Monsoon
कर्नाटक भूस्खलन में 5 के जिंदा दफन होने की आशंका

कर्नाटक के ब्रह्मगिरि पहाड़ी में हुए भूस्खलन के कारण ढहे घर में यहां के मंदिर के एक प्रधान पुजारी सहित पांच लोगों के जिंदा दफन होने की आशंका है। ब्रह्मगिरी पहाड़ी बेंगलुरु से लगभग 300 किमी दूर दक्षिण पश्चिम में है। मडीकेरी के उप पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार ने आईएएनएस को बताया, “भारी बारिश और भीषण हवाओं के कारण पहाड़ी पर भूस्खलन हुआ, जिसमें पांच लापता व्यक्तियों के जिंदा दफन होने की आशंका है।”
यहां राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) खोज और बचाव अभियान चला रहा है लेकिन लगातार बारिश, खराब दृश्यता और भूस्खलन के बाद फैले मलबे के कारण बचाव कार्य में खासी दिक्कत आ रही है।
कुमार ने कहा, “भूस्खलन ने ढलानदार पहाड़ी से घर के मलबे को इतने नीचे गिरा दिया है उसके अस्तित्व का कोई निशान नहीं नजर आ रहा है। एनडीआरएफ की 12 सदस्यीय टीम मलबे को हटाने के लिए जेसीबी मशीन तैनात करने के लिए रास्ता साफ करने में जुटी है।”
बता दें कि बुधवार की रात जब भूस्खलन हुआ तब ताला कावेरी मंदिर के प्रमुख पुजारी नारायण अचर के घर में उनके अलावा, उनकी पत्नी शांता, उनके भाई और मंदिर के दो कर्मचारी घर में थे।
मडीकेरी विधानसभा क्षेत्र से सत्ताधारी दल भाजपा के विधायक के.जी. बोपैया ने कहा कि भारी बारिश और बाढ़ के कारण उन लोगों को तलहटी में बने क्वार्टर में शिफ्ट होने के लिए कहा गया था, लेकिन प्रधान पुजारी वहां शिफ्ट नहीं हुए। जबकि उनके बगल के घर में रहने वाले सहायक पुजारी वहां शिफ्ट हो गए थे।
बोपैया ने आईएएनएस को बताया, “हमें डर है कि भूस्खलन के बाद ध्वस्त हो चुके मकान के मलबे में सभी पांचों जिंदा दफन हो गए होंगे क्योंकि पहाड़ी पर घर का नामो-निशान नहीं बचा है।”
बता दें कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के तेज होने के साथ 3 अगस्त से राज्य के तटीय, मध्य और दक्षिणी हिस्सों में जमकर बारिश हो रही है।
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मुंबई में आज का मौसम: आईएमडी ने 2 जून को बादल छाए रहने के साथ हल्की बारिश की भविष्यवाणी की; महाराष्ट्र के कई इलाकों में येलो अलर्ट

मुंबई: सपनों के शहर ने जून का स्वागत गर्म तापमान और बादलों से भरे आसमान के साथ किया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने आज, 2 जून को आसमान में बादल छाए रहने और हल्की बारिश की संभावना जताई है। कल, 1 जून को, कुछ इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश हुई और आज मुंबई और महाराष्ट्र के कोकण क्षेत्र के लिए कोई अलर्ट नहीं बताया गया है।
सोमवार, 2 जून को सुबह 9 बजे तक तापमान 28 डिग्री सेल्सियस, आर्द्रता 78%, वर्षा की संभावना 25% और हवा की गति 19 किमी प्रति घंटा है, जिसके परिणामस्वरूप दिन गर्म और तेज़ हवाओं वाला रहेगा, आसमान बादलों से घिरा रहेगा और हल्की बारिश की संभावना है। जैसे-जैसे दिन चढ़ेगा, मौसम की स्थिति और खराब होती जाएगी।
महाराष्ट्र के लिए मौसम पूर्वानुमान
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, 2 जून को मुंबई के लिए कोई अलर्ट नहीं है। वर्धा, गढ़चिरौली, नागपुर, गोंदिया, भंडारा, अमरावती, अकोला, वाशिम, बुलढाणा और यवतमाल सहित महाराष्ट्र के कई जिले पीले अलर्ट पर हैं, जबकि अन्य क्षेत्रों को हरे रंग से चिह्नित किया गया है, जो दर्शाता है कि महाराष्ट्र में कोई अलर्ट मौजूद नहीं है।
आईएमडी ने आज हल्की वर्षा के साथ बादल छाए रहने तथा न्यूनतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस से अधिकतम 32 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान व्यक्त किया है।
कल का मौसम पूर्वानुमान
3 जून को आईएमडी ने आज के समान ही मौसम का पूर्वानुमान लगाया है, जिसमें मुख्यतः बादल छाए रहेंगे, हल्की वर्षा या बूंदाबांदी होगी तथा तापमान न्यूनतम 27 डिग्री सेल्सियस से अधिकतम 32 डिग्री सेल्सियस तक रहेगा।
समीर ऐप के संबंध में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण ब्यूरो (सीपीसीबी) की हालिया रिपोर्ट में 2 जून को एक्यूआई 61 दिखाया गया है, जो ‘संतोषजनक’ वायु गुणवत्ता स्तर को दर्शाता है।
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मुंबई मॉनसून 2025: परेल स्टेशन के पास पटरियों पर पेड़ की शाखाएं गिरने से पश्चिमी रेलवे की धीमी लाइन सेवाएं प्रभावित

मुंबई: यह घटना सुबह 11:30 बजे के आसपास हुई, जिसके कारण कुछ लोकल सेवाओं में देरी हुई। पश्चिमी रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि सुबह 11:59 बजे तक अवरोध हटा लिया गया और अगले 30 मिनट में सेवाएं बहाल कर दी गईं।
सोमवार को परेल स्टेशन के निकट पेड़ों की शाखाएं पटरियों पर गिरने से पश्चिमी रेलवे की धीमी लाइन पर उपनगरीय ट्रेन सेवाएं बाधित हो गईं।
यह घटना सुबह 11:30 बजे के आसपास हुई, जिसके कारण कुछ लोकल सेवाओं में देरी हुई। पश्चिमी रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि सुबह 11:59 बजे तक अवरोध हटा लिया गया और अगले 30 मिनट में सेवाएं बहाल कर दी गईं।
श्चिम रेलवे के अधिकारी ने बताया, “गिरे हुए पेड़ों की वजह से केवल कुछ धीमी लाइन की सेवाएं प्रभावित हुईं। ट्रैक को तुरंत साफ कर दिया गया और कुछ ही देर बाद सामान्य सेवाएं फिर से शुरू हो गईं।”
पश्चिम रेलवे के अनुसार, फिलहाल पश्चिम रेलवे पर ट्रेन परिचालन सुचारू रूप से चल रहा है।
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बारिश में बढ़ता है वात और पित्त दोष, जानें आयुर्वेदिक उपाय

नई दिल्ली, 26 मई। आयुर्वेद में बारिश के मौसम को स्वास्थ्य के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय माना जाता है। इस मौसम में ठंडक बढ़ जाती है। लोग इस मौसम का लुत्फ उठाने के लिए तेल से बने खाद्य पदार्थ ज्यादा खाते हैं। ऐसे में शरीर की पाचन शक्ति यानी अग्नि कमजोर हो जाती है। वहीं वातावरण में नमी बढ़ जाने से वात दोष बढ़ जाता है और शरीर में सूखापन, दर्द और बेचैनी हो सकती है। साथ ही पित्त दोष भी जमा होता है, जो हमारे शरीर की गर्मी और पाचन से जुड़ा होता है। इससे शरीर में गर्मी, जलन और पेट की समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए इस मौसम में सही आहार, सही दिनचर्या और सतर्कता बहुत जरूरी होती है ताकि शरीर स्वस्थ और संतुलित रह सके।
पाचन शक्ति कम होने और वात-पित्त दोष बढ़ने से बारिश के मौसम में हमारा शरीर कमजोर हो जाता है, ऐसे में शरीर में असंतुलन होने की संभावना बढ़ जाती है। संक्रमण का खतरा और पाचन की समस्या अधिक देखने को मिलती है। इसलिए आयुर्वेद के ‘ऋतुचर्या’ में मौसमी आहार पर अधिक जोर दिया गया है।
जैसे-जैसे मौसम बदलता है, हमारे शरीर में भी बदलाव होता है। आयुर्वेद का मानना है कि अगर हम अपने शरीर को इन मौसमों के बदलाव के अनुसार ढाल लें, तो हम बीमारियों से बच सकते हैं और अच्छी सेहत को बनाए रख सकते हैं।
‘ऋतुचर्या’ के अनुसार बारिश के मौसम में आहार बेहद अहम माना जाता है, क्योंकि आप जो खा रहे हैं, उसका असर आपकी पाचन शक्ति पर पड़ता है। इस मौसम में हल्का, गर्म और सुपाच्य भोजन करें। भारी, ठंडे और तेल वाले खाने से बचें। ज्यादा तले-भुने खाने का परहेज कर ताजा और साफ-सुथरा खाना ही खाएं। सुश्रुत और चरक संहिता में ऋतु उपयोगी व्यवहार की सलाह दी गई है।
बारिश के मौसम में अपनी दिनचर्या में भी बदलाव लाना जरूरी है ताकि शरीर स्वस्थ रहे। दिन में एक्सरसाइज या योग करें ताकि वात दोष नियंत्रित रहे। ज्यादा देर तक भीगे कपड़े न पहनें, इससे ठंड और जुकाम हो सकता है। शरीर को सूखा और गर्म रखें। अगर ठंड लग रही हो तो गर्म पानी से स्नान करें। ज्यादा देर बारिश में न रहें क्योंकि इससे शरीर कमजोर हो सकता है।
रोजाना 7-8 घंटे की पर्याप्त नींद लें और तनाव से बचें क्योंकि यह भी वात और पित्त को बढ़ा सकता है। अगर ठंड का एहसास हो रहा है तो तिल या सरसों के तेल की मालिश करें।
अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखें, ताकि कीड़े-मकौड़े और बीमारियां न फैलें। फल और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर ही खाएं। पैरों को हमेशा साफ और सूखा रखें, क्योंकि गीले पैरों से फंगल संक्रमण होने का खतरा बढ़ता है।
अगर मुमकिन हो तो गुनगुने या गर्म पानी से नहाएं, क्योंकि ठंडे पानी से वात दोष के बढ़ने की संभावना है। नहाने के पानी में नीम या तुलसी के पत्ते डालकर नहाएं, इससे त्वचा पर कीटाणु नहीं पनपते और संक्रमण नहीं होता।
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