अंतरराष्ट्रीय समाचार
शी जिनपिंग 2.0 अक्रामक मुद्रा में, भारत को देंगे चुनौती

चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने महासचिव शी जिनपिंग के कद को पार्टी राज्य के संस्थापक कहे जाने वाले माओ त्से तुंग के अनुरूप करने के लिए एक और कदम उठाया है। हालांकि, ऐसा कहा जाता है कि माओ के शासनकाल में उनकी नीतियों ने लाखों लोगों की जान ले ली थी और 1976 में उनकी मृत्यु के समय चीन पतन की कगार पर पहुंच गया था।
बीजिंग में मंगलवार को कूटनीति पर शी जिनपिंग के विचार किताब जारी की गई। प्रकाशन ने शी जिनपिंग विचार के लिए ‘नए युग’ के रूप में एक महत्वपूर्ण आयाम को बढ़ाया है जिसका अनावरण सीपीसी की 19वीं पार्टी कांग्रेस के दौरान अक्टूबर 2017 में किया गया था।
दो दशक के संयोजन के दौरान शी की हैसियत को माओ के अनुसार ऊंचा किया गया क्योंकि वह पीआरसी के संस्थापक के बाद एकमात्र चीनी नेता हैं जिनके विचार पार्टी के संविधान में निहित किए गए हैं। यहां तक कि शी की तुलना में चीन के सुधारों के वास्तुकार डेंग शियाओपिंग की स्थिति भी छोटी हो गई। पार्टी के संविधान में डेंग के सिद्धांत के योगदान को माओ और शी के विचार के एक पायदान नीचे मान्यता दी गई है।
शी को 2016 में ‘कोर’ नेता के रूप में भी नामित किया गया था। यह एक ऐसी उपाधि है जो माओ और देंग सहित शक्तिशाली चुनिंदा चीनी नेताओं के लिए आरक्षित रही है।
बीजिंग में मंगलवार को चीनी उच्च अधिकारियों ने फैसला किया कि कोरोना महामारी के बाद चीन की सत्ता में शी के सर्वोच्च अधिकार को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) में माओ जैसे अधिकार के रूप में फिर से पुष्ट किया जाना अब अति आवश्यक हो गया है।
चीन इन आरोपों की सुनामी का सामना कर रहा है कि उसने जानबूझकर या अनजाने में कोविड-19 महामारी फैलाई है जिसने सीपीसी को एक मौलिक विकल्प चुनने के लिए मजबूर किया है। पार्टी या तो घुटनों में चेहरा छिपाकर इन वैश्विक हमलों की अनदेखी कर सकती है या फिर इसके विपरीत वह आक्रामक रुख अपनाकर शी के नेतृत्व में पूर्ण राजनीतिक सामंजस्य के साथ अपनी सैन्य शक्ति को एक निवारक के रूप में प्रदर्शित कर सकती है।
इस दुविधा के बीच बीजिंग ने आक्रामक दृष्टिकोण अपनाने का फैसला किया। इसने एक साथ दो भौगोलिक थिएटरों में अपनी ताकत दिखाना शुरू कर दिया। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए), जिसके कमांडर-इन-चीफ शी हैं, ने मजबूती से उभरते भारत के साथ सीधे तनाव में लद्दाख में घुसपैठ की। पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में पीएलए नेवी (पीएलएएन) ने संसाधन संपन्न दक्षिण चीन सागर में अपने समुद्री दावों को लागू करने के लिए शक्ति दिखाना शुरू किया। एक तरफ भारतीय सशस्त्र बल लद्दाख में पीएलए के सामने डट गए, दूसरी तरफ अमेरिकियों ने सभी चीनी दावों को अस्वीकार करते हुए दक्षिण चीन सागर में दो विमान वाहक पोत भेजे। इस इलाके में वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, थाईलैंड और ब्रुनेई जैसे आसियान देशों के संप्रभुता के अपने-अपने दावे हैं।
इस परिदृश्य में चीन ने शी जिनपिंग के कूटनीति पर विचार को ‘शी जिनपिंग डिप्लोमैटिक थॉट रिसर्च सेंटर’ के गठन के साथ संस्थागत बनाने का फैसला किया। यह दुनिया को यह बताने के लिए है कि शी की अगुवाई में सीपीसी नेतृत्व पूरी मजबूती से काम कर रहा है और शायद कोविड-19 के बाद और भी मजबूत हुआ है।
केंद्र के उद्घाटन के दौरान चीनी विदेश मंत्री व स्टेट काउंसलर वांग यी ने भी आश्चर्यजनक रूप से खुलकर खुलासा किया कि शी का चीन एक मध्यकालीन साम्राज्य 2.0 की महत्वाकांक्षाएं रखता है। इस सिद्धांत के तहत चीन, पहले के शाही चीन की तरह, प्रमुख ‘सार्वभौमिक’ शासक बनने के लिए इच्छुक है, जो कई सहायक राज्यों द्वारा प्रतिस्थापित (रेपलेनिश्ड) किया जाएगा और जिन्हें बदले में बीजिंग में रहने वाले ‘अधिपति’ (सुजैरेन) द्वारा सुरक्षा मिलेगी।
वांग ने मध्य साम्राज्य की आकांक्षाओं की गूंज के साथ कहा, “चीनी राष्ट्र के महान कायाकल्प के सपने के साकार होने का आज जैसा समय पहले कभी नहीं आया।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शी जिनपिंग के चीनी विशेषताओं के साथ ‘डिप्लोमैटिक थॉट्स ऑन सोशलिज्म’ के नए युग में चीन एक ऐसे मंच पर आ गया जहां वह वैश्विक एजेंडा को आकार देने में नेतृत्व करेगा।
वांग ने कहा, “हम वैश्विक शासन प्रणाली में सुधार का नेतृत्व करने के लिए पहल करते हैं, वैश्वीकरण के विकास को अधिक समावेशी और समावेशी दिशा में बढ़ावा देते हैं और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के विकास को और अधिक उचित दिशा में बढ़ावा देते हैं।”
चीन के मध्य साम्राज्य के सपनों को पूरा करने वाले ‘दो शताब्दी के लक्ष्यों’ में शी ने 19वीं पार्टी कांग्रेस के दौरान घोषणा की थी कि चीन 2020 में ‘मध्यम समृद्ध समाज’ और 2050 तक एक ‘बेजोड़ पूर्ण विकसित देश’ बन जाएगा, जो पीआरसी के गठन की शताब्दी को चिह्न्ति करेगा।
फाइनेंशियल टाइम्स के गिडियोन रैचमैन ने एलएसई आईडीईएएस स्पेशल रिपोर्ट के एक लेख में कहा, “अब यह साफ प्रतीत हो रहा कि चीनी राष्ट्रपति चीन को उसके उस पारंपरिक स्थान पर लौटाने की कोशिश कर रहे हैं जो उसके लंबे इतिहास में एशिया में उसके एक शक्तिशाली क्षेत्रीय शक्ति का रहा था।”
‘झेनगू’ या मध्य साम्राज्य की कल्पना के तहत, जिसे झोउ राजवंश से जोड़ा जा सकता है, माना जाता है कि चीनी शाही राजवंशों ने क्रूर सैन्य बल के साथ व्यापार और वाणिज्य किया था, जिसने उन्हें मध्य एशिया, कोरियाई प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों और पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में एक सहायक प्रणाली बनाने के लिए सक्षम किया था।
पूरी तरह से क्षेत्रीय या यू कहें कि वैश्विक प्रभुत्व हासिल करने की चीन की कोशिश में, भारत अपनी बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ एक कठोर बाधा पेश कर रहा है।
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के मीडिया का हिस्सा चीनी वेबसाइट शिलू डॉट कॉम ने माना है कि 21 वीं सदी के उत्तरार्ध तक चीन का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी निश्चित रूप से भारत होगा।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
‘नफरत और कट्टरता की अमेरिका में कोई जगह नहीं’, इजरायली कर्मियों की हत्या पर बोले डोनाल्ड ट्रंप

वाशिंगटन, 22 मई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार देर रात (अमेरिकी समयानुसार) वाशिंगटन में कैपिटल यहूदी संग्रहालय के बाहर इजरायली दूतावास के दो कर्मचारियों की गोली मारकर हत्या किए जाने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे यहूदी विरोधी कृत्य बताया है।
अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी के अनुसार, पीड़ित इजरायली दूतावास के एक पुरुष और एक महिला कर्मचारी हैं, जिनको अज्ञात हमलावर ने म्यूजियम से बाहर निकलते समय गोली मार दी।
अधिकारियों ने हत्या की पुष्टि की और इसे यहूदी-विरोधी भावना से प्रेरित अपराध मानकर एक बहु-एजेंसी जांच शुरू की।
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए लिखा, “डीसी में ये भयानक हत्याएं, जो स्पष्ट रूप से यहूदी-विरोधी हैं, इन्हें अब खत्म होना चाहिए। नफरत और कट्टरता का अमेरिका में कोई स्थान नहीं है। पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना। बहुत दुख की बात है कि ऐसी चीजें भी हो सकती हैं, भगवान आप सभी का भला करे।”
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी हत्याओं की निंदा की और कहा, “यह कायराना, यहूदी-विरोधी हिंसा का एक निंदनीय कृत्य था। कोई गलती न करें, हम जिम्मेदार लोगों का पता लगाएंगे और उन्हें न्याय के कटघरे में लाएंगे।”
इजरायल में अमेरिकी राजदूत माइक हुकाबी ने भी घटना पर गुस्सा व्यक्त किया। उन्होंने इसे “आतंक का भयानक कृत्य” बताया। उन्होंने उल्लेख किया कि अटॉर्नी जनरल पाम बोंडी शूटिंग के तुरंत बाद घटनास्थल पर पहुंची थीं।
संयुक्त राष्ट्र में इजरायली राजदूत डैनी डैनन ने इस घातक हमले को “यहूदी-विरोधी आतंकवाद का जघन्य कृत्य” करार दिया और कहा कि यहूदी समुदाय को नुकसान पहुंचाना खतरे के लाल निशान को पार करना है। उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने का भरोसा जताया और इजरायल की अपने नागरिकों व प्रतिनिधियों की वैश्विक स्तर पर रक्षा करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
वाशिंगटन में इजरायली दूतावास के प्रवक्ता ताल नैम कोहेन ने हत्याओं की निंदा की और कहा, “हमें स्थानीय और संघीय स्तर पर कानून प्रवर्तन अधिकारियों पर पूरा भरोसा है कि वे शूटर को पकड़ लेंगे और अमेरिका में इजरायल के प्रतिनिधियों और यहूदी समुदायों की रक्षा करेंगे।”
एफबीआई निदेशक काश पटेल ने कहा कि उन्हें और उनकी टीम को शूटिंग के बारे में जानकारी दी गई है और वे मेट्रोपॉलिटन पुलिस विभाग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “हम पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए प्रार्थना करते हैं।”
उन्होंने कहा, “मेरी टीम और मुझे आज रात कैपिटल यहूदी संग्रहालय के बाहर और हमारे वाशिंगटन फील्ड ऑफिस के पास हुई शूटिंग के बारे में जानकारी दी गई है। हम एमपीडी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और अधिक जानकारी जुटा रहे हैं। अभी के लिए, कृपया पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए प्रार्थना करें। हम जनता को अपडेट करते रहेंगे।”
अंतरराष्ट्रीय समाचार
अगर भारत पीछे हटेगा तो हम भी तनाव खत्म कर देंगे : पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

इस्लामाबाद, 7 मई। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि अगर भारत अपने आक्रामक रुख से पीछे हटता है, तभी यह तनाव खत्म हो सकता है।
यह बयान तब आया जब भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” चलाकर पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ जगहों पर हवाई हमले किए। भारत का कहना है कि ये हमले आतंकवादी ठिकानों पर किए गए थे। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास जवाबी कार्रवाई का दावा किया है।
ब्लूमबर्ग से बात करते हुए ख्वाजा आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान को अपनी सुरक्षा का पूरा हक है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने हमला शुरू नहीं किया, बल्कि केवल भारत के हमले का जवाब दिया है।
उन्होंने कहा, “यह सब भारत ने शुरू किया है। अगर भारत पीछे हटेगा तो हम भी तनाव खत्म कर देंगे। लेकिन जब तक हम पर हमला होता रहेगा, हमें अपनी रक्षा करनी होगी।”
पाकिस्तान के इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन (आईएसपीआर) के प्रमुख जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने बताया कि इन हवाई हमलों में कम से कम 26 लोगों की मौत हुई और 46 घायल हुए हैं। ये हमले पीओके और पंजाब प्रांत के उन इलाकों में हुए जहां भारत के अनुसार आतंकियों के ठिकाने थे।
इस स्थिति को देखते हुए पाकिस्तान में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। सभी सरकारी अस्पतालों को तैयार रहने को कहा गया है, देश की हवाई सीमाएं 24 से 36 घंटे के लिए बंद कर दी गई हैं, इस्लामाबाद और पंजाब के सभी स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं और सुरक्षा बलों को सतर्क कर दिया गया है।
इन हमलों और जवाबी कार्रवाई से आम लोग डरे हुए हैं। उन्हें चिंता है कि कहीं यह हालात दो देशों के बीच बड़े युद्ध का रूप न ले लें।
भारत ने पाकिस्तान के अंदर छह अलग-अलग जगहों पर हमले किए। जिनमें मस्जिद सुभानअल्लाह भी शामिल है – जो पाकिस्तान के दक्षिण पंजाब प्रांत के बहावलपुर शहर के अहमदपुर शरकिया इलाके में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख मौलाना मसूद अजहर का ठिकाना बताया गया है।
इसके अलावा मुरिदके में भी हमले हुए, जिसे लश्कर-ए-तैयबा और जमात उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद का मुख्यालय माना जाता है। अन्य हमले मुजफ्फराबाद, कोटली और बाग शहरों में भी किए गए।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने स्थिति पर चर्चा के लिए एक आपात बैठक बुलाई है। इसमें सुरक्षा स्थिति और भारत को लेकर आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
यह बैठक यह भी तय करेगी कि अमेरिका समेत बाकी देशों द्वारा दिए गए शांति और संयम के संदेशों पर पाकिस्तान क्या रुख अपनाएगा, ताकि दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच बढ़ता तनाव रोका जा सके।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
पाकिस्तानी झंडे वाले जहाजों की भारतीय बंदगाहों में ‘नो एंट्री’, मोदी सरकार का बड़ा फैसला

नई दिल्ली, 3 मई। पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने पाकिस्तानी झंडे वाले जहाजों के भारतीय बंदरगाहों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही भारतीय झंडे वाले जहाजों के पाकिस्तान के बंदरगाहों पर जाने पर रोक लगा दी है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए नवीनतम आदेश इसी सिलसिले की एक कड़ी है।
ये प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 की धारा 411 के तहत भारतीय परिसंपत्तियों, कार्गो और बंदरगाह अवसंरचना की सुरक्षा के लिए लगाए गए हैं।
मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश में कहा गया, “अधिनियम का उद्देश्य राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के लिए सर्वोत्तम तरीके से भारतीय व्यापारिक नौवहन के विकास को बढ़ावा देना और उसका कुशल रखरखाव सुनिश्चित करना है।”
सुरक्षा को मजबूत करने और भारत के समुद्री हितों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत यह आदेश अगली सूचना तक लागू रहेगा।
आदेश के मुताबिक, “पाकिस्तान का झंडा लगे जहाज को किसी भी भारतीय बंदरगाह पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी और भारतीय झंडा लगे जहाज को पाकिस्तान के किसी भी बंदरगाह पर जाने की अनुमति नहीं मिलेगी।”
इसमें यह भी कहा गया कि आदेश से किसी भी छूट की “जांच की जाएगी और मामले-दर-मामला आधार पर निर्णय लिया जाएगा।”
इससे पहले भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पड़ोसी देश के साथ बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान से सभी प्रकार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आयात पर प्रतिबंध लगा दिया।
वाणिज्य मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, “पाकिस्तान में उत्पन्न या वहां से निर्यातित सभी वस्तुओं का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयात या पारगमन, चाहे वे स्वतंत्र रूप से आयात योग्य हों या अन्यथा अनुमत हों, तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक प्रतिबंधित रहेगा।”
अधिसूचना में कहा गया, “यह प्रतिबंध राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक नीति के हित में लगाया गया है। इस प्रतिबंध में किसी भी अपवाद के लिए भारत सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक होगी।”
2 मई की अधिसूचना में कहा गया कि इस संबंध में विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023 में एक प्रावधान जोड़ा गया है, ताकि ‘पाकिस्तान में उत्पन्न या वहां से निर्यात किए जाने वाले सभी सामानों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयात या पारगमन पर रोक लगाई जा सके।’
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