच रहा है।”
फ्रेंड्स ऑफ गुजरात, गुजरात समाचार और ‘एशियन वॉयस’ की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में ब्रिटिश सांसद, लॉर्ड्स और समुदाय के नेताओं समेत 90 विशिष्ट अतिथि शामिल थे। इनमें लॉर्ड गुलाम नून भी शामिल थे, जिन्होंने नरेंद्र मोदी के साथ सीधे तौर पर जीवंत संवाद किया।
उस समय नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि महात्मा मंदिर 18 हजार गांवों की मिट्टी से बनेगा और ब्रिटेन में रहने वाले गौरवशाली गुजराती भी इसमें योगदान देंगे।
यह संदेश स्पष्ट था कि नरेंद्र मोदी के लिए प्रवासी भारतीय सिर्फ दर्शक नहीं हैं, बल्कि वे भारत-निर्माण के सक्रिय भागीदार हैं।
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