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Friday,18-April-2025
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विधानसभा चुनाव के पहले एकजुट दिखना भाजपा की मजबूरी

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BJP

 उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी को एकजुट दिखने की मजबूरी भी है। मुख्यमंत्री योगी का केशव के घर पर लंच के लिए जाना भी इसी रणनीति का हिस्सा है। कोरोनाकाल की दूसरी लहर में हुई अव्यवस्था पर विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के विधायकों और सांसदों ने चिट्ठी लिखकर अपनी सरकार के काम-काज पर सवाल खड़े किए थे।

सरकार पर एक जाति विशेष को आगे बढ़ाने का भी आरोप लगा है। इसके बाद से बने माहौल को दुरूस्त करने के लिए पार्टी के सामने एकजुट दिखने की मजबूरी बनती है। विधानसभा चुनाव में अब 6 माह बचे ऐसे में पार्टी के पूर्व अध्यक्षों को बुलाकर भी बड़ा संदेश देने का प्रयास हो रहा है, जिससे संगठन कहीं से कमजोर न दिखे। इसी कारण मातृ संगठन आरएसएस के नंबर दो सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोल और कृष्ण गोपाल जैसे नेताओं का उपास्थित होना भी इस बात का संकेत है कि सभी कार्यकतार्ओं और जनता के बीच ‘आल इज वेल’ का संदेश जाए।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक धड़ा बीते दिनों से बयान देता है कि विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा। जबकि हाल में केशव और श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या का बयान आया कि चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, यह संसदीय बोर्ड तय करेगा। यह दोनो बातें भी ठीक है लेकिन चुनाव के ठीक पहले इस प्रकार की बातें होना एक नई चचार्ओं को जन्म देता दिख रहा था। इसीलिए रणनीतिकारों ने भी वरिष्ठ नेताओं ने सभी के सुर-ताल एक करने के लिए मेजबानी और मेहमानवाजी का दौर चलाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि परिवारिक मुलाकात और दावत के जरिए पार्टी एकता का संदेश कार्यकतार्ओं और जनता के बीच जाना बहुत जरूरी है। राष्ट्रीय महामंत्री संगठन का दो बार लखनऊ आना अहम है। संघ के बड़े नेताओं की नजर यहां के हर एक घटनाक्रम पर जिसे चुनाव के पहले दुरूस्त करना बेहद जरूरी है।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव कहते हैं, ” भाजपा को खुद अपनी चिंता है क्योंकि विपक्ष को चार साल में जिस प्रकार अपनी भूमिका निर्वाहन करना चाहिए, वह नहीं कर पाया है। भाजपा को चुनौती भी खुद से ही रही है। चाहे भाजपा विधायकों का विधानसभा में प्रदर्शन हो या फिर, विधायकों का चिटठी लिखकर सरकार के काम-काज पर सवाल उठाना रहा हो। ऐसे तमाम उदाहरण रहे हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच सबकुछ ठीक नहीं, ये भी संदेश जा रहा था। चुनाव के 6 माह बचे है तो आरएसएस के बड़े पदाधिकारी इस बात को समझ रहे हैं। इसी कारण मातृसंगठन के बड़े पदाधिकरियों के सानिध्य मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का मिलना और उनके ट्वीट को रिट्वीट करने का सिलसिला शुरू हुआ। यह इस बात की कवायद है कि घर में एकता है, और हम सब मिलकर एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं।”

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं, ”भाजपा को मिशन 2022 फतह करने के लिए एकजुट रहने का संदेश देना बहुत जरूरी है। पार्टी इसी कवायद में लग गयी है। पहले केशव के यहां मुख्यमंत्री और संघ के बड़े नेताओं का मेलमिलाप इसी बात का संकेत है। इसके बाद पार्टी मिटिंग में पूर्व अध्यक्ष विनय कटियार और लक्ष्मीकांत वाजपेई जैसे नेताओं को शामिल होने का मतलब ही एकजुटता का संदेश देना है।”

महाराष्ट्र

वक्फ एक्ट भेदभावपूर्ण कानून है, लोकतंत्र पर हमला है…अदालत में लड़ाई के साथ-साथ लोकतांत्रिक विरोध भी तब तक जारी रहेगा जब तक कानून वापस नहीं हो जाता: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लेबर बोर्ड

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मुंबई: मुंबई वक्फ अधिनियम अल्पसंख्यकों के प्रति अनुचित है और इसमें कई खामियां हैं। वक्फ अधिनियम मुसलमानों को उनके अधिकारों से वंचित करने के लिए पूर्वाग्रह के आधार पर लाया गया है और यह लोकतंत्र को नष्ट करने वाला कानून है। इस कानून के खिलाफ विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक इसे वापस नहीं लिया जाता। इस कानून से कानून और व्यवस्था की समस्या भी पैदा हो गई है। इस कानून के तहत राज्य सरकारों की शक्तियां भी छीन ली गई हैं। ये विचार आज यहां जमात-ए-इस्लामी प्रमुख सआदतुल्लाह हुसैनी ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि वक्फ अधिनियम मुसलमानों के लिए अनुचित है और यह अस्वीकार्य है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने कहा कि वक्फ एक्ट में लागू कानून पर जेपीसी में आपत्ति जताई गई। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के अधीन है। अदालत ने अस्थायी राहत जरूर दी है, लेकिन जब तक यह वापस नहीं हो जाती, हम इसके खिलाफ अपनी कानूनी और लोकतांत्रिक लड़ाई जारी रखेंगे। यह एक भेदभावपूर्ण कानून है। अन्य धर्मों के लिए अलग कानून है और संविधान हमें धार्मिक संस्थान स्थापित करने तथा अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार पूजा करने की अनुमति देता है। इस अधिनियम के तहत हमें इस अधिकार से वंचित करने का प्रयास किया गया है। गरीबों और अन्य पिछड़े वर्गों की आड़ में वक्फ अधिनियम का प्रयोग धोखाधड़ी और छलावा है। सरकार ने वक्फ के संबंध में जो संदेह पैदा किया है वह पूरी तरह झूठ पर आधारित है। अगर सरकार वक्फ एक्ट के जरिए गरीबों व अन्य वर्गों को अधिकार दिलाने के लिए काम करना चाहती है तो वक्फ विकास निगम को क्यों छीन लिया गया?

वक्फ एक्ट की आड़ में सरकार ने भारतीय लोकतंत्र और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान पर हमला किया है और उसे धमकाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस कानून को स्वीकार करना ही होगा। यह कानून न केवल मुसलमानों को प्रभावित करेगा बल्कि संविधान की भावना पर हमला है। अगर प्रधानमंत्री गरीब विधवाओं के प्रति इतने हमदर्द हैं तो उन्होंने बिलकिस बानो को न्याय क्यों नहीं दिलाया? गुजरात दंगों में एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी न्याय की मांग कर रही एक पीड़ित हैं। पीड़िता कब्र तक पहुंच चुकी है। गुजरात में 11 वर्षों में मुसलमानों पर क्या अत्याचार हुए हैं? सभी जानते हैं कि यह सरकार मुसलमानों का पोषण नहीं, बल्कि विनाश चाहती है। विपक्ष ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया, लेकिन इसके बावजूद इसे पारित कर दिया गया। वक्फ अधिनियम 2013 में सर्वसम्मति से पारित किया गया था। उस समय इस कानून को लाने की क्या जरूरत थी? जब यह कानून पारित हुआ तो भाजपा भी इसके पक्ष में थी। इसका कोई विरोध नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यह कानून हमारे अधिकारों की रक्षा करने वाले अनुच्छेद 24, 25, 11 का स्पष्ट उल्लंघन है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव फजलुर रहमान मुजद्दिदी ने कहा कि अब वक्फ एक्ट के तहत वक्फ को यह साबित करना होगा कि वह मुसलमान है। इसमें जेपीसी ने प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होना शर्त रखी है। यह कानून के खिलाफ है। पहले कहा जाता था कि पांच साल तक मुसलमान बने रहना शर्त है, लेकिन अब यह साबित करना होगा कि आप मुसलमान हैं और इस्लाम का पालन करते हैं। इसके साथ ही विवाद की स्थिति में इस भूमि को सरकारी भूमि घोषित कर दिया जाएगा। वक्फ अधिनियम और वक्फ के संबंध में गलतफहमियां पैदा की गई हैं और सोशल मीडिया पर इन गलतफहमियों को हवा दी गई है। मीडिया में यह भी फैलाया गया कि वक्फ का मालिकाना हक इतना अधिक है और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मामले में कहा गया कि अब वक्फ के मामले में न्याय के लिए उच्च न्यायालय को सर्वोच्च न्यायालय जाना पड़ेगा। यह पूरी तरह ग़लत है। यह विवाद हाईकोर्ट के बाहर सड़क पर स्थित एक मस्जिद को लेकर था जिसे काज़मी साहब ने नमाजियों के लिए बनवाया था। इस तरह से संदेह फैलाया जा रहा है।

मुन्सा बुशरा आबिदी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा घोषित किसी भी विरोध प्रदर्शन में मुस्लिम महिलाएं सबसे आगे होंगी। सरकार मुस्लिम महिलाओं को लॉलीपॉप नहीं दे सकती, क्योंकि वे सरकार की मंशा और दवाइयों को जानती हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं बती गुल से लेकर सलाम तक हर तरह के विरोध प्रदर्शन में शामिल हैं और हम इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौलाना महमूद दरियाबादी, शांति समिति के प्रमुख फ़रीद शेख और अन्य धर्मों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया:

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राजनीति

दाऊदी बोहरा समुदाय ने पीएम मोदी से की मुलाकात, वक्फ कानून को लेकर कहा- शुक्रिया

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नई दिल्ली: दाऊदी बोहरा समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरान दाऊदी बोहरा समुदाय ने हाल ही में जरिये वक्फ अमेंडमेंट एक्ट 2025 पारित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। समुदाय ने वक्फ अमेंडमेंट एक्ट को लंबे समय से लंबित मांग बताया। इस मुलाकात के समय प्रधानमंत्री के साथ केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने पहुंचे दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि दाऊदी बोहरा समुदाय के जरिये लंबे समय से इस कानून की मांग की जा रही थी, जिसे अब सरकार ने पूरा कर दिया। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के विजन को बल मिला है।

पीएम मोदी ने दिया ये आश्वासन

दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ की नीति में अपनी पूर्ण आस्था जताई। उन्होंने कहा कि सरकार के जरिये लिए गए फैसले सभी वर्गों के समावेश और प्रगति को बढ़ावा देते हैं। प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री मोदी के अगुवाई में हो रहे सकारात्मक परिवर्तनों की सराहना की और उनके प्रयासों के लिए शुक्रिया अदा किया। प्रधानमंत्री ने भी समुदाय के प्रतिनिधियों से संवाद करते हुए उनके योगदान की सराहना की और आश्वासन दिया कि सरकार सभी समुदायों के समान विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

कौन है दाऊदी बोहरा समुदाय

दाऊदी बोहरा समुदाय का ताल्लुक मुस्लिम संप्रदाय से है, जो मुख्य रूप से पश्चिम भारत से है और जिसके सदस्य दुनिया के 40 से अधिक देशों में बसे हुए हैं। दाऊदी बोहरा समुदाय अपनी विरासत को मिस्र में पैगंबर मोहम्मद के प्रत्यक्ष वंशज, फातिमी इमामों से जोड़ता है। दुनियाभर के दाऊदी बोहराओं का मार्गदर्शन उनके नेता अल-दाई अल-मुतलक (अप्रतिबंधित प्रचारक) करते हैं, जिनका संचालन पहले यमन से होता था और पिछले 450 वर्षों से भारत से किया जा रहा है।

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महाराष्ट्र

मुंबई मानव तस्करी रैकेट का भंडाफोड़, पश्चिम बंगाल और हैदराबाद में गिरफ्तारियां

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मुंबई: मुंबई वडाला टीटी पुलिस ने मानव तस्करी के एक मामले में हैदराबाद, पश्चिम बंगाल से बाल मानव तस्करों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता अमर धीरने, 65 ने 5 अगस्त 2024 को वडाला टीटी पुलिस स्टेशन में अपने पोते की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। उसके बाद पता चला कि अनिल पूर्णिया, अस्मा शेख, शरीफ शेख, आशा पवार ने बच्चे को 1.60 लाख रुपये में बेच दिया था। इसके बाद आरोपी अनिल पूर्णिया, आसमा शेख, शरीफ शेख के खिलाफ मानव तस्करी का मामला दर्ज किया गया।

आरोपी अनिल पूर्णिया, असमा शेख को मुंबई से प्रत्यर्पित किया गया। इसमें आरोपी आशा पवार भी शामिल थी। इसके बाद पुलिस ने आशा पवार की तलाश शुरू की और उसे हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि पीड़ित बच्चे को ओडिशा के भुवनेश्वर स्टेशन पर रेशमा नामक महिला ने बेचा था। जब इसकी तकनीकी जांच की गई तो पता चला कि आरोपी भुवनेश्वर के एक डेंटल अस्पताल में कार्यरत है और यहां एक हाईटेक अस्पताल में काम करती है, लेकिन जब पुलिस टीम भुवनेश्वर पहुंची तो उसने वहां नौकरी छोड़ दी थी और फिर पता चला कि वांछित आरोपी पश्चिम बंगाल में है।

इसके बाद पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की और पुलिस ने अपहृत बच्चे और तीन अन्य बच्चों को बरामद कर लिया। वहीं, 43 वर्षीय रेशमा संतोष कुमार बनर्जी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया। इसके साथ ही तीन साल के बच्चे को कोर्ट में पेश कर बच्चे को पुलिस के हवाले कर दिया गया। सारी कार्रवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने बच्चे की मेडिकल जांच कराई तो उसके शरीर पर चोट के निशान मिले। आरोपी ने बच्चे को प्रताड़ित किया था, इसलिए उसके खिलाफ भी क्रूरता का मामला दर्ज किया गया। यह कार्रवाई मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पनसालकर और विशेष आयुक्त देविन भारती, अतिरिक्त आयुक्त अनिल पारस्कर और डीसीपी रागसुधा के निर्देश पर की गई।

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